बाप खिलाड़ी बेटी महा खिलाड़िन- 1

नमस्कार दोस्तो, मैं राकेश आशा करता हूं कि आप जिन्दगी के मजे ले रहे होंगे और अन्तर्वासना की गर्म सेक्स कहानियों का लुत्फ उठा रहे होंगे. आप लोगों ने मेरी पिछली कहानियों कलयुग का कमीना बाप माँ बेटी की मज़बूरी का फायदा उठाया सर बहुत गंदे हैं बाप ने बेटी को रखैल बना कर चोदा और रिश्तों में चुदाई जैसी कहानियों को बहुत पसंद किया, इसके लिए सभी का धन्यवाद। मेरी प्रत्येक कहानी को लाखों पाठकों ने पढ़ा; इसके लिए सभी पाठकों का बहुत बहुत धन्यवाद।

यह कहानी मेरे दोस्त रमेश की है. रमेश एक बिजनेस मैन होने के नाते अच्छा खासा कमा लेता था. मगर जवान लड़कियों को चोदने का उसे जबरदस्त शौक था.

उसके घर में उसकी खूबसूरत बीवी रति और उसकी बेहद खूबसूरत बेटी रिया भी थी. रिया भी उसके बिजनेस में हाथ बंटाती थी. वह देखने में बहुत खूबसूरत थी और एकदम श्रद्धा कपूर के जैसी दिखती थी.

सुबह के नाश्ते के बाद एक दिन रिया और रमेश घर से निकल रहे थे कि रिया का फोन बज पड़ा. फोन उठा कर रिया ने कहा- हाँ, बोलो रत्न? उधर से रत्न ने कुछ बोला. रिया- तुम्हें मेरा रेट पता नहीं क्या? आगे से दस हजार।

रत्न फिर कुछ बोला. रिया- पीछे भी चाहिए तो बीस हज़ार और ऊपर फ्री। रत्न ने फिर कुछ जवाब दिया. रिया- ओके! रात दस बजे पक्का। बॉय! इतना कह कर रिया ने फ़ोन रख दिया.

उसकी मां रति भी ये बातें सुन रही थी. वो बोली- बेटा यह क्या काम करती हो तुम जो यूँ रात- रात भर बाहर रहना पड़ता है तुम्हें? रिया- ओहो! मां कितनी बार तो बताया है कि इवेंट ऑर्गेनाइस करती हूं।

रति- वह तो ठीक है मगर यह आगे- पीछे और ऊपर का क्या चक्कर है? रिया- मां आगे का मतलब है सॉफ्ट ड्रिंक्स जो आगे के दरवाज़े से खुले आम आ जा सकें। रति- अच्छा, फिर पीछे और ऊपर?

रिया- पीछे का मतलब है शराब, जो सिर्फ पीछे के रास्ते से छुपाकर आती है और ऊपर मतलब खाना। रति- बेटा यह गैर कानूनी है. इसमें खतरा है तो ऐसा क्यों करती है?

रमेश- रति, तुम भी ना बहुत डरपोक हो। यह मेरी बेटी है। इसे अच्छी तरह पता है कि बिजनेस कैसे किया जाता है, यह कोई ख़राब काम नहीं कर रही. देखना एक दिन यह अपने बिजनेस में हमारा नाम जरूर रोशन करेगी।

रिया- थैंक यू डैड। बाय, अब मैं चलती हूँ. कल सुबह 10 बजे तक आ जाउँगी। यह बोल कर रिया घर से निकल गयी.

रति रमेश से- आपने तो इसे सिर पर चढ़ा रखा है. जब हमारे पास इतना पैसा है ही तो इसे ऐसे काम करने की इसे क्या जरूरत है? और तुम भी तो इसकी पॉकेट मनी नहीं बढ़ाते. आखिर वह भी तो अब बड़ी हो गयी है. उसके खर्चे भी तो बढ़ गए हैं।

रमेश- रति तुम समझती नहीं हो. मैं जानबूझ कर उसकी पॉकेट मनी नहीं बढाता. मैं चाहता हूँ कि वह अपने पैरों पर खुद खड़ी हो. आखिर एक न एक दिन यह सब उसी का तो होने वाला है और तब उसका यह एक्सपीरियंस काम आएगा।

रति- हां हां! समझ गयी. तुम, तुम्हारी बेटी और तुम्हारा बिजनेस! रमेश ने रति को अपनी बांहों में कस लिया और बोला- अरे जानू … ग़ुस्सा क्यों होती हो. तुम तो मेरी जान हो। तुम नाराज़ हो जाओगी तो ऐसा लगेगा कि मेरी जान ही मुझसे नाराज़ हो गयी और अगर जान नाराज़ हो जाए तो मैं तो मर ही जाऊंगा।

वो रमेश के मुंह पर हाथ रखते हुए बोली- छी! ऐसा मत कहो. तुमसे पहले मेरी ही जान निकल जाए। रमेश ने रति को अपने सीने से लगा लिया और बोला- अब मैं चलता हूँ. रात को देर से लौटूँगा या फिर सुबह ही लौटूं शायद।

रति- बस यही तो है बुरी आदत है आप दोनों बाप- बेटी में! मुझे तो घर में सिर्फ पहरेदार ही बना दिया है आप दोनों ने। रमेश- मेरी जान, यूँ उदास होकर मत विदा करो. अच्छा नहीं होता. ज़रा मुस्करा दो। वो मुंह बना कर बोली- तुम भी न, हमेशा अपनी बात मनवा ही लेते हो। ठीक है जाओ, और हाँ रात में ही आने की कोशिश करना।

रमेश- बॉय! रति- बॉय! जल्दी आने की कोशिश करना। अब रमेश भी घर से निकल गया.

कुछ देर के बाद वह ऑफिस पहुंच गया. वो सीधा अपने केबिन में गया और जाते ही उसकी सेक्रेटरी रीता जो एक 32 या 33 साल की मगर ज़िस्म से गदराई हुई माल थी, पीछे- पीछे वह भी रमेश के केबिन में घुस गई.

रीता- गुड मॉर्निंग सर! रमेश- गुड मोर्निंग। सिट् डाउन। रमेश थोड़ी देर तक फाइल्स के पेज पलटने के बाद गुस्से में बोला- रीता आर यू क्रेज़ी? रीता- क्या हुआ सर? एनी प्रॉब्लम?

रमेश- प्रॉब्लम क्या … ऐसे काम होता है? तुम तो मुझे बर्बाद कर दोगी। यह फाइल्स अब तक क्लियर क्यों नहीं हैं? रीता- सर … वो … वो … रमेश- क्या वो-वो लगा रखा है? पता नहीं मैंने तुम्हें काम पर किसलिए रखा हुआ है!

रमेश के गुस्से को देखते हुए रीता उठी और रमेश के पास जाकर खड़ी हो गयी. उसने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरका दिया जिससे वो नीचे गिर गया. उसने रमेश का हाथ पकड़ा और अपने बूब्स पर रखवा दिया.

रीता दिमाग से भले ही पैदल थी लेकिन वह अपने जिस्म की कीमत अच्छी तरह से जानती थी. इसलिए उसने रमेश को अपनी चूत के जाल में उलझा कर रखा हुआ था. यही कारण था कि रमेश उसको चाह कर भी काम से नहीं निकाल पा रहा था.

रमेश ने पहले अपने हाथ से रीता के बूब्स को जार से दबाया और फिर उसे अपनी गोद में खींच कर बैठा दिया. उसके चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रखने ही वाला था कि उसके केबिन का दरवाजा नॉक हुआ.

रमेश और रीता हड़बड़ा गये और रीता झट से रमेश की गोद से उठ गई. रमेश सँभलते हुए- कम इन। दरवाज़ा खुला और रमेश का मैनेजर राजन अंदर आया।

रमेश- बोलो राजन? एनी प्रोब्लम? राजन- सर वो … अब तक राना एंड संस की फाइल क्लियर नहीं हुई है और वह अपना अकाउंट जल्दी क्लियर करने का प्रेशर बना रहे हैं। रमेश- क्यों क्लियर नहीं हुई अब तक?

राजन- सर, वह रीता के हाथों में यह सारी बातें हैं. अब वह ही बतायेगी कि क्यों देर हो रही है? मगर जल्द क्लियर न करने से हमें बहुत नुकसान हो सकता है क्योंकि आगे वह हमारे साथ काम नहीं करना चाहेंगे।

रमेश- आई सी। (मैं देखता हूं). ओके ठीक है, तुम जाओ मैं देखता हूँ। राजन चला गया और रमेश रीता की तरफ देख कर बोला- रीता क्या है यह सब? रीता ने फिर अपना शैतानी दिमाग लगाया और इस बार अपनी साड़ी को अपनी कमर तक ऊपर उठाते हुए अपनी पेंटी खोल कर रमेश के उपर फ़ेंक दी.

उसकी पैंटी को हाथ में लेकर उसे दिखाते हुए रमेश बोला- अपना यह रन्डीपना बंद करो तुम और यह फाइल आज ही क्लियर करके लाओ। रीता ने गुस्सा होते हुए मुंह बनाया और बोली- हां लाती हूं, लाइये दीजिए फाइल … और मेरी पैंटी भी।

रमेश- तुम सिर्फ फाइल ले कर जाओ. और यह पैंटी आज मेरे पास ही रहेगी. जब तक काम नहीं हो जाता तब तक तुम नंगी ही रहोगी. अब जाओ।

रमेश ने रीता को चिढ़ाते हुए उसकी पैंटी से अपना चेहरा पौंछ लिया. रीता गुस्से में बड़बड़ाते हुए जाने लगी- हूंह … नंगी रहो! पूरे कपड़े खुलवा कर ही नंगी कर दो ना?

उसकी बात पर रमेश ने भी जवाब फेंका- अपने काम पर ध्यान दो, छिनालपन पर नहीं. रीता जाकर अपना काम करने लगी और रमेश रीता की पैंटी को अपनी पॉकेट में रख कर अपने काम में लग गया.

धीरे धीरे शाम हो गयी. सारा स्टाफ चला गया सिवाय रीता को छोड़ कर। आधे घंटे के बाद रीता फाइल समेट कर रमेश के केबिन में आई और टेबल पर फाइल पटकते हुए गुस्से में बोली- लीजिये आपकी फाइल और मेरी पैंटी मुझे दीजिये, मुझे घर जाना है।

फाइल देख कर रमेश खुश होते हुए बोला- घर? घर क्यों, आज तो तुम्हें होटल मूनलाइट जाना है ना? रीता- क्या? होटल? नहीं … आज कोई चुदाई-वुदाई नहीं होगी. मुझे जल्दी घर जाना है। रमेश- पर क्यों मेरी जान?

रीता- घर पर मेरे पति मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे। रमेश- वह भड़वा क्या इंतज़ार करेगा तुम्हारा? उसे तो मैं एक फ़ोन लगाऊंगा तो वह अपनी माँ भी चुदवा देगा मुझसे। रीता ने हंसते हुए कहा- और बच्चे? मेरे बच्चों को कौन संभालेगा?

रमेश- तुम्हारा पति कब काम आएगा? वह सम्भालेगा उन्हें. वैसे भी कोई दूध पीता बच्चा थोड़े ही है तुम्हारा? रीता- अच्छा तो फिर मेरा दूध पीता कौन है?

रमेश ने आगे बढ़ते हुए रीता को अपनी बांहों में लेटा लिया और बोला- अब मुझे ज्यादा गर्म मत करो वरना यहीं पकड़ कर चोद दूंगा। रीता- ठीक है. अब तो मुझे मेरी पैंटी वापस कर दो!

वो उठ कर रीता से अलग हुआ और चाबियों के गुच्छे में से चाबी लगाकर कपबोर्ड खोलते हुए बोला- आज तक कभी वापस की है मैंने तुम्हारी ब्रा-पैंटी जो आज वापस करूंगा?

रीता ने सामने कपबोर्ड में देखते हुए कहा- बाप रे! कितना गजब का शौक है आपका? इतनी सारी ब्रा पैंटी इकट्ठा कर रखी हैं! लगता है कि आपके सारे पैसे मेरे जैसी रंडियों की ब्रा और पैंटी पर ही खर्च होते हैं.

रमेश- सारी रंडियों की ब्रा- पेंटी पर नहीं … सिर्फ तुम्हारी ही ब्रा और पेंटी मैं ख़रीदता हूँ. बाकी तो सभी शौक से ही मुझे अपनी ब्रा और पेंटी दे देती हैं। रीता- ठीक है, अब इसे रखिये और चलिये. देर हो रही है।

रमेश- पहले तुम अपनी ब्रा तो मुझे दे दो ताकि मैं इसे रख दूं। रीता ने मुस्कराते हुए अपना ब्लाउज खोला और अपनी ब्रा को निकाल कर रमेश के हाथों में थमा दिया. फिर उसने अपना ब्लाउज वापस पहन लिया.

उसकी ब्रा और पैंटी को अंदर रखते हुए रमेश बोला- क्या तुम जानती हो कि ये सारी यूज़ की हुई ब्रा- पैंटी हैं? बिना धुली हुई. जब भी किसी की चूत की याद आती है मैं यह कपबोर्ड खोल कर इनकी खुशबू सूंघ लेता हूँ. बड़ा ही मजा आता है।

रीता- मुझे पता है. अब चलिये ना। रमेश- बड़ी भूख लगी हुई है तुम्हारी चूत को, चलो तुम्हारी चूत की भूख को मिटा ही देता हूं.

होटल मूनलाइट में रमेश की पहले से ही स्पेशल सेटिंग थी. वो दोनों पहुंच गये और जाकर उन्होंने खाना ऑर्डर किया. थोड़ी देर के बाद वेटर आया और खाने के साथ ही एक कॉन्डम का पैकेट भी लेकर आ गया. वो रख कर वापस जाने लगा.

रमेश कॉन्डम का पैकेट उठाया और गुस्से में बोला- तुम्हें पता नहीं है कि जब मैं मैडम के साथ आता हूं तो मुझे कॉन्डम की जरूरत नहीं होती है? रीता ने अपनी छिनाल हंसी के साथ कहा- जाने दीजिये ना … इस बेचारे को क्या पता कि मेरी चूत में ऐसा क्या है जो आपको कॉन्डम की जरूरत ही नहीं पड़ती.

रीता रंडी की बात सुन कर वेटर भी शरमा गया और वहां से चुपचाप चला गया. उसके जाने के बाद वो दोनों खाना खाने के लिए तैयार होने लगे. रीता- मैं जरा फ्रेश हो कर आती हूँ।

वो बाथरूम में गयी और जब बाहर निकली तो रमेश के चेहरे पर शैतानी मुस्कान फैल गयी. रीता पूरी नंगी होकर बाहर आयी थी. धीरे- धीरे अपनी बड़ी सी गाँड मटकाते हुए वो रमेश के पास आई और बोली- क्या देख रहे हो जी?

रमेश- बस तुम्हें ही देख रहा हूँ कि कितनी बेशर्म हो तुम! अपने पति और बच्चों के होते हुए भी तुम मुझसे चुदने चली आती हो। रीता- तो इसमें बुरा क्या है? ये मेरी चूत है, मैं चाहे जिससे चुदवाऊँ! इसमें मेरे पति का क्या?

उसकी बात पर रमेश बोला- मेरी रंडी रानी. कभी कभी मन करता है कि तुझे अपने सभी दोस्तों के साथ मिल कर चोद दूं. रीता- ना बाबा ना … मैं केवल आपकी रंडी हूं. आप जितना चाहे चोदिये मगर किसी और से मुझे न चुदवाइये. रमेश मुस्कराते हुए बोला- ठीक है, अब चल … मेरा लंड चूस।

रीता झट से अपने हाथ को रमेश की पैंट पर ले गयी और उसे खोलते हुए उसने रमेश के लंड को बाहर निकाल लिया. झुक कर उसने रमेश के लंड को अपने मुंह में भर लिया और उसके लंड को जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया.

रीता के मुंह से लंड चूसने की कामुक आवाजें निकलने लगीं- आऊम्मम … चप्पचप्प … आह्ह. अम्म… मुचमुच… ऊंहह… आह्ह गप्प गपल गप्प… ऐसी आवाजें करते हुए वो रमेश को लंड चुसाई का पूरा मजा देने लगी.

रमेश ने रीता के बाल पकड़ कर उसके मुंह को लंड से अलग कर दिया और उठ कर अपने सारे कपड़े खोल कर उतार फेंके. रीता बेड से उतर कर किनारे खड़ी हो गई और झुक कर अपनी गाँड रमेश की तरफ कर दी. रमेश को ट्रेस करते हुए वो अपनी गांड गोल गोल घुमा कर मटकाने लगी.

उसकी हरकत को देखते हुए रमेश मुस्कराया और बोला- तुम खा खाकर मोटी हो गयी. देखो तुम्हारी गांड कितनी बड़ी हो गयी! रीता के पास आकर रमेश ने उसकी गाँड के दोनों पट को अपने दोनों हाथों से फाड़ दिया.

रीता- मेरी गाँड ज्यादा खाने से नहीं … आपके लंड के घुसने की वजह से बड़ी हो गयी है। गलती आप करो और इल्ज़ाम मुझ पर लगाओ? यह कहाँ का इन्साफ है?

उसकी गांड को गौर से देखते हुए रमेश बोला- अरे हां, तुम बिल्कुल सही कह रही हो. तभी तो मैं कहूँ कि तुम्हारी गाँड का छेद इतना गोल कैसे हो गया? मगर जो भी हो, लगती बहुत ही प्यारी है तुम्हारी ये गांड।

वो बोली- हां आपको तो बस मेरी गांड चुदाई करके मजा लेने से मतलब है. मगर इस मोटी गांड का बोझ तो मुझे ही ढोना है ना! रमेश- तो आजा मेरी रानी … तुझे भी मजा दे देता हूं.

रमेश ने अपनी जीभ निकाली और रीता की गांड के छेद पर रख कर उसकी गांड को चाटने लगा. अम्म … आह्ह चपकचप… चपचप … मुचमुच… करके वो उसकी गांड को काफी देर तक चाटता रहा. फिर उठ कर उसकी गांड पर जोर से तमाच मारने लगा.

दर्द से रीता चिल्लाने लगी- आईई… आह्ह … आऊच … ओह्ह … ऊईई। रीता की गांड पूरी लाल हो गयी. फिर रमेश ने रीता की एक टाँग पकड़ कर बेड पर रख दी और खुद उसके पैरों के बीच में नीचे बैठ कर उसकी चूत चाटने लगा।

चूत चटाई करवाते हुए रीता बहुत गर्म हो कर सिसकारने लगी- आह्ह … आआहा … हाह्ह … ओह्ह … ओ … मां … हूंह … अम्म … उम्ममा आह्ह… वो चूत चटवाने का मजा लेती रही.

फिर रमेश खड़ा हुआ और उसने अपने लंड पर थूक लगा लिया. उसने लंड को चिकना करके रीता की चूत में पेल दिया और उसको पकड़ कर चोदने लगा. रीता सिसकारने लगी- आह्ह … हम्म … यस्स… चोदो … आह्ह. और जोर से … फाड़ दो मेरी चूत … हाह … मांआह्ह … चोद दो मुझे।

रमेश अपने दोनों हाथों से रीता के बूब्स को पकड़ कर लगातार धक्के मार रहा था. ऐसे ही 15 मिनट तक उसकी चूत में धक्के देने के बाद उसने अपना लंड रीता की चूत से निकाल लिया.

रीता नीचे बैठ कर उसका लंड मुंह में लेकर चूसने लगी. रमेश ने उसे पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके बालों से पकड़ कर उसे खींचता हुआ सोफे पर ले गया. रीता ने झुक कर सोफे की दीवार पकड़ ली और अपनी गांड रमेश की ओर कर दी.

रमेश ने रीता की गाँड पर ढे़र सारा गाढ़ा थूक गिरा दिया और अपने हाथ से उसकी गांड के छेद पर थूक को मलने लगा. फिर अपना लंड उसकी गांड पर लगा कर उसने जोरदार धक्के के साथ अपना लंड रीता की गांड में घुसा दिया.

लंड घुसते ही रीता एक बार चिल्लाई. मगर तब तक रमेश ने धक्के लगाने भी शुरू कर दिये थे. वो जोर जोर से आवाजें करती हुई अपनी गांड चुदाई करवाने लगी- आह्ह … सररर … आह्ह … आआ. फाड़ दीजिये … मेरी गाआ … गांड को! आह्ह … चोद दो सररर … आह्ह चोद दो मेरी गांड।

उत्तेजना में आकर रमेश भी सिसकारने लगा- आह्ह … यस्स … रीता … आह्ह … तेरी गांड … चोद दूं तुझे … मेरी रंडी … आह्ह क्या मस्त गांड है तेरी … आह्ह रीता मेरी रंडी … यस्स आह्ह फक यू… आह्ह… फाड़ दूंगा आज।

लगातार 20 मिनट तक चोदने के बाद रमेश झड़ने के करीब पहुँच गया. उसने रीता की गांड में अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. थोड़ी देर के बाद वो रीता की गांड में ही झड़ने लगा. ‘ओह्ह रीता … आह्ह … यस्स आआ … आहह … यस्स ओह्ह’ करते हुए उसने सारा माल रीता की गांड में गिरा दिया.

रमेश के वीर्य से रीता की गांड पूरी भर गयी. फिर रमेश ने अपना लंड रीता की गांड से बाहर निकाल लिया. मगर तभी रीता ने रमेश के लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी.

उसकी गाँड में से रमेश के लंड का माल बहने लगा. रमेश का लंड चूसने के बाद रीता ने अपना हाथ पीछे अपनी गाँड पर लगा लिया और ढेर सारा वीर्य अपने हाथ पर इकट्ठा कर लिया और फिर अपनी हथेली को चाट कर बोली- आह्ह सर … आह्ह … टेस्टी है … मजा आ गया.

रमेश वहीं सोफ़े पर बैठ गया और रीता उससे लिपटते हुए बोली- बड़ी बेदर्दी से चोदते हैं आप मुझे। मेरे पति मुझे ऐसे नहीं चोदते। रमेश- अरे उस भड़वे में दम कहाँ जो वह तुम जैसी रांड को चोद सके. मगर मेरी जान, मेरी चुदाई में तुम्हें मजा नहीं आता क्या?

रीता- मज़ा तो बहुत आता है, तभी तो खुलकर सबके सामने भी आपसे चुदने चली आती हूँ. मगर एक गन्दी आदत लगा दी है आपने मुझे। रमेश- वह क्या? रीता- वही … मेरी गाँड से निकले हुए आपके लंड के वीर्य को चाटने की।

रमेश- मेरी रांड … यही तो फैंटेसी है। इतना कह कर दोनों ठहाका मार कर हंसने लगे.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.

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