दोस्त की चुदक्कड़ भाभी श्वेता-2

दोस्त की चुदक्कड़ भाभी श्वेता-1

फिर रात को हमने सेक्स-चैट किया और उसमें मैंने भाभी को पूछा- क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी? तो उन्होंने मुझे साफ़ मना कर दिया और बोली- नहीं, मैं रमेश के अलावा किसी से नहीं करती। मैंने कहा- ठीक है, फिर भी कभी मन हो तो मुझे बोल देना। क्योंकि आप मुझे बहुत पसंद हो। वो बोली- ठीक है।

और फिर मैं सो गया। फिर एक दिन भाभी ने मुझे कॉल किया और बोलीं- तुम मूवी देखने चलोगे? मैंने पूछा- कौन-कौन है? तो बोलीं- मैं तुम और एक फ्रेंड है। मैंने कहा- कौन हितेश? तो बोलीं- नहीं कोई और है।

और उस दिन उसने मुझे नए फ्रेंड से मिलवाया और कहा- ये मेरे कॉलेज का फ्रेंड है। मैंने सोचा- क्या सारे कॉलेज के फ्रेंड ही है।’ उसके बाद में समझ गया कि ये किसी के साथ भी चालू हो जाती है। और श्वेता ने मुझे बोला- हितेश को मत बताना। ये सब बातें हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए। मैंने कहा- ठीक है।

और फिर हम मूवी देख कर जब वापिस आये तो मुझे नींद नहीं आई। मैं रात भर सोचता रहा- कि आखिर भाभी क्यों सब को अपना कॉलेज का फ्रेंड बोलती हैं! दूसरे दिन मैंने करीबन सुबह 11.30 कॉल किया मैंने पूछा- कहाँ हो? तो बोलीं- मैं बच्चों को स्कूल छोड़ने आई हूँ। मैंने पूछा- कहाँ पर? तो बोलीं- तुमने बच्चों का स्कूल नहीं देखा? मैंने कहा- हाँ। तो बोलीं- अगर आ सकते हो तो आ जाओ। मैंने बोला- क्यों? तो बोलीं- इसके बाद में मैं शॉपिंग जा रही हूँ। तो मैंने बोला- शॉपिंग तो बाद में भी जा सकते हो। तो भाभी बोलीं- बाद में क्यों? मैंने कहा- अभी अगर आप चाहो तो मेरे फ्लैट पर आ सकते हो। फिर हम बाद में शॉपिंग के लिए चले जायेंगे। तो बोलीं- ठीक है मैं आती हूँ।

जब वो आई तो मैंने देखा कि उन्होंने हल्के पीले कलर की साड़ी पहनी हुई थी और मैचिंग ब्लाउज भी। मैंने उन्हें अन्दर बुलाया, वो आकर सोफा पर बैठ गई। मैंने पानी दिया। वो बोलीं- ये तुम्हारा घर है? मैंने कहा- नहीं, फ्रेंड का है। तो बोलीं- वो कहाँ है? मैंने कहा- वो जॉब पर गया है। वो बोली- कब आएगा? मैंने कहा- शाम को 8 बजे। ‘हम्म।’

मैंने कहा- निलेश का एक दोस्त भी यहीं फ्लैट में रहता है। तो बोलीं- अगर उसने देख लिया तो? मैंने कहा- ओह! मैं दरवाजा बंद कर लेता हूँ, कह कर मैंने दरवाजा बंद कर दिया। मैंने कहा- भाभी मुझे तुमसे कुछ बातें पूछनी है, अगर आप बुरा न मानो तो? वो बोलीं- ठीक है पूछो। मैंने कहा- क्या ये सब तुम्हारे वाकई में कॉलेज के फ्रेंड हैं। तो वो बोली- हाँ क्यों? मैंने कहा- नहीं यूं ही! क्योंकि जो दोनों फ्रेंड से मैं मिला हूँ, उन दोनों की उम्र करीबन 38-40 के आस-पास है। वो कैसे तुम्हारे कॉलेज के फ्रेंड है? बोलीं- अब हैं तो हैं।

मैंने कहा- भाभी मुझसे क्यों छुपाती हो? मैं कहाँ किसी को बताने वाला हूँ! तो बोलीं- ठीक है, पर तुम अगर किसी को नहीं बताओगे तो मैं तुमसे कहूँगी कि ये सब झूठ मैंने तुमसे क्यों बोली? मैंने कहा- बताओ मैं किसी को नहीं बताऊँगा।

तो वो बोलीं- ठीक है एक दिन जब मैं सुबह निलेश के कमरे में उसे उठाने के लिए गई, तो मैंने देखा कि वो सिर्फ तौलिया में सोया हुआ था और नींद में उसे पता नहीं था कि उसका तौलिया पूरा खुल गया था और मैंने उसे देखा तो उसका अंडरविअर में से साइज़ इतना बड़ा दिख रहा था कि मैं देखती ही रह गई। मैंने कहा- तो क्या हुआ? तो वो बोलीं- फिर मुझे मालूम पड़ा कि हर आदमी का साइज़ अलग-अलग होता है। मैंने कहा- हाँ, वो तो होता ही है। क्यों तुम्हें नहीं पता था? तो वो बोली- नहीं रमेश बता रहे थे कि सबका समान ही होता है पर जब मैंने निलेश का देखा तो पता लगा कि ये तो रमेश से भी बहुत बड़ा है। मैंने कई बार निलेश को लाइन देने की कोशिश की, पर उसने भाव नहीं दिया और मुझे डर लगता था कि अगर मैं उसे सीधे-सीधे पूछूँगी, तो कहीं वो रमेश या पापा को न बता दे। इसलिए मैंने सोचा कि निलेश नहीं तो कोई और सही और में रोज मॉल में जाती रही कि कहीं कोई मिल जाए और मुझे हितेश मिल गया। मैंने उसके साथ बहुत एन्जॉय किया, पर जब मुझे लगा कि नए टेस्ट में ज्यादा मजा आता है तो मैंने फिर चैटिंग के माध्यम से काफी फ्रेंड बनाए औए काफी से मिली भी हूँ। पर निलेश जैसा ‘वो’ आज तक मुझे नहीं मिला। मैंने कहा- भाभी अगर आप बुरा न मानो तो एक बात बोलूँ। वो बोलीं- हाँ बोलो। मैंने कहा- क्या आप सच में निलेश से चुदना चाहती हो? वो बोलीं- हाँ पर ये मुमकिन नहीं है। मैंने कहा- मैं मुमकिन बना दूंगा। वो बोली- ठीक है तुम कोशिश करो, पर कहीं मैं न फंस जाऊँ। मैंने कहा- आप को कुछ नहीं होगा, वादा रहा! तो उन्होंने बोला- धन्यवाद!

मैंने कहा- भाभी और कभी मुझे भी मौका दोगी या नहीं। तो बोलीं- बाद में। मैंने कहा- अभी यहाँ कोई नहीं है। तो वो बोली- मुझे घर भी जाना है। मैंने कहा- सिर्फ 10 मिनट। तो बोलीं- ठीक है!

और हम बेड रूम में चले गए। मैं श्वेता के पपीतों पर झपट पड़ा उसके मम्मे ब्लाउज में भी नहीं समा रहे थे। मैंने कहा- भाभी इसे भी खोल दूँ क्या? तो बोलीं- हाँ और कहते-कहते मेरा मुँह उनके मम्मे पर दबा दिया।

मैंने भाभी मस्त मम्मे ब्लाउज में से आजाद कर दिए और पेटीकोट भी उतार दिया। अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी। जो बिल्कुल सफ़ेद थी और एकदम सिल्की। मैंने उसे हाथ लगाया तो मेरा लंड एकदम कड़क हो गया। वो बोली- तुम अपने कपड़े भी उतारो।

मैंने अपनी टी-शर्ट और पैंट उतार दिया। मैं सिर्फ अंडरविअर में था और उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और बोलीं- हितेश से तो बड़ा लगता है! मैंने कहा- तुम्हें देख कर हो गया है। वो बोलीं- अब जल्दी करो।

और मैंने उन्हें बेड पर लेटा दिया और उनकी ब्रा खोल दी और मम्मे चूसने लगा। वो सिसकियाँ लेने लगी- आःह्ह।’ मैंने कहा- भाभी पेंटी उतार दो। तो वो बोलीं- तुम्हीं उतार दो।

मैंने जैसे ही पेंटी उतारी, उनकी चूत पर ट्रिम किये हुए बाल थे और चूत एकदम मस्त लग रही थी। मैंने जैसे ही वहाँ किस किया भाभी ने मेरा मुँह वहीं दबा कर रख दिया और कहा- किस मी डार्लिंग। मैंने कहा- भाभी मेरा बहुत मन कर रहा है। तो उन्होंने मेरा अंडरविअर उतार दिया और बोलीं- ओह्ह माय डार्लिंग कितना मोटा लण्ड है।

मैं चौंक गया कि भाभी ने अपने मुँह से लण्ड बोला। मैं तो देखता ही रह गया। वो बोलीं- क्या हुआ? मैंने कहा- कुछ नहीं। तो वो बोलीं- बस अब मुझे जल्दी से गीला कर दो। तो मैंने उनके दोनों पैर फैला कर बीच में आ गया और अपने लण्ड पर थूक लगा कर उनको बोला- भाभी डाल दूँ। तो वो बोलीं- प्लीज़ अब तो भाभी मत बोलो। तो मैंने कहा- फिर क्या कह के बुलाऊँ? तो बोली- बस श्वेता। मैंने कहा- ठीक है, श्वेता तुमारी चूत बहुत मस्त है क्या मैं अन्दर डाल दूँ? वो बोली- हाँ जल्दी से।

उनकी बात पूरी भी नहीं हुए थी और मैंने अपना पूरा का पूरा लण्ड एक ही झटके में अन्दर घुसेड़ दिया। वो चिल्ला पड़ी और उसके आँख से पानी निकल गया। मैंने कहा- क्या हुआ? तो बोलीं- इतना दर्द हुआ कि बता नहीं सकती पर उससे भी ज्यादा मजा आया। मैंने कहा- बोलो और क्या करूँ कि तुमको मजा आए। तो बोलीं- क्या मैं तुम्हारे ऊपर आ जाऊँ? मैंने कहा- ठीक है आ जाओ।

और वो मेरी जाँघ पर बैठ गई और मेरे लंड पर थूक लगाया और फिर ऊपर बैठ गई। मेरा पूरा लंड उसके अन्दर चला गया। मैंने कहा- श्वेता क्या हुआ? तो बोलीं- बस तुम्हारे साथ तो ऐसे ही पड़े रहने का मन कर रहा है। तो मैंने कहा- जब मन करे, आ जाना।

और उसने मेरी उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फँसा के मेरे ऊपर कूदने लगी। मेरा लण्ड तो जैसे लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था। और वो ऊपर कूद कूद कर मजे ले रही थी। 15 मिनट बाद उसे मुझे जोर से चूमा और उसकी बॉडी पूरी तरह से अकड़ गई। मैंने कहा- क्या हुआ? तो बोलीं- बस मैं झड़ने वाली हूँ। मैंने उसे कस कर पकड़ा और बोला- मैं भी झड़ने वाला हूँ। तो बोलीं- प्लीज़ अन्दर मत गिराना। मैंने कहा- फिर कहाँ? वो बोलीं- कहीं और, पर अन्दर नहीं।

मैंने कहा- मुँह में लेगी श्वेता? वो बोली- हाँ पर पहले तुम सारा माल मेरे मम्मों पर गिरा दो और मैं बेड के पास खड़ा हो गया और सारा माल उसके मम्मों पर गिरा दिया।

और फिर उसने फट से मेरा लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर चूसने के बाद वो बोली- बस हो गया हो तो मैं जाऊँ। मैंने कहा- फिर कब? तो बोली- जब तुम बुलाओ। मैंने कहा- सच! तो बोलीं- हाँ रमेश और हितेश से तो ज्यादा मजा आया। मैंने कहा- ठीक है फिर हर रोज चाहो तो आ सकती हो। वो बोली- क्या ये मुमकिन है? मैंने कहा- हाँ, जब मन किया करे, आ जाना। तो बोलीं- मेरा तो रोज मन करेगा। मैंने कहा- ठीक है, तो फिर रोज़ आ जाना।

फिर हमने करीब एक महीने तक हर रोज चुदाई की। मैंने पूछा- सच बताओ श्वेता आज तक कितनों से चुदी हो? तो वो बोली- करीबन 25 से! तो मैंने कहा- तो फिर क्या चाहिए तुमको? बोली- कुछ नहीं। मैंने कहा- अगर निलेश के साथ करना हो तो मैं तुम्हारी सेटिंग करवा सकता हूँ। वो बोली- वो कैसे? मैंने कहा- वो मैं कर दूंगा। तुम खुश हो जाओगी। तो बोली- ठीक है और वो तब से हर रोज मुझसे चुदने आती है कि किसी बहाने मैं बता दूँ कि निलेश से कैसे चुदना है।

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