माँ-बेटियों ने एक दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-4

बिन्दा ने उसको चुप रहने को कहा तो मैंने उसको शह दी और कहा- अरे बिन्दा जी, अब यह सब बोलने दीजिए। जितनी कम उम्र में यह सब बोलना सीखेगी उतना ही कम हिचक होगी, वर्ना बड़ी हो जाने पर ऐसे बेशर्मों की तरह बोलना सीखना होता है। अभी देखा न रीना को, किस तरह बेलाग हो कर बोल दिया कि मैं नहीं बोलूँगी ऐसे…!

सब हँसने लगे और रीना झेंप गई, तो मैंने कहा- अभी चलो न बिस्तर पर रीना, उसके बाद तो तुम सब बोलोगी। ऐसा बेचैन करके रख दूँगा कि बार-बार चिल्ला कर कहना पड़ेगा मुझसे।

उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरे तरह तिरछी नजर से देखते हुए पूछा- क्या कहना पड़ेगा?

मैंने उसको छेड़ा और लड़कियों की तरह आवाज पतली करके बोला- आओ न, चोदो न मुझे…! जल्दी से चोदो न मेरी चूत अपने लन्ड से।

मेरे इस अभिनय पर सब लोग हँसने लगे। मैं अपने हाथ को लन्ड पर तौलिये के ऊपर से हीं फ़ेरने लगा था। लन्ड भी एक कुँआरी चूत की आस में ठनकना शुरु कर दिया था। मैंने वहीं सब के सामने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसकी आगे की चमड़ी पीछे करके लाल सुपाड़ा बाहर निकाल कर उसको अपने अँगूठे से पोंछा। मुझे पता था कि अब अगर मेरा अँगूठा सूँघा गया तो लन्ड की नशीली गन्ध से वास्ता होगा, सो मैंने अपने अँगूठे को रीना की नाक के पास ले गया- सूँघ के देखो इसकी खुश्बू।

मैं देख रहा था कि रागिनी के अलावे बाकी सब मेरे लन्ड को ही देख रहे थे।

रीना हल्के से बिदकी- छी: ! मैं नहीं सूँघूंगी।

रीता तड़ाक से बोली- मुझे सुँघाइए न, देखूँ कैसी महक है।

मैंने अपना हाथ उसकी तरफ़ कर दिया, जबकि बिन्दा ने हँसते हुए मुझे लन्ड को ढकने को कहा। मैं अब फ़िर से लन्ड को भीतर कर चुका था और रीता ने मेरे हाथ को सूँघा और बिना कुछ समझे बोली- कहाँ कुछ खास लग रहा है…?

अब रुबी भी बोली- अरे, सब ऐसे ही बोल रहे हैं तुमको बेवकूफ़ बनाने के लिए ! और तू है कि बनती जा रही है।

मैंने अब रूबी को लक्ष्य करके कहा- सीधा लन्ड ही सूँघना चाहोगी।

वो जरा जानकार बनते हुए बोली- आप, बस दीदी तक ही रहिए… मेरी फ़िक्र मत कीजिए, मुझे इन सब बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है।

रीता तड़ से बोली- पर मुझे तो इसमें खूब दिलचस्पी है…

अब बिन्दा बोली- ले जाइए न अब रीना को भीतर… बेकार देर हो रही है।

मैंने भी उठते हुए रूबी को कहा- दिलचस्पी न हो तो भी चुदना तो होगा ही, ! हर लड़की की चूत का यही होता है, आज चुदो या कल पर यह तय है।

और मैंने खड़ा हो कर रीना को साथ आने का इशारा किया। रीना थोड़ा हिचक रही थी, तो रागिनी ने उसको हिम्मत दी- जाओ रीना डरो मत… अभी अंकल ने कहा न कि हर लड़की की यही किस्मत है कि वो जवान हो कर जरूर चुदेगी… तो बेहिचक जाओ। मुझे तो अनजान शहर में अकेले पहली बार मर्द के साथ सोना पड़ा था, तुम तो लक्की हो कि अपने ही घर में अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार चुदोगी… जाओ उठो…

रीना को पास और कोई रास्ता तो था नहीं, वो उठ गई और मैंने उसको बांहों में लेकर वहीं उसके होंठ चूमने लगा।

तब बिन्दा ने मुझे रोका- यहाँ नहीं, अलग ले जाइए… यहाँ सबके सामने उसको खराब लगेगा।

मैंने हँसते हुए अब उसको बांहों में उठा लिया और कमरे की तरफ़ जाते हुए कहा- पर इसको तो अब सब लाज-शर्म यहीं इसी घर में छोड़ कर जाना होगा मेरे साथ… अगर पैसा कमाना है तो…!

और मैं उसको बिस्तर पर ले आया। इसके बाद मैंने रीना को प्यार से चूमना शुरु किया। वो अभी तक अकबकाई हुई सी थी। मैं उसको सहज करने की कोशिश में था।

मैंने उसको चूमते के साथ-साथ समझाना भी शुरु किया- देखो रीना, तुम बिल्कुल भी परेशान न हो। मैं बहुत अच्छे से तुमको तैयार करने के बाद ही चोदूँगा। तुम आराम से मेरे साथ सहयोग करो। अब जब घर पर ही इज़ाज़त मिल गई है तो मजे लो। मेरा इरादा तो था कि मैं तुमको शहर ले जाता फ़िर वहाँ सब कुछ दिखा समझा कर चोदता, पर यहाँ तो तुमको ब्लू-फ़िल्म भी नहीं दिखा सकता। फ़िर भी तुम आराम से सहयोग करो तो तुम्हारी जवानी खुद तुमको गाईड करती रहेगी।

लगतार पुचकारते हुए मैं उसको चूम रहा था।

रीना अब थोड़ा सहज होने लगी थी, सो धीमी आवाज में पूछी- बहुत दर्द होगा न? जब आप करेंगे मुझे?

मैंने उसको समझाते हुए कहा- ऐसा जरूरी नहीं है, अगर तुम खूब गीली हो जाओगी, तो ज्यादा दर्द नहीं करेगा। वैसे भी जो भी दर्द होना है बस आज और अभी ही पहली बार होगा, फ़िर उसके बाद तो सिर्फ़ मस्ती चढ़ेगी तुम पर ! फ़िर खूब चुदाना जी भर कर और चूत भर भर कर।

अब वो बोली- और अगर बच्चा रह गया तो…?

मैंने उसको दिलासा दिया- नहीं रहेगा, अब सब का उपाय है…निश्चिंत होकर चुदो अब…!

और मैं उसके कपड़े खोलने लगा। मैं उसके बदन से उसकी कुर्ती उतारना चाह रहा था जब वो बोली- इसको खोलना जरूरी है क्या? सिर्फ़ सलवार खोल कर नहीं हो जाएगा?

मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया- अब शर्म छोड़ो और अपना बदन दिखाओ। एक जवान नंगी लड़की से ज्यादा सुन्दर चीज मर्दों के लिए और कुछ नहीं है दुनिया में !

और मैंने उसकी कुर्ती उतार दी। एक सफ़ेद पुरानी ब्रा से दबी चूची अब मेरे सामने थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उन्हें दबाया और फ़िर जल्दी से उसको खोल कर चूचियों को आजाद कर दिया। छोटी सी गोरी चूचियों पर गुलाबी निप्पल गजब की दिख रही थीं।

मैंने कहा- बहुत सुन्दर चूची है तुम्हारी मेरी जान…

और मैं उनको चूसने में लग गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

जल्द ही उसने अपने पहलू बदले ताकि मैं बेहतर तरीके से उसकी चूची को चूस सकूँ। मैं समझ गया कि अब लौंडिया भी जवान होने लगी है। इसके बाद मैं उसकी सलवार की डोरी को खींचा। वो थोड़ा शर्माई फ़िर मुस्कुराई, जो मेरे लिए अच्छा शगुन था। लड़की अगर पहली बार चुदाते समय ऐसे सेक्सी मुस्कान दे तो मेरा जोश दूना हो जाता है। मैंने उसको पैरों से उतार दिया और उसने भी अपने कमर को ऊपर करके फ़िर टाँगें उठा कर इसमें सहयोग किया।

मैंने अब उसकी जाँघों को खोला। पतली सुन्दर अनचुदी चूत की गुलाबी फ़ाँक मस्त दिख रही थी। उसके इर्द-गिर्द काले, घने, लगभग सीधे-सीधे बाल थे जो मस्त दिख रहे थे। उसकी झाँट इतनी मस्त थी कि पूछो मत। कोई तरीके से उसको शेव करने की जरूरत नहीं थी। बाल लम्बे भी बहुत ज्यादा नहीं थे और ना ही बहुत चौड़ाई में फ़ैले हुए थे।

पहाड़ की लड़कियों को वैसे भी प्राकृतिक रूप से सुन्दर झाँट मिलता है अपने बदन पर। वैसे उसकी उम्र भी बहुत नहीं थी कि बाल अभी ज्यादा फ़ैले होते। मैं अब उसकी झाँटों को हल्के-हल्के सहला रहा था और कभी-कभी उसकी भगनासा को रगड़ देता था। उसकी आँखें बन्द हो चली थी। मैं अब झुका और उसकी चूत को चूम लिया। मेरी नाक में वहाँ का पसीना, गीलेपन वाली चिकनाई और पेशाब की मिली जुली गन्ध गई।

मैंने अब अपने जीभ को बाहर निकाला और पूरी चौड़ाई में फ़ैला कर उसकी चूत की फ़ाँक को पूरी तरह से चाटा। मेरी जीभ उसकी गाण्ड के छेद की तरफ़ से चूत को चाटते हुए उसकी झाँटों तक जा रही थी। जल्द ही चूत की, पसीने और पेशाब की गन्ध के साथ मेरे थूक की गन्ध भी मेरे नाक में जाने लगी थी। रीना अब तक पूरी तरह से खुल गई थी और पूरी तरह से बेशर्म होकर अब सहयोग कर रही थी।

मैंने उसको बता दिया था कि अगर आज वो पूरी तरह से बेशर्म हो कर चुद गई तो मैं उसको रागिनी से भी ज्यादा टॉप की रंडी बना दूँगा। वो भी अब सोच चुकी थी कि अब उसको इसी काम में टॉप करना है सो वो भी मेरे कहे अनुसार सब करने को तैयार थी।

मैंने कहा- रीना, अब जरा अपनी जाँघें पूरी खोलो न जानू…! तुम्हारी गुलाबी चूत की भीतर की पुत्ती को चाटना है।

यह सुन कर वो ‘आह’ कर उठी और बोली- बहुत जोर की पेशाब लग रही है… इइस्स्स अब क्या करूँ…?

मैं समझ गया कि साली को चुदास चढ़ गई है सो मैंने कहा- तो कर दो ना पेशाब…!

वो अकचकाई- यहाँ… कमरे में?

और जोर से अपने पैर भींचे उसने !

मैंने कहा- हाँ मेरी रानी, तेरी रागिनी दीदी तो मेरे मुँह में भी पेशाब की हुई है, तू भी करेगी क्या मेरे मुँह में?

मैं उसके पैर खोल कर उसकी चूत को चाटे जा रहा था। वो ताकत लगा कर मेरे चेहरे को दूर करना चाह रही थी। मैं उसको अब छोड़ने के मूड में नहीं था सो बोला- अरे तो मूत ना मेरी जान। तेरे जैसी लौन्डिया की मूत भी अमृत है रानी।

वो अब खड़ी होकर अपने कपड़े उठाते हुए बोली- बस दो मिनट में आई !

पैसे के नाम पर उसके आँख में चमक उभरी- सच में?

और फ़िर वो दरवाजे के पास जा कर जोर से बोली- मम्मी मुझे पेशाब करने जाना है, बहुत जोर की लगी है और अंकल मुझे वैसे ही जाने को कह रहे हैं !

रागिनी सब समझ गई सो और किसी के कहने के पहले बोली- आ जाओ रीना, यहाँ तो सब अपने ही हैं और फ़िर तुम अब जिस धन्धे में जा रही हो उसमें जितना बेशर्म रहेगी उतना मजा मिलेगा और पैसा भी।

कहानी जारी रहेगी।

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