चाची की मस्त चुदाई

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मेरा नाम अंकित है, मैं 19 साल का हूँ, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। बात उस समय की है जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था। मैं अपनी चाची के पास रहता था। मेरे चाचा बिहार में जॉब करते थे। चाचा साल में एक बार ही आया करते थे।

मेरी चाची बहुत गोरी थी, उनकी चूचियाँ बहुत बड़ी-बड़ी थीं। मैं जब भी उनके बदन को देखता था तो मन करता था कि चोद दूँ, मगर यह सोच कर रह जाता था कि ये मेरी सग़ी चाची हैं।

रात को चाची ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर सोती थीं। मैं उनके ही बेड पर सोता था, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं होती थी कि चाची के साथ कुछ कर सकूँ। मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि चाची भी मेरे लंड के लिए तरसती हैं।

एक दिन चाची किसी काम से बाहर गई थी, तो मैं कंप्यूटर ऑन करके ब्लू-फिल्म देखने लगा और लंड निकाल कर मुठ मारने लगा, मैं दरवाजा बंद करना भूल गया। मैं चाची के नाम पर मुठ मारने लगा, तभी चाची आ गईं।

मुझे मालूम ही नहीं चला कि चाची गेट पर खड़ी हैं। वो मेरे लंड को बड़ी ध्यान से देख रही थीं। तभी मेरी नज़र दरवाजे पर गई, तो उन्हें देख कर घबरा गया, पर कुछ हैरान भी हो गया देख कर कि चाची अपनी चूत को ऊपर से ही उंगली से मसल रही थीं।

मैं अंजान बने रहते हुए मुठ मारने में लगा रहा और जब झड़ा तो सारा माल ज़मीन पर गिरा दिया। अपने लंड को अंडरवियर के अंदर कर लिया।

चाची भी अंजान बनते हुए बोलीं- अंकित, क्या कर रहे हो?

मैं बोला- चाची बैठे-बैठे मूवी देख रहा था।

चाची बोलीं- कौन सी देख रहे थे? मुझे भी तो बताओ?

मैं- ब्लू फिल्म देख रहा था !

तो चाची नशीली आवाज में बोलीं- कैसी है मूवी?

मैं बोला- चाची बड़ी सेक्सी मूवी है।

तो इस पर चाची बोलीं- मुझे भी दिखाओ, मुझे भी देखनी है।

इस पर मैंने बोला- यह मूवी रात को देखना।

चाची बोलीं- ठीक है रात को ज़रूर दिखाना।

मैं- बोला ठीक है। अभी आप कहाँ गई थीं?

चाची बोलीं- अपने लिए ब्रा और पैंटी लेने गई थी।

मैं- जरा दिखाओ चाची कैसी हैं आपकी पैंटी और ब्रा, ज़रा पहन कर तो दिखाओ ! देखें कैसी लगती हो !

चाची बोलीं- ज़रा दरवाजा बंद करो तो मैं पैंटी और ब्रा पहनूँ।

मैंने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया और चाची ने बोला- अंकित मुँह उस तरफ करो ताकि कपड़े बदल सकूँ।

चाची जानबूझ कर अपने बदन को मुझे दिखाना चाहती थीं। मैंने तुरंत मुँह दूसरी तरफ कर लिया। फिर चाची ने अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतारा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं चाची के चूतड़ों को बड़ी मस्त निगाहों से देख रहा था। चाची के कपड़े उतरते ही वो अपनी चूची और चूत को मसलने लगीं। फिर थोड़ी देर बाद पैंटी पहनी और ब्रा पहनने लगीं, पर पहन नहीं पा रही थीं या न पहन पाने का नाटक कर रही थीं।

चाची ने मुझ से कहा- अंकित, मैं ब्रा पहन नहीं पा रही हूँ, ज़रा मेरी मदद करो।

मैंने तुरंत चाची से कहा- बताईए चाची मैं क्या करूँ?

तो चाची बोलीं- मेरी ब्रा का हुक नहीं लग रहा है, ज़रा बंद कर दो।

तो मैं चाची की ब्रा के हुक को बंद करने कोशिश करने लगा, पर ब्रा का हुक नहीं लग पा रहा था।

तो मैंने चाची से कहा- चाची आप ब्रा छोटी तो नहीं ले आईं?

तो चाची ने मुझसे कहा- पिछली बार तो 36 नंबर की ब्रा लाई थी, तो फिट लग रही थी।

तो मैंने कहा- चाची तब तो आपकी चूचियाँ छोटी होगीं, लगता है कि अब बढ़ गई हैं।

“हो सकता है तुम ठीक कह रहे हो।”

“अच्छा, मैं फिर से ब्रा का हुक बंद करने की कोशिश करता हूँ।”

फिर थोड़ी देर बाद ब्रा बंद हो गई, मैंने चाची से बोला- ज़रा देखें तो कैसी लग रही है?

तुरंत मुड़ कर बोलीं- बताओ मैं कैसी लग रही हूँ?

तो मैंने बोला- चाची बड़ी सेक्सी लग रही हो, मन करता है कि…!

पर मैंने इससे आगे कुछ बोला नहीं !

तभी चाची ने बोला- क्या मन कर रहा है?

तो मैंने कहा- कुछ नहीं चाची, बस ऐसे ही मुँह से निकल गया !

चाची मेरी बात को पूरी तरह समझ गई थीं। मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था। उस समय मैंने सिर्फ़ अंडरवियर पहन रखा था। चाची की नज़र मेरे लंड पर ही अटकी थी।

तो मैंने चाची से पूछा- चाची क्या देख रही हो?

चाची शरमा कर बोलीं- कुछ नहीं बस ऐसे ही।

चाची का मन कामुक हो रहा था और सोच रही थीं कि कैसे अपनी चूत की प्यास बुझाई जाए, तो उनके दिमाग में एक आइडिया आया और मुझसे बोलीं- जरा मेरी ब्रा को खोल दो और ज़रा मेरी छाती को तेल लगा कर मालिश कर दो।

तो मैंने चाची से पूछा- क्या हुआ छाती में चाची?

तो चाची बोलीं- मेरी छाती में ज़ोर से दर्द हो रहा है।

मैंने चाची की ब्रा खोली और बोला- चाची लेट जाओ, मैं मालिश कर देता हूँ।

चाची बेड पर जा कर लेट गईं, मैं रसोई में तेल लेने चला गया।

चाची अपनी चूचियों को मसल रही थीं, तभी मैं आ गया और चाची बोलीं- अंकित मेरी छाती की मालिश कर दो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।

मैंने कहा- मेरे रहते कैसे मर जाओगी मेरी चाची।

मैंने चाची की चूचियों पर तेल डाल कर मालिश करने लगा, तो चाची बोलीं- ज़रा ज़ोर से दबा न !

मैंने बोला- अभी दबाता हूँ !

जब मैं चाची की मालिश कर रहा था तो मेरा लौड़ा चाची की टाँगों से लड़ रहा था।

चाची धीरे-धीरे गर्म होने लगीं। चाची का हाथ धीरे-धीरे मेरे लंड पर आ गया और मेरे लंड को धीरे से दबाने लगीं। जब चाची मेरे लंड को दबाने लगीं तो फिर मैं भी देर ना करते हुए उनकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही मसलने लगा। अब चाची ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगीं। उनकी सीत्कार सुनते मैं पूरी तरह पागल हो गया और मैंने चाची पैंटी उतार कर फेंक दी।

फिर चाची भी मेरे लंड को अंडरवियर से निकालने लगीं और लंड बाहर निकलते ही बोलीं- ओए माँ इतना बड़ा !

तो मैंने बोला- मुझे तो ऐसा लग रहा है कि आप लंड पहली बार देख रही हो !

तो चाची बोलीं- नहीं मेरे राजा, इतना बड़ा लंड वास्तव पहली ही देख रही हूँ !

मैंने- तो इसे मुँह में ले कर मज़ा दिला दो।

मेरे कहने पर चाची ने 9 इंच लंबे और 4 इंच मोटे लंड को मुँह लेकर चूसने लगीं। इधर मैं चूत को उंगली से कुरेदने लगा।

पांच मिनट तक मेरा लंड चूसने के बाद चाची बोली- मेरे राजा मुझे और मत तड़पा, जल्दी से चोद दो।

मैंने- अच्छा ठीक मेरी रानी !

मैंने चाची की दोनों टाँगें फैलाकर लंड का सुपारा चाची की चूत में घुसेड़ने लगा। जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में घुसा, तो दर्द के मारे चिल्लाने लगी- अंकित लंड को बाहर निकाल लो… मुझसे सहा नहीं जा रहा…

मैंने कहा- जब तक अब पूरा घुसेगा नहीं… तब तक बाहर नहीं निकलेगा।

मैं चाची को बेरहमी से चोदने लगा। पाँच मिनट तक चाची दर्द के मारे चिल्लाती रही, पर थोड़ी देर बाद जब लण्ड सटासट जाने लगा तो उनको भी मज़ा आने लगा और मेरा साथ देने लगीं।

चाची अब तक दो बार झड़ चुकी थीं। आधे घन्टे तक मैं चाची को मज़े से धकापेल चोदता रहा।

फिर मैंने चाची से बोला- चाची, मैं झड़ने वाला हूँ।

तो चाची बोलीं- मेरे राजा मेरी चूत में ही झड़ जाओ।

कुछ मिनट तक और चोदने के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया। मैंने झड़ने के कुछ देर तक मेरा लंड चाची की चूत में ही रहने दिया, फिर मैं चाची के बगल में लेट गया, तो चाची ने मुझसे बोलीं- अंकित, मेरे राजा आज तुमने मुझे ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी दी है।

उस दिन मैंने चाची को तीन बार चोदा। मैंने चाची की गांड कैसे मारी। उसकी कहानी फिर कभी।

आप को मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे लिखिए।

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