अब तो मेरी रोज़ गांड बजती है-4

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आपका प्यारा सा सनी गांडू प्रणाम दोस्तो, कैसे हो सब…! पिछले भाग से आगे- मुझे लग रहा था कि वो मेरे नंगे जिस्म की तारीफ करते ही मुझ पर सवार हो जाएगा लेकिन वो झिझक रहा था। फिर क्या था उससे हिम्मत ही हुई नहीं और मैं अपने इरादे पर अटल था। मुझे पहल नहीं करनी थी, मैं नहीं चाहता था कि वो सोचे कि कितना चालू गांडू निकला, उसका रूम पार्टनर..! मैं चाहता तो आज रात आसानी से बिना कोई एफोर्ट लगाए सब सुख भोग सकता था। कहाँ मैंने कितने लंड उकसाए थे..! क्या पार्क, क्या ट्रेन, क्या बस, क्या कार, क्या कोई सुनसान सा बाग़ जहाँ तो पकड़े जाने की भी अधिक सम्भावना थी क्या मैं अपनी मर्जी नहीं चला सकता था..! और आज तो लंड मेरे खुद के बिस्तर पर था, वो भी मुझे सोता हुआ समझ कर मुझ पर हाथ फेर चुका था। अगले दिन जब उठे उसने खुद को बदल लिया था। वो मुझे शरारत वाली नजर से देख रहा था। जब मैं नहा कर निकला उसने बड़ी शरारत से मुझे निहारा, “वैसे एक बात कहूँ सनी.. तुम बहुत खूबसूरत हो..! मैं मुस्कुरा दिया..! “कितना गोरा रंग है तेरे बदन का.. और यह काली फ्रेंची बहुत जंचती है तेरे रंग पर..! “अच्छा जी..” बोला- मुझे तो लगता है तेरे बदन पर पानी की बूँद तक नहीं ठहरी होगी..! “क्या बात है? आज बहुत मूड में हो..!” मैंने भी नशीली आँखों से उसको देखा, “आज से पहले तो तुमने ये कभी नहीं कहा..!” “पहले हम साथ-साथ थोड़ी रहते थे अब जब तीन दिन से तुझे देख रहा हूँ तो महसूस किया, इसलिए तारीफ कर दी। तेरे गोरे बदन पर एक बाल तक नहीं दिख रहा। “तुम्हारी बॉडी पर तो घने बाल हैं ना..!” “हाँ.. मर्द के होने भी चाहिए.. तभी तो लड़की मरती है। तुम भी मत हटाया करो अपने बाल..!” “अच्छा जी..!” “हाँ,” वो बोला, फिर खुद ही बोला- वैसे तुम रहने दो तेरा जिस्म बहुत नाज़ुक सा है, इसलिए चिकने ही रहा करो। बहुत ही बढ़िया दिखते हो..! मैंने तो मानो उसकी बातों को सुनते-सुनते ही कपड़े डालने रोक ही दिए थे। “क्या नाज़ुक है मेरे जिस्म में?” “सब कुछ नाज़ुक ही दिखता है।” “आज यह आप को क्या हो गया.. पहले कभी तारीफ नहीं की..!” “क्यूंकि अब हम साथ रहते हैं..न..! तुझे करीब से देखता हूँ इसलिए..!” “मुझे तो प्रसाद जी ऐसे ही अच्छा लगता है, बाल-वाल मुझे अपने जिस्म पर तो कतई पसंद नहीं हैं..!” “चल छोड़.. लेट हो जायेंगे..।” मैं अभी पानी डालकर निकला था। “तुम कितना वक़्त लगाते हो बाथरूम में..!” वो बोला- मुझे लगता है एक साथ नहाना पड़ा करेगा। “आप भी ना सर.. बहुत मजाक करते हो..!” वो नहा कर निकले मैं बाल ठीक कर रहा था। तौलिया उतारते हुए फिर से दर्शन हुए लेकिन मैंने शो नहीं किया। “देख इधर कितने घने बाल हैं.. हर जगह पर हैं बगलों में..!” वो तो एकदम से मानो बदल गया था, “यहाँ भी देख..!” उसने अपनी फ्रेंची खिसका दी। उसका काला मोटा लंड सोई हुई अवस्था में काफी बड़ा था। “आप भी ना सर.. ! मैंने मानो इगनोर सा किया। उसका चेहरा मुरझा गया, मेरा दिल मचल रहा था सुबह-सुबह गांड में खलबली मच गई थी। खैर काम पर गए.. पूरा दिन मुझे वो सुबह का सीन ही दिख रहा था। आज सोच लिया था कि अगर उसने रात को हाथ-हूथ फेरा तो मैं भी सोते-सोते उसकी तरफ खिसकता जाऊँगा। कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]

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