मेरी चालू बीवी-12

इमरान सलोनी मेरे से चिपकी थी और उसकी पीठ खिड़की की ओर थी… अब वो शख्स आसानी से चूत में लण्ड को आता जाता देख सकता था… और मैंने अपनी कमर हिलनी शुरू की.. इस बार सलोनी भी मेरा साथ दे रही थी वो भी मेरे लण्ड पर कूदने लगी… अह्हा… ओह… ह्ह्ह्ह… आह… आए… ह्ह्ह… ओह… ओह… ह्ह्ह… दोनों तरफ से धक्के हम दोनों ही झेल नहीं पाये और सलोनी ने मुझे जकड़ लिया… मैं समझ गया कि उसका खेल ख़त्म हो गया मेरा भी निकलने ही वाला था… मैंने उसको फिर से स्लैब पर टिका दिया और अपना लण्ड बाहर निकाल कर सारा माल उसके पेट और चूची पर गिरा दिया… हमने अभी सांस भी नहीं ली थी कि तभी बाहर से किसी महिला की आवाज आई- अजी सुनते हो कहाँ हो…?? आवाज का असर तुरंत हुआ… वो अजनबी जल्दी से सामने वाले फ्लैट की ओर लपका और साथ ही… ‘श्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह…’ कर रहा था जैसे उस महिला को चुप करा रहा हो… और सलोनी पूरी तरह खिड़की से चिपकी थी। उसको उस आदमी के बारे में जानने की कुछ ज्यादा ही उत्सुकता थी। उसको इस बात का भी ख्याल नहीं था कि हम रोशनी में हैं और बाहर वाले को अंदर का सब दिख रहा होगा.. सलोनी किस अवस्था में थी यह तो आप सभी को पता ही है… तभी सलोनी के मुख से आवाज निकली- अरे ये तो अरविन्द आंटी थीं… मैं- क्याआ…?? सलोनी- जरूर ये अरविन्द अंकल ही होंगे… मैंने पहले भी उनको कई बार इस जगह घूमते और स्मोक करते देखा है… स्लोनी को पूरी तरह यकीन था… अरविन्द अंकल एक रिटायर्ड अफसर थे, वो 3 साल पहले सेल्स इंस्पेक्टर से रिटायर हुए थे, अंकल और आंटी दोनों ही यहाँ रहते थे। अंकल तो 60 साल से ऊपर के थे पर आंटी जिनको मैं और सलोनी भाभी ही कहकर बुलाते थे…शायद 40 की ही थीं.. अरविन्द अंकल की वो दूसरी बीवी थीं… पहली बीवी शायद बीमारी के कारण स्वर्ग सिधार गई थी… उनकी दूसरी बीवी जिनका नाम नलिनी है, बहुत खूबसूरत थी, उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा था… मैंने और सलोनी दोनों ही ने एक बार अचानक उनको बिना कपड़ों के भी देख लिया था… लेकिन वो किस्सा बाद में ! अरविन्द अंकल की दो बेटियाँ हैं, एक की शादी तो उन्होंने कनाडा की है और दूसरी अभी MBA कर रही है… दोनों ही उनकी पहली पत्नी से हैं… और बहुत ही मॉडर्न एवं खूबसूरत… यह उनका थोड़ा सा परिचय था… चलिए वर्तमान में लौटते हैं… मैंने सलोनी को गोद में उठाकर नीचे उतारा… वो मेरे सीने से चिपकी हंस रही थी… मैं भी हँसते हुए- …चलो यार… आज तुम्हारी वजह से अरविन्द अंकल कुछ तो गर्म हुए होंगे… और नलिनी भाभी की सुलगती जवानी पर कुछ तो आराम मिलेगा…हाहाहा… सलोनी- तुम भी ना… मैं तो यह सोच रही हूँ… कि कल मैं उनका सामना कैसे करूँगी… मैं- क्या जान तुम क्यों शरमा रही हो… तुम तो पहले की तरह ही बिंदास रहना… उनको पता ही नहीं लगने देना कि हमने उनको देखा लिया था… सलोनी- हाँ हाँ… आप तो रहने ही दीजिये… आपको क्या पता… पहले ही उनकी निगाहें मुझे चुभती रहती हैं… हमेशा मेरे कपड़ों के अन्दर तक देखते रहते हैं… और आज तो उन्होंने सब कुछ देख लिया… अब तो जब भी दिखेंगे ऐसा लगेगा जैसे कपड़ों के अंदर ही देख रहे हों… मैं- हम्म्म जान ! मुझे तो डर है कि कहीं इधर उधर कुछ गलत न कर दें… ऐसे आदमियों का क्या भरोसा… अब जरा ध्यान रखना… सलोनी- अरे नहीं, वो तो आप रहने दो… उतनी हिम्मत तो किसी की नहीं…बस मुझे जरा सी शर्म ही आएगी जब भी उनके सामने जाऊँगी… मैं- छोड़ो भी यार, अब किस बात की शर्म? सब कुछ तो उन्होंने देख ही लिया ही… अब तो तुम उनको सताया करना यार… सलोनी- हाँ ये भी ठीक है… मैं तो उनकी शर्मिंदी का ही मजालूँगी… सलोनी ने कस कर मुझे चूम लिया, बोली- …अच्छा… आप फ्रेश हो लो… मैं दूध और ड्राई फ्रूट्स लाती हूँ.. मैं उसकी चूची को मसलता हुआ- …ये तो पहले से गरम हैं जान, यही पिला दो… सलोनी मेरे बालों को नोचते हुए- ..ये सब तो आपका ही है जानू… जितना चाहे पी लेना… पर अब आप फ्रेश तो हो लो… मैं उसकी चूत में उंगली करते हुए- ..क्यों तुमको नहीं फ्रेश होना…? सलोनी- हाँ हाँ… बस आप चलो, मैं ये निपटाकर आती हूँ… मैं- जरा ध्यान से… कहीं अरविन्द अंकल न आ जाएँ… हा…हा…हा… सलोनी- हाँ बहुत दम है ना उनमें… उनको तो नलिनी भाभी ने ही निपटा दिया होगा… और क्या पता वहाँ भी ढेर हो गए हों… मैं तो बेचारी उनके बारे में ही सोच रही हूँ… अच्छा अब आप जाओ न बहुत रात हो गई है… और मैं अपनी नंगी बीवी को रसोई में छोड़ बैडरूम में आकार बाथरूम में घुस गया… वाकयी बहुत मजेदार रात थी… मेरे दिमाग में अब आगे के विचार चल रहे थे… इस जबरदस्त चुदाई के बाद रात भर सलोनी मेरे से चिपकी रही और बिस्तर पर नंगे चिपककर सोने का मजा ही अलग है। सुबह सलोनी जल्दी उठ जाती है, वो सभी घरेलू कार्य बहुत दिल से करती है… वो जब उठी तो आज पहली बार मेरी आँख भी जल्दी खुल गई… या यूँ कहिये कि मैं बहुत सोच रहा था कि कैसे अब सब कुछ किया जाये… सलोनी ने धीरे से उठकर मेरे चेहरे की ओर देखा फिर मेरे होंठों को चूम लिया… उसने बहुत प्यार से मेरे लण्ड को सहलाया और झुककर उस पर भी एक गर्मागर्म चुम्बन दिया… उसके झुकने के कारण पीछे से उसके मस्त नंगे चूतड़ और चूतड़ के बीच झलक रही गुलाबी, चिकनी चूत देख मेरा दिल भी वहाँ चूमने का किया… पर मैंने अपने आप पर काबू किया और सोने का बहाना किये लेटा रहा… मैं बंद अधखुली आँखों से सलोनी को देखते हुए अपनी रणनीति के बारे में सोच रहा था… कि मस्ती भी रहे और इज्जत भी बनी रहे… सलोनी मेरे से खुल भी जाए… वो मेरे सामने मस्ती भी करे परन्तु उसको ऐसा भी ना लगे कि मैं खुद चाहता हूँ कि वो गैर मर्दों से चुदवाये… पता नहीं मेरे ये कैसे विचार थे कि मेरा दिल मेरी प्यारी बीवी को दूसरे मर्दों की बाँहों में देखना भी चाहता था… उसको सब कुछ करते देखना चाहता था… पर ना जाने क्यों एक गहराई में एक जलन भी हो रही थी… कि नहीं मेरी बीवी की नाजुक चूत और गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है…इस पर मैं कोई और लण्ड सहन नहीं कर सकता… लेकिन इन्सान की इच्छा का कोई अंत नहीं होता और वो उसको पूरी करने के लिए हर हद से गुजर जाता है… सलोनी को भी दूसरी डिशेस अच्छी लगने लगी थीं.. उसने भी दूसरे लण्डों का स्वाद ले लिया था… वो तो अब सुधर ही नहीं सकती थी…अब तो बस इस सबसे एक तालमेल बनाना था… कहानी जारी रहेगी। [email protected]