लॉटरी में दो चूत मिलीं

मेरा नाम राहुल है, मैं आज आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। यह कहानी सुन कर आपका अंग-अंग कामुक हो जाएगा। कुछ एक दो साल पहले की बात है, मुझे किसी काम से जयपुर जाना था, वहाँ मेरी एक फ्रेंड रहती थी।

हम लोग कुछ एक-दो बार पहले भी मिले थे लेकिन कुछ खास हमारे बीच में हुआ नहीं था। दोस्तो, वो लड़की दिखने में एकदम पटाखा है। उसको देखते ही पूरे शरीर में कुछ-कुछ होने लगता है। उसका साइज़ होगा कुछ 34-30-34 होगा। क्या बताऊँ दोस्तों.. वो क्या मस्त क़यामत दिखती है…! देखने में एकदम गोरी है, जैसे दूध से नहाई हो!

वहाँ जाकर मैंने उससे मिलने का प्लान बनाया लेकिन उसकी तबियत ख़राब होने के कारण हम मिल नहीं पाए। फिर मेरे नसीब ने जोर मारा और थोड़ी देर में उसका फोन आया कि मैं उससे मिलने उसके घर आ जाऊँ।

मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे, बिल्कुल समय ख़राब न करते हुए मैं फटाफट उसके घर जाने के लिए तैयार हो गया। मैंने रास्ते से उसके लिए एक बुके लिया और कुछ गिफ्ट्स लिए। मैंने जल्दी से ऑटो लिया और उसके घर पहुँच गया। घर में उसके मम्मी, पापा, बड़ी बहन और वो भी थी। उसको इतने टाइम के बाद देखते ही मुझे कुछ होने लगा।

मुझे इतने टाइम के बाद देखते वो भी अपने आप को रोक न पाई और मुझसे आकर गले लग गई। उसके गले लगते ही उसके संतरे मुझे चुभने लगे। पर क्या करता कुछ कर भी नहीं सकता था। बाकी सब लोग भी घर में जो थे। घर के लोगों ने बताया कि उसकी सेहत ठीक नहीं है और डॉक्टर ने उसे बिस्तर से उठने से मना किया है। तो वो वापिस जाकर बिस्तर पर लेट गई।

उसकी मम्मी ने मेरे लिया नाश्ता बनाया और उसकी दीदी ने बोला कि तुम थोड़ी देर यहीं बैठ कर नाश्ता करो और सब से बातें करो, तब तक मैं उसको फ्रेश कर देती हूँ। उसको बिस्तर से उठना मना था तो उसकी दीदी ही उसको तैयार करती थी। काश वो मैं कर पाता। यही सोच रहा था तभी दीदी ने आवाज़ लगाई कि अब आप अन्दर आ सकते हो।

अन्दर जाकर देखा कि क्या बला की लग रही थी वो। उसने एक पतला सा सफ़ेद टॉप पहना हुआ था और कमर के नीचे के भाग में उसने चादर डाली हुई थी। थोड़ी देर उससे बात करते-करते मैंने उसके हाथ को चूम लिया और वो शरमा गई। थोड़ी देर के बाद उसकी मम्मी-पापा किसी काम से बाहर गए और थोड़ी देर में दीदी भी बाहर चली गईं। अब घर में हम दोनों अकेले ही थे।

मैंने उससे पूछा- क्या मैं आपको चूम कर सकता हूँ?? उसने न ‘हाँ’ कहा और न ‘ना’ कहा। मैं समझ गया कि उसका भी मन है, तो फिर देरी क्यों? वो तो उठ नहीं सकती थी तो मैंने ही उठकर उसे चूमना शुरू किया। क्या बताऊँ यारों क्या होंठ थे उसके..!

उसको चूमते-चूमते मेरा हाथ उसके मम्मों पर आ गए और जैसे ही मैंने उसके मम्मों को उसके टॉप के ऊपर से ही छुआ मैं तो सोचता ही रह गया। य्ह क्या कोई सपना है या सच.. उसने टॉप के अन्दर ब्रा ही नहीं पहनी थी। उसको मम्मों पर स्पर्श करते ही उसके निप्पल मेरे हाथ में चुभे। थोड़ी देर तक तो में उसके मस्त मम्मों को वैसे ही मसलता रहा। तभी पता चल गया कि उसको भी मजा आ रहा है, तभी तो उसके चूचुक इतने टाइट हो गए थे।

फिर मैंने अपना दिमाग लगाया और उससे पूछा- क्या मैं अब आपके दिल पर चुम्बन कर सकता हूँ? और आप तो जानते ही हैं कि दिल कहाँ पर होता है?? उसने फिर से कुछ न बोला और मैं उसका इशारा समझ गया। फिर मैंने एक-एक करके उसके टॉप के 3 बटन खोल दिए और उसके दोनों मस्त-मस्त सॉफ्ट मम्मों को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगा।

फिर मैंने उसके निप्पल को अपने मुँह में लिया तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। वो मुझे सिर से पकड़ कर अपने मम्मों में दबाने लगी। मैंने उसके मम्मों को खूब चूसा और उसके निप्पल को कभी-कभी काट लेता था। बाद में मैंने उसकी कमर से चादर हटाई तो यह क्या?? उसने नीचे एकदम छोटा सा स्कर्ट पहना था, जो पहले से ही थोड़ा ऊपर उठ चुका था। मुझे तो जैसे लॉटरी पर लॉटरी लग रही थी।

पहले तो मैंने उसके पैरों को खूब चूमा और फिर उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत को चुम्बन करने लगा। वो तो इतना आनन्द महसूस कर रही थी जैसे वो जन्नत में हो। उसको नीचे चुम्बन करते-करते मैंने धीरे से उसकी पैन्टी को एक तरफ से हटा दिया। यार क्या चूत थी उसकी..! एकदम गोरी और एक भी बाल नहीं..! उसकी चूत के दोनों होंठ भी एकदम गुलाबी गुलाब की पंखुरी के जैसे थीं।

मैं फिर उसकी पैन्टी नीचे करके उसकी चूत को सहलाने लगा। मेरे सहलाते-सहलाते ही वो एक दो बार झड़ गई होगी। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाली और उसे अपनी ऊँगली से खूब चोदा। वो एकदम नई-नकोर थी, जैसे आज तक किसी ने छुआ भी न हो। फिर मैंने एक साथ दो-दो उंगली उसकी चूत में डाली तो उसकी चीख निकल गई।

उसकी सेहत ठीक न होने से मैं कुछ ज्यादा भी नहीं कर सकता था। हम दोनों अपनी ही मस्ती में थे और वो मेरा लौड़ा चूस रही थी, तभी एकदम से उसकी दीदी आ गई। मेरी तो जैसे फूंक सरक गई। एकदम सन्न हो गया, दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया।

मेरी फ्रेंड ने जल्दी से अपनी चादर ऊपर खींच कर अपनी नग्नता ढक ली पर मेरा लौड़ा अभी भी हवा में लहरा रहा था। उसकी दीदी मेरे लौड़े को देखने लगी। मैं उसकी तरफ अपनी आँखों में क्षमा की याचना के भाव से देख रहा था और वो मेरे लौड़े को कच्चा चबा जाने की नीयत से देख रही थी। उसने मेरी ओर देख कर मुझे धमकाया- यह क्या हो रहा है?

मैं चुप था, मैंने अपने लौड़े को अपनी पैन्ट के अन्दर करने की कोशिश की पर वो भी अभी अकड़ा हुआ था सो अन्दर नहीं जा रहा था, जैसे तैसे उसको अन्दर किया। तब उसकी दीदी से मैंने अपनी गलती मानी और कहा- मैं आपकी छोटी बहन से प्यार करता हूँ। उसने कुछ देर तक चुप रहने के बाद मुझसे कहा- मुझे तुम्हारे प्यार से क्या मतलब…! मैं तो सबसे तुम दोनों की शिकायत करूंगी।

मैंने धीरे से कहा- क्या कोई और रास्ता नहीं है? मेरी बात सुन कर वो मुस्कुरा पड़ी और मेरे लौड़े को पैन्ट के ऊपर से पकड़ कर बोली- मुझको भी इसका प्यार चाहिए। मैं हक्का-बक्का था। ऊपर वाला आज मुझ पर वास्तव में मेहरबान था… मुझे तो जैसे लॉटरी पर लॉटरी लग रही थी। अब इसके बाद मेरी फ्रेंड ने मुझे और उसकी दीदी को चोदते हुए देखा और दोनों ही मेरी जुगाड़ बन चुकी थीं।

आप सभी को तो मालूम ही है कि चुदाई कैसे होती है। मुझे आप सभी के ईमेल का इन्तजार रहेगा। [email protected]