अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। आप सबने मेरी पिछली कहानियाँ पढ़ीं और बहुत पसंद किया, मुझे बहुत अच्छा लगा। उसके लिए मैं आप सभी का आभार प्रकट करती हूँ।
एक बार फिर मैं आप के सामने अपनी एक बहुत ही हसीन आपबीती लेकर उपस्थित हुई हूँ, आशा करती हूँ, आप लोगों को यह आपबीती पसंद आएगी।
बात कुछ महीने पहले कि है मेरी बुआ के घर उसकी बेटी शादी थी, हम सब को बुआ के घर जाना था। शादी के लिए नए कपड़े चाहिए थे, तो मैंने मम्मी से नए कपड़े के लिए कहा। उन्होंने कहा- ठीक है।
फिर मम्मी और मैं नए कपड़े लेने के लिए मार्किट गए। मम्मी ने अपने लिए साड़ी ली, पर मुझे समझ नहीं आ रहा थी कि मैं क्या खरीदूँ..! तब मैंने मम्मी से कहा- मम्मी, क्यूँ न मैं भी साड़ी ही खरीद लूँ क्योंकि मुझे साड़ी पहनने का मन है। तो मम्मी ने कहा- ठीक है, तुम भी साड़ी ही ले लो। तब मैंने गुलाबी रंग की एक सुन्दर सी साड़ी खरीदी और हम घर आ गए।
अगले दिन मैंने मम्मी से कहा- मम्मी में इस साड़ी का ब्लाउज कहाँ सिलवाऊँ? तो मम्मी ने कहा- यहीं अपने घर के पास जो मास्टर जी हैं, उन्हीं से सिलवा लो। तब मैंने कहा- नहीं.. नहीं.. मैं तो किसी बुटीक में डिजाइनर ब्लाउज सिलवाऊँगी। तो मम्मी ने कहा- ठीक है तुम्हें जैसा करना है.. कर लो।
तब मैंने अपनी एक सहेली को कॉल किया और उससे एक बुटीक का पता लिया। अगले दिन में उस बुटीक में गई, वो बहुत बड़ा बुटीक था। बुटीक में एक लड़का बैठा था, उसकी उम्र कुछ 25-26 की थी। उसने मुझे से कहा- कैन आई हेल्प यू मैम? मैंने उससे कहा- मुझे ब्लाउज सिलवाना है।
तो उसने मुझे से ब्लाउज का कपड़ा माँगा, मैंने उसे कपड़ा दिया। उसने मुझसे पूछा- मैम आपको ब्लाउज कब तक चाहिए? तो मैंने कहा- कल शाम तक आप सिल कर दे दीजिए। उसने कहा- ठीक है मैम, हो जायेगा।
फिर उसने मुझे से नाप के लिए कोई ब्लाउज माँगा। तो मैंने कहा- मेरे पास कोई नाप नहीं है.. मैं पहली बार साड़ी पहन रही हूँ मेरी बुआ की बेटी की शादी है.. इसलिए कुछ अच्छी सी डिजायन का ब्लाउज सिलवाना चाहती हूँ। तो उसने कहा- मैं आपका ब्लाउज बिना नाप के कैसे सिलूँगा..! मैं चुप खड़ी थी।
फिर उसी ने कहा- रुकिए मेम, मेरे पास कुछ ब्लाउज हैं, आप उन्हें पहन कर देख लो.. अगर उनमें से कोई आप को फिट हो गया तो मैं उसी के नाप का सिलवा दूँगा। उसने मुझे 4-5 ब्लाउज दिए। मैंने ट्राई-रूम में उन्हें पहन के देखा, पर एक भी मुझे फिट नहीं हो रहा था, तब मैंने उसे कहा- आप मेरा नाप ले लो।
तब उसने टेप निकाला और नाप लेने मेरे पास आया। उसने मुझे से कहा- मैम, आप अपने हाथ ऊपर करें। मैंने अपने हाथ ऊपर किए और वो मेरा नाप लेने लगा।
नाप लेते हुए जब उसके हाथ मेरे मम्मों पर पड़े, तो मेरे अन्दर एक अजीब सी झनझनाहट हुई, पर मैंने उसे कुछ नहीं कहा। मुझे विरोध न करता देख उसने फिर एक बार मेरे मम्मों को जोर से दबा दिया। तब मेरे मुँह से एक जोर की ‘आह्ह्ह’ निकली और मैंने उससे कहा- जरा धीरे करो मुझे दर्द हो रहा है। उसने मेरा नाप लिया फिर एक तरफ खड़ा होकर कुछ सोचने लगा।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ? तो उसने कहा- मैम, मैंने नाप तो ले लिया है पर…! तब मैंने कहा- क्या पर…? तो उसने कहा- ब्लाउज की फिटिंग तो मैं कर दूँगा पर मैं आपको उसकी गोलाइयाँ ठीक से नहीं दे पाउँगा, क्योंकि उसका नाप मैं कैसे लूँ?
तब मैंने उस का हाथ पकड़ कर अपने मम्मों पर रख दिया और कहा- लो अपने इस हाथ से मेरी गोलाई को नाप लो। तब उसने अपना दूसरा हाथ भी मेरे मम्मों पर रखा और हाथों को थोड़ा इधर-उधर करके मेरे मम्मों को सहलाने लगा।
फिर मैंने कहा- अब मेरा ब्लाउज ठीक से बनना चाहिए.. नहीं तो मैं पैसे नहीं दूँगी। मैंने तिरछी नजरों से देखा तो उसकी पैन्ट में लंड का उभार साफ दिखाई दे रहा था। उसका मेरे मम्मों को दबाना मुझे अच्छा लग रहा था।
फिर मैंने उसके हाथों को अपने मम्मों पर से हटाया और कहा- मुझे कल शाम को आप ब्लाउज को सिल कर मेरे घर भिजवा दीजिएगा। और मैंने उसे अपने घर का पता दे दिया।
उसने कहा- कल मैं खुद ही देने के लिए आ जाऊँगा। फिर मैं घर आ गई।
जब मैं घर आई तो मम्मी ने मुझे बताया कि रोमा हमें कल सुबह ही तुम्हारी बुआ के घर जाना है, वहाँ शादी के बहुत काम हैं। मैंने मम्मी से कहा- पर मम्मी मेरी साड़ी का ब्लाउज अभी तक सिला नहीं है, वो तो कल शाम तक ही सिल कर मिलेगा। “हम्म..!” फिर मैंने मम्मी से कहा- मम्मी, आप और पापा कल सुबह चले जाओ, मैं परसों आ जाऊँगी। वैसे भी शादी में अभी 4 दिन बाकी हैं। मैं कल से ही जाकर क्या करुँगी..! तब मम्मी ने कहा- ठीक है, मैं और तेरे पापा चले जाते हैं, तू बाद में आ जाना।
अगले दिन मम्मी पापा चले गए। मैं घर में अकेली थी, तभी मुझे बीते कल की याद आई कि कैसे वो बुटीक वाला लड़का मेरे मम्मों को दबा रहा था। मुझे वो सोच-सोच कर बहुत अच्छा लग रहा था।
शाम को घर के दरवाजे की घंटी बजी, मैंने जाकर दरवाजा खोला, तो वही बुटीक वाला लड़का था। मैंने उसे कहा- ओह्ह.. आप.. मैं कब से आपका ही इन्तजार कर रही थी। मैंने उसे अन्दर बुलाया और बिठाया।
फिर मैंने उससे पूछा- बताइए क्या लेंगे आप..! उसने मुझ से पानी माँगा, मैंने उसे पानी लाकर दिया। उसने मुझसे पूछा- क्या आप अकेले रहती हो?
तब मैंने उसे बताया कि मम्मी-पापा आज सुबह ही बुआ के घर चले गए हैं। मुझे ब्लाउज लेना था, इसलिए मैं अभी नहीं गई हूँ। उसने मुझे एक बैग दिया, जिसमें ब्लाउज था। मैंने उसे ‘थैंक्स’ कहा.. क्योंकि उसने इतने कम टाइम में मुझे ब्लाउज सिल कर दिया। तो उसने कहा- इसमें थैंक्स की कोई बात नहीं है, यह तो मेरा काम है।
फिर उसने मुझसे कहा- मेम आप एक बार ब्लाउज को पहन कर देख लीजिए.. कुछ गड़बड़ हुई तो मैं उसे ठीक कर दूँगा। तब मैंने कहा- ठीक है मैं अभी पहन कर देख लेती हूँ ! और मैं वो बैग लेकर अन्दर कमरे में गई।
मैंने उस टाइम टी-शर्ट और घुटनों तक का स्कर्ट पहनी हुई थी, तो मैं अपनी टी-शर्ट उतार कर वो ब्लाउज पहन कर ड्रेसिंग टेबल के सामने देखने लगी कि मैं कैसी लग रही हूँ। ब्लाउज बहुत ढीला था, मुझे बहुत गुस्सा आया कि इतना कहने के बाद भी ब्लाउज ठीक से नहीं सिला था। तभी मैंने ड्रेसिंग टेबल के आईने में देखा कि वो लड़का मेरे पीछे खड़ा था।
मैंने अपना मुँह उसकी तरफ घुमाया और उससे कहा- देखो, यह क्या सिला है तुमने..! इतना ढीला है ये..! ज़रा सी भी फिटिंग नहीं है इसमें..! और मैंने वो ब्लाउज उतार कर उसके मुँह पर फेंक दिया और मैं अब उसके सामने ब्रा और स्कर्ट में खड़ी थी, वो मुझे एकटक घूरे जा रहा था। फिर मैंने उससे कहा- अब ऐसे क्या देख रहे हो..! ठीक करके दो इस ब्लाउज को मुझे..!
वो अभी भी मुझे एकटक देखे जा रहा था, जैसे वो मेरी बात ही न सुन रहा हो। फिर मुझे ध्यान आया कि मैं सिर्फ ब्रा और स्कर्ट में उसके सामने खड़ी हूँ इसलिए वो मुझे घूर रहा था तो मैंने जल्दी से अपनी टी-शर्ट पहनी।
उसने ब्लाउज को उठाया और मुझसे कहने लगा- मैम, ठीक से नाप न होने के कारण ब्लाउज सिलने में ग़लती हो गई होगी। आप मुझे यह ब्लाउज फ़िर से पहन कर बताइए ताकि मैं देख सकूँ कि इसमें क्या कमियाँ हैं। तब मैंने उससे कहा- ठीक है तुम बाहर जाओ, मैं पहनती हूँ।
तो वो कहने लगा- मैं बाहर चला जाऊँगा तो मैं आप को देखूँगा कैसे..? मैं यहीं हूँ, आप मुझे पहन कर बताइए। तब मैंने उससे ब्लाऊज़ लिया अपनी टी-शर्ट उतार कर ब्लाउज पहना और उसे दिखाते हुए कहा- देखो, यह कितना ढीला है।
तब उसने कहा- हाँ है.. मुझे से गलती हो गई है, मैं उसे ठीक करवा दूँगा। मैं फ़िर से नाप ले लेता हूँ और वो मेरे पास आया और मेरी पीठ के पास जहाँ ब्लाऊज़ का हुक था, उस पर हाथ रख कर उसने मुझ से कहा- मैं ब्लाउज को पीछे खींच कर टाईट करता हूँ आप देखिएगा कि आपको कितनी फिटिंग चाहिए..!
अब उसके हाथ मेरी पीठ घूमने लगे थे। फ़िर उसने अपने दोनों हाथ को मेरी दोनों हाथों के बगल के नीचे से लाकर मेरे मम्मों पर रखे और उन्हें धीरे-धीरे दबाने लगा। उसका यूं मेरे मम्मों दबाना मुझे अच्छा लग रहा था।
उसने मुझे अपने से इस तरह चिपका लिया था कि उसका खड़ा लंड मेरे चूतड़ों की दरार में घुसने लगा। वो मेरे मम्मों दबाए जा रहा था और मैं भी अब गर्म होने लगी थी।
कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected] कहानी का अगला भाग: टेलर मास्टर से चुद गई रोमा-2