मेरा नाम विक्रम है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ पर वास्तव में मैं पैदाइशी मोदीनगर का हूँ, वहाँ हमारा पूरा परिवार रहता है। इस समय दिल्ली की एक कंपनी में मैंनेजर की पोस्ट पर काम करता हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर प्रकाशित कहानियाँ अभी हाल में ही पढ़नी शुरू की हैं। मुझे काफी अच्छा लगा कि लोगों ने अपनी कहानियाँ यहाँ पोस्ट की हैं। इन्हें पढ़कर मुझे भी अपने अनुभव को आपके सामने लाने का मौका मिला है।
बात करीब पाँच साल पुरानी है कि कैसे मैंने अपनी नौकरानी को माँ बनाया, जिसका नाम गिरिजा बोस है, जो कि वो मुझसे 7 साल बड़ी थी और उसका पति भी हमारे यहाँ ड्राइवर का काम करता था। मैं आपको अपनी नौकरानी के बारे में बताऊँ, वो एक आम औरत की तरह बिल्कुल नहीं थी। उसके चूचे इतने बड़े थे कि किसी भी आदमी का मन डोल जाए, पर मैंने उससे कभी उस नज़र से नहीं देखा।
एक दिन मैं घर पर अकेला था और अपने पेपर की तैयारी कर रहा था। हमारी नौकरानी गिरिजा घर पर काम कर रही थी। मुझे अचानक रोने की आवाज आई। मैंने जाकर देखा कि गिरिजा रो रही थी। मैं उसके पास गया और पूछा- क्यूँ रो रही हो? गिरिजा अपने आँसू पोंछने लगी पर कुछ नहीं बोली।
मेरे बार-बार बोलने पर भी नहीं बताया फिर मैंने उससे मम्मी की धमकी दी कि नहीं बताओगी तो कह दूँगा कि तुम रो रही थी। गिरिजा- नहीं बाबा (मेरा घर का नाम) मेम साहब को मत बताना। मैं- तो फिर बताओ क्या बात है। गिरिजा- बाबा.. बाबा बाबा..! मैं- बोलो भी..!
गिरिजा- बाबा, मैं माँ नहीं बन सकती..! मैं- मतलब..! गिरिजा- मेरे पति मुझे बच्चा नहीं दे पा रहे हैं। मैं- क्या? गिरिजा- हाँ बाबा… मैं- तुमने किसी डॉक्टर से सलाह ली..! गिरिजा- हाँ.. वो कहती है कि मेरे पति में कमी है।
मैं- तो कल्याण क्या कहता है? गिरिजा- यह सब बात तो उन्हें पता भी नहीं है। मैं- क्या कह रही हो..! गिरिजा- हाँ बाबा।
गिरिजा- बाबा एक बात कहूँ.. आप किसी से कहोगे तो नहीं, वरना में मर जाऊँगी। मैं- हाँ हाँ.. बताओ क्या बात है और तुम क्या कहना चाह रही हो? गिरिजा- बाबा आप मुझे माँ बना दो..! मैं- क्या कह रही हो… तुम्हारा दिमाग़ ठीक है ना..! गिरिजा- बाबा मुझे माफ़ कर दो, मेरी विनती है यह किसी से मत कहना.. मेम साब से भी नहीं..! मैं- ठीक है..!
इतने में घर की घण्टी बजी, मैंने देखा कि मेरे छोटे भाई (चाचा के लड़के) खड़े हैं। मैंने गिरिजा से बोला- आँसू पोंछो और गेट खोल कर आओ, छोटे भाई दरवाजे पर खड़े हैं। और मैं अपने कमरे में चला गया। रात को सब के खाना खाने के बाद मैं सोने चला गया और सोचने लगा कि गिरिजा देखने में तो काफ़ी सुंदर है और मैं भी अभी कुंवारा हूँ, मेरा लंड भी 7 इंच बड़ा और ढाई इंच मोटा का था और यह सारी देन ब्लू-फिल्म की थी। उस दिन के बाद मैं बस मौके का इंतज़ार कर रहा था और मुझे मौका मिला भी एक महीने बाद।
मेरा पूरा परिवार दो दिन के लिए हमारे रिश्तेदार के यहाँ शादी में जा रहा था। मैंने असाइनमेंट का बहाना बना लिया, तो मैं नहीं गया। मेरी मम्मी मेरा बहुत ख़याल रखती हैं तो उन्होंने गिरिजा को कहा कि वो दिन घर पर ही सो जाए क्यूंकि वो भी अकेली हो गई और घर की सुरक्षा भी हो जाएगी। सब चले गए।
गिरिजा- बाबा, खाना बना दूँ। मैं- हाँ.. बनाना शुरू करो..! यारो, क्या बताऊँ क्या मस्त लग रही थी.. लाल कपड़े पहने थे और उसके 36″ का साइज़ के मम्मे मुझे मस्त कर रहे थे। उसने खाना बनाना शुरू किया थोड़ी देर बाद मैं उसके पीछे गया और उसे पकड़ लिया। गिरिजा- बाबा.. यह क्या कर रहे हो। मैं- कुछ नहीं, वही जो तू चाहती है..! गिरिजा- क्या बाबा.. मैं समझी नहीं..! मैं- चल तुझे ‘माँ’ बनाता हूँ..! मैंने उसे गर्दन पर चूमा.. गिरिजा- आआहहाहह.. बाबा..!
मैंने उसका चेहरा अपनी तरफ़ किया तो देखा उसकी आँखें नम थी। मैं- रो मत… रो क्यूँ रही हो? गिरिजा- अब मैं माँ बन सकती हूँ! मैंने उससे चूमा पहले उसके ऊपर के होंठ को चूमा फिर निचले होंठ को चूसा। फिर उसे कस कर दबा लिया। गैस बंद करके उससे गोद में उठाया और कमरे में ले गया। बिस्तर पर लिटा दिया और उसे चूमने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी। गिरिजा- उ..उउउउफफ…आहह..! बाबा मुझे माँ बना दो आआआहह ..!
पहले मैं उसके माथे को चूमते हुए नीचे आता रहा फिर उसकी आँखों को धीरे-धीरे नीचे आता रहा और उसके मम्मों को चूमने लगा। गिरिजा- आआअहहाहह..! फिर मैंने उसका ब्लाउज खोला। उसने अन्दर काले रंग की ब्रा पहन रखी थी। अब मैंने उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। गिरिजा- उऊहह.. आहह …हह.. बाबा पीलो इनको..!
फिर मैंने ब्रा के हुक को खोला और एक हाथ से उसकी चूचे दबाने लगा और दूसरे को मुँह में डाल कर चूसने लगा। उसकी चूची का दाना थोड़ा गुलाबी था। मैं- क्या बात तेरा दाना तो बिल्कुल गुलाबी और चूची बिल्कुल टाइट है ..! गिरिजा- बाबा, वो कमीना नीचे ही काम करता था..! मैं- उसका नसीब खराब है कि तेरी खूबसूरती को नहीं देखा..! मैंने फिर से उसके दबाना और चूसना शुरू किया। गिरिजा- आअइइ…ममाअहह..!
करीब दस मिनट तक उसको उत्तेजित करता रहा। फिर नीचे की तरफ़ बढ़ा तो उसकी नाभि पर चुम्बन किया। गिरिजा- उउउआआ…! फिर उसे मैंने खड़ा किया और उसकी साड़ी उतारी। अन्दर उसने लाल रंग का पेटीकोट पहन रखा था। मैंने उसे फिर लिटा दिया चूमते हुए फिर उसके पेटीकोट के अन्दर चूमता हुआ घुस गया। गिरिजा- क्या कर रहे हो बाबा..! उसका चेहरा बिल्कुल लाल हो रहा था। मैं- चुप रह ..!
पेटीकोट के अन्दर चूमते हुए उसकी चूत के पास गया। चूत की झांटें हटाते हुए चाटने लगा। बिल्कुल भीगी हुई और रसीली क्या सुंगध थी। मैं पहली बार चूत चाट रहा था। गिरिजा- आममम..मईउम..! फिर पेटीकोट खोल दिया और चूत चाटते हुए उसके दूध दबाने लगा। गिरिजा- बाबआ… माअरर्र… ऊऊऊ… गई क्या.. मर गई बाबा, अन्दर डालो..!
मगर मैं नहीं माना और चूत चाटता रहा और थोड़ी देर बाद वो झड़ गई। फिर मैंने उसका रस पीना शुरू किया। गिरिजा- बाबा यह क्या कर रहे हो..! मैं- क्यूँ कल्याण नहीं पीता..! गिरिजा- नहीं बाबा..! “पागल है साला अमृत नहीं पीता..!” फिर मैं उसका सारा पानी पी गया। गिरिजा- बाबा अब नहीं रहा जा रहा..! जल्दी डालो वरना मर जाऊँगी..! मैं उठा और उसके नीचे तकिया लगाया। उसकी टाँगें फैला दीं और उसकी चूत पर लौड़ा लगा दिया। वो चिल्लाने लगी। गिरिजा- बाबा, मार ही दोगे क्या ..!
मैं उसका हाथ पकड़ कर उठ कर खड़ा हो गया। मैं- मेरे कपड़े उतार मेरी जान ..! वो मेरी तरफ़ देखने लगी एक छोटी बच्ची की तरह मेरे कपड़े उतारे। गिरिजा- बाबा आपका तो बहुत बड़ा है..! इतना तो मेरे पति का भी नहीं है और आपकी एक भी झांट नहीं है..! मैं- मुँह में ले ले मेरी जान..!
और उसने झट से मेरा लौड़ा गप्प से चचोर लिया। गिरिजा- मुआहह..मुआाहमुआहह च्छुप्प चुप्प्प छुमुआहह मुआह.. न्न्न्न्हहह ..! मैं- चूस ले लंड जानू मिटा दे प्यास इसकी ..! गिरिजा- बाबा क्या कह रहे हो ..! मैं- यह मेरा पहली बार है जान…! बोलो मत बस चूस लो इसको..! दस मिनट बाद में झड़ गया। उसने मेरा सारा रस पी लिया।
मैंने अपना मुँह नीचे किया और उसे चूमा। मैं जल्दी से नीचे और उसकी बैठा टाँगें फैला दीं, उसको अपनी ओर खींचा। उसने मेरा लंड पकड़ कर चूत के छेद पे रखा और बोली- अन्दर डालो बाबा मैं तड़प रही हूँ। मैंने एक धक्का मारा। वो और मैं दोनों ही चिल्ला उठे। गिरिजा- मर गई ई ई …बाबा धीरे से ..! मैं फिर से धीरे-धीरे डालने लगा। मैं और वो सिसकारियाँ भरते रहे।
थोड़ी देर बाद मैंने एक झटका ज़ोर से मारा और लंड पूरा चला गया। वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई। फिर मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने शुरू किए वो चिल्लाती रही। गिरिजा- आअहह..माअरररह…गयइ आआहह बाबा मुझे मार दे..ह..आयाया….! मैं- जानू, मैं तुझे माँ ज़रूर बनाऊँगा..! गिरिजा- बबुऊहह बना आआ डूऊओह मुझे माआह..! करीब पंद्रह मिनट तक धकपेल चोदने के बाद। मैं- मेरी जान ज़रा तैयार हो जा ….!
वो समझ गई और मैं फिर रुक गया और अपना सारा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। पूरा वीर्य उसकी चूत में छोड़ने के बाद मैंने अपना लंड निकाला। वो झट से उठी मुझे गले लगा लिया और मेरी पूरे शरीर को चूमने लगी। वो कस कर मुझसे चिपक गई थी। फिर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और लंड चूसने लगी।
मैं- जाननुउऊउ.. चूस ले ज़ानुउऊुउउ ..! आआआहह मज़ा आ रहा है..! थोड़ी देर बाद मेरा लंड टाइट हो गया। वो फिर उठ कर मेरे ऊपर आ गई। अपनी चूत में लौड़ा डाल लिया और कूदने लगी पहले धीरे और धीरे-धीरे तेज़ करने लगी। मैं- उुउऊहहिईिइ माआहाहह आआआहह ..!
मैं फिर थोड़ी देर बाद झड़ने लगा, मैं एक हाथ से उसके दूध दबाता रहा और ऐसा करते-करते मैंने अपना रस उसकी चूत में छोड़ा। मैं- मुझे अब भूख लग रही है..! गिरिजा- मैं थोड़ी देर में बना कर लाती हूँ बाबा और अपने हाथ से खिलाती हूँ।
वो उठी और पेटीकोट पहनने लगी। मैंने पेटीकोट पकड़ लिया। मैं- मत पहनो इसे ..! वो हँसी और किचन की ओर चली गई। थोड़ी देर बाद मैं भी उसके पीछे चला गया। चुपके से पीछे जा कर अपने नंगे बदन को चिपका लिया और चूची दबाता रहा। गिरिजा- आआहह…!
थोड़ी देर बाद खाना बन गया। मैं कुर्सी पर बैठ गया और उसे अपनी गोद में बैठा लिया और एक-दूसरे को खाना खिलाने लगे। खाना ख़त्म होने पर मैंने उसे उठाया और डाइनिंग टेबल को साफ करके उस ही पर लिटा दिया। पहले चूची दबाई और चूत चाटने लगा। गिरिजा- आहनमम्म..!
वो उठी और मेरा लंड अपनी चूत में डाला, फिर धक्के लगाने लगा। धकापेल चुदाई के बाद वो मेरा लौड़ा चूसने लगी। फिर हम दोनों कमरे में गए और एक-दूसरे से चिपक कर सो गए। सुबह उठ कर क्या हुआ..! यह मैं आपको फिर कभी बताऊँगा। यह मेरी ज़िंदगी की एक अनसुनी कहानी या तो मैं जानता हूँ या गिरिजा जानती है या फिर अब आप लोग जान चुके हैं। मेरी स्टोरी कैसी है प्लीज़ अपनी राय ज़रूर देना। [email protected]