मेरी चालू बीवी-18

इमरान लड़का अपना लण्ड चुसवाते हुए… सलोनी से अभी भी बात कर रहा था… लड़का- क्या मैडम जी, आप तो मेरा खड़ा करके भाग गई… अब मैं क्या करूँ…? सलोनी- तुम पागल हो क्या? इसमें मैं क्या कर सकती हूँ… वो तुम समझो… मुझे मेरे कपड़े चाहिए बस… बाकी अपना जो भी है वो तुम जानो… हे हे हे हे हा हा… लड़का- मैडम जी ऐसा ना करो… सलोनी- अच्छा ठीक है… फिर बात करती हूँ… अभी तुम अपना काम करो… बाय… लड़का- ओह नहींईई मैडम जी… ये क्या… और वो गुस्से में ही… उस बेचारी नाज़नीन पर टूट पड़ता है… लड़का- चल सुसरी… तेरी वजह से आज एक प्यारी चूत निकल गई… चल अब तू ही इसे शांत कर… वो उसको उसी मेज पर झुकाकर… उसकी पजामी एकदम से नीचे खींच देता है… मैं बिना पलक झपकाये उधर देख रहा था… वो लड़का कबीर कैसे नाज़नीन के साथ मस्ती कर रहा था… कुछ लड़कियाँ कपड़ों में बेइंतहा खूबसूरत लगती हैं मगर वो अपने अंदर के अंगों का ध्यान नहीं रखती… इसलिए कपड़ों के बिना उनमें वो रस नहीं आता… मगर कुछ देखने में तो साधारण ही होती हैं, पर कच्छी निकालते ही उनकी गाण्ड और चूत देखते ही लण्ड पानी छोड़ देता है… नाज़नीन कुछ वैसी ही थी… उसकी गाण्ड और चूत में एक अलग ही कशिश थी… जो उसको खास बना रही थी… कबीर ने लण्ड चूसती नाज़नीन का हाथ पकड़ ऊपर उठाया और उसको घुमाकर मेज की ओर झुका दिया… उसने अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया और खुद को तैयार करने लगी… उसको पता था कि आगे क्या होने वाला है… कबीर मेरी बीवी के साथ तो बहुत प्यार से पेश आ रहा था… मगर नाज़नीन के साथ जालिम की तरह व्यव्हार कर रहा था… वो उन मर्दों में था कि जब तक चूत नहीं मिलती तब तक उसको प्यार से सहलाते हैं… और जब एक बार उस चूत में लण्ड चला जाये…तो फिर बेदर्दी पर उतर आते हैं… वो नाज़नीन को पहले कई बार चोद चुका था… जो कि साफ़ पता चल रहा था… इसलिए उस बेचारी के साथ जालिमो जैसा व्यव्हार कर रहा था… नाज़नीन मेज पर झुककर खड़ी थी, उसकी कुर्ती तो पहले ही बहुत ऊपर खिसक गई थी और पजामी भी चूतड़ से काफी नीचे आ गई थी… कबीर ने अपने बाएं हाथ की सभी उँगलियाँ एक साथ पजामी में फंसाई और एक झटके से उसको नाज़नीन की जांघों से खींच टखनोंतक ला दिया… नाज़नीन- उफ़्फ़्फ़… नाज़नीन के विशाल चूतड़… पूरी गोलाई लिए मेरे सामने थे… नाज़नीन की कच्छी क्या साथ देती वो तो पहले ही अपनी अंतिम साँसे गिन रही थी… वो भी पजामी के साथ ही नीचे आ गई… मैं नाज़नीन के विशाल चूतड़ों का दृश्य ज्यादा देर नहीं देख पाया… क्योंकि उस कमीन कबीर ने अपना लण्ड पीछे से नाज़नीन के चूतड़ों से चिपका उसको ढक दिया… नाज़नीन- अहा ह्ह्ह्ह… नहीं सर… अव्वह… नहीं करो… कबीर- क्यों तुझे अब क्या हुआ… साली उसको भी भगा दिया और खुद भी नखरे कर रही है… नाज़नीन लगातार अपनी कमर हिला कबीर के खतरनाक लण्ड को अपने चूतड़ों से हटा रही थी… नाज़नीन- नहीं सर बहुत दर्द हो रहा है… आज सुबह ही अंकल ने मेरी गाण्ड को सुजा दिया है… बहुत चीस उठ रही है… आप आगे से कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी… कबीर अब थोड़ा रहम दिल भी दिखा… वो नीचे बैठकर उसके चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ खोलकर देखता है… वाओ मेरा दिल कब से ये देखने का कर रहा था… नाज़नीन के विशाल चूतड़ इस कदर गोलाई लिए और आपस में चिपके थे कि उसके झुककर खड़े होने पर भी… गाण्ड या चूत का छेद नहीं दिख रहा था… मगर कबीर के द्वारा दोनों भाग चीरने से अब उसके दोनों छेद दिखने लगे… गाण्ड का छेद तो पूरा लाल और काफी कटा कटा सा दिख रहा था… मगर पीछे से झांकती चूत बहुत खूबसूरत दिख रही थी… कबीर ने वहाँ रखी क्रीम अपने हाथ में ली और उसके गाण्ड के छेद पर बड़े प्यार से लगाई… कबीर- ये साला अब्बू भी न… तुझे मना किया है ना कि मत जाया कर सुबह सुबह उसके पास… उसके लिए तो जाकिरा और सलीमा ही सही हैं, झेल तो लेती हैं उसका आराम से… फड़ावा लेगी तू किसी दिन उससे अपनी… और उसने कुछ क्रीम उसकी चूत के छेद पर भी लगाई… मैंने सोचा कि ये साले दोनों बाप बेटे कितनी चूतों के साथ मजे ले रहे हैं… फिर कबीर ने खड़े हो पीछे से ही अपना लण्ड नाज़नीन की चूत में फंसा दिया… नाज़नीन- आआह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआ… इइइइ… वो तो दुकान में चल रहे तेज म्यूजिक की वजह से उसकी चीख किसी ने नहीं सुनी… वाकयी कबीर के लण्ड का सुपारा था ही ऐसा… जो मैंने सोचा था वही हुआ… उस बेचारी नाज़नीन की नाजुक चूत की चीख निकल गई… लेकिन एक खास बात यह भी थी कि अब लण्ड आराम से अंदर जा रहा था… मतलब केवल पहली चोट के बाद वो चूत को फिर मजे ही देता था… मैं ना जाने क्यों ऐसा सोच रहा था कि यह लण्ड सलोनी की चूत में जा रहा है और वो चिल्ला रही है… अब वहाँ कबीर अपनी कमर हिला हिला कर नाज़नीन को चोद रहा था… और वहाँ दोनों की आहें गूंज रही थीं… मेरा लण्ड भी बेकाबू हो गया था… और अब मुझे वहाँ रुकना भारी लगने लगा… मैं चुपचाप वहाँ से बाहर निकला… और बिना किसी से मिले दुकान से बाहर आ गया… दुकान से बाहर आते समय मुझे वो लड़की फिर मिली जो मुझे ब्रा चड्डी खरीदने के लिए कह रही थी… ना जाने क्यों वो एक तिरछी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी… मैंने भी उसको एक स्माइल दी… और दुकान से बाहर निकल आया… पहले चारों ओर देखा… फिर सावधानी से अपनी कार तक पहुँचा… और ऑफिस आ गया… मन बहुत रोमांचित था… मगर काम में नहीं लगा… फिर प्रणव को फोन किया… कहानी जारी रहेगी। [email protected]