मेरी बीवी के बदन की एक बानगी-3

खैर अंकल जी तो उसे पैंटी ब्रा पहनाने पे तुले हुए थे तो बोले- मैं मुँह घुमा लेता हूँ, तुम आराम से पहन लो। मैंने भी कहा- यार, बहुत लेट हो रहे हैं, जल्दी से देख-दाख लो, अंकल जी को भी जाना होगा। और फिर इसके बाद जो हुआ, वो हम तीनों के लिए ही बहुत उत्तेजक अनुभव रहा।

अंकल जी के पीठ पीछे मेरी बीवी ने अपनी लेगिंग उतार कर मुझे पकड़ा दी, फिर उस ब्रा को भी उतार दिया और अंत में अपनी पैंटी भी उतार कर मेरे हाथ में दे दी। अंकल जी भी ये सब महसूस कर रहे थे। अब कुछ देर के लिए वो उस अनजान जगह में दो मर्द, जिनमें से एक उसके पिता की उम्र का था, उनकी मौजूदगी में वो पूर्ण निर्वस्त्र हो गई थी।

फिर उसने पहले वो ब्रा पहनी लेकिन ना जाने कैसे उसके हुक उससे लगे ही नहीं, उसने बहुत कोशिश कि पर शायद वो दब गए थे, मेरी बीवी बोली- अंकल जी, इसमें कोई प्रॉब्लम है। अंकल जी पीछे मुँह किये हुए ही बोले- लाओ, मैं देखूँ!

यह सुन कर वो घबरा गई क्योंकि वो एकदम नंग-धड़ंग जो खड़ी थी, वो चिल्लाई- रुको! और उसने जल्द बाज़ी में वो सेट वाली अंडरवियर पहन कर अपनी चूत को छुपाया।

अब वो अंकल जी पीछे मुड़े तो उत्तेजना के मारे उनका चेहरा लाल पड़ा हुआ था क्योंकि मेरी बीवी इस समय मात्र पेंटी और ब्रा में ही थी और ब्रा भी हुक ना लगे होने की वजह से उसके उन्नत वक्ष स्थल को छुपा नहीं रही थी। वो अपनी झेंप मिटाते हुए और अपने लंड के उभार को छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए उसकी नंगी पीठ की तरफ चले गए और मेरी बीवी की पूरी नंगी पीठ और कंधों को स्पर्श करते हुए ब्रा का हुक लगाने की कोशिश की।

लेकिन हुक दबे होने की वजह से नहीं लग रहे थे, तो उन्होंने अपने दांत से उसे ठीक किया,और इस वजह से अपना पूरा चेहरा और मुँह नंगी पीठ से चिपका ही दिया। क्या पता इसी बहाने उन्होंने मेरी बीवी की पीठ का चुम्बन भी कर लिया हो, या उसे चाट लिया हो! मेरी बीवी भी अब उत्तेजित हो चली थी, यह उसके हाव-भाव से ज़ाहिर हो रहा था।

खैर, ब्रा अच्छे से पहनाने के बाद जब उसका ध्यान अपनी पैंटी की ओर गया तो पता चला कि मैडम ने जल्द बाज़ी में उलटी पहन ली थी और वो बहुत अजीब लग रही थी। मुझे तो उस उत्तेजक माहौल में भी हंसी आ गई। मुझे हँसता देख मेरी बीवी को गुस्सा आ गया और मुझे धौल जमाते हुए बोली- ऐसे हंसो मत!

मैंने हँसते हुए उस उत्तेजना के मारे अंकल जी को ही कहा- अजी, आप ही ठीक करो इसकी पैंटी भी! क्योंकि यह स्वाभाविक ही है कि जैसे ही उत्तेजना आती है, साहस बढ़ जाता है और शर्म ख़त्म होती जाती है। और हुआ भी यही, अंकल जी ने वो काम किया जो वो जिंदगी भर नहीं भूल पाएँगे।

वो नीचे घुटने के बल बैठे और मेरी बीवी के कूल्हे पकड़ कर उसे अपने नज़दीक किया और फिर अपनी उंगलियाँ उस उलटी पहनी हुई चड्डी में फंसा कर उसे पूरी तरह से उतार कर अलग कर दिया। और अब उनका चेहरा और मेरी बीवी की चूत एकदम आमने सामने थे। मेरी बीवी को इस बात की शर्म आ रही थी कि उसकी झांटें इस समय थोड़ी ज्यादा थी और वो अपनी इस नग्नावस्था से शर्मिंदा और मुझ पर गुस्सा ज़ाहिर कर रही थी।

मैंने उसकी स्थिति के मज़े लेते हुए उसे शान्त रहने का इशारा किया। अंकल जी ने बहुत आराम से एक एक करके दोनों पैर ऊँचे उठा उठा के पैर में से वो अंडरवियर बाहर निकाली। ऐसा करने से दोनों बार उसकी चूत की झिरी खुली और बंद हुई, और साफ़ पता चल गया कि मारे उत्तेजना के उसकी चूत भी गीली हो गई थी क्योंकि चूत का चिकना पानी उसकी गोरी गोरी और मांसल जांघों से फिसलता हुआ बहने लगा था, और अंकल जी को एक और मौका मिल गया, वो एक साफ़ कपड़े से मेरी बीवी की जांघें और योनि यह कहते हुए साफ़ करने लगे- नई वाली पैंटी गीली हो जायेगी।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! और अब एक हाथ से चूत को खोलते और झान्टों के बाल हटाते हुए पूरा हिस्सा साफ़ किया और मेरी बीवी ने अपनी आँखें बंद करके अपना सर ऊपर कर लिया। फिर अंकल जी ने उसे अच्छे से पैंटी पहना कर उसे आगे से और पीछे चूतड़ों पर सही किया और फ़िर मेरी बीवी को बड़े शीशे के सामने खड़ा किया।

सच में अब वो एकदम अप्सरा लग रही थी। यह एक शाइनिंग पिंक कलर का सेट था, जिसके दोनों निप्पल पॉइंट पर और पेंटी की चूत की लाइन वाली जगह पर एक बहुत ही छोटा और प्यारा सा फ़ूल लगा हुआ था। लेस भी शानदार थी और फिटिंग में भी मस्त थी।

मेरि बीवी अपने आप को शीशे में देख कर खुश हो गई और इसके बाद उसने अपने पूरे कपड़े पहने। हमने सब समान का भुगतान किया, मेरी बीवी ने सौदेबाज़ी करके काफी पैसे कम भी करा लिए। अपने वादे के मुताबिक़ अंकल जी ने वो गुलाबी सेट मुफ्त में ही दिया।

और इस अचानक हुए उत्तेजक अनुभव को लेकर हम उस दुकान से रवाना हुए। कार में बैठते हुए बीवी बोली- अब आज इन अंकल जी क्या होगा? मैंने हँसते हुए कहा- अब पीछे से वो बुड्ढा नंगा होगा और मुट्ठ मारेगा। और मैंने अपनी कार को गति दे दी।

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको अचानक घटी यह उत्तेजक घटना? मुझे मेल करके जरूर बताइएगा। प्लीज़ मेल जरूर कीजियेगा! और हाँ, मेरी पिछली कहानी और काजल बे-तकल्लुफ़ हो गई में मैंने पाठकों की यौन और व्यक्तिगत समस्याएँ सुलझाने और सलाह देने का जो काम शुरू किया था वो ज़ारी है, उस तरह के सवाल के मेल भी करते रहें, मैं आपके साथ हूँ। आपका अरुण [email protected]