जयेश नमस्कार मित्रो, मैं आपका दोस्त जयेश फ़िर एक बार ले कर आ रहा हूँ एक बहुत ही कामुक कथा, आप सब के लिए। मित्रो, मेरी पहली दोनों ‘दोस्त की चाची को चोदा’ और ‘सपनों की कामक्रीड़ा’ कहानियों के लिये मुझे कई लड़कों एवं लड़कियों के मेल मिले और इनमें से कई लड़कियों को मैंने बहुत सन्तुष्ट भी किया। वो कहानी फिर कभी, फ़िलहाल तो मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। अभी कुछ महीनों पहले ही हमारे नए मकान का काम शुरु हुआ है और जिस मोहल्ले में हमारा परिवार रहने जाने वाला है, वो बहुत ही सुनसान इलाका है वहाँ गिनती के दो या चार मकान होंगे। ऐसे में घर की देखभाल करने के लिए चौकीदार की जरुरत तो स्वाभाविक तौर पर आएगी ही, इसीलिये मेरे पापा एक चौकीदार की खोज करने में जुट गए। कुछ ही दिनों में हमें एक चौकीदार महिला मिल ही गई। वो महिला उम्र में कुछ साठ या पैंसठ साल की होगी और उसका मकान भी हमारे मकान के पास ही है। उसके मकान में कुल छः लोग रहते हैं वो, उसका लड़का, उसकी बहू और उनके तीन बच्चे। उस चौकीदार की बहू का नाम सुशीला है। चौकीदार के पति की मौत होने के कारण अब उसके घर की देख-भाल उसका लड़का यानि सुशीला का पति करता है। मैं आपको बता दूँ कि सुशीला दिखने में बहुत ही सुन्दर है उसका रंग साँवला है, पर फ़िर भी वो दिखने में कमाल है। पहले तो मैंने कभी उसे बुरी नज़र से नहीं देखा था पर जब में मेरे मकान की दीवारों पर पानी डालने के लिये जाया करता तब वो भी वहीं पर हुआ करती थी। एक बात मैं आपको बता दूँ मैं अक्सर समय मिलने पर मेरे मकान पर जाया करता हूँ और वहाँ जा कर अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ कर मुठ भी मारा करता हूँ। ऐसे ही कुछ दिन बीत जाने के बाद जब मैं मेरे मकान पर पानी डालने के लिए जाता, तो कभी-कभी सुशीला भी मेरा हाथ बंटाया करती थी और इसी दौरान वो भी पूरी तरह से पानी में भीग जाया करती थी। सुशीला अक्सर साड़ी ही पहना करती है और जब उसके शरीर पर पानी की बूँदें टपकतीं तो वो और भी कामुक दिखती। गीले होने के कारण उसके ब्लाउज में से उसकी चूचियाँ साफ़ दिखाइ देतीं और मैं भी उसे छुप-छुप कर देख लिया करता था। अभी कुछ ही महीनों पहले की बात है। हमेशा की तरह मैं मकान पर दीवारों को पानी डालने गया हुआ था। तभी वो भी वहाँ पर आ गई और काम मेरा हाथ बंटाने लगी, इसी बीच वो पानी में पूरी तरह भीग गई थी। तो मैंने उससे कहा- आप पूरी तरह से भीग गई हो, दीजिए पाइप मुझे दीजिये मैं पानी डालता हूँ। इस पर वो कहने लगी- नहीं कोई बात नहीं, मैं घर पर जाकर साड़ी बदल लूँगी। आप रहने दीजिए। इस बात पर मैंने जबरन उससे पाइप खींचने की कोशिश की और इसी दौरान मेरे हाथ उसकी चूचियों पर लग गए, जो कि पूरी तरह से पानी में भीग चुकी थीं। क्या बताऊँ दोस्तो, क्या चूचे थे उसके..! मानो मेरे हाथ में किसी ने मक्खन दे दिया हो, इतने मुलायम चूचे तो मेरे दोस्त की चाची के भी नहीं थे। फ़िर मैं फ़ौरन पीछे खिसका और उससे माफी माँगने लगा। इस पर वो बोली- इसमें माफ़ी की क्या बात है ऐसा हो जाता है, आप माफ़ी मत माँगिए ! फिर मैंने उनसे कहा- अगर आप बुरा ना माने तो मैं एक बात कहूँ ? तो उसने ‘हाँ’ में सिर हिलाया और मैंने उससे कहा- आप वाकयी में बहुत सुन्दर हैं..! मेरे ऐसे कहने से वो शरमाते हुए बोली- धत्त.. आप तो बड़े वो हैं..! तो मैंने भी कहा- क्या वो हूँ.. मैं..! इस पर उसने मुझसे सवाल किया- अच्छा, ऐसा क्या सुन्दर है मुझमें? मैंने भी मौका देख कर बोल दिया- सभी… आपकी आँखें, आपके होंठ, आपके कान और आपके वो…! तो उसने पूछा- वो… वो क्या..? जरा खुल कर बताओ शरमाओ मत..! फ़िर मैंने थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए बोल दिया- आपके चूचे और आपकी गाण्ड..! और इतना कहते ही मैं अपना मुँह शर्म से छुपाने लगा। तब उसने मुझसे फ़िर एक सवाल किया- आपको क्यूँ अच्छे लगते हैं.. मेरे चूचे और मेरी गान्ड? तो मैंने भी जवाब दिया- बस यूँ ही.. वो बहुत ही बड़े और मुलायम हैं इसलिए..! इसके बाद वो मेरे पास खड़ी होकर मुझे बड़ी कामुक नज़रों से देख रही थी। मैंने जब पूछा- आप ऐसे क्या देख रहे हो? तो उसने कहा- मैं भी आपका ‘वो’ देख रही हूँ। मैं इस पर अचम्भित रह गया और मैंने कहा- यह आप क्या बोल रही हो? तो उसने कहा- वही जो तुमने कहा.. मैं भी आपका लंड देख रही हूँ। अब हम दोनों पूरी तरह से खुल कर बातें कर रहे थे और एक-दूसरे के गुप्त अंगों भी छू रहे थे। मानो हम पूरी तरह से खुल चुके थे। तभी मैंने सुशीला से पूछा- क्या मैं आपके साथ सेक्स कर सकता हूँ? तो उसने जवाब में बस अपना मुँह नीचे झुका लिया, मैं समझ गया कि मुझे हरी झण्डी मिल गई है और मैंने भी अपना ज्यादा वक्त जाया न करते हुए सीधा उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों पर चूमने लगा। धीरे-धीरे वो मेरा पूरी तरह से साथ देने लगी और हम एक-दूसरे को चूमने लगे। कभी मैं उसकी जीभ को काटता तो कभी उसके होंठों पर, ऐसा करते हुए मैं धीरे से उसकी चूचियों पर अपना हाथ ले कर गया और हल्के से उसकी चूचियों को दबाया, तो उसने बड़ी ही कामुक आवाज़ निकाल कर मेरी उत्तेजना को और भी बढ़ा दिया। इसके बाद मैंने धीरे से उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाना शुरु कर दिया, कभी जोरों से तो कभी धीरे से.. ऐसा करके मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को मसल रहा था और वो भी इसका पूरा मजा ले रही थी। वो बड़ी ही कामुक आवाजें निकाल रही थी- आआआ अह्ह्ह्ह्ह्ह हूऊऊऊ… अम्म्म्म्म्म आअह्ह्ह्ह..! और इन आवाजों से मेरा जोश और बढ़ रहा था। करीब दस मिनट तक मैं उसके चूचों को दबाता रहा और उसके होंठों को चूमता रहा। फिर उसने कहा- अब बस भी करो ना… क्या पूरा दूध आज ही पीओगे क्या…! कुछ और भी करो ना जल्दी…! मैं- हाँ ना.. मेरी रानी करता हूँ न.. थोड़ा सब्र तो कर.. आज तो मैं तुझे पूरे जन्नत की सैर कराने वाला हूँ.. तू बस अब मज़े ले… फ़िर मैंने उसके साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ घुमाना शुरु कर दिया और हौले-हौले उसकी चूत को रगड़ने लगा। अब वो भी मेरी पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लण्ड को सहलाने लगी। तभी उसने मेरे लन्ड को झट से पैन्ट से अलग किया और उसे चूसने लगी। वो मेरे लन्ड को ऐसे चूस रही थी मानो वो बहुत दिनों से प्यासी हो और उसे आज पानी का कुआँ मिल गया हो। बाद में मैंने भी एक ही झटके में उसकी पूरी साड़ी निकाल दी। अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में मेरी बांहों में थी। इसी के साथ मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया और उसके कामुक नग्न शरीर को निहारने लगा। अब तो उसने ही मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे पूरे बदन पर उसका बदन रगड़ना शुरु कर दिया। मैं इस क्रीड़ा में उसका भरपूर साथ दिए जा रहा था। फ़िर हम दोनों वहीं फ़र्श पर लेट गए, वो मेरे नीचे और मैं उसके ऊपर था। अब मैंने धीरे से मेरे लन्ड को उसकी चूत से टिकाया तो उसके शरीर में बिजली सी दौड़ पड़ी। वो मेरा लन्ड लेने के लिए उतावली हुई जा रही थी, पर मैं भी कहाँ इतने जल्दी मानने वाला था। मैंने फ़िर से मेरा लन्ड बाहर खींचा और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा कर उसके कामुक अंग का मज़ा लेने लगा। मैं उसकी चूत चाटे जा रहा था और वो ‘आहें’ भरती जा रही थी। वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी। उसकी कामवासना चरम सीमा पर थी, वो मुझे गाली दिए जा रही थी और साथ ही मिन्नतें भी कर रही थी- अरे साले मादरचोद मरवाएगा क्या… भोसड़ी के.. अब डाल न ! रण्डी के कुत्ते मैं तड़प रही हूँ और तू मज़े किए जा रहा है.. बस कर.. अब डाल भी दे.. मैं तड़प रही हूँ..! मैं भी उसे गालियाँ दे रहा था- रुक ना रण्डी… इतनी भी क्या जल्दी है चुदवाने की.. थोड़ा सब्र कर..! बाद में मैंने उसे अपने पैरों पर बिठाया और अपना लन्ड उसकी चूत पर सैट किया और एक जोरदार धक्का दिया और इसी के साथ ही मेरा आधा लन्ड उसकी चूत में घुस गया और वो भी चिल्ला पड़ी, “अरे मादरचोद… अपनी माँ बहन की फ़ुद्दी समझ रखी है क्या… धीरे.. मैं कोई रण्डी नहीं हूँ.. जब चाहे चोद लेना.. पर इतने ज़ोर से क्यूँ घुसा रहा है..! अब से मैं बस तेरी ही हूँ थोड़ा आराम से कर..! इसी के साथ मैंने जोरों के धक्के लगाने शुरु कर दिए। मैं उसे चोदता और साथ ही उसके मम्मे भी दबा रहा था। अब वो भी कामुक हो गई थी और उसकी चीखें अब आवाजों में परिवर्तित हो गई थीं। अब वो भी हमारे काम-क्रीड़ा का पूरा आन्नद उठा रही थी। वो भी बड़े प्यार से सीत्कार कर रही थी, “आआआ ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्म् म्म्म्म ऊउफ़्फ़्फ़्फ़ ऊऊईइ आआअ ह्ह्ह हा और डालो और डालो जोर से और जोर से…!” मेरी गर्दन में अपनी बाहें डाल कर वो भी अब पूरे जोश मे मेरे साथ झूम रही थी। “आआह्ह्ह मेरे राजा, आज सच में तूने मेरी सालों की प्यास बुझा दी.. तू सच में मेरा राजा है आआह्ह्ह्ह… ह्म्म्म्म उफ़्फ़्फ़… आउर जोर से कर मेरे राजा और जोर से…!” फ़िर मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब पहले से भी ज्यादा जोर से उसे धक्के लगाने लगा। अब मेरा निकलने वाला ही था, तो मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ..! तो बोलने लगी- मेरे मुँह झड़ा दे.. मैं तेरा रस पीना चाहती हूँ..! और इतना कहते ही उसने मेरा लन्ड अपने मुँह में भर लिया और बड़े प्यार से उसे चूसना शुरु कर दिया। बस कुछ ही मिनटों में मैं झड़ गया। इसी के साथ वो मेरा पूरा रस पीने लगी। फ़िर मैंने भी उसे फ़िर से अपनी ओर खींचा और उसके मुँह पर अपना मुँह रख कर उसे चूमना शुरु कर दिया। आज पहली बार मैंने अपने खुद के रस का स्वाद चखा था। उसके बाद वहीं पास में ही पानी का पाइप था अब मैंने वो पाइप अपने हाथों में लिया और उसे सुशीला के ऊपर करके उसे फ़िर एक बार पूरा भिगो दिया। सुशीला ने भी बड़े प्यारे अन्दाज़ में उस पाइप को मेरे ऊपर किया और हम दोनों पूरे पानी में भीग गए। इसी के साथ मैंने इसे उल्टा किया और उसकी गाण्ड पर अपना हाथ फ़ेरना शुरु कर दिया। अब मेरा लण्ड और एक बार घुसने के लिये तैयार था। मैंने भी उसके गाण्ड पर थोड़ा पानी मारा और अपना सुपारा उसकी गाण्ड के छेद पर टिका दिया और धकेला। वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई, उसकी आँखों में आँसू भी निकल आए थे, पर मैंने इन सब की परवाह किए बिना उसकी गाण्ड में पेलना जारी रखा.. दस मिनट के बाद मैं फ़िर झड़ने वाला था। अब मैंने मेरा सारा वीर्य उसके शरीर पर यूँ ही छोड़ दिया। फ़िर उसे फ़िर से ज़मीन पर लिटा कर सारा वीर्य चट कर गया। फ़िर हम दोनों ने एक साथ स्नान किया। स्नान करते वक्त भी हमने बहुत मस्ती की और फ़िर हम दोनों तैयार होकर अपने-अपने घर जाने के लिए निकले। जाते वक्त उसने मुझसे कहा- जयेश, आज सच में मुझे बहुत मजा आया है.. तुम मुझे वादा करो कि जब भी मुझे तुम्हारी जरुरत होगी, तुम आओगे..! मैंने भी उसे वादा किया- हाँ हाँ जरूर.. तुम जब भी कहो.. मैं तुम्हारे लिये हाज़िर हूँ… आखिर तुमने भी तो मुझे जन्नत की सैर करवाई है.. तो इतना तो बनता ही है..! और इसी के साथ मैंने उसे एक लम्बा चुम्बन किया और फ़िर हम दोनों अपने-अपने घर के लिए चल दिए। उस दिन के बाद आज तक मैंने उसे कई बार चोदा। वो कैसे.. वो फ़िर कभी बताऊँगा.. आज के लिए बस इतना ही..! तो मित्रो, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी..! मुझे बताइएगा जरूर.. आपके मेल का इन्तजार रहेगा। [email protected]
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