फ़ुद्दी मरवाई सुबह सवेरे-1

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दोस्तो, मेरा नाम स्वाति है, 28 साल की एक शादीशुदा लड़की हूँ, मेरी शादी को 2 साल हुए है और मैं काफी समय से अन्तर्वासना पढ़ रही हूँ। मैं अपने बारे में आपको बताती हूँ, मैं बहुत ही मॉडर्न लड़की हूँ M.Sc की पढ़ाई की है, मेरा कद 5’7″ है, मेरे उरोज बहुत कसावट लिए हुए 34 इन्च के हैं, मेरी कूल्हे या सेक्सी भाषा में कहें तो मेरी गाण्ड उभरी हुई गोल और 37 इन्च की पर बहुत ही आकर्षक और सेक्सी है, जांघें मस्त भरी भरी और मांसल, पिंडलियाँ सुडौल और पैर निहायत सुन्दर है। आप लोग मुझे कैटरीना जैसी दिखने वाली समझ सकते हैं।

और मेरा यह मानना है कि हर इंसान के साथ जीवन में कभी न कभी कोई उत्तेजक और कामुक घटना जरूर ही होती होगी, ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ जो किसी को बताने जैसा नहीं था, लेकिन अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ पढ़ कर मुझ में हिम्मत आ गई और अब मैं वो घटना आप लोगों को बताने जा रही हूँ।

हम दिल्ली के रहने वाले हैं लेकिन मेरे पति जिनका नाम नीलेश है, उनका मुंबई के निकट आयरन स्टील का कारोबार है, इस वजह से मैं उनके साथ मुंबई में तीन बैडरूम के बड़े फ्लैट में रहती हूँ।

पति अक्सर ज्यादा व्यस्त रहते हैं, इसी वजह से मुझे अन्तर्वासना का चस्का लग गया।

मैं गुलाबी नेलपोलिश पसंद करती हूँ, और अपनी पिंडली में एक काला धागा बाँध के रखती हूँ, नीलेश मेरे पैरों के दीवाने हैं। अपनी इसी खूब सूरती की वजह से मुझे एक प्राइवेट कम्पनी में सेल्स मैनेजर का काम मिला हुआ है, जो मेरी खूबसूरती और बिंदास प्रकृति की वजह से खूब अच्छा चल रहा है।

कॉलेज टाइम में भी मेरे कई बॉय फ्रेंड्स रहे हैं जिनमें से तीन के साथ मेरे यौन सम्बन्ध भी बन गए थे, वो किस्से मैं आपको फिर कभी सुनाऊँगी, फिलहाल जो मैं आपको बताने जा रही हूँ, उस किस्से पर आती हूँ।

मेरे पति नीलेश एक बहुत स्मार्ट हेंडसम बॉय है, जिम वगैरा जाकर उन्होंने अपना शरीर काफी अच्छा बना लिया है, उनकी छाती पर हल्के हल्के बाल है, जो मुझे बेहद उत्तेजक लगते हैं, मुझे सफाचट छाती वाले मर्द नारी जैसे लगते हैं।

और हाँ, उनका लण्ड मस्त है, मोटा है, आगे का सुपारा उत्तेजित होने पर छिली हुई लीची की तरह से बाहर निकल आता है, लंड की नसें बहुत ज्यादा उभरी हुई है जिस वजह से और भी सुन्दर लगता है, लम्बाई 7-8″ के बीच होगी पूरा खड़ा होने पर थोड़ा टेढ़ा हो जाता है लेकिन मैं फ़िदा हूँ उस पर आखिर वो ‘टेढ़ा है पर मेरा है !’

हमारी सुहागरात बहुत ही अच्छी रही थी और सही में मैं नीलेश की चुदाई से संतुष्ट हूँ, उन्होंने मुझे मेरी पुरानी सारी चुदाइयों को भुलवा दिया है। मेरे ससुर सेना में मेजर के पद से सेवा निवृत हैं, नीलेश को फैक्ट्री उन्होंने ही खुलवाई है, और वो हर 3-4 महीने में मुंबई हमारे पास आते रहते हैं, वो खुद बहुत रौबीले दिखते हैं, बड़ी बड़ी मूंछें, अच्छी कद-काठी, और अपने बाल डाई करके और टिपटॉप रहते हैं।

यह पिछले साल की घटना है जब वो यहीं थे। उन्हें सुबह जल्दी उठ के घूमने जाने की आदत है, और एक दिन सुबह नीलेश को भी फैक्टरी के काम से मुंबई से बाहर जाना था, सुबह जल्दी ही निकलना था, तो उसने पापा जी यानि मेरे ससुर को सुबह जल्दी उठाने को कह दिया था।

उसे 7 बजे निकलना था लेकिन पापा जी ने सुबह 5 बजे ही हमारे कमरे का दरवाजा खटखटा दिया। नीलेश बहुत ही बेमन से उठा और उन्हें बता दिया- हाँ पापा, मैं उठ गया हूँ। और फिर पापा सुबह की सैर पर चले गए।

पास ही मैं सो रही थी, झीनी से नाइटी पहन कर और थोंग पेंटी पहनी हुई थी, ब्रा मैं सोते समय उतार ही देती हूँ, और वैसे भी नीलेश सोने से पहले मेरे चूचे चूसते हुए ही सोते हैं, उन्हें तभी नींद आती है, तो मेरे स्तन बाहर ही निकले पड़े रहते हैं और सोते समय नाइटी चूतड़ों से ऊपर सरक जाती है, यह सभी को पता है।

नीलेश मेरा यह अर्धनग्न नज़ारा देख कर हक्का बक्का रह गया क्योंकि रोज़ तो तो सुबह मैं ही जल्दी उठती थी और वो कुम्भकर्ण की तरह सोता रहता था। तो जनाब शुरू हो गए मेरे कूल्हों पर हाथ फिराते हुए, क्योंकि कोई डर भी नहीं था, पापा भी नहीं थे।

मैं थोड़ी सी कुनमुनाई पर उस पर तो अब वासना का भूत चढ़ चुका था, मैं थोड़ी नींद में थी पर मुझे अच्छा भी लग रहा था तो मैंने भी कोई विरोध नहीं किया और सुबह सुबह के प्रेमालाप का मेरा भी यह पहला ही अनुभव था।

तो नीलेश ने मेरे बचे खुचे कपड़े भी उतार डाले और मुझे पूरा नंगा कर दिया, मैंने भी अपने आप को निर्वस्त्र हो जाने दिया क्योंकि कोई डर भी नहीं था, पापा भी नहीं थे, यह बात मुझे भी पता थी कि वो आठ बजे के पहले वापिस नहीं आने वाले थे। नीलेश ने मेरी टाँगें मोड़ कर घुटने मेरे सीने से लगा दिए, इस मुद्रा में तो चूत की दोनों फांकें बिल्कुल खुल गई थी और दोनों फांकों के बीच में से चूत के गुलाबी होंठ झांक रहे थे।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

वो अब मेरी फैली हुई टांगों के बीच में मेरी चूत को और यहाँ तक कि मेरी गांड के छेद को भी आसानी से और खूब अच्छी तरह से देख सकते थे। इतने में उन्होंने अपने तने हुए कड़क लंड का सुपारा मेरी चूत के खुले हुए होंठों के बीच फ़ंसाने की कोशिश की लेकिन मेरी दर्द के मारे चीख ही निकल गई, क्योंकि उनका लौड़ा बहुत ही विकराल हो रहा था, मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि यह नीलेश का वो ही लंड है जिससे मैं रोज़ चुदती हूँ।

फिर मुझे अन्तर्वासना के एक लेखक अरुण की बताई हुई बात याद आई, मैं उनकी कहानियों की जबरदस्त फैन हूँ, और अब हम अच्छे दोस्त भी हैं, वो एक शानदार सेक्स सलाहकार भी हैं, उन्होंने ही बताया था कि सुबह के समय मर्द के लंड में अतिरिक्त कसावट और आकार आ जाता है और यह तनाव लम्बे समय तक रहता भी है।

और शायद यही इस समय भी हो रहा था ! मेरे चिल्लाने से नीलेश थोड़ा रुका, फिर मेरी चूत को चौड़ी कर के उसमें खूब सारा थूक लगा कर उसे अच्छी तरह से चाट कर गीला किया और फिर लंड घुसा दिया। ‘अह्ह… उईई… ईईई… माआआ… मर गईइइ… आआआअ… ऊऊऊ… उह… ओह्ह…’

नीलेश का लौड़ा मेरी चूत के छेद को चौड़ा करता हुआ अंदर घुस चुका था, ‘बहुत मज़ा आएगा !’ यह कहते हुए उन्होंने लौड़ा बाहर खींचा और फिर से एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया। ‘अह्ह्ह… ह्ह… उईई…ईईई माआआ… माआआ… मर गईइइइ… आआआअ… ऊऊऊ… उह… ओह्ह…’ सुबह सुबह पता नहीं कौन सा जानवर उनके अंदर घुस गया था कि हुमच हुमच कर चोद रहे थे मुझे, मेरे होंठों का रस चूसने लगे और चूचियों को मसलने लगे।

फ़िर नीलेश ने पूरी ताकत से ज़ोर का धक्का लगा दिया ! आआआआ आआऐईईईईई ईईईई… आआह्ह ऊऊ… ऊऊह्ह्ह ऊओफ्ह्ह… आआअह्ह… उम्म्य्यय्य !’

मुझे चुदवाने में बहुत मज़ा आने लगा और चूत बहुत गीली हो गई, मैं भी अब चूतड़ उचका उचका कर खूब मज़े लेकर चुदवा रही थी, मेरी चूत ने इतना रस छोड़ दिया था वो इतनी गीली हो गई थी कि जब लंड अंदर-बाहर हो रहा था तो फच फच फच की मस्त आवाजें आने लगी।

अब उन्होंने मेरे एक चूतड़ पर कस कर एक चांटा मारा और मुझे भी गांड उछालने को बोला। अब मैं भी बहुत ज़ोर ज़ोर से चूतड़ उछाल उछाल कर उनका साथ देने लगी।

सही में आज कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था और अक्सर 15 से 20 मिनट चलने वाला हमारा सेक्स आज पूरे आधा घंटे तक चला। मतलब अरुण जी ने सही कहा था। चरम अवस्था के समय वो बड़बड़ाने लगे- स्वाति… आई लव यू… तू मेरी जान है ! और फिर उन्होंने अपना पूरा वीर्य मेरी चूत में खाली कर दिया जो मेरे चूतड़ और गांड के छेद से बहता हुआ मेरी जांघों तक जा रहा था।

फिर नीलेश ने अपना लौड़ा बाहर खींच लिया और हम दोनों ही पस्त होकर गिर गए। नीलेश को जाना था तो वो तैयार होने को चले गए और जाते समय गेट मुझे बंद करने को कह गए। मैंने उन्हें बोल दिया- हाँ, अभी करती हूँ, तुम जाओ !

इसके आगे की क्या हुआ, वो आप अगले भाग में पढ़ना और कृपया अपनी राय मुझे जरूर बताना क्योंकि अन्तर्वासना पर यह मेरा पहला प्रयास है। आपकी स्वाति [email protected]

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