चंदा रानी की कुंवारी बहन की नथ-4

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

चूतनिवास ‘बधाई हो नन्दा… मेरी प्यारी बहन… आज तेरी नथ खुल गई… आज तेरी ज़िंदगी का एक महान दिन है… बहुत बहुत बधाई… ईश्वर करे कि तुझे जीवन भर इसी प्रकार तगड़े लण्ड मिलें… चल मैं तुम दोनों के लिये मीठा लेकर आती हूँ… मेरी बहन की नथ खुली है… मीठा मुँह तो होना चाहिये न !’ इतना कह कर नंगी चंदा रानी कमरे से बाहर चली गई। मैं भी उठकर पीछे गया फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक लाने के लिये। चंदा घर से रबड़ी लेकर आई थी जिसे वो एक तश्तरी में डाल रही थी। मैंने उसे लिपटा कर चूमा और कहा- रानी… रबड़ी के बाद मैं तो तेरा दूध पियूंगा और ये कोल्ड ड्रिंक आखिर में ! ‘हाँ… हाँ… राजे दोनों को दूध पिलाऊँगी… फिकर ना कर… मेरे राजे बेटे !’ मैंने जब लाइट जलाई तो देखा नन्दा रानी गहरी नींद में थी। उसकी टांगें चौड़ी फैली हुई थीं और तमाम चूत के आस पास का बदन, झांटें खून में लिबड़ा हुआ था। यहाँ तक कि उसकी जाँघों तक भी खून के बड़े बड़े धब्बे थे। खून वाकई में अधिक मात्रा में बहा था। मैंने गर्दन झुका कर अपने आपको देखा तो मेरा भी बदन लण्ड के सब तरफ खून में लथपथ था। मैं जल्दी से एक तौलिया बाथ रूम से भिगो कर लाया और नन्दा रानी को भली भांति साफ किया और फिर अपने बदन की सफाई की। नन्दा रानी के चूतड़ों के नीचे बिछा हुआ तौलिया भी खून में सन गया था, मैंने धीरे से खींच के तौलिये को बाहर निकाला, इसकी चार चार तहें पार करके लहू का एक छोटा सा दाग तकिये पर भी लग गया था। ‘राजे… लगता है बहुत ही तगड़ी झिल्ली थी… देख तो कितना खूनमखून हो गया है… तभी तो सो रही है… अच्छा राजे… अब उसे और मत चोदियो आज रात… सोने दे उसे !’ ‘अरे चंदा रानी उसे सोने दूंगा… अब तुझे भी तो चोदना है या नहीं !’ चंदा रानी ने नन्दा रानी को हिला के जगाया और एक चम्मच रबड़ी उसे मीठा मुँह करने को दी। नन्दा रानी ऊम्म ऊँह ऊँह करके जागी और बड़ी धीमी आवाज़ में बोली- दीदी सोने दो ना… क्यों तंग करती हो… बहुत नींद आ रही है… बड़ी थकान लग रही है। ‘हाँ हाँ मेरी रानी बेटी… आराम से सो… बस मैं तो तेरा मीठा मुँह करने को जगा रही थी। अभी अभी तेरी नथ खुली है… अब तू लड़की से औरत बन गई है… चल जल्दी से थोड़ी सी रबड़ी खा और फिर सो जा।’ नन्दा रानी ने लेट लेटे ही मुँह खोल दिया। चंदा रानी ने उसके मना करते करते पांच छह बड़े चम्मच रबड़ी उसे खिला ही दी। एक घूँट कोल्ड ड्रिंक का पीकर नन्दा रानी वापस गहरी नींद में ढेर हो गई। ‘चंदा रानी… अब ये तो गई सुबह तक… इतना खून बहा है… कमज़ोरी आ गई होगी… कल तक ठीक हो जायेगी… फिर रोज़ चुदाई मांगा करेगी… अब हम खेलें इक्का दुक्की का खेल?’ कह कर मैंने चंदा रानी को दबोच लिया। वो भी अपनी बहन को चुदते देख कर खूब गरम हो गई थी, उसने कहा- बस एक मिनट तसल्ली रख… देख मैं तुझे जन्नत के नजारे दिखाती हूँ। चंदा रानी अलग होकर बिस्तर पर बैठ गई और ढेर सारी रबड़ी को अपनी चूचियों पर, अपनी नाभि पर, अपनी झांटों और अपने पैरों पर लगाया और बोली- अब राजे… तू भी मीठा मुँह कर मुझे चाट चाट के… फिर मैं तेरे लण्ड पर लगा कर अपना भी मुँह मीठा करूँगी। इतना कह कर चंदा रानी बिस्तर पर सीधी लेट गई। मस्ती से मैं एकदम बेहाल हो गया। चंदा रानी का सामने का पूरा शरीर, चूची से पैर तक, रबड़ी से लिबड़ा हुआ था। मेरा लौड़ा फौरन तन्ना गया। मैंने चंदा रानी को कुत्ते की तरह जीभ निकाल के चाटना शुरू किया। सबसे पहले उसके पैर चाटे, हर एक उंगली व अंगूठा मुँह में लेकर चूसा, फिर उसकी टांगें चाट चाट के सारी रबड़ी खाई, उसका पेट चाट चाट कर बिल्कुल साफ कर डाला और आखिर में उसके दोनों मम्मे चाटे। मम्मे चाटते हुए मुझे उसका दूध भी पीने को मिला। चंदा रानी ने सचमुच मुझे जन्नत के नज़ारे दिखा दिये। जन्नत में इस से ज्यादह क्या मज़ा मिलता होगा। चंदा रानी के ज़ायकेदार बदन का स्वाद जब रबड़ी से मिला तो चाटने का आनन्द पराकाष्ठा पर जा पहुँचा। वो भी इस तरह से बदन चटवा के ठरक से मतवाली हो चली थी। उसके मम्मे अकड़ गये थे और वो बारम्बार कसमस कसमस करती हुई आहें भरने लगी थी। उसका एकदम ताज़ा दूध रबड़ी से मिल के मेरे जिस्म में आग भड़का रहा था। चंदा रानी अब अपनी जांघें बार बार खोलने बन्द करने लगी, उसके मुँह से अब तेज़ सी सी आने लगी थी, बोली- राजे अब न तरसाओ… नन्दा को तूने चोदा तब ही से मेरा हाल खराब है… तेरी ज़ुबान तो ज़ालिम मुझे कत्ल ही कर डालेगी… अब चल मेरा राजा बेटा… अब चोद ही दे… मैं तो जल के खाक हो जाऊँगी। हालांकि तड़प तो मैं भी रहा था, फिर भी थोड़ा सा और मज़ा लेने के लिये मैंने उसके चूची में दांत गाड़ दिये, दूध की एक तीव्र धारा मेरे मुँह में गिरी और वो बेतहाशा ठरक से बेबस होकर कराही। उसने ज़ोरों से छटपटाना शुरू कर दिया और फंसी फंसी सी अवाज़ में बोली- राजे… रहम कर… अब मर गई तो क्या करेगा? बिल्कुल सबर नहीं हो रहा… बस जान जाने को है। बिना कुछ बोले, मैंने उसके घुटने मोड़े और जाँघें चौड़ी करीं, फिर मैं उन रेशमी मुलायम जाँघों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और अपना टन टन करते लण्ड चूत के होंठों पर रखा। उई उई की आवाज़ निकालते हुए चंदा रानी ने अपने चूतड़ उचकाये और मैंने धम्म से पूरा का पूरा लण्ड उसकी रसदार चूत में पेल दिया। एक चीख उसके मुँह से निकली और मेरा सिर कस के जकड़ती हुई चंदा रानी एसे झड़ी जैसे किसी डैम के गेट खोल के पानी छोड़ दिया गया हो।उसने बड़ी तेज़ी से कई दफा अपने नितंबों को ऊपर नीचे किया और झड़े चली गई। उसने अपने पैर मेरे कंधों पर टिका दिये और फिर से झड़ने की इच्छा से चुदने लगी। इस पोज़ में हर धक्के मे लण्ड चंदा रानी की भगनासा को ज़ोर से रगड़ता हुआ जाता था जिससे उसका मज़ा ख़ूब बढ़ जाता था। प्यार से मेरी आँख से आँख मिलते हुए वो बोली- राजे… तू कितना ज़बदस्त चोदू है… इतनी जल्दी मैं कभी भी नहीं झड़ती जितना कि तेरे से चुदते हुए… राजे… राजे… राजे… हाय राम… इतना मज़ा… हाय मैं मर जाऊँ… मैं बहुत रश्क करने लगी हूँ तेरी बीवी से जो रोज़ाना तुझ से चुदाई का आनन्द उठाती है… बस अब थोड़ा तेज़ धक्के लगा… हाँ… हाँ… राजे… हाँ… हाँ… चीर फाड़ के रख मेरी हरामज़ादी बुर को… अब बना दे इसका कचूमर… हाँ… चोदे जा राजा… मैंने धकाधक धक्के पेलने शुरू कर दिये, लण्ड एसे अंदर बाहर हो रहा था जैसे रेल के इंजन का पिस्टन आगे पीछे जाता है- धक… धक… धक… धक… अचानक से मुझे यूँ महसूस हुआ कि मेरे अंदर कहीं तेज़ गर्मी की एक लहर सिर से नीचे की तरफ और नीचे तो सिर की ओर बड़ी रफ़्तार से आ जा रही है। उधर चंदा रानी आहें पर आहें भरे जा रही थी। ठरक से मतवाली यह चुदासी औरत कमर उछाल उछाल कर चुदा रही थी। झड़ने को आतुर होकर ज्यों ही मैंने लण्ड ठोकने की गति ज़्यादह तेज़ की, तो वो फिर से अनेकों बार चरम सीमा के पार चली गई। बड़ी मुश्किल से अपनी चीख को रोकता हुआ मैं तब धड़ाके से स्खलित हुआ। लण्ड से ढेर सा सफेद लावा निकला और उसकी चूत से तो रस का प्रवाह ज़ोरों से चल ही रहा था। झड़कर हम दोनों बेसुध से होकर पड गये। मैं ऊपर और वो नीचे। हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे और एक दूसरे से एक मस्त चुदाई करने के बाद लिपटे रहने का मज़ा भोगते रहे। चंदा रानी ने फिर मेरे लण्ड को और उसके आस पास के सारे प्रदेश को चाट चाट के साफ किया। चंदा रानी ने कहा- अब राजे मैं भी तो मुँह मीठा कर लूं अपनी बहन की नथ खुलवाने के मौके पर ! ‘हाँ हाँ… तुझे तो सबसे पहले मुँह मीठा करना चाहिये था… तूने ही तो सारा प्रोग्राम सेट किया है !’ मैं बोला। चंदा रानी ने रबड़ी की तश्तरी उठाई और चम्मच भर भर के मेरे बैठे हुए लुल्ले पर लगाई। पूरा लुल्ला, दोनों टट्टे रबड़ी में अच्छे से सान दिये। मैं समझ गया था कि अब यह चाट चाट कर रबड़ी खायेगी। उसके नाज़ुक, खूबसूरत हाथों से रबड़ी लगवाते लगवाते मेरा लण्ड अकड़ चुका था। जब लौड़ा खड़ा हुआ तो उसका आकार बढ़ गया और चंदा रानी ने बची खुची रबड़ी भी लण्ड पर लबेड़ डाली। फिर उसने जो चाटना चालू किया है, तो भगवान कसम, आनन्द इतना आया जिसका कोई हिसाब नहीं। मस्ती ने मुझे मतवाला कर दिया। चंदा रानी ने बड़े मज़े में चटखारे ले लेकर पूरा लण्ड, टट्टे और झांटों को चाट डाला, और एकदम चकाचक साफ कर दिया। ‘अरे राजे… तेरा लण्ड तो फिर से अकड़ गया… लगता है बहुत मज़ा आया इस हरामी को रबड़ी में लथपथ हो के चटवाकर… साला हरामी लण्ड महाराज !’ चंदा रानी ने लौड़े को प्यार से एक हल्की सी चपत लगाई और फिर से चूसने में लग गई। यारों चूसने में तो वा माहिर थी ही, तो ऐसा चूसा, ऐसा चूसा कि मस्ती से मेरी गांड फट गई। कभी वो काफी देर तक लण्ड को पूरा जड़ तक मुँह में घुसाये रखती, तो कभी सिर्फ टोपे को मुँह में लिये लिये चूसती, और कभी वो टट्टे सहला सहला के नीचे से ऊपर तक लण्ड चाटती। उसके मुखरस से लण्ड बिल्कुल तर हो चुका था। कई दफा उसने अपनी चूची दबा के दूध की बौछारें लौड़े पर मारीं, जिससे मेरी ठरक सातवें आसमान पर जा पहुँची। चंदा रानी ने मचल मचल के लौड़े को चूस चूस के तर कर दिया। अब मैं ज़रा भी रुक नहीं पा रहा था। एक ज़ोर की सीत्कार भरते हुए मैंने अपनी कमर उछाली और झड़ गया। चंदा रानी सारी की सारी मलाई पी गई। हमेशा की तरह, जब मैं बेहोश सा होकर बिस्तर पर गिर गया, तो उसने मेरे लण्ड को खूब भली प्रकार जीभ से चाट चाट के साफ किया और बोली- चल राजे, अब तुझे मैं स्वर्णरसपान कराऊँ… दोपहर दो बजे से रोक कर रखा है… आजा मेरे राजे… नीचे बैठ जा और अपनी मम्मा की चूत से मुँह लगा ले… आज बहुत गाढ़ा पीने को मिलेगा। इतना कह कर चंदा रानी पलंग पर टांगे चौड़ी करके पैर फर्श पर टिका के बैठ गई, मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और चंदा रानी की चूत के होंठों से अपने होंठ चिपका दिये। कुछ ही देर में चंदा रानी के स्वर्णामृत की पहले चंद बूंदें और फिर तेज़ धार मेरे मुँह में आने लगी। सच में बहुत ही गर्म और गाढ़ा रस था। एकदम स्वर्ण के रंग का ! अति स्वादिष्ट ! अति संतुष्टिदायक !! मैं लपालप पीता चला गया। मेरी उस समय सिर्फ एक ही ख्वाहिश थी कि उस योनि-अमृत की एक भी बूंद नीचे न गिरने पाये, सो मैं उसी रफ़्तार से पीने की चेष्टा कर रहा था जिस रफ़्तार से वो प्यारी सी अमृतधारा मेरे मुँह में आ रही थी। सच में बहुत देर से रूका हुआ रस था क्योंकि खाली करने में चंदा रानी को काफी वक़्त लगा। जब सारा का सारा रस निकल चुका तो मैंने अपने मुँह हटाया और जीभ से चारों तरफ का बदन चाट चाट के साफ सुथरा कर दिया। मैं और चंदा रानी फिर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर लेट गये और बहुत देर तक प्यार से भरी हुई बातें करते रहे। हर थोड़ी देर के बाद हम एक गहरा और लम्बा चुम्बन भी ले लेते थे। बीच में एक बार चंदा रानी का बच्चा जग गया और चिल्ला चिल्ला के दूध मांगने लगा। चंदा रानी ने उसे दूध पिलाया, पहले एक चूची से और फिर दूसरी चूची से। मैं आराम से उन खूबसूरत मम्‍मोँ को निहारता रहा। जब चंदा रानी फारिग हो गई तो मैं गर्म हो चुका था, चूचुक निहार निहार के। इसके बाद मैंने चंदा रानी को चोद के अपने को निहाल किया और फिर हम सो गये। यारो, इन दो बहनों को आने वाले दिनों में मैंने कैसे चोदा और क्या क्या मज़े लिये, उसका हवाला मैं विस्तार से अगली कहानी में दूँगा। समाप्त

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000