नई चूत का मज़ा लेने का नशा-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

यह सत्य कथा सूरत की है जहाँ मैं एक कम्पनी में प्रोडक्शन मैंनेजर बन कर हुआ था। यह दिसंबर 2010 की घटना है। मैं जिस कम्पनी में जाता हूँ, अपनी सचिव खुद ही चुनता हूँ और हमेशा लड़की ही चुनता हूँ और हमेशा उसे चोदता भी ज़रूर हूँ।

इस कम्पनी में मेरे चयन के लिये सात लड़कियाँ बुलाई गईं थीं। एक एक करके मैंने उनका इंटरव्यू लेना शुरू किया। मैं अपने सेक्रेटरी के इंटरव्यू में बिल्कुल साफ साफ बात कर लेता हूँ कि मेरी सेक्रेटरी को मुझसे चुदने के लिये राज़ी तो होना पड़ेगा। बाद में कोई झमेला ना हो, इसलिये बेहतर है कि पहले ही खुल के बात कर ली जाये कि भई अगर चुदाई मंज़ूर है तो नौकरी मिलेगी वर्ना नहीं।

और मैं पगार भी तो दे रहा हूँ पच्चीस हज़ार रुपये जबकि और सब केवल बारह से बीस हज़ार ही देते हैं। मेरे पास इतना वक़्त नहीं है कि मैं लड़की पटाने के काम में लग जाऊँ। पहली चार ने तो साफ मना कर दिया कि वह इसके लिये तैयार नहीं हैं। पांचवीं तैयार तो थी लेकिन जैसी मैं चाहता हूँ वैसी सुन्दर नहीं थी। छठी जो आई, वह बहुत खूबसूरत थी, मदमस्त, सांवली, सलोनी गदराई जवानी, बहुत खूबसूरत हाथ और पैर।

मर्दों को चुनौती देती हुई तीखी गोल चूचियाँ, रेशम जैसी चिकनी और मुलायम त्वचा। उसके अंग अंग से कामुकता टपकती थी। नाम था नीलम वघेरा। मैं बोला- सुनो नीलम रानी… मैं तुम्हें इसी शर्त पर रख सकता हूँ कि मैं तुम्हारे साथ जब मेरा जी करेगा सम्भोग करूँगा या मुख मैथुन करूँगा। मैं जब भी सूरत से बाहर जाऊँगा, तुमको मेरे साथ सफर करना होगा और हम होटल में एक ही रूम में रहेंगे। तुम इसके लिये राज़ी हो तो आगे बात करें, वर्ना क्यों वक़्त बर्बाद करना !

नीलम ने कुछ देर सोचा, फिर मुस्करा के जवाब दिया- मैं तैयार हूँ… लेकिन सूरत से बाहर जाने के बारे में मुझे अपने पापा से पूछना पड़ेगा… दूसरे, मेरा नाम नीलम है नीलम रानी नहीं। मैं बोला- जिस लड़की पे मेरा दिल आ जाता है, मैं उसे रानी कह कर ही बुलाता हूँ… नाम कुछ भी हो। तुम अभी बात करो अपने पापा से !

नीलम ने तुरंत अपना मोबाइल फोन पर्स में से निकाला और नंबर लगाया। लाइन मिलने के बाद वह बोली- हाँ पापा.. नौकरी तो मिल रही है… पच्चीस हज़ार तनख्वाह है… बहुत बड़े अफसर हैं सर… लेकिन एक प्रॉब्लम है… इनको अक्सर आउट ऑफ स्टेशन जाना पड़ता है और इनकी सेक्रेटरी होने के कारण मुझे भी साथ जाना पड़ेगा… हाँ…हाँ… बाहर जायेंगे तो होटल में ही ठहरना होगा… कम्पनी होटल बुक करवाएगी… यह तो अभी मालूम नहीं… पर सर तो शायद फाइव स्टार में ही रुकेंगे… आप क्यों चिन्ता करते हैं… कम्पनी करवाएगी ना अपने रूल के हिसाब से… क्या करूं… हाँ…हाँ… इतनी सेलरी तो कहीं नहीं मिलेगी… तो कर दूँ हाँ? ओ के पापा…बाकी बातें घर आकर बताऊँगी।

नीलम रानी ने मुस्करा के कहा- सर, पापा मान गये हैं, अब कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। मैंने कहा- ठीक है अपना अपाइंटमेंट लेटर लेकर आओ और जाने से पहले मिलो। नीलम- ठीक है सर, मुझे मंज़ूर है…लेकिन मेरी एक रिक्वेस्ट है कि कुछ भी करते हुए मेरी कोई फोटो या वीडियो ना लें !

मैं बोला- नो प्रॉब्लम… नीलम रानी… जो तुम नहीं चाहोगी वैसा कुछ तुम्हारे साथ नहीं होगा। अब तुम जाओ पर्सोनल डिपार्टमेंट में और अपना अप्पौइंटमेंट लेटर ले लो और फिर आकर मिलो मुझे !

नीलम रानी चली गई, करीब एक घंटे के बाद लौट के आई, बोली- सर लेटर मिल गया है… मैं पंद्रह दिन में जॉइन कर लूंगी… जिस स्कूल में पढ़ाती हूँ उनको नोटिस कम से कम दो हफ़्ते का तो देना पड़ेगा। मैं बोला- ठीक है लेकिन जाने से पहले मुझे तेरा टेस्ट करना ज़रूरी है।

इतना कह कर मैंने उसे लिपटा लिया और उसके मुँह से मुँह चिपका कर उसके होंठ चूसने लगा। उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी जिससे उसका मुख़रस मेरे मुँह में आना शुरू हो गया। उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और बड़े प्यार से चुम्मी देती रही। उसके मुँह की सुगंध कामाग्नि भड़काने वाली थी और उसके मुख रस का स्वाद बहुत मज़ेदार था तो लंड खड़ा हो गया और टनटनाने लगा।

फिर मैंने उसकी टॉप में हाथ डालकर ब्रा का हुक खोला और दोनों हाथ अंदर करके उसके चूचुक सहलाये। मदमस्त मम्मे थे, बड़े बड़े संतरों की भांति। मैंने टॉप ऊपर सरका के एक निगाह मारी, देख कर मज़ा आ गया। बड़े बड़े दायरों वाली बड़ी बड़ी निप्पल। गहरे काले रंग था निप्पल का और निप्पलों के दायरों का रंग हल्का काला था। दबाया तो बहुत ही आनन्दायक चूचुक लगे, नर्म नर्म लेकिन पिलपिले नहीं, इनको निचोड़ने और चूसने में बेतहाशा मज़ा आयेगा।

फिर मैंने उसकी जींस में हाथ घुसा के चूत में उंगली थोड़ी सी घुसाई। चूत गर्म और गीली थी। उंगली बाहर निकल के मैंने मुँह मे डाल के चूतरस का स्वाद चखा। फिर मैंने उसके हाथों का मुआयना किया, बड़े सुन्दर, सलोने और सुडौल हाथ थे। मखमल सी मुलायम, लम्बी मांसल उंगलियाँ, सलीकेदार और लम्बे आयताकार सुन्दर नाखून जो बस ज़रा से ही उंगलियों से बढ़े हुए थे, त्वचा एकदम रेशम जैसी चिकनी !

मैंने कहा- अपने पैर सैंडल से निकाल कर टेबल पर रखो। पैर भी बहुत खूबसूरत थे, अंगूठा साथ वाली उंगली से ज़रा सा छोटा। सभी उंगलियाँ ऐसा लगता था किसी मूर्तिकार ने तराश कर बनाईं हैं। नाखून साफ और सुन्दर, थोड़े थोड़े ही आगे निकले हुए। तलवे मुलायम जैसे किसी छोटी बालिका के हों।

मैंने झुककर एक एक करके अंगूठा और सब उंगलियाँ चूसीं, तलवे चूसे और एड़ी पर जीभ घुमाई। बहुत स्वादिष्ट ! मेरी पूरी तसल्ली हो चुकी थी। अब मैं सिर्फ उसके जॉइन करने की बाट जोह रहा था। ‘हूउऊऊऊऊँ… .हूउऊऊऊऊँ… ..हूउऊऊऊऊँ’ मैंने खुश होकर हुंकार भरी। सब कुछ बढ़िया और तसल्लीबख्श ! इसे चोद कर वाकयी में खूब मज़ा आयेगा। बिल्कुल सही चुनाव हुआ था सेक्रेटरी का !

नीलम रानी की चूत लेने का फितूर मेरे दिल-ओ-दिमाग पर छा गया था। हालांकि मुझे कोई चुदाई की तकलीफ नहीं थी, रोज़ अपनी खूबसूरत, सेक्सी पत्नी की चुदाई करता ही था लेकिन नई चूत का मज़ा लेने का ख्याल एक नशा बनकर मुझ पर चढ़ गया था।

कहानी जारी रहेगी ! [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000