मुमताज की मुकम्मल चुदाई-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

दोस्तो, मैं संजय राजस्थान कोटा का रहने वाला हूँ, यह मेरी 100% सच्ची कहानी है।

आज से एक साल पहले मैंने कर्नाटक मैसूर में अपनी मोबाइल रिचार्ज की दुकान चालू की थी। वहाँ एक बुरके वाली लड़की रिचार्ज करवाने अकसर आती थी। उसकी उम्र 28 होगी और उसका नाम था मुमताज, जो मुझे बाद में पता चला। वो जब भी मेरी दुकान में रिचार्ज करवाने आती तो अनेक तरह के सवाल करती रहती थी।

वो शुरू-शुरू में तो मुझे अच्छा नहीं लगता था क्योंकि वो रोज ही बुरका पहन कर आती थी और मैंने उसकी ख़ूबसूरती देखी नहीं थी। एक बार कुछ दिन बाद वो मेरी दुकान में आई। उसने बुरके को ठीक से मुँह पर बांधने के लिए मुँह से कपड़ा हटाया, तो मैंने उसका सुंदर चेहरा देखा और देखता ही रह गया…! शायद उसने मुझे खुद का चेहरा दिखाने के लिए ही ऐसा किया था।

उसके बाद वो जब भी दुकान पर आती, तो उसका बुरका ठीक करने के बहाने से मुँह पर से कपड़ा हटाती और बहुत देर बातें करती। मुझे भी अच्छा लगने लगा। उसका फिगर 34-28-34 था। उसको देख कर मेरा लण्ड भी खड़ा हो जाता था। लेकिन मेरी नई-नई दुकान थी, तो मैंने अपने खड़े लण्ड को समझा-बुझा कर शान्त रखना ही ठीक समझ क्योंकि वहाँ लोग मुझे और मैं वहाँ के लोगों को ठीक से जानता नहीं था।

और आप तो जानते हैं कि इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते तो मैंने उसको सिर्फ बातों तक ही सीमित रखा। उसकी तारीफ करता और उसके साथ सिर्फ मुँह से ही मजाक करता उसको छुआ तक नहीं।

हाँ.. कभी-कभी पैसे लेते समय वो जानबूझ कर मेरे हाथ को स्पर्श कर देती, उसमें ही मेरे लण्ड महाराज ‘टनटना’ जाते। इस तरह 4 या 5 महीने बीत गए और एक दिन उसने मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर माँगा तो मैंने उससे पूछा- मेरा नम्बर क्यों चाहिए? तुमको जो भी काम है तुम मुझे दुकान में आकर भी बोल सकती हो और वैसे भी तुम रोज एक बार तो रिचार्ज करवाने आती ही हो।

तो वो बोली- मेरे गाँव में कुछ जरूरी काम है मैं गाँव जा रही हूँ और वापस आने का पता नहीं। यह मुझे भी अच्छा नहीं लगा, पर मैं उसको मना भी कैसे करता कि मत जाओ। मैंने उसको नम्बर दे दिया और उसके बाद वो चली गई। मैं उसके फ़ोन का इन्तजार करता रहा, पर उसका फ़ोन नहीं आया।

वैसे उसका नम्बर मेरे पास था, लेकिन मैंने उसको फ़ोन नहीं किया। इस तरह 5 या 6 महीने और बीत गए, उसका फ़ोन नहीं आया और मैंने भी उसका ख्याल मेरे दिमाग से लगभग पूरा निकाल ही दिया था। पर उसके जाने के बाद मेरे बाजू के दुकानदार से जो मेरा अच्छा दोस्त बन गया था, उससे मुमताज के बारे में जानकारी ली। वो उसी इलाके का रहने वाला था, तो उसको वहाँ रहने वाले हर नए-पुराने इंसान के बारे में जानकारी रहती थी।

उसने मुझे उसके बारे में जो रिपोर्ट दी तो मुझे भी ताज्जुब हुआ, उसने बताया कि वो वहाँ की कुछ औरतों से लेन-देन में घपला करके रातों-रात घर खाली करके चली गई है। तभी मेरे दिमाग की घंटी बजी कि वो यहाँ से चुपचाप घर खाली करके घपला करके दुनिया की नज़र में भले ही भाग गई, परन्तु मुझे तो वो बोली थी कि वो जा रही है। खैर… मुझे अच्छा लगा कि मुझे कुछ तो वो मानती थी, इसलिए बताया कि वो जा रही है। मेरे साथ तो बेचारी ने 10 रुपये का भी घपला नहीं किया।

तब मुझे लगा कि वो इस समय सब से छुप रही है और उसके बारे में किसी को पता न चले, इसलिए शायद मेरे से नम्बर लेकर गई पर कॉल नहीं किया। अब मुझे लगा कि आज नहीं तो कल, कभी न कभी वो मुझे कॉल जरूर करेगी और वैसे भी अपना नम्बर तो मैं बदलने वाला हूँ नहीं, तो उसका कॉल जरूर आएगा।

इस तरह मुझे वहाँ दुकान चलाते हुए एक साल हो गया। मेरे बड़े भाई जो बैंगलोर में रहते हैं, वो मैसूर आए और दुकान का पूरे एक साल का हिसाब चैक किया तो उन्होंने मुझे कहा- तुम जितना यहाँ एक साल में कमाते हो उससे 3 या 4 गुना ज्यादा बैंगलोर में कमा लोगे, तो फिर बैंगलोर में ही दुकान क्यों नहीं चालू कर लेते?

मुझे भी उनकी बात में दम लगा और मैंने भाई को बोल दिया- मैं बैंगलोर में ही दुकान खोलूँगा..! तो भाई ने मुझे यहाँ की दुकान बंद करवा के बैंगलोर में दुकान दिलवा दी और मैं बैंगलोर में शिफ्ट हो गया। बैंगलोर में दुकान एक महीने में ही अच्छी चलने लगी और कमाई भी अच्छी होने लगी।

एक दिन दोपहर को दो बजे होंगे कि मेरे मोबाइल पर एक नए नम्बर से मिस कॉल आई। मैंने उसे कोई जवाब नहीं दिया तो 5 मिनट बाद फिर से मिस काल आया, फिर 5 मिनट बाद, फिर 5 मिनट बाद, इस तरह 7 या 8 मिस कॉल आ गईं। फिर मैंने उस नम्बर पे कॉल किया तो एक लड़की की आवाज़ सुनाई दी।

मैं बोला- आप कौन बोल रही हो? तो जवाब आया- भूल गए क्या? इस तरह दो मिनट तक वो अपनी पहचान छुपाती रही और फिर बताया- मैं मुमताज बोल रही हूँ।

मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैंने उसको बोला- तुम कहाँ हो? तो मुझसे बोली- मैंने मैसूर छोड़ दिया है और मैं अब बैंगलोर में रह रही हूँ। उसने साथ ही यह भी कहा- कभी बैंगलोर आओ, तो मुझे इस नम्बर पर कॉल करना। मैंने कहा- ओके..

फिर हमने बहुत सारी बातें की, मैंने उससे पूछा- तेरी शादी हो गई?

तो वो बोली- शादी तो 3 साल पहले ही हो गई थी, पर मेरा खाविन्द शादी के ठीक 6 महीने बाद ही चल बसा और अब दूसरी शादी नहीं करनी है। जब हमारी इतनी बातें हुईं, तो वो मुझसे बोली- अब जो भी बात करनी है बैंगलोर में आकर मुझसे मिल कर करना और रविवार को ही आना क्योंकि मेरी छुट्टी रहती है, तो पूरा दिन बातें करेंगे।

मैं भी रविवार को दुकान बंद ही रखता था क्योंकि पूरा मार्किट बंद रहता था। फिर हमारी रोज बात होती थी, दिन में, रात में 2 बजे तक। शनिवार को दोपहर में उसका फ़ोन आया कि कल रविवार है और मिलने को बोली। मैंने कहा- ठीक है मैं कल मिलूँगा। और पूछा- तुम बैंगलोर में कहाँ रहती हो? तो बताया- हेब्बाल इलाके में रहती हूँ। मैंने कहा- कितने बजे मिलोगी? तो बोली- तुम जितना जल्दी हो सके, आकर मिलो और दस बजे तक तो आ ही जाना। मैंने कहा- ठीक है।

रविवार को सुबह 6 बजे ही उसका कॉल आ गया। मैंने कहा- क्या हुआ? तो बोली- अभी जल्दी उठो और बैंगलोर के लिए निकलो, नहीं तो 10 बजे तक बैंगलोर नहीं आ सकोगे। उसको नहीं पता था कि मैं बैंगलोर में ही हूँ, मैं बोला- ठीक है, मैं दस बजे आ जाऊँगा…! बोल कर फ़ोन रखा और फिर सो गया।

9 बजे उठ के तैयार हुआ और चाय-नाश्ता करके भाई की बाइक लेकर 9.30 घर से निकला और ठीक 10 बजे उसके घर के पास पहुँच कर उसको कॉल किया तो वो 5 मिनट में आ गई। मैं बोला- चलो कहाँ जायेंगे। तो बोली- कोई बगीचे में जाकर बैठ कर बात करेंगे। तो वहाँ पास में ही एक बहुत बड़ा पार्क था वहाँ गए।

वहाँ और भी बहुत प्रेमी जोड़े झाड़ियों में छुप कर बैठे हुए थे। हम लोग जाकर खुली जगह में बैठ गए और बातें करने लगे। उसने बताया कि कैसे उसके साथ मैसूर में परेशानी खड़ी हो गई, फिर वो 6 महीने गाँव में रही, फिर उसकी दो सहेलियाँ बैंगलोर में भाड़े के घर में रहती थीं, तो उसने उसके साथ बात करके बैंगलोर में रहने का तय किया और इधर काम भी मिल गया।

बात करते-करते उसकी नज़र झाड़ियों में छुपे एक जोड़े पर गई, जो एक-दूसरे के गुप्तांगों से खेल रहे थे। थोड़ी देर बाद तो लड़का लड़की की चूचियों को नंगा करके उसको चूस रहा था, जोर-जोर से दबा रहा था और एक हाथ उस लड़की के सलवार में डाल कर उसकी चूत सहला रहा था।

बीच-बीच में उसकी चूत में उँगली डाल कर हिला रहा था, तो लड़की के मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल जाती थीं। ये सब हम भी सुन रहे थे। मुमताज छुप-छुप कर देख रही थी और शरमा रही थी, साथ ही चोरी से मेरे लण्ड के उभार को भी देख रही थी। तभी मेरा ध्यान गया तो मेरा लण्ड जोश में हिलोरें मार रहा है और पैन्ट फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो रहा है। मैंने मुमताज को बोला- चलो यहाँ से..! तो वो मना करने लगी।

मैंने कहा- हम यहाँ से हट जाते है, इन लोगों को हमारी वजह से तकलीफ हो रही है, हम किसी और जगह में जाकर बैठेंगे। तो वो बोली- ठीक है। हम दूसरी जगह तलाश ही रहे थे कि एक झाड़ी में से एक जोड़ा निकला और लड़का हम लोगों को देख कर बोला- हम जा रहे हैं। आप इस झाड़ी में आकर बैठो, बाहर से कोई जल्दी देख भी नहीं पाएगा। मैंने ‘जी अच्छा’ बोल दिया और वहाँ ही खड़ा रहा।

जब तक वो लोग काफी दूर जा चुके थे, मैं आगे जाने लगा, तो मुमताज ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझसे बोली- कहाँ जा रहे हो? यहाँ ही बैठते हैं। मैंने कहा- नहीं… हम यहाँ बैठ कर क्या करेंगे..! हम वहाँ खुले में बैठते हैं। तो वो बोली- नहीं यहाँ ही बैठेंगे..! मुझे लगा कि वो उस जोड़े की हरकते देख कर थोड़ी गर्म हो गई थी। मैंने मना किया, पर वो मुझे खींचते हुए झाड़ी में ले गई। वहाँ अख़बार बिछाया हुआ था, मैं भी जाकर उस पर बैठ गया और बातें करने लगे। बात करते-करते वो मेरा हाथ पकड़ कर सहला रही थी और मेरा लण्ड भी पूरे जोश में आ गया था।

मैंने भी उसके हाथ को थोड़ा सा दबा दिया, तो वो मुस्कुरा कर मेरे से चिपक कर बैठ गई। हम दोनों की गर्म सांसें एक-दूसरे से टकराने लगीं और न जाने कब लबों से लब जुड़ गए। हम एक-दूसरे के होंठों का रस चूस रहे थे, बहुत आनन्द भी आ रहा था।

मैंने थोड़ा आगे बढ़ते हुए उसके चूचों को ऊपर से ही हल्का सा दबा दिया और वो मुझसे जोर से चिपक गई और मेरे चेहरे पर चुम्बन की झड़ी लगा दी। फिर मैंने भी उसको कस कर बाहों में ले लिया और उसका कभी ऊपर का तो कभी नीचे का होंठ चूसना शुरू कर दिया, साथ ही उसके मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा।

वो बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई और उसका हाथ मेरे सीने पर घूमने लगा और धीरे-धीरे नीचे मेरे लण्ड तक पहुँच गया। उसने पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लण्ड को दबाना शुरु कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उसका हाथ जैसे ही लण्ड पर पहुँचा, मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगा। मैं भी उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। वो और जोर-जोर से मेरे लण्ड पर शिकंजा कसने लगी।

अब मैं एक हाथ से उसके चूचों को मसल रहा था और एक हाथ से उसकी चूत सहला रहा था। फिर उसने मेरे पैन्ट में हाथ डाल कर मेरे लण्ड को जोर से पकड़ लिया और आगे-पीछे हिलाने लगी। उस वक़्त मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं आसमान में उड़ रहा होऊँ।

मैंने भी उसकी सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत में उंगली डाल दी और आगे-पीछे कर उंगली से चोदने लगा, तो उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलनी शुरु हो गईं। जब वो जोर-जोर से ‘अहहाहा आहाह्ह’ करने लगी तो मैं रुक गया। वो बोली- करो ना और जोर-जोर से करो न…! मैंने उसको समझाया- यह पार्क है और यहाँ ये सब करना अच्छा नहीं है। तो वो बोली- चलो मेरे घर पर चलेंगे।

हम बाइक से उसके घर गए तो घर पर उसकी दोनों सहेलियाँ थीं जो कहीं जाने को तैयार हो रही थीं। मुमताज ने मेरा उनसे परिचय करवाया और बोली- ये मेरे दोस्त हैं, मैसूर में रहते हैं, कुछ काम से यहाँ बैंगलोर में आए तो मिलने आए हैं।

उसकी सहेलियाँ भी बहुत सेक्सी थीं। उसमें से जो एक 21 की थी, वो बहुत खूबसूरत थी, मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी। मेरे मन में आया कि यह मिल जाए चोदने को, तो मज़ा आ जाए। उसका नाम रेशमा था और दूसरी जो करीब 32 की थी, उसका नाम सलमा था।

सलमा चाय बनाने रसोई में चली गई। हम लोग यहाँ-वहाँ की बातें कर रहे थे और इतने में सलमा चाय बना कर ले आई। उनके साथ बात करते समय पता चला कि सलमा भी उसके पति को तलाक दे चुकी है। उसके दो बच्चे हैं, जो उसकी माँ के साथ रहते हैं, रेशमा की शादी नहीं हुई थी।

चाय पीने के बाद रेशमा व सलमा ने आँखों-आँखों में कुछ इशारा किया और मेरे को बोली- आप मुमताज से बात करो, हम दो घंटे में वापस आयेंगे। और वो दोनों निकल गईं। जैसे ही वो दोनों गईं, मुमताज आकर मेरे से चिपक गई और मुझे चूमने लगी। मैंने उसको बोला- मुमताज, पहले दरवाजा तो बंद कर दो, नहीं तो कोई देख लेगा।

वो गई और जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और वापस आकर मेरी गोद में बैठ गई, मुझे चूमने लगी। मैंने भी उसका साथ दिया और माहौल गर्म होने लगा। मैंने उसके चूचों को जोर-जोर से मसलना शुरू कर दिया और उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। साथ ही मेरा एक हाथ ऊपर से ही उसकी चूत सहला रहा था, जो बहुत गीली हो गई थी। मैं उसके होंठों को भी खूब चूस रहा था। वो अपनी आँखें बंद करके वासना के आनन्द में डूब चुकी थी। कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000