मेरी चालू बीवी-71

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

सम्पादक – इमरान मैंने तुरंत अपनी गर्दन वहाँ मेज पर रखी महंगी व्हिस्की की ओर कर ली और अंकल से पूछा- अंकल, क्या दो घूंट पी लूँ, गला सूख रहा है?

अंकल- अरे हाँ बेटा, कैसी बात करते हो… और इसको भी थोड़ी सी पिला दो.. सारी घबराहट दूर हो जाएगी…

मैं मेज के पास जा वहाँ रखी कुर्सी पर बैठ गया और गिलास में व्हिस्की डाल अपना पेग बनाने लगा।

अंकल खुद ही पैंट लेकर सलोनी को पहनाने लगे और सलोनी भी अपने पैर उठा पैंट को पहनने लगी !

ना जाने इन बूढ़ों को सुन्दर लड़की को कपड़े पहनाने में क्या मजा आता था?

मुझे तो सच… केवल उतारने में ही आता था …

देखते हैं अंकल की पैंट सलोनी को फिट आती है या नहीं… या वो कैसे करके इसको फिट करेंगे…

महंगी शराब देख मेरे को थोड़ा सा लालच तो आ गया था… मगर यह लालच केवल शराब का नहीं था…

मेरे दिल में फिर एक इच्छा बलवती हो रही थी कि शायद सलोनी को यहाँ इस बड़ी उम्र के आदमी के साथ ही ज्यादा मस्ती मिलती हो… और वो शायद अब कुछ ज्यादा करने के मूड में हो !?

मैं एक ओर बैठा उसको देख रहा था और धीरे धीरे शराब का पेग भी सिप कर रहा था।

अंकल सलोनी के पैर के पास नीचे बैठ उसको अपनी पैंट पहना रहे थे, सलोनी ने अपना पैर उठा पैंट के पाहुंचे में डाला ..

कमीज उसके चूत रूपी खजाने को पूरी तरह ढके थे परन्तु पैर उठाने से लगा कि जैसे बदली से चाँद झांक रहा हो !

बहुत ही मनोरम दृश्य था…

नीचे पैंट पहनाते हुए भी अंकल का सर ऊपर की ओर ही था, वो शर्ट के उठते गिरते देख रहे थे…

जरूर सलोनी के चूत के होंठों को खुलते बंद होते देखना उनको भा रहा होगा !

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

इस उम्र में भी जवान खूबसूरत चूत और ऐसा रोमांटिक माहौल कहाँ हर किसी को नसीब होता है.. अंकल को अपने नसीब पर गर्व महसूस हो रहा होगा !

अंकल लगातार ऊपर देखते हुए पैंट को सलोनी के चिकने पैरों पर चढ़ाते हुए कमर तक ले गए.. सलोनी ने एक बार उनसे पैंट लेने की कोशिश की- ..लाइए अंकल, मैं पहन लेती हूँ !

अंकल- अरे रुक ना.. चल शर्ट पकड़..

उन्होंने कुछ ज़ोर से ही कहा.. सलोनी ने तुरंत शर्ट पकड़ कर ऊपर कर लिया।

अंकल बड़े प्यार से पैंट को उसके चूतड़ों पए चढ़ाने लगे।

पैंट की बेल्ट चौड़ी थी पर निचला भाग शायद छोटा था जिससे सलोनी के विशालकाय चूतड़ों पर चढ़ाने के लिए अंकल को थोड़ी मेहनत करनी पड़ी… इसके लिए उन्होंने अपने हाथों का सहारा लिया और उसके चूतड़ को अपने हाथ से दबा कर पैंट को ऊपर खींचा।

पैंट को ऊपर चढ़ाने के बाद उन्होंने पैंट के दोनों सिरे क्रॉस करके दोनों साइड में ले गए और उनको बेल्ट से कसने लगे।

परन्तु बेल्ट का अंतिम छेद पर कसने के बाद भी पैंट इतनी ढीली रही कि अंकल के पीछे हटते ही पैंट खुलकर सलोनी के पैरों पर गिर गई…

सलोनी बड़ी मासूमियत से अपनी शर्ट को पकड़े खड़ी थी.. उसके चेहरे पर नंगे खड़े होने वाली… शर्म जैसी तो कोई भावनाएँ नहीं थीं…

बल्कि कुछ मासूमी और हंसी वाले भाव दिखाई दे रहे थे.. जैसे अंकल की कोशिश फ़ेल हो जाने पर उनका मजाक सा उड़ा रही हो कि मैं तो पहले से जानती थी कि नहीं आएगी..

अंकल- ओह… यह तो वाकयी नहीं रुक रही तेरी कमर पर.. तू है भी बहुत पतली.. कुछ खाया पिया कर…

यह बोलते हुए अंकल ने उसकी कमर पकड़ ली और नापने का बहाना करते हुए उसके चिकने बदन का मजा लेने लगे।

सलोनी- चलिए छोड़िये न अंकल… मैं ऐसे ही चली जाऊँगी… सुनो… चलो न…

मैं उसकी आवाज सुनते ही उठ खड़ा हुआ, जल्दी से पेग निबटाया और बोला- अच्छा अंकल, थैंक यू.. चलते हैं.. आपकी शर्ट बाद में दे देंगे..

अंकल- अरे कोई बात नहीं बेटा… इसी को पहनने देना ..

और सलोनी के शर्ट के नीचे के भाग को खींचते हुए बोले- जरा इसका ध्यान रखना.. इसने कच्छी भी नहीं पहनी है.. कहीं नंगी न हो जाये..

मैंने नशे में बंद होती आँखों से देखा तो उनकी उंगलियाँ सलोनी की शर्ट के नीचे उसकी चूत के ऊपर थी।

अंकल- बेटा ध्यान रखना अपनी इतनी चिकनी सड़क का.. कहीं कोई एक्सिडेंट न कर दे..

मैंने सलोनी का हाथ पकड़ा और उसको कमरे से बाहर ले गया। बाहर आते हुए श्याम भी मिला पर मैं उससे मिले बिना ही सलोनी को ले पार्किंग में पहुँच गया।

बाहर की ठंडी हवा ने मेरी आँखों को थोड़ा सा खोला.. वहाँ मैंने लड़के को चाबी दी गाड़ी बाहर निकालने के लिए…

लड़का चाबी लेते हुए भी सलोनी की टांगों की ओर ही देख रहा था…

सलोनी अभी भी काफी नशे में लग रही थी.. वो मेरे कंधे पर झूल रही थी, उसके बार बार गिरने से शर्ट ऊँची हो जा रही थी।

लड़का पीछे देखता हुआ अंदर चला गया !

मैंने सलोनी को वहाँ रखे एक स्टूल पर बैठा दिया क्योंकि मुझे गाड़ी भी सम्भालनी थी।

तभी वहाँ दो लोग और आये वे होटल के बाहर जाते जाते रुक गए, वे सलोनी की ओर देख रहे थे।

मैंने पीछे घूमकर सलोनी को देखा, वो नशे के कारण स्टूल पर बैठे बैठे ही एक और को गिर गई थी और उसकी शर्ट उसके चूतड़ों से हटी हुई थी।

दोनों सलोनी के नंगे चूतड़ ही देख रहे थे…

मैंने दोनों को डांटा तो दोनों हंसते हुए बाहर गेट से निकल गए।

मैंने सलोनी को स्टूल पर सीधा किया, तभी वो लड़का बाहर आया और बोला- साहब, मुझसे आपकी गाड़ी का दरवाजा नहीं खुल रहा, आप खुद निकाल लीजिये, अब तो रास्ता साफ़ ही है।

अब मैं कुछ कर भी नहीं सकता था, वैसे भी मेरी गाड़ी का लॉक कुछ ख़राब हो गया था, वो आसानी से हर किसी से नहीं खुलता था।

मैंने उसके हाथ से चाबी ले ली- …चल इधर आ, मैडम को ऐसे ही कन्धों से पकड़े रहना.. गिरे नहीं..

लड़के की तो जैसे बांछें खिल गई, उसने सलोनी के दोनों कंधे अपने दोनों हाथ से पकड़ लिए और मैं जल्दी से गाड़ी लेने अंदर चला गया पर सोचा कि एक बार देखूँ साला क्या कर रहा है।

जरा सा बाहर आकर झांक कर देखा तो वो पीछे ही खड़ा था.. हाँ कुछ चिपका हुआ सा जरूर लगा.. हो सकता है साला अपना लण्ड सलोनी की पीठ से लगाकर मजा ले रहा हो…

मैं दिमाग न लगाकर जल्दी से गाड़ी के पास पंहुचा.. मेरी गाड़ी भी उसने बहुत अंदर ही खड़ी कर रखी थी !

ओह, मुझे भी दरवाजा खोलने में 5 मिनट लग गए.. होता ही है, जब जल्दी हो तो सही काम भी गलत हो जाता है.. किसी तरह मैं दरवाजा खोलकर गाड़ी ले बाहर आया।

मैंने देखा, सलोनी स्टूल के नीचे गिरी थी.. मैंने लड़के की ओर देखा तो वो सकपकाया- अरे साहब, खुद ही नीचे गिर गई.. इनको तो बिलकुल होश ही नहीं है।

मैं- चल जल्दी कर इसको उठाकर अंदर बैठा !

मैंने सलोनी वाली साइड का गेट खोल दिया।

बाहर की हवा से सलोनी का नशा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था शायद !

उस लड़के ने सलोनी को उठाया.. सलोनी के कदम लड़खड़ा रहे थे।

मैंने देखा कि मेरे देखते हुए भी उसने सलोनी को गाड़ी के अंदर करने और उसको बैठाने में उसके चूतड़ों को अच्छी तरह सहलाया था,

उसके हाथ सलोनी की शर्ट के अंदर ही थे।

मैंने उसको सौ का नोट भी दिया जैसे उसने मेरी बहुत मदद की हो और साला मना भी कर रहा था जैसे उसने पैसे वसूल कर लिए हों…

मैं गाड़ी लेकर आगे बढ़ गया, अब मेरी मंजिल घर ही था….

पर शायद किस्मत में अभी और भी बहुत कुछ देखना लिखा था… सामने पुलिस की पेट्रोल कार रुकी खड़ी थी… मैंने सोचा की निकाल लूंगा ….

सलोनी दरवाजे की ओर पैर किये मेरी गोद में सर रख लेटी थी …

मैंने उसकी शर्ट किसी तरह नीचे की पर फिर भी उधर खिड़की से देखने वाले को सलोनी के चूतड़ नंगे ही दिखते …

मैं जैसे ही गाड़ी के पास पहुँचा… ओह माय गॉड… वे बाहर ही खड़े थे !

दो पुलिस वालों ने हाथ देकर हमको रोक लिया।

मैंने बहुत कोशिश की फिर भी मुझे गाड़ी रोकनी ही पड़ी और उनमें से एक पुलिस वाला सलोनी की खिड़की की ओर ही आ रहा था। मैं सन्न रह गया… कि अब मैं क्या करूँ???? कहानी जारी रहेगी।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000