बदलते रिश्ते-11

रानी मधुबाला सुबह सुनीता ने आकर दोनों के ऊपर से कम्बल उठाया तो दोनों को नंगा लिपटे देखकर खिलखिलाकर हंस पड़ी तो उनकी नींद टूटी। अनीता की बात बन आई, वह बोली- क्यों दीदी, याद है तुमने क्या कहा था कि ‘खूंटे पे रखकर फाड़ दूँगी पर भाई को नहीं दूँगी।’ अनीता झेंप सी गई और बोली- चुप हरामजादी, तूने ही तो इसके लंड की तारीफों के पुल बाँध कर मुझे इससे चुदने को मजबूर कर दिया। ‘दीदी…’ सुनीता बोली- अब तो मैं अजय भैया से रोज रात को चुदवा सकती हूँ? सच बताओ तुम्हें भैया का लंड कैसा लगा। अनीता मुस्कुरा भर दी। अगले दिन सुनीता और अजय ने विदा ली और अपने घर की ओर चल पड़े। रास्ते भर दोनों लोग अपने अगले प्लान के बारे में सोचते रहे। अंत में उन्होंने तय किया कि वह किस प्रकार अपने बड़े भैया जो मंझली भाभी को चोदते हैं, को ब्लैकमेल करके पहले उनसे खुद चुदवायेगी और फिर वह मंझली भाभी को डरा-धमका कर अजय भैया से चुदवाने को मजबूर कर देगी। सुनीता और अजय दोनों अब पूरी योजना बना चुके थे कि उन्हें बड़े भैया रविशंकर को और मझली भाभी को अपने शिकंजे में कैसे फांसना है। सुनीता का मकसद था बड़े भैया के साथ मजे लेना और अजय का इरादा था अपनी मझली भाभी की फ़ुद्दी चोदना। अत: एक दिन मौका पाकर सुनीता बड़े भैया के कमरे में जा पहुँची और बोली- बड़े भैया, मेरे सीने में एक गाँठ उभर आई है, इसमें सुबह से हल्का सा दर्द हो रहा है। ऐसा कहते हुए सुनीता ने रवि का हाथ पकड़ अपनी दाहिनी चूची पर रख दिया। रवि के तन-बदन में एक झुरझुरी सी आ गई। सुनीता बोली- भैया अन्दर से पकड़ कर देखो, ऊपर से गाँठ दिखाई नहीं देगी। रवि को सकुचाते देख सुनीता ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी कुर्ती के अन्दर डाल दिया। अन्दर ब्रा न पहने होने के कारण सुनीता की समूची नंगी चूची रवि के हाथ में आ गई। रवि ने हिम्मत करके उसे धीरे-धीरे सहलाना शुरू कर दिया। सुनीता पर मदहोशी सी छाने लगी, बोली- भैया, आप ऐसे ही धीरे-धीरे सहलाते रहो, इससे दर्द कुछ कम सा होता जा रहा है। रवि भी अत्तेजित हो उठा था, उसने धीरे-धीरे अपना हाथ दोनों चूचियों पर फिराना शुरू कर दिया। सुनीता के सारे शरीर में करंट सा दौड़ गया, उसके मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगीं। रवि ने हाथ पेट से होते हुए नीचे नाभि तक सरकाना शुरू कर दिया। उसका लिंग तन कर खड़ा होने लगा था जो सुनीता की जाँघों से रगड़ खा रहा था। रवि ने कहा- सुन्नो, अपनी कुर्ती उतार दे, मैं अभी दरवाजा बंद करके आता हूँ। और जब रवि लौटा तो उसने सुनीता को अपनी बांहों में भर कर चूम और बोला- सुन्नो, तू सीधी होकर लेट जा, मैं इस गाँठ को अभी ठीक करता हूँ। तब रवि ने अर्ध-नग्न सुनीता की दोनों चूचियों को खुलकर सहलाना शुरू कर दिया और घुंडियों को मुँह में लेकर चूसना भी आरम्भ कर दिया था। सुनीता मस्ती में भर कर सिसकारियाँ भरने लगी थी। रवि ने अपना एक हाथ सुनीता की सलवार के अन्दर सरका कर उसकी जाँघों को सहलाना शुरू कर दिया था। सुनीता सिहर उठी और उसने रवि के सीने में अपना मुँह छुपा लिया, वह बोली- भैया, यह क्या कर रहे हो? ‘तुझे जी भर के प्यार कर रहा हूँ पगली, आज मैं तुझे इतना प्यार करूँगा, जितना तुझे कभी किसी ने नहीं किया होगा। बोल चाहती है कि मैं तुझे इसी तरह प्यार करूँ… या तुझे अच्छा नहीं लग रहा यह सब करना?’ ‘नहीं भैया, ऐसी बात नहीं है। मगर मुझे गुदगुदी सी हो रही है।’ ‘कहाँ हो रही है गुदगुदी सी, जरा मैं भी तो देखूं…’ ‘दोनों जाँघों के बीच में भैया… आह:… उंगली अन्दर न डालो भैया…’ ‘क्यों, क्या दर्द हो रहा है? अच्छा, एक काम कर…’ ‘क्या भैया?’ ‘अपनी सलवार भी उतार दे, आज तुझे पूरा मज़ा दे ही डालूँ…’ ‘नहीं भैया, मुझे डर लगता है। आप वैसे ही करोगे, जैसा मझली भाभी के संग करते हो..?’ ‘क्या करता हूँ मैं मझली भाभी की संग?’ ‘आप उन्हें नंगा करके उनकी पेशाब की जगह में अपना मोटा वो डालते हो।’ ‘तुझे किसने बताया….?’ ‘मैंने खुद अपनी आँखों से यह सब देखा है भैया… आपने पहले भाभी को नंगी किया फिर आप खुद भी नंगे हो गए, फिर आपने भाभी की पेशाब वाली जगह को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया… तभी आपने अपना मोटा सा डंडा भाभी की पेशाब वाली जगह में घुसेड़ दिया। अगर आप मेरी पेशाव वाली जगह में ऐसा करोगे तो मेरी फट जायेगी भैया…’ ‘चल तेरी नहीं फाडूंगा, पर उसे चाटने तो देगी।’ ‘हाँ भैया, चाट लेना।’ ‘तो जल्दी से उतार दे अपनी सलवार और बिल्कुल नंगी हो जा, मेरी अच्छी सुन्नो।’ ‘नहीं भैया, मुझे शर्म आती है।’ ‘क्यों शर्माती है… मैंने तुझे नहलाते वक्त कभी नंगी नहीं देखा क्या, तू छोटी सी थी तबसे तुझे नंगी देखा है मैंने… चल उतार दे सलवार … आज एक-एक परत उठाकर देखूँगा तेरी।’ ‘नहीं भैया, आप फाड़ डालोगे मेरी…’ ‘नहीं रे सुन्नो… तेरी कसम, जरा भी तकलीफ़ नहीं होने दूंगा तुझे…’ ‘भैया, आप ही नंगी कर दो मुझे… मुझे शर्म आती है।’ ‘अच्छा, नहीं मानती तो चल मैं ही तुझे नंगी किये देता हूँ, चल चूतड़ उठा।’ रवि ने अपने हाथों से उसकी सलवार उतार फेंकी और उसकी दोनों जाँघों को फैला कर उसकी चिकनी दूधिया योनि पर हाथ फेरता हुआ बुदबुदाया- मेरी सुन्नो, मुझे क्या पता था तेरी इतनी चिकनी और सुन्दर है रे… चल पूरी ताक़त के साथ अपनी जाँघों को चौड़ा करके फैला दे। आज मैं जी भर के चखूँगा तेरी योनि का रस।’ और फिर उसने पूरे जोशो-खरोश के साथ सुनीता की योनि चाटना शुरू कर दी। सुनीता अपने दोनों कूल्हे हिला-हिला कर किलकारियाँ भरने लगी। ‘आह: बड़ा मज़ा आ रहा है भैया, और जोर से चाटो इसे… उईईईई… मार डाला भैया आपने तो..’ ‘सुन्नो, मेरी रानी बहना… अभी तो मैंने डाला ही नहीं है तेरे अन्दर, तू पहले से ही इतना शोर क्यों मचा रही है?’ ‘…तो अब डाल दो भैया, मेरे अन्दर कर दो …अब तो बिल्कुल ही सहन नहीं हो रहा।’ रवि ने उचित मौका जान कर अपना मोटा लिंग उसके हाथ में थमा दिया और बोला- देख सुन्नो, इतना मोटा झेल जाएगी? …बोल डालूँ अन्दर? सुनीता ने आँखें बंद कर रखीं थीं, लिंग को हाथ में लेकर उसे सहलाते हुए उसने सिर हिलाकर स्वीकृति दे दी। रवि ने अपने लिंग का अग्र भाग उसकी योनि के मुख पर टिका कर एक जोर का झटका मारा कि समूचा मोटा लिंग फनफनाता हुआ उसकी योनि के अन्दर समां गया और फिर उसने जोरों की धकापेल शुरू कर दी। मारे आनन्द के चिंहुक उठी सुनीता, उसके मुँह से निकल पड़ा- वाह भैया, आज तो मज़ा आ गया। फाड़ डालो मेरी …इतनी फाड़ो कि इसके चिथड़े उड़ जाएँ… उसने रवि के चूतड़ों पर अपनी टांगें जकड़ रखीं थीं और चूतड़ उछाल-उछाल कर उसका साथ दे रही थी। रवि भी अपना मोटा इंजन गुफा के अन्दर तेजी से दौड़ाए जा रहा था। लगभग आधे घंटे तक लिंग-योनि की लड़ाई में दोनों को काफी मज़ा आ गया। इसके बाद रवि के लिंग से वीर्य की एक तेज धार फ़ूट निकली जिससे सुनीता की योनि भर गई। फिर दोनों एक-दूसरे से लिपट कर निढाल होकर पड़ गए। सुबह आठ बजे तक दोनों उसी प्रकार एक-दूजे की बांहों में लिपटे पड़े रहे। किसी बात की परवाह तो थी नहीं दोनों को। मंझले भाई को दो दिन के बाद आना था, वह अपनी पत्नी के साथ ससुराल गया था, छोटा भाई अजय भी परीक्षा देने के लिए बाहर गया हुआ था। आठ बजे दोनों की आँखे खुलीं, सुनीता चौंक कर उठी और उसने झट अपने कपड़े पहने। रवि अभी भी सो रहा था, वह एक-टक उसे यों ही निहारती रही, ऊपर से नीचे तक रवि भैया का नंगा बदन देख कर उसकी योनि में एक बार को फिर से खुजली होने लगी। उसने हौले से उसके लिंग पर हाथ फिराया और हाथ में लेकर सहलाने लगी। इसी बीच रवि की आँखें खुल गईं, उसने मुस्कुराते हुए सुनीता से कहा- क्यों सुन्नो, फिर से डलवाने की इच्छा हो रही है क्या? ‘आपकी मर्ज़ी है बड़े भैया, आपकी भी इच्छा है तो मुझे कोई इन्कार नहीं है।’ सुनीता की इस बात पर रवि ने उसे खींच कर अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसके ओठों से अपने होंट सटा दिए। दोनों के हाथ एक बार फिर से एक दूसरे के अंगों से खेलने लगे, रवि ने सुनीता की चूचियों को रगड़ना शुरू कर दिया। सुनीता भी उसके मोटे लिंग से खुलकर खेल रही थी। ‘एक बात बताओ बड़े भैया, क्या भाभी को आपका यह मोटा-ताज़ा हथियार पसंद नहीं था?’ सुनीता ने रवि के लिंग पर प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा। रवि बोला- उसका यार जो बैठा है उसके मायके में। उसे छोड़ कर साली आना ही नहीं चाहती तो कोई क्या करे। ‘भैया, चलो अब तो दो-दो हैं, आपकी प्यास बुझाने वाली आपके पास।’ ‘दो कौन हैं?’ ‘क्यों? एक मैं और एक मंझली भाभी।’ ‘भैया, एक बात बताऊँ आपको, अजय भैया ने भी आपका और भाभी का खेल देख लिया है। जब मैं छुपकर आपको भाभी के साथ वो सब करते हुए देख रही थी तो अजय भैया भी आ गए और उन्होंने भी आपको भाभी की लेते हुए देख लिया था।’ ‘तो अब क्या करना चाहिए? तू ही बता।’ ‘आप मंझली भाभी को समझा देना कि वह अजय भैया से भी करवा लें, नहीं तो वह आप दोनों की पोल खोल देंगे।’ ‘तू ही कुछ कर, उसे समझा-बुझा कर चुप करा दे।’ ‘भैया, मैं क्या कर सकती हूँ। उस दिन जब मैं आपको मंझली भाभी की लेते हुए देख रही थी तो वह भी आकर देखने लगे। वह इतने उत्तेजित हो गए कि उन्होंने मुझ पर ही हाथ फेरना शुरू कर दिया। एक बार तो मैं उनसे बचकर चली आई पर आखिर मैं कब तक बचती। उन्होंने मुझे हथियार डालने पर मजबूर कर दिया। और एक दिन मैं एक सेक्सी-मैगजीन पढ़ रही थी कि उन्होंने देख लिया। मैंने उनसे पूछ लिया कि भैया, ये मास्टरबेशन क्या होता है तो उन्होंने मेरी सलवार खोल कर मुझे नंगी कर दिया और मेरी योनि में उंगली घुसेड़ कर बोले- इसे कहते हैं मास्टरबेशन’ इतने पर ही उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा और मेरे साथ वो सब कर डाला जो आज रात को आपने मेरे साथ किया।’ ‘बड़ा हरामी निकला बहनचोद, अपनी छोटी बहन को ही चोद डाला साले ने !’ ‘भैया, आपने भी तो अपनी सगी छोटी बहन को ही चोदा है। आप उन पर क्यों नाराज हो रहे हैं?’ सुनीता की बात पर रवि बुरी तरह से झेंप गया, वह बोला- चल जो हो गया सो हो गया, अब आगे की सोच… अब क्या किया जाये?’ ‘भैया, मेरी बात मानो तो मंझली भाभी को अजय भैया से चुदवा ही डालो। आप क्यों चिंता करते हो, मैं हूँ तो आपके पास, आपकी हर इच्छा पूरी करने के लिए। आप मेरी जिस तरह से चाहें लीजिये, मुझे कोई एतराज नहीं है। पर भैया, मंझली भाभी को अजय भैया से चुदने लिए राज़ी कर लीजिये।’ ‘ठीक है, मैं कल उससे बात करूँगा। अब आ, एक बार तेरी फ़ुद्दी और ले लूँ… उतार अपने कपड़े और आ बैठ मेरे मोटे से लिंग पर।’ सुनीता ने झटपट अपने सारे कपड़े उतार फेंके और कतई नंगी होकर अपने बड़े भैया के वक्ष से आ लिपटी।