अंगूर का मजा किशमिश में-8

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सारिका कंवल उसने कहा- आज रात मैं तुम्हें खुले में चोदना चाहता हूँ ! मैंने तुरंत कहा- यह नहीं हो सकता, यह गाँव है किसी ने देख लिया तो तुम्हें और मुझे जान से मार डालेंगे ! तब उसने कहा- गोदाम के पीछे तो जंगल सा है और अँधेरा है और इतनी रात को उधर कौन आएगा ! मैंने कहा- बिल्कुल नहीं.. उधर मुझे डर लगता है, कहीं कोई सांप-बिच्छू ने काट लिया तो? तब उसने कहा- जीने का असली मजा तो डर में ही है। और वो जिद करने लगा, रात काफी हो चुकी थी, करीब 12 बज चुके थे तो मैंने भी हार कर ‘हाँ’ कह दी। हम दोनों अभी भी नंगे थे, उसने पहले निकल कर देखा कि कहीं कोई है तो नहीं, फिर मुझसे कहा- चलो ! मैंने अपने कपड़े साथ लेने की सोची, पर उसने मुझे नंगी ही चलने को कहा। हम गोदाम के पीछे चले गए, उधर बहुत अँधेरा था और झाड़ियाँ भी थीं, 2-3 पेड़ भी थे। पर अच्छी बात यह थी कि ज़मीन पर घास थी। हलकी रोशनी में उसने मुझे एक पेड़ के नीचे खड़ा कर दिया और मुझे लिपट कर मेरे बदन से खेलने लगा, मेरे स्तनों को जोर-जोर से मसलने लगा और मेरे होंठों को चूसने लगा। मैं दर्द से कराह रही थी। फिर मेरे स्तनों को मुँह लगा कर चूसने लगा, उसने कहा- इसमें दूध नहीं आता क्या? मैंने कहा- आता था, पर कुछ महीनों से बंद हो गया है, क्या तुम मेरा दूध पियोगे अब ! उसने बच्चों की तरह चूसते हुए कहा- हाँ.. अगर निकलता तो जरुर पीता.. एक औरत के दूध में जो मजा है, वो और कहीं नहीं ! तब उसने बताया- सुधा का दूध अभी भी आता है। उसका आना बंद हो गया था, पर एक बार उसका बच्चा ठहर गया, तब से दुबारा आना शुरु हो गया। मैंने उससे पूछा- क्या वो बच्चा तुम्हारा था? तो उसने कहा- पता नहीं.. क्योंकि उस महीने उसने 4 लोगों के साथ बिना कॉन्डोम के चुदवाया था और एक रात मुझसे और मेरे एक दोस्त के साथ भी बिना कॉन्डोम के चुदी थी, हम दोनों ही उसकी बुर के अन्दर झड़ गए थे ! मैंने तब पूछा- तुम दोनों एक साथ उसको चोद रहे थे? तब उसने कहा- नहीं.. बारी-बारी से चोदा, एक साथ उसे अच्छा नहीं लगता, पर उस दिन उसकी हालत खराब हो गई थी। मैंने 3 बार और मेरे दोस्त ने 4 बार चोदा था उसको ! मैं ये सब सुनकर हैरान हो गई कि लोग ऐसा भी करते हैं। तभी उसने कहा- क्या तुम एक या दो से अधिक मर्दों के साथ चुदवाना पसंद करोगी? मैंने तुरंत कहा- नहीं ! तब उसने कहा- बहुत मजा आता है ऐसे और खासकर तब.. जब उतनी ही औरतें भी साथ हों ! कभी इसको तो कभी उसको चोदो पूरी रात.. धकापेल ! मैंने साफ़ मना कर दिया पर उसने कहा- कल हम तीनों साथ में चुदाई करेंगे ! तब मैंने कह दिया- ठीक है ! इसी तरह बातें करते और एक-दूसरे के जिस्मों से खेलते हम काफी गर्म हो चुके थे, उसका लिंग कड़क हो गया था, उसने मुझे पेड़ की तरफ मुँह करके झुक कर पेड़ को पकड़ने को कहा। फिर मेरी टाँगों को फैला कर मेरे पीछे आ गया। उसका लिंग मेरी योनि से रगड़ खा रहा था। उसने मुझे पकड़ लिया और कहा- चलो पेशाब करो। मैंने सोचा ‘अब यह क्या कर रहा है !’ फिर भी मैं कोशिश करने लगी पेशाब करने की। कुछ जोर लगाने पर निकल गया, जो उसके लंड पर गिरने लगा। तब उसने कहा- आ..हह.. कितना गर्म है.. बहुत सुकून मिल रहा है ! तभी उसने अपना लिंग मेरी योनि में घुसा दिया, तो मेरा पेशाब रुक गया। उसने कहा- रुको मत.. तुम अपना पेशाब निकालती रहो.. मैं इसी तरह चोदूँगा ! पर इस तरह तो मुश्किल लग रहा था। फिर भी मैं जोर डालती तो थोड़ा-थोड़ा कर के निकलता, जो मेरी जाँघों और उसके लंड और अंडकोष से बहता हुआ नीचे जाने लगा। तब मुझे समझ आया कि इस तरह की गन्दी-गन्दी चीजें करना उसे पसंद है। कुछ देर बाद उसने मुझे जमीन पर लिटा कर चोदा। फिर हम झड़ गए और वापस गोदाम में चले गए। रात काफी हो चुकी थी और मैं थक गई थी क्योंकि आज मैंने खड़े-खड़े चुदवाया था, सो मुझे नींद आ रही थी। मैंने कपड़े पहने और वापस अपने कमरे में चुपके से आकर सो गई। थकान के कारण नींद इतनी अच्छी आई कि सुबह नींद खुलने पर दुनिया का एहसास हुआ। अगले दिन भी वैसे ही भाभी के साथ काम में हाथ बंटाती रही, फिर रात को सबके सोने के बाद मैं फिर छत पर गई। मैंने देखा मेरी सहेली उसकी गोद में बैठ कर बातें कर रही थी। मैंने कहा- तुम दोनों को डर नहीं लगता ऐसे खुले में इस तरह बैठे हो.. किसी ने देख लिया तो क्या होगा? तब सुधा ने कहा- तुम बहुत डरती हो ! यहाँ कौन है जो देखेगा? और वैसे भी गांव में सब जल्दी सो जाते हैं ! फिर मैंने कहा- अब जल्दी चलो गोदाम में यहाँ कोई देख लेगा ! वो लोग मुस्कुराते हुए चलने लगे। हमने अन्दर जा कर दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजा बंद करते ही विजय ने मुझे पकड़ लिया और चूमना शुरू कर दिया। उसने मेरे चूतड़ों को जोर से मसलते हुए कहा- क्या मस्त बड़े-बड़े चूतड़ हैं तुम्हारे ! मैं शरमा गई। विजय ने मुझे पकड़ रखा था और हम दोनों खड़े-खड़े ही एक-दूसरे को चूमने और चूसने का काम कर रहे थे। सुधा हम दोनों को देख मुस्कुरा रही थी, तभी वो पास आई और कहा- मुझे भी तो गर्म करो ! अब विजय ने मुझे छोड़ सुधा को पकड़ा और उसको चूमने लगा। मेरी सहेली भी उसका साथ देने लगी वो उसके जुबान को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे सामने कोई ब्लू-फिल्म चल रही हो। फिर उसने मुझे भी अपनी ओर खींच लिया और कभी मुझे तो कभी मेरी सहेली को चूमता चूसता। ये सब मुझे बहुत रोमाँचित कर रहा था क्योंकि यह सच में मेरे साथ हो रहा था, इससे पहले मैंने सिर्फ फिल्मों में ही ऐसा देखा था। धीरे-धीरे हमने उसके कपड़े उतार कर उसको नंगी कर दिया और उसने हम दोनों को। फिर हम तीनों बोरियों से बने बिस्तर पर चले गए। उसने मुझे बिस्तर पर लेटने को कहा और मैं लेट गई, उसने मेरी टाँगें फैला दी और झुक कर मेरी योनि चाटने लगा। तभी सुधा नीचे झुक कर उसके लिंग को हाथ से हिलाने लगी फिर चाटने लगी। विजय अपनी कमर हिला कर उसके मुँह में अपने लिंग को अन्दर-बाहर कर रहा था जैसे कि वो चोदने के समय करता था। मेरी योनि तो अब पानी-पानी होने लगी थी, मैं बुरी तरह से गर्म हो चुकी थी, अब मैं चाहती थी कि वो मुझे चोदे। विजय ने मुझे छोड़ दिया और मेरी सहेली को मेरे बगल में लिटा कर उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया। वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी और उसके आँखों में वासना झलक रही थी। उसने तभी मेरी योनि को छुआ, मैं सहम गई और उसका हाथ हटाते हुए कहा- क्या कर रही हो? उसने मुस्कुराते हुए कहा- देख रही हूँ कि दो रातों में तेरी बुर की गहराई कितनी हो गई है ! और फिर उसने दो उंगलियाँ अन्दर डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगी, मुझे उसके उंगलियों से भी मजा आ रहा था। फिर विजय ने मुझसे कहा- मेरा लंड चूसो ! सो मैंने चूसना शुरू कर दिया। काफी देर हम उसके अंगों से खेलते रहे और वो हमारे अंगों से खिलवाड़ करता रहा। फिर उसने चोदने का मन बना लिया, उसने मुझे खड़े होने को कहा और खुद भी खड़ा हो गया, सुधा ने मेरी योनि पर थूक लगा दिया। मुझसे विजय ने कहा- तुम मेरे लौड़े पर अपना थूक लगाओ ! मैंने लगा दिया। सुधा ने नीचे बैठ कर मेरी एक टांग उठा दी। फिर विजय मेरे पास आकर मुझे पकड़ लिया और मैंने उसको। अब सुधा उसका लिंग हाथ से पकड़ कर मेरी योनि पर रगड़ने लगी और फिर उसके लिंग को योनि के छेद पर टिका कर कहा- जोर लगाओ ! हल्के से धक्के में ही उसका लिंग ‘चप’ करता हुआ, मेरी योनि में घुस गया और मेरी बच्चेदानी से टकरा गया। मैं सिसकार उठी। कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]

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