मेरी बुर का छोला बना डाला

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मेरा नाम अनुभव सिंह चौहान है और मैं वाराणसी का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 25 वर्ष है और मैं एक शादी-शुदा लड़का हूँ. मेरा एक बच्चा भी है. मेरी पत्नी मुझसे बहुत ही खुश रहती है.

मैं आप लोगों को एक आप-बीती सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ. इस कहानी में लड़की का नाम बदला हुआ है.

मिरजापुर जिले के एक गाँव की अनिता जो मेरे दूर के रिश्ते में मुझे भैया कहा करती है, उसके पापा एक राजनीतिज्ञ हैं और जाने-माने नेता हैं. वह लड़की मेरे मामा के गाँव के नाते मेरे मामा की लड़की समान थी.

वह बहुत गोरी है और उसकी लम्बाई करीब 5 फुठ 6 इंच थी और उसके होंठ मानो गुलाब के फूल हों!

बहुत प्यारी लड़की थी कसम से! जो कोई देखता होगा, जरूर एक बार उसके लण्ड से पानी टपक पड़ता होगा.

उसके मम्मे 30-32 के थे और उसकी उम्र करीब 18-20 के आस-पास होगी.

वो बी.ए. प्रथम वर्ष में पढ़ रही थी, लेकिन सेक्स की जानकारी शून्य थी. किसी से कुछ बोलती ही न थी, हँसी-मजाक करना तो मानो जानती ही न हो..!

जून का महीना था और मैं उसके गाँव गया हुआ था, जो कि मेरे मामा का गाँव और उसका गाँव एक ही था.

मामा के यहाँ शादी का प्रोग्राम चल रहा था और मैं निमंत्रण में गया हुआ था.

मैं तो उसे देख-देख कर हैरान हो रहा था कि हे भगवान एक बार यह चिड़िया मिल जाए तो मैं इसको जी भर कर चोद दूँ. वो मुझको बार-बार देखती और मुड़ कर चली जाती. मेरा लण्ड तरस कर रह जाता. फिर कुछ समय के बाद छत पर गया तो वह वहाँ अकेली बैठी थी और मुझे देख कर हैरान होने लगी और कहने लगी- आप यहाँ..! क्या काम है? तो मैंने कहा- प्यास लगी है… पानी मिलेगा? उसने कहा- जी हाँ.. बैठिए..!

और मैं ऊपर वाले कमरे में जाकर लेट गया. फिर कुछ देर में पानी लेकर वो आ गई. वो पानी देते समय मुस्कुराने लगी और बगल में कुर्सी पर बैठ गई. मैंने पूछा- अनिता तुम्हारी शादी कब होगी? तो मुस्कुराने लगी और कहने लगी- शादी क्यों करते हैं? मैंने कहा- सुख से जिन्दगी बिताने के लिए! ‘तो क्या ऐसे सुख नहीं मिलता?’ तो मैंने कहा- नहीं..! ‘फिर शादी में ऐसा कौन सा सुख है?’

फिर वो मेरे पास आकर बैठ गई और मुझसे कहने लगी- आप की तो शादी हो गई है, आप सुखी रहते हैं? तो मैंने कहा- हाँ..! अनिता ने कहा- वो कैसे? मैंने कहा- मेरी बीवी खाना बना कर देती है और चाय बनाती है. फिर हम लोग ढेर सारी बातें करते हैं, रात को सोते समय खूब शरारत करते हैं, प्यार करते हैं. अनिता बोली- क्यों? तो मैंने कहा- मजे लेने के लिए! तो वो बोली- कैसी शरारत करते हो?

यह सुनकर तो मेरा लण्ड अकड़ने लगा. फिर उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया. बोली- ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा- शरारत..! ‘लेकिन आपने तो कहा था कि प्यार करते हैं..!’ तो मैं बोला- हाँ रानी, वो भी बता रहा हूँ..!

फिर मैंने उसको अपनी गोद में बैठा लिया और उसके होंठों का चुम्बन कर लिया. ‘ऐसे ही प्यार करते हो?’ फिर मैं चुप रहा और उसे सीने से चिपका लिया, धीरे-धीरे हाथ उसके मम्मों पर ले गया और सहलाने लगा. उसकी आँखों में नशा छाने लगा.

दोस्तो, इस समय मेरा लण्ड 8 इन्च लंबा और 2 मोटा हो चुका था. उसको एहसास होने लगा कि नीचे से कुछ हिल रहा है. वो उठ कर खड़ी हो गई और उसने मेरे लण्ड को पकड़ लिया. ‘यह क्या है?’ तो मैंने कहा- लण्ड है! बोली- इससे क्या होता है? मैंने कहा- पास में आओ फिर बताता हूँ..!

फिर मैंने उसको मजबूती से पकड़ लिया और उसकी सलवार को खोल दिया. वो बोली- ऐ.. क्या करने जा रहे हो? तो मैं बोला- चुदाई..! बोली- नंगी क्यों कर रहे हो? तो मैं बोला- रूको अभी बताता हूँ..!

उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी बुर पर हाथ फेरा तो बहुत गीला लगा फिर वो बोली- मैं मम्मी को बता दूँगी.. नंगी मत करो..! मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया. अपना हथियार उसके छेद पर लगाया और एक जोर का झटका मारा, मेरा आधा लण्ड अन्दर चला गया..! आप यह कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं.

वो जोर से चीख पड़ी और खड़ी हो गई. मेरा लण्ड ‘गप’ की आवाज से बाहर निकल आया. वो जोर-जोर से रोने लगी, मैं चुप कराता रहा लेकिन वो मुझे गाली देते हुए बाहर चली गई. मुझे डर लगा कि अगर मामी को बताएगी तो मेरा क्या हाल होगा..! साली रोते-रोते नीचे चली गई. फिर कुछ देर के बाद उसकी छोटी बहन आई, पूछने लगी- क्या हुआ.. दीदी क्यों रो रही है?’ तो मैंने कहा- कुछ नहीं अनिता कुर्सी से गिर गई थी सो चोट लग गई होगी. फिर उसकी बहन ने उससे जाकर पूछी- दीदी ज्यादा चोट तो नहीं आई? वो बोली- नहीं.. बस हल्का दर्द हो रहा है. मैं तो चिंता में पड़ गया, कहीं कुछ और ना हो जाए.

फिर मैं डाक्टर के पास गया और दर्द की दवा लेकर अनिता की छोटी बहन को दे दी और उससे कहा- दवा ले जा कर अनिता को दे दो. उसे चोट लगी होगी, दर्द ज्यादा होगा..! और वह दवा देने चली गई.

फिर मामा ने कहा- बेटा, देखो मेहमानों का ख्याल रखना, मैं थोड़ा जरूरी काम करने जा रहा हूँ. मामा चले गए. शादी मामा की बहन यानि मेरी मौसी की थी. फिर बारात आ गई और सभी लोग काम-काज में जुट गए. फिर मेरे दिमाग में आया कि छत पर चलें, थोड़ा आराम किया जाए और चल दिया. जैसे ही ऊपर वाले कमरे का दरवाजा खोला देखा कि अनिता वहाँ सो रही है. फिर मैंने दरवाजा बंद किया और पास में जाकर बैठ गया.

इतने में अनिता जग गई और रो-रो कर कहने लगी- प्लीज भईया अब कुछ मत करो..!’ मैंने कहा- नहीं अनिता.. अब मैं कुछ नहीं करूँगा.. तुम लेट जाओ.! फिर मैंने पूछा- दर्द ज्यादा था क्या?

फिर वो चुप रही, फिर अपना हाथ अनिता के सर पे रखा और दबाने लगा तो उसको आराम मिलने लगा. फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मे पर रख दिया और कहने लगी- भैया यहाँ ना जाने क्यों दर्द हो रहा है..!’ तो मैंने कहा- अब ठीक हो जाएगा..!

मैं धीरे-धीरे दोनों चूचियों को सहलाने लगा. मैंने देखा कि अनिता की आँखें बंद होने लगी. फिर वो अपना हाथ अपने दोनों जांघों के बीच में डाल कर बुर को सहला रही थी.

मैंने अपनी हिम्मत बढ़ाई और अनिता के पेट पर अपना हाथ बढ़ा दिया और धीरे-धीरे पेट को सहलाते हुए दोनों जांघों के बीच ले गया. तो मैंने देखा की उसकी बुर से पानी आ रहा था. अब मैं एक हाथ से उसकी बुर को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूची दबा रहा था. फिर वो बोली- भैया.. जरा जोर से दबाओ न! मेरी हिम्मत और भी बढ़ने लगी. फिर वो बोली- भैया आओ तुम भी लेट जाओ..!

इसी का तो हमें इन्तजार था. फिर मैंने दरवाजा लॉक किया और उसके बगल में लेट गया. फिर वो बोली- भैया चुम्बन नहीं करोगे? मैंने कहा- जैसा तुम कहो..! वो बोली- सिर्फ चुम्बन और कुछ मत करना..! ‘ओके बाबा..!’

फिर उसके होंठों को धीरे-धीरे चूसने लगा उसके मुँह से मादक सीत्कार- ममम्म हहहअअआा बहुत अच्छा लग रहा है भैया..!’

धीरे-धीरे अपने हाथ को उसके चूचियों पर ले गया. इस बार उसने एतराज नहीं किया. फिर मैं मस्ती से सहलाने लगा, उसके मुँह से ‘उउउउ मममम मममह हहहहहह अअअअआाहहह’ निकलने लगा और वो भी मस्त हो चली. फिर बोली- भैया कपड़े निकाल दो… गर्मी लग रही है..! मैंने कहा- ठीक है..!

उसके सलवार-सूट को खेल दिया और मैंने भी अपनी पैंट-शर्ट उतार दी. अब मैं सिर्फ चड्डी में और वो ब्रा-पेंटी में थी. मैं मन ही मन सोच रहा था कि साली की बुर भी क्या मस्त चीज है..! जो अभी तक इसको किसी ने नहीं चोदा..! मैं उसकी गुलाबी बुर सहला रहा था और वो मुँह से ‘अअअह हमममउउ’ कर रही थी..! फिर मैंने कहा- अनिता ब्रा-पेंटी भी निकाल दूँ गर्मी बहुत ज्यादा लग रही है..! बोली- ठीक है..!

फिर मैंने उसकी ब्रा को निकाल दिया. अय..हय… क्या लाजवाब कबूतर थे..!

ब्रा का हुक खेालते ही सामने कूद कर आ गए. फिर मैं उसकी एक चूची को सहला रहा था दूसरी को चूस रहा था. अनिता के मुँह से लगातार ‘आहें’ निकल रही थीं. फिर मैंने उसकी पेंटी को भी उतार दिया. क्या कयामत थी साली की बुर…! गुलाबी कलर की चूत लाल हो गई थी..! मानो रो रही हो, आंसू टपक रहे हों..! फिर वो बोली- भईया अपनी भी चड्डी उतारो..! तो मैंने कहा- ठीक है रानी.. ये लो..!

मेरा लण्ड जो कि फूल कर इस समय 7.2′ का हो गया था. उसको देखते ही वो घबरा गई- अअअअरे..रेरेर बापरे यही घुसा था ना..! अब इसको मत डालना..!’

फिर मैं उसकी बुर चाटने लगा. वो चूत चटवाने से कलप गई और उसकी चूत ने रस छोड़ दिया. फिर वो मेरे लण्ड को लेकर सहलाने लगी, बोली- कितना गरम है..! मैंने कहा- अनिता मुँह में ले लो..! वो बोली- नहीं.. गंदा है. फिर मैंने कहा- तुम्हारी बुर गंदी नहीं है? मस्ती में सब चलता है..!

फिर वो थोड़ा सा सुपारा होंठों से चूसने लगी थी. फिर जोर-जोर से मैं उसकी बुर चाटने लगा. देखते ही देखते वो भी मेरा आधा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी. हम दोनों 69 की अवस्था में हो गए. अब वो सीत्कार करने लगी और अपना सारा पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया.

अपना नमकीन रस निकालने के बाद वो हाँफने लगी और बोली- भईया बहुत मजा आया..!

फिर अपने दोनों हाँथों से उसके सर को पकड़ कर लण्ड मुँह में दे दिया. मैं भी बहुत उत्तेजित हो चुका था, सो मैंने भी अपना सारा पानी उसकी मुँह में डाल दिया. फिर मैं उसकी बुर को चाटने लगा. कुछ देर तक तो वो मना कर रही थी फिर ‘आहअअअहहइहहहममम’ करने लगी. फिर मैं हट गया, मेरे लण्ड को भी उसने चाट कर खड़ा कर दिया जो कि इस समय 9′ के करीब हो गया था. चूचियों को चूसने-दबाने लगा.

फिर अनिता बोली- भईया अब डालोगे, तो फिर दर्द होगा..! मैंने कहा- नहीं रानी तुमने कभी चुदाया नहीं, इसलिए ऐसा कह रही हो..! बोली- नहीं कोई बात नहीं..! ‘थोड़ा सा दर्द होगा बस, अगर ज्यादा दर्द हो तो मना कर देना.. मैं नहीं करूँगा..!’ वो बोली- ठीक है.

फिर मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा, फिर गर्दन को मजबूती से जकड़ लिया एक हाथ से लण्ड का सुपारा बुर के मुहाने पर रखकर थोड़ा जोर लगाया, करीब दो इंच लण्ड अन्दर चला गया था.

‘अररररईईममा.. भईया दर्द हो रहा है.. निकालो..!’ मैंने नहीं निकाला और उतने ही लौड़े को आराम से आगे-पीछे करने लगा. मैंने देखा कि अनिता को भी दर्द की जगह मजा आने लगा. ‘ससीहहमममम..!’

अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. मैंने मजबूती से पकड़ा और लण्ड थोड़ा बाहर निकाला, आगे-पीछे करता रहा, फिर गर्दन को बाजू में जकड़ कर और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ताकि उसकी आवाज बाहर तक ना जा पाए. मैंने पूछा- अच्छा लग रहा है? वो बोली- हाँ भईया ऐसे ही करते रहो.. निकालो मत..! ‘साली फिर उस समय क्यों रो कर भाग गई थी..!’ बोली- आपने जोर से डाल दिया था..! ‘और डालूँ थोड़ा सा?’ ‘हूँ..!’

अब मेरे लण्ड में जलन सी होने लगी थी लग रहा था कि बुर में आग लगी है पोजीशन संभाल कर एक जोर का धक्का मारा.

‘मम्मीईई…फट गीईईई..!’ चिल्लाने लगी. मैंने भी दोनों होंठों से हरामजादी के मुँह को बंद किया था. अब और अन्दर जाना मुश्किल था. सो बाहर खींच कर फिर से कोशिश करके जोर का धक्का मारा. मेरा पूरा का पूरा लण्ड अन्दर चला गया.

वो बेसुध हो गई थी. कुछ देर तक तो उसी पोजीशन में लेटा रहा. फिर धीरे-धीरे लण्ड को आगे-पीछे करने लगा. फिर देखा तो उसकी आँखें लाल और पूरा चेहरा लाल पड़ गया था. फिर घुटनों के बल बैठ कर देखा तो चूत से खून की धार निकल रही थी. मैंने उसको इसके बारे में नहीं बताया. चूचियों को चूसने लगा, फिर उसका दर्द कम होता चला गया. अब वो कुछ ही देर में ‘आह आह आह हहहमममममम और जल्दी जल्दी

चोदो ईईईददर हहहहम.. मेरी बुर से कुछ निकल रहा है हहहह…!’

अनिता झड़ गई. मैं भी दस-बीस धक्के लगाने के बाद अनिता की बुर में ही झड़ गया. फिर अनिता से उठा नहीं जा रहा था. मैंने हाथ पकड़ कर उसे उठाया, तो खून देख कर हैरान हो गई.

बोली- साले तूने तो मेरी बुर का छोला बना डाला..!

मैंने हँसने लगा और वो भी शर्मा कर मेरे आगोश में समा गई. फिर उस रात केवल 3 बार चोद पाया था. फिर मौका निकाल कर हम लोग चुदाई करते रहे.

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