टेली कॉलर की गेस्ट हाउस में चुदाई

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अल्पेश परमार नमस्कार प्रिय पाठक मित्रो, आपके बहुत पत्र मिल रहे हैं, मुझे पढ़ कर बहुत आनन्द आ रहा है। कुछ पाठक मित्रों के सुझाव मुझे काफी पसंद आए। आपके इसी प्रेम से उत्साहित होकर मैं अपनी अगली कहानी लिखने जा रहा हूँ।

मित्रों मैं वर्किंग प्रोफेशनल होने की वजह से मुझे दिन भर काफ़ी सारे कॉल्स आते रहते हैं। जैसे कि आप जानते हैं कि मैं बातें अच्छी करता हूँ तो लोग मुझसे बात करना पसंद करते हैं। ऐसे ही कुछ महीनों पहले हुआ एक टेली कॉलर मुझे अपने क्रेडिट कार्ड के बारे में बता रही थी।

उसने उसका नाम ज़ोया बताया। बात करने से पता चला कि वो एक मध्यमवर्गीय परिवार से है और कुछ ज़िम्मेदारी की वजह से जॉब कर रही है। मैंने उसको कहा- मैं क्रेडिट कार्ड ले लूँगा! मैंने उसका कार्ड ले लिया बाद में हमारी यूँ ही एसएमएस पर बात चलती रही। एक दिन मैंने उसको पूछा- क्या तुम मेरे साथ डिनर करोगी..?

वो सोचने लगी और एक घंटे बाद उसने ‘हाँ’ कर दिया। अगले दिन हम डिनर पर गए, हमारी पसंद कुछ मिलती-जुलती थी। फिर हमारी दोस्ती बढ़ती गई। वो मेरे साथ खुलने लगी, एक दिन मैंने उसे गार्डन में मिलने बुलाया। वो दिखने में बला की खूबसूरत थी। हम बहुत देर तक बातें करते रहे। फिर पता चला कि वो मुझे पसंद करती है, मैं भी उसको पसंद करता था तो मैंने ‘हाँ’ कर दिया और उसने मुझे अपने गले से लगा लिया, मैंने भी उसको अपने सीने से जोर से चिपका लिया।

उस दिन ज़्यादा कुछ नहीं कर पाए क्योंकि वो एक पब्लिक प्लेस था लेकिन उसके बाद हम रोज फोन पर एन्जॉय करने लगे थे। मेरे पूछने पर उसने मुझे बताया कि उसका फिगर 34-30-34 था। उसके बाद दो-तीन बार मेरी कार में हमने चूमा-चाटी की, पर तब भी बहुत ज़्यादा कुछ नहीं कर पाते थे। हमारी मिलन की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी।

एक दिन हम ने गेस्ट हाउस में जाने का फ़ैसला किया। हम अगले दिन सुबह में जल्दी घर से निकले और गेस्ट-हाउस चले गए। वो जॉब से लीव लेकर आई थी। हमने वहाँ पहुँचते ही एक-दूसरे को बांहों में भर लिया। उस दिन उसने नीली जींस और लाल टॉप पहना था। कुछ ही देर में हमारे आलिंगन जिस्म की गर्मी से तप कर होंठों के चुम्बन में बदल गए और हम पागलों की तरह एक-दूसरे को चूमने लगे।

जब चुम्बन से तृप्त हुए तो आगे बढ़ने की बेला आई, पर वो शरमा रही थी, क्योंकि उसका यह पहली बार था पर मैं तो पुराना खिलाड़ी था, मैंने उसके कपड़े उतारने में ज़्यादा देर नहीं लगाई। उसने सफ़ेद ब्रा और पैंटी पहनी थी। क्या मस्त माल लग रही थी वो..! उसका फिगर कातिलाना था। मेरा प्री-कम तो निकल ही पड़ा, जो मेरे जॉकी में दिख रहा था मेरा लंड एकदम टाइट हो गया था। मेरे लंड का टेंट दिख रहा था, वो शरमा रही थी। मैंने उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया, उससे थोड़ा दर्द हुआ, क्योंकि अति-उत्तेजना में मैंने ज़ोर से दबा दिया था। मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके निप्पल चूसने लगा। वो भी मचलने लगी क्योंकि अब उसे भी चुदास चढ़ रही थी, वो भी एंजाय भी कर रही थी।

धीरे से मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, वो शरमा रही थी। मैं उसके मस्त चूचों के निप्पल चूसने लगा। उसके निप्पल एकदम टाइट हो गए और नुकीले लग रहे थे। उसकी सूखी पैंटी भी अब थोड़ी गीली हो चुकी थी। मैंने नीचे उंगली डाली, उसकी चूत पर हल्के बाल थे। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो उसको दर्द हुआ।

वो बोली- उंगली से इतना दर्द हुआ.. तो पूरा अन्दर जाएगा कैसे? मैंने उसको कहा- डरो मत.. मैं धीरे से करूँगा। वो चुप हो कर आश्वस्त हो गई। फिर मैंने उसकी पैंटी निकाल दी। और अय..हय..क्या नज़ारा था…! जन्नत मेरे सामने थी और अगले ही पल मैंने इस बार उसकी चूत को चाटना चालू कर दिया। उसका जो प्री-कम निकला था वो मैं पी गया। उस को भी चूत चटवाने में मज़ा आ रहा था।

दस मिनट तक चाटने के बाद मैंने उससे कहा- अब मैं अन्दर डालना चाहता हूँ..! उसने ‘हाँ’ कर दी। मैंने कहा- मैं तुम्हें बिना कंडोम के चोदना चाहता हूँ। उसने कहा- ठीक है, पर कुछ प्राब्लम हुआ तो..? मैंने कहा- पिल ले लेना..! वो मान गई।

फिर मैंने धीरे से थोड़ा लंड का टोपा चूत पर लगाया, वो डर रही थी क्योंकि वो कुंवारी थी, मैंने देर ना करते हुए एक हल्का धक्का मारा। उसकी गीली चूत में आधा लंड अन्दर चला गया, उसकी झिल्ली फट गई, थोड़ा खून निकला पर मैंने उसको बताया नहीं। वो दर्द से चिल्ला रही थी, मैंने मुँह उसके मुँह पर लगा दिया। उसकी आँख में से आंसू निकल रहे थे।  मैंने थोड़ा रुकने का निर्णय लिया और फिर कुछ ही पलों के बाद एक तेज़ धक्का मारा। इस बार पूरा लंड अन्दर और वो फिर ज़ोर से चीखी- उई..ई…ई..माँ..

वो मुझे कह रही थी- प्लीज़ रहने दो.. मुझे नहीं करना..! पर मैं कहाँ मानने वाला था। थोड़ी देर हम यूँ ही लेटे रहे। मैंने धीरे से फिर से चुम्मी करना चालू किया, अब वो कुछ संयत थी और थोड़ी उत्तेजित भी हो रही थी।

मैंने अब मेरा काम शुरू कर दिया, मैं लौड़ा धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा। इस बार के धक्कों से उसे भी मज़ा आने लगा और उसके चेहरे से भी वो मस्त लग रही थी। हम दोनों पसीने से भीग गए थे। उसके पसीने की मादक सुगंध मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी। मैं अब लंबे-लंबे शॉट्स मार रहा था। इतनी देर में वो दो बार झड़ चुकी थी, पर मेरा अभी बाकी था।

मैंने अब तेज़ शॉटस मारना शुरू कर दिए। अब तक करीब बीस मिनट की चुदाई हो चुकी थी। अब मैं झड़ने वाला था, मैंने उसके मम्मों को  दबा कर और ज़ोर से उसकी चूत में धकापेल चुदाई शुरू कर दी और उसके अन्दर ही झड़ गया। पाँच मिनट तक मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा।

फिर हम उठे और देखा कि पूरी बेड शीट खून और हमारे कामरस से भीग चुकी थी। खून देख कर वो डर गई, मैंने उसको समझाया- डरो मत.. पहली बार में ऐसा होता है..! उसके बाद हमने एक साथ बाथरूम में बाथ लिया, नहाते समय हम दोनों ने खड़े-खड़े अपने होंठों से एक-दूसरे को काफी देर तक चूमा और बहुत प्यार किया। सच में वो मेरी लाइफ का एक यादगार लम्हा था।

उसके बाद हमने एक साथ लंच किया, फिर कुछ देर आराम करने के बाद चुदाई का दूसरा दौर शुरु किया। इस बार वो खुल चुकी थी, अब वो भी साथ दे रही थी। हमने बहुत चुम्मा-चाटी की। फिर मैंने उससे कहा- अब तुम मेरे ऊपर आकर करो..! वो मेरे लंड पर आकर बैठ गई।

उसका छेद अभी भी थोड़ा टाइट था लेकिन उसकी चूत के रस की वजह से लंड अन्दर चला गया। अब वो ऊपर नीचे हो रही थी और उसके मम्मे भी हवा में झूल रहे थे। मैं उनको देख कर और भी उत्तेजित हो गया था और ज़ोर से दबाने लगा। वो मेरे ऊपर लेट गई और हम चुम्बन करने लगे। फिर मैंने पलटी मारी और हम सीधी पोज़िशन में आ गए। अब मैंने उससे चोदने लगा। वो भी नीचे से मेरा साथ दे रही थी। हम बहुत उत्तेजित थे और एक-दूसरे का साथ दे रहे थे।

यह चुदाई 15 मिनट चली और हम दोनों साथ में झड़ गए। उस दिन हमने कुल मिला कर चार बार सेक्स किया। हम दोनों शाम को ही घर के लिए निकले। मैंने उसको उसके घर पर उतार दिया। उसके बाद हम हर महीने दो-तीन बार काम-क्रीड़ा के लिए जाते थे।

अब कुछ समय से उसका संपर्क टूट गया है क्योंकि उसकी शादी की बात चल रही है। उसके अभिभावकों को हमारे सम्बन्धों से ऐतराज़ है, वो अपने मम्मी-डैडी का दिल नहीं तोड़ सकती। भाग्य को कोई नहीं बदल सकता पर वो मुझे बहुत ही प्यारी लगी। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताइएगा। [email protected]

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