पति गांडू निकला, उसके दोस्त कड़क-2

सीमा अन्दर की आवाजें सुन कर मुझे यकीन हो गया, कि अन्दर बैंड बजाया जा रहा है। मैं जल्दी से पिछवाड़े में गई, उधर खिड़की से झाँक कर देखा तो मेरे होश उड़ने लगे। उधर कोई लड़की नहीं थी, मेरे पति ही लड़की का फर्ज़ अदा कर रहे थे। मेरी ब्रा-पैंटी पहने वे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठे अपने आशिक का लंड मजे से अपनी गाण्ड में ले रहे थे। उसका लंड देख मैं पति के गाण्ड मरवाने की सोचने की बजाए उनके साथी के लंड को देख कर उसके साथ लेटने के बारे में सोचने लगी। ‘साली छिनाल रंडी… चूस मेरा लंड.. नहीं तो तेरी बीवी को चोद दूँगा!’ वो पति को बालों से पकड़ लंड चुसवा रहा था। ‘जानू, उसके बारे में बाद में सोचना… अपनी इस रंडी की तरफ ध्यान दे..!’ ‘साली तेरी ऐसी बातों की से वजह से इतनी दूर से तुझे चोदने आया हूँ..! कसम से तेरी बीवी आग है आग.. उस पर हाथ सेंकने का दिल है!’ वो मेरे पति की पैंटी उतार कर उसकी गाण्ड सहलाने लगा। ‘चूम मेरी गाण्ड..!’ उसने चूतड़ फैलाए, उसकी चिकनी गाण्ड थी, एक बार भी छेद नहीं खुला था। ‘क्या गाण्ड है तेरी…!’ यह सब देखते-देखते मेरी फुद्दी पानी छोड़ने लगी, मेरा एक हाथ सलवार में था। मेरा पति गांडू निकला मुझे बड़ा दुःख था, पर मैंने सोच लिया था कि अब सारी शर्म उतार फेंकनी ही है। मैं वासना की आग में जल रही थी। उसका लंड देख-देख कर मेरा दिमाग खराब होने लगा। जब उसने मेरे पति के छेद पर लंड रखा, मेरी उंगली खुद की फुद्दी में घुस गई। उसने अन्दर डाला पति सिसक उठा, इधर मेरा भी बुरा हाल था, एक बार तो दिल किया कि दरवाज़ा खोल अन्दर चली जाऊँ, लेकिन अन्दर से दरवाज़ा बंद था। मेरी सलवार का नाड़ा मेरे हाथ को ठीक से चलने नहीं दे रहा था। मैंने नाड़ा खोल दिया, सलवार नीचे गिर गई और अब मैं एक हाथ अपनी गाण्ड पर फेर रही थी, दूसरे हाथ से फुद्दी में उंगली डाल रही थी। अन्दर मेरे पति गाण्ड मरवा रहे थे, मेरा दिल, दिमाग, ध्यान… सब कुछ अन्दर घुस रहे लंड पर था। तभी किसी ने पीछे से आकर मेरी चिकनी गाण्ड पर हाथ फेरा। मैं वासना के नशे में भूल गई कि मैं पोर्च की गली में घर के पिछवाड़े में अपना पिछवाड़ा नंगा करके खड़ी हूँ। बस इतना था कि गेट मैंने बंद किया हुआ था। लेकिन ऊपर रह रहे किरायेदारों का मेरे दिमाग से निकल गया था। नया-नया पोर्शन किराए पर दिया था। ‘बहुत क़यामत दिख रही हो मेरी सपनों की रानी.. मेरी जान सीमा..!’ यह हमारे किरायेदार का बेटा राहुल था। ‘भाभी क्या देख रही हो.. जिसने तुम्हें इतना गर्म कर दिया?’ उसने भी अन्दर झाँका, अन्दर का नज़ारा देख उसके रंग भी उड़ने लगे। ‘ओह माई गॉड.. यकीन ही नहीं हो रहा भाभी.. तो आपका ‘काम’ कैसे करता है?’ मैंने सलवार का नाड़ा बंद किया। उसने मेरी बाजू पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, मैं उसके सीने से लग गई- यह क्या कर रहे हो.. कोई देख लेगा…! ‘जब कुछ देखने वाला समय था सो वो तो मैंने देख लिया, अब कौन देखेगा..! जो कुछ मैंने देखा उसका सबूत भी है मेरे पास..!’ मेरे होश उड़ने लगे- कैसा सबूत..? उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पजामे के उभरे हुए हिस्से पर रख दिया। ‘देखा सबूत.. तुमने नाड़ा भी बंद कर लिया लेकिन यह बैठने का नाम नहीं ले रहा..!’ ‘वैसे इतना मैं जानती थी कि तुम मुझे गंदी नज़र से देखते हो, पर मैंने बच्चा समझ कर बात आगे नहीं बढ़ाई..!’ ‘आज यही बच्चा तेरे अन्दर बच्चे का बीज डालेगा..!’ ‘बहुत हरामी हो.. मुन्ना.. चलो ऊपर चलो अपने पोर्शन में..!’ हम दोनों के पास समय ही समय था। दरवाज़ा बंद करते ही उसने मुझे बाँहों में कस कर मेरे रसीले होंठों को जी भर कर चूसा। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी, हय..चौड़ा सीना.. जिस पर मर्दानगी की निशानी बाल थे..! मेरे पति अपनी छाती एकदम साफ़ रखते हैं। उसने भी मेरी कमीज़ उतार फेंकी। ‘ओह.. मर गया भाभी.. क्या माल हो.. मेरी जान..!’ मेरे मम्मे सच में बहुत आकर्षक हैं, छोटी उम्र से तो लड़के इनके साथ खेलने लगे थे। उसने मेरी ब्रा भी उतार फेंकी। उसने अपना पजामा उतार दिया, फूले हुए अंडरवियर में ही उसने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर कूद गया। वो पागलों की तरह मेरे मम्मे चूसने लगा। मैं भी बेकाबू हो रही थी, मेरी वासना जागने लगी, मैंने उसको धकेल दिया और उसके ऊपर बैठ गई। मैंने बैठने से पहले अपनी पैंटी उतार दी। उसकी नज़र मेरी चिकनी फुद्दी पर थी। मैं उसका अंडरवियर उतार कर जोर-जोर से उसके लंड को हिलाने लगी। सच में सांवले रंग का तगड़ा लंड मुझे खुश कर रहा था। मैं नीचे खिसकती हुई गई और उसका लुल्ला मुँह में भर लिया। ऐसे चाटने लगी जैसे कुत्ता, कुतिया की फुद्दी को चाटता है। वो पागल होने लगा, पर मैंने नहीं छोड़ा। मेरी आग देख वो भी दंग रह गया- अह भाभी जी.. मैंने बहुत फुद्दियाँ मारी हैं, लेकिन आप जैसी आग किसी लड़की में अब तक नहीं देखी..! ‘राहुल मेरा बस चले तो तुझे पूरा चबा जाऊँ..!’ ‘साली छिनाल.. भाभी चबा लो… साली.. जितनी तेरे अन्दर आग है, तेरा गांडू पति तुझे खुश कर ही नहीं सकता.. उसको औरत कम मर्द ज्यादा पसंद आते होंगे..!’ ‘राहुल, सच में वो मादरचोद बहुत बड़ा गांडू है कुछ भी नहीं करता साला..!’ ‘जानेमन मैं हूँ तेरा सच्चा आशिक… तेरी फुद्दी का मुरीद हो गया हूँ..!’ ‘मेरे शेर.. अपना जलवा दिखला..!’ ‘ले साली..!’ मैंने टांगें खोलीं और उसके लंड को पकड़ कर फुद्दी के मुँह पर रखा, साथ ही मैंने दोनों हाथों से ऊँगलियों से फुद्दी की फांकें चौड़ी कीं, तब उसने करारा झटका मार दिया। ‘हाय मर गई कमीने.. फट गई मेरी..!’ ‘साली कमीनी.. ले..!’ उसने दूसरा झटका मारा। काफी दिनों बाद बड़ा लंड अन्दर गया था, कुछ दर्द भी हुआ, बाकी बच्चे को उकसाने के लिए मैंने नाटक किया। ‘हाय फट गई मेरी…!’ ‘ले साली..!’ कह उसने पूरा लंड मेरे इमामबाड़े में उतार दिया और लगा झटके लगाने..! ‘हाय.. हाय.. शाबाश मेरे शेर..!’ मैं गाण्ड को उठाने लगी, घुमा-घुमा कर उसका लंड लेने लगी, ‘और तेज़ मार..मेरी..!’ बेचारा पूरा दम लगाकर मुझे खुश करने पर तुला था। मैंने फुद्दी को सिकोड़ा, वो थोड़ा रुक गया। ‘मार मेरी कमीने.. अपनी रंडी भाभी की फुद्दी मारता रह..!’ ‘साली गश्ती.. कहाँ बेचारा तेरा पति खुश करेगा.. ले..ले..!’ कह कर जोर-जोर से फाड़ने लगा। ‘चल घूम कर घोड़ी बन जा..!’ मैं अभी घूमी ही थी कि उसने फड़ाक से लंड पेल दिया और उसकी जाँघें जब मेरे कूल्हों पर टकराती तो ‘पट..पट’ की अलग सी ध्वनि कमरे में गूँजने लगी। कुछ मेरी मधुर सिसकारियाँ, कुछ उसकी तेज़ सांसों से कमरे को रंगीन बना डाला। ‘हाय.. हाय.. और कर…!’ मैं झड़ने लगी। फुद्दी की गर्मी और ऊपर से मेरे गर्म माल से उसका लुल्ला भी पिघल गया और वो भी झड़ने लगा। उसने एक जोर से झटका लगाया और मेरे ऊपर वजन डाला। मेरे घुटने खिसके और मैं बिस्तर पर उलटी ही गिर गई। उसका लुल्ला मेरे अन्दर था, वो मेरे ऊपर लदा हुआ हाँफ रहा था। ‘वाह राहुल तुम तो फाड़ू निकले.. कहाँ इतने दिनों से मैं घर में सागर होते हुए बूँद के लिए तरस रही थी..!’ फिर हम कुछ देर फ्रेश हुए और दूसरा राउंड लगाया। राहुल और मेरे बीच जिस्मानी सम्बन्ध बन चुके थे। कुछ महीने ऐसा ही चलता रहा, फिर राहुल का स्टडी बेस वीसा लग गया और वह चला गया। साला मेरी फुद्दी को आग में झोंक कर निकल गया था, लेकिन जल्दी कुछ ही दिनों में मेरी आग ‘झम-झम’ बुझ गई। अब मैं बेशर्म हो गई, एक दिन पति अपने लिए साथ तीन लौड़े लेकर आए लेकिन उस रात मैंने कुछ और सोच रखा था। उस रात की कहानी फिर कभी लिखूँगी। अभी तो आप अपने खड़े लौड़े की कहानी मुझे मेरी ईमेल पर लिखो न यार..! [email protected]