बहू-ससुर की मौजाँ ही मौजाँ-4

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प्रेषिका : कौसर सम्पादक : जूजाजी वो मुझे 20 मिनट तक दीवार पर खड़ा करके चोदते रहे, वो भी मेरे अपने कमरे में। उसके बाद एक करेंट सा लगा और मेरी चूत से पानी की धार बह गई! मुझे लगा वो भी झड़ गए हैं, वो एकदम मुझसे चिपक गए और मुझे सीधा करके मेरे होंठों को चूसने की कोशिश करने लगे। फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे गोदी में उठा कर मेरे बेड पर लिटा दिया और खुद भी लेट गए। हम दोनों 15 मिनट ऐसे ही लेट रहे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं अपने ससुर के साथ अपने बिस्तर पर नंगी पड़ी हूँ। और इतने में मेरा फोन बजने लगा। समय देखा तो सात बज रहे थे और अताउल्ला का फोन था। ससुर जी- बेटा, अताउल्ला का फोन है… उठा ले! और मेरी चूत को सहलाने लगे, मैंने उनका हाथ हटाया और अताउल्ला का फोन उठा लिया। अताउल्ला- हैलो कौसर, कैसी हो आप? मैंने कहा- ठीक हूँ, आप बताइए..! अताउल्ला- क्या कर रही थी? अब मैं उन्हें कैसे बताती कि मैं एकदम नंगी उनके बाप के साथ अपने बेड पर हूँ और ससुर जी मेरी चूत में उंगली डाल रहे थे। मैंने उन्हें बड़ी मुश्किल से रोका हुआ था। मैंने कहा- मैं रसोई में काम कर रही थी..! तभी ससुरजी ने मेरी एक चूची बड़ी ज़ोर से दबा दी, मेरे मुँह से फोन पर ही चीख निकल गई- ओफ़फ्फ़… अताउल्ला घबरा गए, पूछने लगे- क्या हुआ? मैंने ससुर जी से हाथ जोड़ कर इशारा किया कि प्लीज़ मुझे बात करने दो, तब जाकर उन्होंने मेरी चूची छोड़ी। मैं नंगी ही बेड से उठ कर बोली- कुछ नहीं सब्ज़ी काट रही थी, थोड़ा सा लग गया..! अताउल्ला- अपना ध्यान रखा करो और अब्बू कहाँ हैं? उन्हें क्या पता था कि अभी थोड़ी देर पहले ही मेरी चूत के अन्दर अपना लण्ड डाले पड़े थे। मैंने कहा- वो शायद बेडरूम में हैं, टीवी देख रहे हैं। अताउल्ला- ठीक है अपना ख्याल रखना! और उन्होंने फोन रख दिया। मैंने ससुर जी को देखा तो वो बेड पर लेट मुझे ही देख रहे थे, पर उन्होंने अपने कपड़े पहन लिए थे। मैं उनसे नज़रें नहीं मिला रही थी इसलिए फ़ौरन दूसरी तरफ देखने लगी। मैंने भी सोचा कि मैं भी अपने कपड़े पहन लूँ और अलमारी खोल कर अपना एक सूट निकाल लिया। ससुर जी- क्या कर रही है बेटा? मैंने बिना उनकी तरफ देखे कहा- खाना बनाना है, देर हो जाएगी इसलिए रसोई में जा रही हूँ। उन्होंने तभी बेड से उठ कर मेरा सूट छीन लिया, बोले- तो इसमें सूट का क्या काम? आज से तू खाना नंगी हो कर ही बनाएगी। मैंने कहा- बाबूजी प्लीज़… मेरा सूट छोड़िए साढ़े सात बज गए हैं, बहुत काम है। मुझे लगा शायद वो ऐसे ही कह रहे हैं। ससुरजी- तुझे समझ नहीं आता क्या… अब शाम को तू ऐसे ही रहा करेगी, चल जा अब खाना बना… और मेरा सूट बेड के दूसरी तरफ फेंक दिया। मैंने कहा- प्लीज़ बाबूजी… मुझे कुछ तो पहनने दो! और मैं नजरें झुकाए खड़ी रही। ससुरजी- अच्छा चल तू इतना कह रही है तो तू कुछ चीज़ पहन सकती है..! फिर बोले- तू अपनी कोई भी ज्वैलरी, अपनी चुन्नी और कोई भी हील वाली सैंडिल पहन सकती है.. ठीक है अब? मैंने सोचा इसमें तो एक भी कपड़ा नहीं है, पहनूँ क्या और चुन्नी का क्या करूँगी जब नीचे से पूरी नंगी हूँ। ससुर जी- और थोड़ा फ्रेश हो ले पहले, बाल भी बना ले, देख एकदम बिखरे पड़े हैं! इतना कह कर वो अपने कमरे में चले गए। मैं गुस्से में गुसलखाने में गई, अपने मुँह-हाथ धोए और अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने आ गई, अपने बाल ठीक किए, मैंने अपने को शीशे में देखा तो मेरे जिस्म पर जगह-जगह लाल निशान पड़े थे, वो ससुर जी के मसलने से हुए थे और उनमें दर्द भी हो रहा था। कपड़े तो पहन नहीं सकती थी, जैसा ससुर जी बोल कर गए थे। नंगी ही रसोई में खाना बनाने चली गई। खाना बनाते-बनाते एक घंटा बीत गया करीब रात के 08-30 बज गए। मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था। मैं रसोई में एकदम नंगी थी और काम किए जा रही थी, पर क्या कर सकती थी, ससुरजी ने कुछ पहनने नहीं दिया था। तभी ससुर जी रसोई में आ गए, मुझे फिर शर्म आने लगी, मैंने नजरें झुका रखी थीं। वो बोले- बहू, मुझे ज़रा पानी पीना है..! मैं उन्हें गिलास देने लगी, तो वो बोले- मैं अपने आप पी लूँगा और मुझसे गिलास नहीं लिया। वो बोले- बस तू अपना काम करती रह। तभी मुझे उनके हाथ अपने चूतड़ों पर महसूस होने लगे। वो उन्हें दबा रहे थे, तभी उन्होंने बाईं हाथ से मेरी बाईं चूची मसलने लगे। मेरी चीख निकल गई। मैंने कहा- प्लीज़ बाबूजी.. इनमें बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज़ मत दबाइए…! उन्होंने हाथ हटा लिया। मैंने उनकी तरफ नहीं देखा और अपना काम करती रही। तभी मुझे लगा कि वो मेरे पीछे बैठ गए हैं और वो अपनी जीभ से मेरी टांगों को चाटने लगे। मैं घबरा गई और बोली- बाबूजी, यह आप क्या कर रहे हैं? ससुर जी- तू अपना काम करती रह बहू, ज़रा टाँगें चौड़ीं कर ले बस! वो मेरी टांगों को नीचे से ऊपर तक चाट रहे थे, मुझसे काम नहीं हो पा रहा था, मैंने आँखें बंद कर रखी थीं। तभी वो मेरी टांगों के नीचे से बैठ कर मेरे सामने आ गए। अब उनका मुँह बिल्कुल मेरी नंगी चूत के सामने था। उन्होंने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को पकड़ा और मेरी चूत पर अपनी ज़ुबान लगा दी। ससुरजी अपनी जीभ से मेरी चूत को ऊपर से नीचे तक चाट रहे थे… ऐसा तो अताउल्ला ने भी कभी नहीं किया था! मेरी हालत खराब होने लगी, मैंने अपनी दोनों टाँगें फैला रखी थीं और ससुर जी किसी पालतू कुत्ते की तरह मेरी चूत को चाटते जा रहे थे। मेरे से नहीं रहा गया और मैंने अपने दोनों हाथों से अपने ससुर जी का सर पकड़ लिया। जब ससुर जी को लगा कि अब मैं उन्हें अपने से नहीं हटाऊँगी तो उन्होंने अपने हाथ मेरे चूतड़ों से हटा लिए और दोनों हाथों से मेरी चूत के होंठ खोल कर मेरी चूत के दाने को जीभ से चाटने लगे। मेरी हालत अब बहुत खराब हो गई थी, मेरे अन्दर तूफान सा आ गया और मैं अपने होंठ अपने ही दांतों से काटने लगी। पर फिर भी मैंने अपनी आँखें नहीं खोलीं। मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत गीली होनी शुरू हो गई है और उसमें से पानी सा आने लगा! तभी ससुर जी बोले- बेटा, यही पानी तो पीने आया था मैं.. वाहह… तेरे नीचे के होंठ तो बड़े ही प्यारे हैं बहू… एकदम लाल है.. तू अन्दर से… वो मेरी चूत के दाने को बुरी तरह चाटने लगे। मुझ से रुका नहीं गया और मैं उनके सिर को अपने अन्दर की तरफ दोनों हाथों से दबाने लगी और मेरे मुँह से- ह…! उफ्फ़… नहीं… प्लीज़..स्सस…’ जैसे लफ्ज़ निकलने लगे। यह मेरा पहला अनुभव था, जब किसी ने मेरी चूत चाटी थी, मुझे नहीं पता था कि चूत चटवाने का इतना सुख मिलता है। मैं बेकाबू होती जा रही थी और अपने चूतड़ों को हिलाने लगी थी। तभी ससुर जी उठे और रसोई में ही गैस के पास थोड़ी जगह थी, वहीं पर मुझे बिठा दिया। मैं अपने होश में नहीं रही और वो जो कर रहे थे, बस उसमें उनका साथ देने लगी। पर मैं अभी भी अपनी आँखें नहीं खोल रही थी। तभी अपने होंठों पर मुझे उनके होंठ महसूस हुए। वो मेरे होंठ चाटने लगे और उन्होंने अपने बाईं हाथ की दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दी थीं। गीली होने की वजह से मुझे उनका उंगली अन्दर-बाहर करना अच्छा लग रहा था। मैं सब कुछ भूल गई और ससुर जी के होंठों को चूसने लगी। आज पहली बार मैंने अपने ससुर जी के होंठ अपनी मर्ज़ी से चूसे थे। कभी वो मेरे होंठ अपने होंठों से चूसते थे तो कभी मैं उनके होंठों को अपने होंठों से काट रही थी। फिर वो मेरी ज़ुबान चूसने लगे, तभी उन्होंने अपनी उंगलियां मेरी चूत में से निकालीं और मुझे उनका लण्ड अपनी चूत के होंठों पर महसूस होने लगा। उनका दायां हाथ मेरे चूतड़ों पर था और बायां हाथ मेरी कमर में था। वो कोशिश कर रहे थे, पर उनका लण्ड चूत में नहीं जा पा रहा था। ससुर जी- बेटा, थोड़ी मदद कर ना… अपने हाथ से पकड़ कर सही जगह डाल दे ना.. यह कह कर वो फिर मेरे होंठ चूसने लगे। अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था, मैंने आँखें बंद किए हुए ही नीचे अपने हाथ बढ़ाए तो उनका गर्म-गर्म लण्ड मेरे हाथ में आ गया। आज पहली बार मैंने उनके लण्ड को छुआ था, उनका लण्ड एकदम गर्म था और बहुत ही मोटा और लंबा महसूस हो रहा था। मैंने सोचा या अल्लाह…! मैं इतना लंबा और मोटा लण्ड कल से दो बार अपने अन्दर ले चुकी हूँ!!

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मुझे बहुत अजीब लगा कि मेरी चूत में इतना मोटा लण्ड कैसे चला गया। फिर मैंने उनका लण्ड पकड़ कर चूत पर सही जगह टिका दिया और उन्होंने एक हल्का झटका दिया और करीब 3 इंच लण्ड मेरे अन्दर समा गया। मेरी चूत के होंठ फट गए थे, मेरी चीख निकली पर उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा रखा था। तभी उन्होंने एक और झटका दिया और उनका पूरा 7′ इंच लंबा लण्ड मेरे अन्दर समा गया। मुझे लगा जैसे मेरी चूत फट जाएगी, उन्होंने कुछ तेज़ झटका मार दिया था। मेरे अन्दर तूफान सा आ गया, उनका पूरा मोटा लण्ड मेरे अन्दर था। वो हल्के-हल्के झटके देने लगे! मेरे मुँह से ‘ओह्ह आअहह उफ़फ्फ़..बस करो प्लीज़… बाबूजी…उफ्फ…!’ मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं कह तो रही थी कि बस करो, पर अपने दोनों हाथों से उन्हें अपनी तरफ खींच भी रही थी और उनके हर झटके का अपने चूतड़ों को आगे-पीछे करके जवाब भी दे रही थी। उन्होंने रफ़्तार बड़ी तेज कर दी थी, वो अपना पूरा लण्ड मेरी चूत से निकाल लेते थे और फिर पूरा का पूरा एक साथ झटके से अन्दर कर देते थे। मुझे लगता था जैसे आज उनका लण्ड मेरा पेट फाड़ देगा, पर मुझे इसमें मज़ा बड़ा आ रहा था। मैं हाँफने लगी थी। ससुर जी- उफ़फ्फ़ बहू… आ…आ… तेरी चूत तो बड़ी मस्त है रे.. आह्ह.. मैं आने वाला हूँ… बहू..! उनके मुँह से अपने लिए ऐसे गंदे शब्द सुन कर मुझे भी गुदगुदी सी हो रही थी। मैं उन्हें अपने सीने से चिपका लेना चाहती थी… उनके झटके बढ़ते गए और एकदम से उन्होंने पानी की धार मेरी चूत में छोड़ दी और वो मुझसे चिपक गए। मैं भी अपने आप को रोक ना सकी और मैंने भी पानी छोड़ दिया, मैं भी उनसे चिपक गई, उनका लण्ड अब भी मेरे अन्दर ही था। हम करीब दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे, फिर ससुर जी उठे और अपने कमरे में जाते हुए बोले- बहू.. अब नहा कर खाना लगाना! कहानी जारी रहेगी। आपके विचारों का स्वागत है। आप मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। https://www.facebook.com/zooza.ji

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