हेमा की धमाकेदार चुदाई

मैं राज अग्रवाल दिल्ली लक्ष्मी नगर से एक असली घटना सुनाने आया हूँ। मैं 26 साल का 6 फुट का एक नौजवान युवक हूँ और मेरा लण्ड साढ़े सात इंच का है। यह बात 2009 की है मुझे एक लड़की हेमा मुझे पार्क में मिली, वो अपनी बहन के साथ थी। वो दिखने में बहुत खूबसूरत थी। मेरा तो उसको देखते ही गले लगाने का मन कर रहा था। मैंने उससे बात की और अपना मोबाइल नंबर उसे दे दिया। वो मुझसे मिलकर बहुत खुश हुई।

फिर अगले दिन उसका फोन आया और हमारी बात होने लगी। धीरे-धीरे हम सेक्स के बारे में भी बात करने लगे। दस दिन होते-होते तो फोन पर चुम्बन होना तो रोज का काम हो गया। फिर हमने मिलने की बात तय की, उस शनिवार को हम लक्ष्मी नगर में पार्क के बाहर मिले।

मुझे आज भी याद है, वह 15 अगस्त 2009 का दिन था, मैंने पार्क के बाहर उसे पहला चुम्बन किया, यह मेरी जिन्दगी का पहला चुम्बन था, यह तीन मिनट तक चला। हम दोनों का बुरा हाल हो गया, वो थोड़ी डर गई और तब चली गई। मैंने जाने दिया क्योंकि मुझे विश्वास था कि वो वापिस जरूर आएगी।

अगले दिन फिर दोबारा उसका फ़ोन आया और वो और भी खुल कर बात करने लगी, कहने लगी- तुमने मेरे अरमान जगा दिए है। फिर हमने इंडिया-गेट घूमने जाने का प्लान बनाया। हम 6 सितम्बर 2009 को रात को 7:30 पर सकरपुर स्टैंड पर मिले। वो अपनी बहन के साथ आई और बोलने लगी- मैं अपने घर वापिस नहीं जा सकती और अपनी किसी दोस्त के यहाँ चली जाऊँगी..! तब तक मैंने कभी भी सेक्स तो किया नहीं था, तो समझा ही नहीं कि वो क्या चाहती है!

हम 30 मिनट वहीं खड़े रहे, फिर मुझे समझ आया कि यह तो मेरे साथ रात गुजारना चाहती है। मैंने एक दोस्त को फ़ोन किया और बताया कि मेरी गर्ल-फ्रेंड के साथ मैं तेरे रूम में आ रहा हूँ। हम उसके घर चले गए। उसने हमें एक कमरे में बैठा दिया। हमने खाना खाया, फिर मेरे दोस्त ने मुझसे कहा- अब कुछ भी हो, बिना चुदाई किए इसको मत छोड़ना। मैं भाग कर तीन कंडोम लेकर आ गया।

मैं यहाँ एक बात बता देना चाहता हूँ कि सितम्बर का महीना होने के बाद भी मौसम में गर्मी के दिन थे, कूलर चल रहा था। मैं वापिस आकर उसके पास बैठ गया, उसने सफ़ेद सलवार-सूट पहना हुआ था, वो बहुत ही मस्त लग रही थी। मुझे डर लग रहा था क्योंकि यह मेरा पहली बार था, पर मैंने हिम्मत करके धीरे से उसके पट पर हाथ रख दिया।

उसने थोड़ा शरमाने का नाटक किया, पर मेरा हाथ नहीं हटाया। उससे मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने धीरे-धीरे हाथ फिराना शुरू कर दिया। मुझे और उसको बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसके नीचे हाथ लगाया, मैं थोड़ा हिल गया और धीरे से बोला- बाल साफ किए हैं क्या? तो उसने भी बोल दिया- तुम्हारे लिए ही साफ किए हैं!

मेरा लण्ड ये सुनकर एकदम से खड़ा हो गया और जीन्स फाड़ कर बाहर निकलने को तैयार हो गया। मैंने काली शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी। शर्ट तो मैंने रूम में आते ही उतार दी थी। वो मेरी 41 इंच की छाती को तिरछी निगाहों से देख रही थी। अब मैंने जीन्स भी उतार कर रख दी।

वो मेरे अंडरवियर को देखने लगी क्योंकि मेरा 7.5 इंच का लण्ड तंबू बना हुआ था। मैंने प्यार से उसे देखा फिर हमारी नज़रें पहली बार मिलीं और मैंने आराम से उसे चुम्बन करना शुरू किया। पहले सिर पे, फिर आँखों पर, नाक पर मैंने चुम्बनों की झड़ी लगा दी करीब 25-30 चुम्बन ले लिए। हम लोग अपने प्यार की मस्ती मग्न थे और धीरे-धीरे ऐसे ही 10.30 बज गए।

वो सिर्फ़ मेरी थी और मैं उसका था। मैंने गालों पे चुम्बन किए फिर होंठों पर किए। फिर हमारी साँसें एक-दूसरे से मिलने लगीं और हम अपनी जुबानों को मिलाने लगे। मैं चाहता था कि बस सब कुछ यहीं थम जाए। मेरे हाथों ने भी साथ-साथ अपना काम शुरू कर दिया था।

मेरे हाथ हेमा के मम्मे दबा रहे थे। उसके 34 साइज़ के मम्मे मेरे हाथ में थे। फिर मैंने देर ना करते हुए उसकी कमीज़ को उतार दिया, कुछ ही पलों में उसकी ब्रा को भी उतार फेंका। उसके आजाद कबूतर बहुत सुंदर थे, मैं तो देखता ही रह गया।

मैंने दोनों हाथों से उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए। फिर एक मम्मे पर अपना मुँह रख कर चूसना लगा, ये सिलसिला चलता रहा कभी इसको कभी उसको चूसता ही रहा। उसने भी मेरे अंडरवियर को उतार दिया और मेरे लण्ड को देखने लगी। मैंने उसका हाथ अपने लण्ड पर रखवाया वो धीरे-धीरे दबाने लगी।

मैंने उसकी सलवार को उतार दिया। जब मैं उसकी चड्डी को उतारने लगा तो उसने बिजली बंद करवा दी और मैं इस हसीन चीज के दर्शन करने से रह गया। फिर मैंने उसके पूरे शरीर पर चुम्बन की झड़ी लगा दी। उसने भी मेरी छाती पर चुम्मियाँ की फिर वो आराम से लेट गई।

मैं उसके ऊपर था, मैंने कंडोम निकाल कर उसे दिया, उसने बड़े प्यार से कंडोम मेरे लण्ड पर चढ़ाया। अब मैं उसके अन्दर अपने लण्ड को डालने की कोशिश करने लगा, पर वो बार-बार फिसल जाता। तभी मैं झड़ गया, उसने मेरा कंडोम निकाला और बाँध कर रख दिया।

दस मिनट में मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। उसके खेलने से अबकी बार उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी योनि से लगाया और मुझे दम लगाने को बोला, फिर एक ही झटके मे मेरा आधे से ज़्यादा लण्ड उसकी योनि में उतर गया। उसने एक मस्त चीख मारी, मैंने चुम्मा लिया और मम्मे मसकने लगा। फिर वो थोड़ी नॉर्मल हुई तो मैंने एक और झटका मार कर पूरा हथियार अन्दर कर दिया।

उसे थोड़ा और दर्द हुआ पर वो सह गई। फिर उसे भी मजा आने लगा और वो गांड उठा-उठा कर साथ देने लगी। फिर हम दोनों साथ में ही झड़े। मैं उसके बाद रात 3 बजे तक बार-बार चोदता रहा। वो दो बार ऊपर भी आई और हमने 4 बजे तक चुदाई का आनन्द उठाया। फिर कब थक कर सो गए पता ही नहीं चला। सुबह वो उठी और उसने कपड़े पहन कर मुझे जगाया।

मैंने कहा- एक बार और करते हैं! तो वो बोली- इतनी बार तो हो चुका है, अब कैसे करोगे? पर मेरा लण्ड खड़ा था, हमने एक बार और सम्भोग किया।

वो बहुत खुश हुई और एक चुम्मा लेकर चली गई। उसके बाद उससे कभी मुलाक़ात नहीं हुई। मैं उसको आज भी बहुत याद करता हूँ। मुझे ईमेल करके बताइए कि मेरी यह पहली चुदाई की घटना आपको कैसी लगी? [email protected]