कंचन रौनक दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है और सच्ची है। मेरा नाम रौनक है जिस पर यह कहानी है उस का नाम पूनम है। तब मैं 18 साल का था। कामक्रिया की थोड़ी बहुत जानकारी थी। मेरे मोहल्ले में एक लड़की रहती थी उसका नाम पूनम था। वो किसी को लाईन नहीं देती थी। मेरे दोस्तों ने एक दिन शर्त लगाई कि देखे हैं कि कौन इसे पहले पटा कर चोदेगा। वो लड़की मेरी दुकान में फोन करने आती थी, तो एक दिन मैंने उसे एक कागज पर नम्बर दिया तो वो ले कर चली गई। फिर 5-6 दिन नहीं आई तो मुझे डर लगा कि वो नाराज तो नहीं हो गई। फिर एक दिन वो आई तो मैंने उससे पूछा- कहाँ थीं? तो वो बोली- बाहर गई थी। उस दिन क्या दिया था? मैंने कहा- मेरा नम्बर था। तो वो बोली- वो तो खाली था। तो मैंने उसे फिर से नम्बर लिख कर दिया तो वो लेकर चली गई। लगभग 5 मिनट बाद उस का फोन आया तो मैंने फोन उठा कर बोला- मैं तुम्हें फोन करता हूँ। मैंने फोन कट कर दिया और फिर मैंने उसे फोन लगाया तो वो पूछने लगी- मुझे नम्बर क्यों दिया? तो मैंने कहा- दोस्ती करनी है। तो उसने कहा- क्यों? तो मैंने कहा- तुम अच्छी लगती हो। इस तरह से हमारी दोस्ती हो गई, उससे बात करने के बाद पता चला कि वो एक बार मैं काम करती थी। वो रोज शाम को जाती और रात को आती। ऐसे रोज हमारी मुलाकात होती रही। हम लोग एक-दूसरे से पूरी तरह से खुल चुके थे और किसी भी किस्म की बात खुल कर कहने लगे थे। एक दिन मैंने उसे मेरे दुकान मैं बुलाया, तो वो आ गई। करीब 10 मिनट रुकने के बाद वो चली गई और घर जाकर मुझे फोन किया- तुम बहुत अच्छे हो और कोई होता तो मुझे छोड़ता ही नहीं, मुझे चोद देता। उस दिन मैंने उससे कहा- जब तक तुम नहीं कहोगी, तब तक मैं तुझे नहीं चोदूँगा। तो वो बोली- मैं तुम्हारी हूँ तुम जब कहोगे आ जाऊँगी। तो मैंने कहा- रविवार को आने का पक्का कर लो। रविवार को मैं उसे अपनी बाईक पर बिठा कर होटल में ले गया। होटल में मैंने एसी कमरा बुक किया और रुम में जा कर उसे जोरों से बाँहों में कस लिया। वह कहने लगी- आराम से.. मैं कहीं नहीं जाने वाली। तो मैंने कहा- मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मैं उसके कपड़े उतारने लगा, पहले उस की टी-शर्ट उतारी और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाने लगा। तो वह सिसकारियां भरने लगी, मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। क्या मस्त मम्मे थे उसके.. मैं तो पागल हो गया। मैंने एक पल भी नहीं गंवाया और उसके मम्मों को अपने होंठों में दबा कर दूध पीने लगा, तो वो और जोर से सिसकारियां भरने लगी। अब मैंने उसकी जीन्स भी उतार दी तो जो मैंने उसकी पैन्टी में उभरी हुई चूत का नजारा देखा तो मैं पागल हो गया। उसने जल्दी से अपना बदन ढक लिया तो मैंने उससे कहा- क्या हुआ? तो कहने लगी- मुझे शर्म आ रही है। तो मैंने कहा- शर्म करोगी तो कैसे प्यार करेंगे हम..! तो वह कहने लगी- तू आराम से करना। तो मैंने कहा- हाँ.. आराम से करूँगा। उसने हाथ हटा दिया। मैंने देखा कि उसने काली चड्डी पहनी थी। वो मैंने उतार दी तो वो अपनी चूत छुपाने लगी, तो मैंने जबदस्ती उसके पैर फैला कर उसकी चूत के पास मुँह ले जाकर उसकी चूत को चाटने लगा। वो पागल सी हो गई और मेरे बाल पकड़ कर खींचने लगी। मैं उसकी चूत में जीभ डाल कर उस को गरम करने लगा। करीब दस मिनट के बाद उसकी चूत से पानी निकलने लगा। वो मैंने चाट लिया। फिर उसे लिटा कर उसकी चूत पर लण्ड का सुपारा लगाया तो वो डर के कहने लगी- मेरी चूत फट जाएगी। तो मैंने उसे समझाया कि नहीं फटेगी तो वह मान गई। फिर मैं लौड़ा डालने लगा तो जा नहीं रहा था। मैंने तीन बार कोशिश की, पर तीनों बार नहीं गया। तो मैंने उधर से मक्खन लिया और उसकी चूत के अन्दर ऊँगली डाल कर उसकी चूत की पुत्तियों की मालिश करने लगा। फिर अपने लंड पर भी चिकनाई लगाई। अब मैं उसकी जांघों के बीच में आ कर उसकी चूत पर लंड रख कर धक्का मारा तो वो जोर से चिल्लाने वाली ही थी कि मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया। अब मैंने जरा रुक कर उसे आराम की स्थिति में आने दिया। जब उसे आराम मिला तो मैं धीरे-धीरे लंड अन्दर डालने लगा, तो वो दर्द से मुझे धकेलने लगी। फिर भी मैं अन्दर डालने लगा तो वो रोने लगी। मैं फिर से रुक गया, उसे जब आराम लगा तो वो नीचे से अपनी गांड से धक्का मारने लगी। अब मैंने उसे चोदना चालू किया, तो वो ‘उउउउ आआ ईईईई’करके चिल्लाने लगी। तो मैंने कहा- दर्द हो रहा है क्या? तो कहने लगी- थोड़ा-थोड़ा दर्द हो रहा है। मैंने कहा- थोड़ी देर बाद वो भी नहीं होगा। मैंने उसे चोदना चालू रखा। इस बीच वो एक बार झड़ गई और मुझे जोर से पकड़ कर शान्त हो गई, पर मैं उसे चोदता रहा। करीब दस मिनट बाद वो फिर झड़ गई, पर मेरा चोदना चालू रहा। करीब 2 मिनट के बाद मैं भी झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट गया। कुछ देर बाद उठ कर हम दोनों ने एक-दूसरे को साफ़ किया, और घर आ गए। उसके बाद हम जब भी मौका और समय मिलता हम खूब चुदाई करते। मैं अपने दोस्तों से शर्त भी जीत गया था। वो कहानी फिर कभी।
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