जवान जिस्म का भोग -1

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सम्पादक : इमरान मैं शबनम एक जवान खूबसूरत, गोरी, कामुक और मांसल काया वाली युवती हूँ। मेरी फ़ीगर 34-28-38 है। मुझे जो एक बार देखता है, दुबारा पीछे मुड़ कर देखता ही है, चाहे मर्द हो या बुड्ढा या कोई नया जवानी में आया किशोर युवक ! मुझ अपनी चढती नाजुक जवानी पर बड़ा नाज़ है और मैं जानती हूँ जो मेरी कामुक जवानी का रस पिएगा वो धन्य हो जाएगा।

अब आपको मैं अपने बारे में और बताती हूँ, मैं कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की हूँ, उम्र 19 साल कद 5’4″ इंच और बाल लम्बे ! कॉलेज में सब लड़के मेरी जवानी पर मरते हैं, आहें भरते हैं और मैं सिर्फ़ अपनी क्लास के एक लड़के चेतन पर मरती हूँ।

यह बात उसे भी पता है और क्लास की मेरी सभी सहेलियों नाज़िमा, मालिनी, हीना, पलक, रीमा, गुरलीन और माधुरी को जो मेरी ही क्लास और साथ की मुटियारें हैं, कोई एक साल छोटी या बड़ी पर हमारा ग्रूप खूब मस्ती करता है और मज़े लेता है जिंदगी के ! हम लड़कियाँ लड़कों का काफ़ी मज़ाक उड़ाती हैं और उनसे अपने ऊपर खर्च भी करवाती हैं, आख़िर क्यों ना हो वो लड़के हमारी जवानी को लूटने के लिए उतावले जो रहते हैं।

चेतन तो मेरी मस्त गोल गोल दूधियों को छूने को जैसे हर वक़्त तैयार रहता है। यही हाल वो मेरी सहेलियों के साथ भी करता है और उन्हें अपनी आँखों आँखों से ही चोदता रहता है। शायद वो इंतज़ार में है कि कब वो मेरी सहेलियों पर हाथ डाले !

मैं अपनी एक सहेली नाज़िमा और अपने बारे में पहले बताऊँगी। मैं कुछ दिनों पहले ही नाज़िमा से मिली थी, नाज़िमा एक अति आधुनिक विचारों वाली सेक्सी कन्या है जिसने मेरे भीतर भी उन्मुक्त सेक्स की भावना जगाई।

आइए आपको नाज़िमा की जवानी से रूबरू करवाती हूँ। गोरा रंग, मलाई सी त्वचा हाथ लगाने से ही मैली हो जाए, गोल मासूम चेहरे पर काले रेशमी बाल, लाल लाल गाल, मोटी मोटी नशीली आँखें, रस से भरे रसीले होंठ जिनको चूसने का सभी का मान करे ऐसी है मेरी सहेली नाज़िमा ! एथलेटिक्स की दीवानी कहती है कि एथलेटिक्स से शरीर कसा और फिट रहता है। मैं सब समझती हूँ कि शरीर के कौन से हिस्से के बारे में बात करना चाहती है मेरी सहेली नाज़िमा !

कुल मिला कर नाज़िमा की जवानी टनाटन और नया ताजा माल है पूरे कॉलेज में ! एक बार तो मुझे भी लगा कि वो चेतन को मेरे चंगुल से ले जाएगी पर मेरी भी तूफ़ानी और कातिल जवानी का कोई जवाब नहीं है। कॉलेज का हर लड़का मेरा और नाज़िमा का, समझ लो, बराबर ही दीवाना है और मैं चेतन पर मरती थी और नाज़िमा के लिए सभी लड़के बस एक मर्द हैं !

नाज़िमा के चिकने और कामुक जिस्म पर झांट का एक भी बाल नहीं था और उसकी चूत बिल्कुल कचिया चूत है। अभी तक लण्ड की आशिक़ नाज़िमा को लण्ड बहुत देखने को मिले थे पर वो कई तरह की बंदिशों के रहते उन्हें गटक नहीं पाई थी और जब मेरी उससे दोस्ती बढ़ गई, उसने खुद बोला था कि शबनम तेरी नाज़िमा अब तक अनचुदी चूत है, अभी तक उसकी चूत सिर्फ़ पानी से सराबोर हो जाती थी, पानी छोड़ देती थी, पर लौड़ा नहीं चूस पाई थी।

वो मेरे से काफ़ी घुल मिल गई मैंने भी सोचा कि चलो नाज़िमा को मस्त जवानी का दर्शन करवा दूँ। मेरे कहने के अनुसार ही वो कभी कभी स्कर्ट के नीचे पैंटी नहीं पहनती थी और कॉलेज में ऐसे ऐसे पैर करके बैठती थी कि लड़कों को पता चल जाता था कि नाज़िमा बिना कच्छी के आई है और वो उसके उस दिन ज़्यादा आशिक़ हो जाते थे।

हम लड़कियों के ग्रुप को इस बात में ज़्यादा मज़ा आता था क्योंकि लड़कों की पैंट का तंबू हम लोगों को देखने में मज़ा आता था।

एक बार जब मेरे घर पर कोई नहीं था तो मैंने नाज़िमा को अपने घर बुलाया और जब उससे पूछा कि क्या मेरे घर पर वो अपनी पहली चुदाई का मज़ा लेना चाहेगी तो नाज़िमा घबरा उठी। मैं भी समझ गई लड़की नई नई जवान हुई है, इसकी बातें ही हैं, असली चुदाई से इसकी गाण्ड फ़टती है।

मुझे लगा कि थोड़ा समय लगेगा और फिर जो मस्त चुदक्कड़ बनेगी कि उसका पूरा मोहल्ला नाज़िमा की चूत के नशे में डूबा होगा। मैंने उसे अपने घर बुलाया और टीवी पर एक नंगी फिल्म लगा दी। सच मानिए आप लोग कि देसी और विदेशी नंगी फ़िल्म देख कर तो नाज़िमा का सर चकरा गया, वो बोली- शबनम, यह सब क्या सचमुच में होता है? मैंने भी उससे मज़े लेने के लिए बोला- खुल के बोलो नाज़िमा, क्या कहना चाहती हो? यहाँ तेरे मेरे सिवा कोई नहीं है। नाज़िमा- शबनम यही जो इस फिल्म में है लवड़ा चूसना और?

मैं- और क्या बोल तो ज़रा? नाज़िमा- हाय रे ! मुझे शर्म आती है ! मैं नाज़िमा के गर्दन में हाथ डाल कर- बोल ना मेरी रानी, जितना खुल के बोलेगी उतना मस्ती लूटेगी ! नाज़िमा- यह पीछे चूतड़ों में टट्टी वाली जगह डलवाना, मुझे तो इतना ही पता था की लवड़ा आगे जहाँ से माहवारी में खून निकलता है, वहाँ घुसाया जाता है?

मैं- हाय री नाज़िमा ! मैं तो तुझे बहुत चालू और होशियार समझती थी, तुझे तो कुछ भी नहीं पता की ये लड़के लोग कैसे कैसे हम लड़कियों के बदन का, बदन के छेदों का इस्तेमाल करते हैं, पूरा जिस्म भोगते हैं हमारा ! मैंने फिर नाज़िमा को बताना शुरू लिया कि किस तरह एक मर्द किसी भी औरत का जिस्म भोगता है। मैं- नाज़िमा, तूने कितने मर्दों को महसूस किया है? नाज़िमा- क्या मतलब?

मैं- मेरा मतलब है किस किस उमर के मर्दों को अपनी मादक छातियों की ओर देखते हुए महसूस किया है? नाज़िमा शरमा कर- लगभग हर उमर के 18 से 70 साल तक के ! अब क्या बोलूँ शबनम, ये मेरे गोल गोल मस्त चूचे हर उमर के मर्द का लवड़ा टनटना देते हैं और हर उमर का मर्द मेरी जवानी को भूखी नज़रों से देखता महसूस होता है। क्या बताऊँ, घर में भी और घर से निकलते ही लगता है पूरा जमाना मेरी जवानी का रस पीना चाहता है। मैं- तुझे कैसा लगता है उस समय जब किसी मर्द की भूखी निगाहें तेरे जिस्म पर होती हैं?

नाज़िमा- पहले तो खराब लगता था, धीरे धीरे अटपटा लगने लगा पर अब आदी हो गई हूँ। सच कहूँ अब यदि कोई रास्ते में मर्द नहीं देखता है तो खराब लगता है कि किसी ने नाज़िमा के जिस्म की गोलाइयों को देखा नहीं, घूरा नहीं ! यह नहीं सोचा कि काश यह मदमस्त चूचियों का जोड़ा दबाने, मसलने चूसने को मिल जाए !

मैं- देखा नाज़िमा, ये मर्द सब इसी तरह जवान जिस्म का भोग करना चाहते हैं, जरा सी समझ आते आते इनका लण्ड खड़ा होना शुरू हो जाता है और ये लोग जिंदगी भर चूत का उपभोग करना चाहते हैं। नाज़िमा- तुझे कैसे मालूम? मैं- मुझे चेतन ने बताया, चेतन मेरा लवर है उसने ! तू तो जानती ही है ! नाज़िमा- हाँ ! मैं- तू जानना चाहेगी हम दोनों के बीच कैसी कैसी बातें होती हैं? नाज़िमा ने हाँ में सिर हिलाया।

मैं- पर उसके लिए तुझे कुछ करना होगा? नाज़िमा- क्या? मैं- कुछ खास नहीं जानेमन ! घर पर आज कोई नहीं है और दरवाजा बंद है, आ जा पूरी तरह नंगी होकर मेरी बाहों में और मेरी और चेतन की काम कथा सुन और अपनी जिंदगी का मज़ा भी ले ! नाज़िमा- मज़ा कैसे?

मैं- अरी पागल नंगी बाहों में होगी तो तुझे झाड़े बिना थोड़े ही छोड़ दूँगी ! चल वो सब छोड़ और अपने मादक और महकते जिस्म को कपड़ों से आज़ाद कर दे ! ले तेरी शर्म खोलने के लिए पहले मैं नंगी हो जाती हूँ फिर तुझे एक एक करके कपड़ो से आज़ाद करूँगी।

इतना कह कर मैंने अपने मस्त कामुक और चिकने जिस्म से सारे कपड़े उतार दिए। वैसे भी मैं और नाज़िमा सिर्फ़ लोवर और टीशर्ट में ही तो थी। अपने आप को मादरजात नंगी करने के बाद मैं नाज़िमा की ओर बढ़ी और नाज़िमा के मदमाते जिस्म को बाहों के घेरे में लेकर बोली- आओ नाज़िमा, आज मैं तुझे एक मर्द के लिए पूरा तैयार कर दूँ। नाज़िमा सब अचानक और पहली बार देख कर समझ ही नहीं पा रही थी कि मुझे रोके या अपनी जवानी की जानकारी को पूरा होने दे ! उसने कुछ भी नहीं कहा और अपने आप को मेरे हाथों में सौंप दिया।

मैंने नाज़िमा के जिस्म को बाहों में भरा और उसके रसीले होंठ पे होंठ रख कर चूसने लगी और बोली- नाज़िमा, तुझे गंदी बातें पसंद हैं? नाज़िमा- हह… ह्म… हाँ ! मैं- ठीक है, मैं तुझे सब खुलके बोलूँगी। एक बात है… नाज़िमा- कक्याआआ… आआआहह…

मैं- तेरे होंठ बड़े रसीले हैं, जो मर्द इन्हें चूसेगा, तेरी चूत का दीवाना हो जाएगा। क्या तेरे नीचे के होंठ भी इतने ही रसभरे हैं? नाज़िमा- मुझे नहीं मालूम ! मैं- ठीक है मेरी बुलबुल ! आज तेरे सारे बुल (होंठ) मैं चूस के तुझे बताऊँगी। कह कर मैं नाज़िमा के रसीले होंठ चूसने लगी। एक नंगी लड़की के साथ सेक्स की कल्पना नाज़िमा ने कभी नहीं की थी, उसकी चड्डी में चूत ने पानी का दरिया बहा दिया, पूरी तरह चिपचिपा रही थी उसकी चिकनी चूत !

मैंने नाज़िमा की टीशर्ट के ऊपर ही उसके तोते पकड़ लिए, सी…सी… आ… नाज़िमा के मुँह से आवाज़ निकल पड़ी। मैं- क्यों क्या हुआ मेरी बुलबुल? नाज़िमा- इतनी ज़ोर से ना दबा ! दर्द कर दिया तूने !

मैं- मुझे तो रोक ले मेरी जान, पर किसी मर्द को नहीं रोक पाएगी। तेरी छाती पर उगे संतरे बड़े मस्त गोल और मुलायम हैं। नाज़िमा शरमा गई, इस अदा पर मैंने उसे अपनी बाहों में फिर से जकड़ लिया। धीरे धीरे मैंने नाज़िमा की टीशर्ट को ऊपर उठाना शुरू किया, नाज़िमा चाहते हुए भी विरोध नहीं कर पाई क्योंकि मैं निपट नंगी थी तो नाज़िमा क्या ना नुकुर करती। मैं- नाज़िमा, तुझे पता है ये मर्द लोग हम लड़कियों का जिस्म अपनी पाँच इंद्रियों से भोगना चाहते हैं।

नाज़िमा- कैसे? खुल कर बोल ना इशारे में नहीं ! मैं- हाँ मेरी बुलबुल तुझे सब बताऊँगी भी और करके ही दिखाऊँगी। ऐसे ही कोई झूठ नहीं बोली मैं ! यह कहते हुए मैंने नाज़िमा के जिस्म से टीशर्ट उतार दी। मैं- हाय रे ! कितनी चिकनी और गोल चूचियाँ है तेरी ! कसम से चेतन देख ले तो चूसे बिना माने नहीं, चेतन क्या कोई भी मर्द तुझे भोगेगा तो धन्य हो जाएगा।

नाज़िमा- शबनम प्लीज़, मुझे शर्म आ रही है। मैं- अरे लड़की हूँ मैं, कोई मर्द नहीं जो तेरी फ़ुद्दी मार लूँगी। मुझसे मत शरमा, नहीं तो जवानी के मज़े नहीं ले पाएगी। नाज़िमा अपने आप में कसमसा कर रह गई। शबनम धीरे धीरे गर्म हो रही थी, उसकी अपनी चूत भी पानी से भर रही थी, उसने नाज़िमा के हाथ को पकड़ कर अपनी चिकनी और गर्म जाँघों के बीच दबा दिया।

नाज़िमा फिर सिसकार उठी। नाज़िमा- हाय शबनम, क्या कर रही हो? यह क्या हो रहा है मेरे जिस्म के साथ? मैं- कुछ नहीं मेरी रानी ! आज जवानी का नंगा खेल होगा जो तुम और मैं दोनों मिलकर खेलेंगे और सोचेंगे कि काश कोई मर्द भी होता तो हम और तुम दोनों उसे भोगते और वो हम दोनों को बारी बारी से उपभोग करता !

मेरी उत्तेजित करने वाली बातें सुन सुन कर उसकी गीली चूत और पानी में डूबती जा रही थी। मैंने उसकी चूची दबाई और उसके कान के पास मुँह ले जाकर बोली- आ नाज़िमा, अब मैं तुझे मादरजात नंगी कर दूँ अपनी तरह ! पूरी नंगी, बिना किसी कपड़े के, कोई पेंटी नहीं कोई ब्रा नहीं ! आ जा नाज़िमा मेरी जान, मेरी बुलबुल, मेरी कामुक कली, आ जा तेरी पंखुड़ियाँ मसल दूँ।

नाज़िमा इन बातों को अपने ऊपर महसूस करती जा रही थी और मैंने उसका लोअर भी उतार दिया। अब 18 साल की नाज़िमा सिर्फ एक पेंटी में मेरे सामने बेड पर थी। मैंने उसे निहारा और उस पर टूट पड़ी, नाज़िमा से लिपट गई और उसके होंठ चूसने लगी।

अब नाज़िमा भी मेरा साथ दे रही थी, इससे मैं मन ही मन मुस्कुरा उठी, समझ गई कि चिड़िया ने दाना चुग लिया है, वो चुदाई के लिए तैयार है। मैं जब भी कहूँगी, नाज़िमा किसी भी मर्द का लौड़ा अपनी चिकनी और मस्त चूत में ले लेगी।

नाज़िमा- शबनम वो इन्द्रियों से जिस्म भोगने की बात बताओ और यह भी कि चेतन ने यह सब तुझे कब और क्यों बताया? मैं- सब बताती हूँ मेरी जान ! पहले तेरी गीली पेंटी उतार दूँ देख तेरी चूत के पानी से पूरी भीग गई है। नाज़िमा- उत़ार दो शबनम !

मैं- मेरी बुलबुल ! तेरे नीचे वाले बुल को मर्द चूसेंगे और तू चूतड़ उठा उठा कर चुदवायेगी। वो दिन भी आयेंगे मेरी कच्ची कली। इतना कह कर मैंने नाज़िमा के जिस्म से उसकी आखिरी शर्म भी उतार दी। अब नाज़िमा और मैं मादरजात नंगी होकर एक दूसरे से लिपटी हुई थी, हाथ जिस्म पर फिर रहे थे और होंठ एक दूसरे की मादकता को चूम रहे थे। नाज़िमा- शबनम प्लीज़, मेरी जवानी का सारा रस पी लो। बताओ न अब कि लड़के अपनी इन्द्रियों से कैसे हम लड़कियों के जिस्म को भोगते हैं?

मैं- अच्छा सुन कि ये चोदू मर्द लोग हम लड़कियों को अपनी पाँचों इन्द्रियों से कैसे भोगते हैं। यह बात मुझे मेरे यार चेतन ने बताई थी जब मैंने अपनी बुर की कसम दी तब उसने बोला। नाज़िमा- हाय री? तो तू उससे चुद चुकी है?

शबनम- हाँ नाज़िमा, चेतन ने तेरी शबनम की चूत को जम कर चोदा है, पर वो किस्सा बाद में बताऊँगी कि कब और कहाँ पर चोदा उसने तेरी सहेली शबनम को। पहले यह सुन ! नाज़िमा- हाँ बता !

शबनम-पहले मर्द अपनी आँखों से लड़की के जवान जिस्म का भोग लगते है। वो लड़की के एक एक उभार को अपनी कामुक नज़र से मसलता है। जैसे उसके होंठ, उसकी चुचियाँ, उसके गोल गोल चूतड़, उसकी चिकनी कमर, उसकी मांसल बाहें, उसकी गुदाज जांघें, उसके चहरे की चिकनाई, किसी अंग पे विज़िबल तिल वगेरह वगैरह… मर्द सब जगह को देख के सोचता है की काश इसके हर अंग पे लंड रगड़ने का मौका मिले तो मज़ा ले लूँ… इस तरह एक मर्द किसी नाज़ुक कलि के यौवन का रसपान अपनी कामुक आँखों से करता है।

इसके बाद जब लड़की को अपनी बाहों में दबोचता है तो अपनी त्वचा से लड़की की त्वचा को रगड़ के शरीर से स्पर्श सुख का आनन्द लेने की कोशिश करता है। कई मर्द बिना चुदाई के इस प्रक्रिया में अपने आप को झाड़ देते हैं. नाज़िमा- हाय इतना गहरे से मैंने नहीं सोचा क्या मेरे बारे में भी यह लड़के यही सोचते हैं और अपना वीर्य झाड़ते होंगे? मैं- हाँ री मेरी चिकनी और कामुक कली, तू अभी तक अनचुदी है, तेरी चूत का बाजा बजाने को तो पूरी क्लास में कोई भी लौंडा तैयार हो जाएगा… कहे तो बात करूँ तेरी नथ उतरवाने की?

नाज़िमा- ओह… प्लीज़्ज़्ज़्ज़… शबनम मैं बड़ा अलग फील कर रही हूँ प्लीज़्ज़्ज़्ज़… मैं- फिर मर्द लोग अपनी बाहों में फँसी कली के यौवन को सूंघते हैं, लड़की के शरीर से निकलती खुशबू को महसूस करते हैं, इस प्रक्रिया में वो उसके जिस्म को अपनी बाहों में कस के पकड़ लेते हैं और लड़की की उभरी चूचियाँ, उसकी क्लीवेज, उसकी गर्दन, उसके पेट, उसकी नाभि, उसक्के चूतड़, उसकी चूत एट्सेटरा एट्सेटरा की खुशबू को सूँघते है. इसके बाद मर्द लड़की की जवानी का अपने कानों से भोग करता है… नाज़िमा- वो कैसे?

मैं- इतना सब होने के बाद लड़की मादकता में डूब के मस्त हो जाती है, लड़की के मुँह से निकली कामुक सिसकार, उसकी ना नुकुर, उसकी छटपटाहट, उसका इन्कार, उसका इकरार सब लड़के के कानों में पड़ते है तो वो और मस्त होके लड़की पर झपट्टा मार के उसकी आवाज़े तेज़ करने के कोशिश करता है और गर्म जिस्म एक दूसरे से लिपट के एक दूसरे का उपभोग करते है और इस प्रक्रिया में लड़के लड़कियों का भोग ज़्यादा लगाते हैं. अब आती है बारी जीभ से जवानी का स्वाद लेने की तो नाज़िमा मेरी जान सुन अब लड़के नंगी हो चुकी लड़की की चूत को चाट के, उसकी तनी चूचियों को चूस के, उसके गर्म चूतड़ पे जीभ फिरा के, उसके रस भरे होंठो को ख़ाके, उसके पूरे जिस्म को चाट चाट के लड़की का अपनी पाँचवी इंद्रिय से भी भोग लगाते हैं…

नाज़िमा- फिर क्या होता है? मैं- हाए मेरी कच्ची चूत, इतनी भी भोली मत बन… इसके बाद शुरू होती है चुदाई. जिसमें लड़का लड़की की बुर मार के उसे औरत बना देता है, तुझे चुदना है तो बोल, तेरी चुदाई करवाऊँ क्या? नाज़िमा- वो बाद में शबनम, पहले अभी जो गर्मी चढ़ रही है उसका कुछ कर… मैं- आ नाज़िमा आज हम दो लड़कियाँ मिल के यौवन का नया खेल खेलें जिसमें बिना मर्द के हमें संतुष्टि मिले…

इतना कहके शबनम ने नाज़िमा को चूसना शुरू किया और उसकी चूत पर हाथ ले जाके उसे ज़ोर से दबा दिया, शबनम-नाज़िमा अब मैं तेरे साथ गंदी जुबान इस्तेमाल करके खेल करूँगी। नाज़िमा- जो भी करना हो करो शबनम प्लज़्ज़्ज़…आआअहह शबनम-साली बड़ी गर्मी चढ़ गई तेरी चूत को, आ इसका सारा नशा उतार दूं… नाज़िमा- कैसे?

मैं- क्या तू गाजर मूली काम में लाती है? नाज़िमा– नहीं सिर्फ़ ऊँगली… मैं- आज ऊँगली के साथ साथ मूली भी मिलेगी, रुक मैं लाती हूँ… शबनम नंगी ही रसोई की ओर बड़ी और दो मस्त चिकनी मोटी मूली लेकर आई। नाज़िमा- अरी शबनम, ये मूलियाँ बड़ी मोटी हैं? मैं- तेरी चूत सब निगल लेगी… देखती जा।

नाज़िमा- देखना, कहीं मेरी चूत फट ना जाए। मैं- रुक, मैं एक और काम करती हूँ फिर नाज़िमा तुझे मर्दों वाला मज़ा आ जाएगा। हँस कर नाज़िमा- ऐसा क्या करेगी? क्या तू मर्द बनेगी? मैं- रुक ना साली… बड़ी उतावली हो रही है?

मेरी बातों में डर्टी पुट आ रहा था और मैं भी सेक्स के मादक नशे में डूब चुकी थी, मैं उठी और अपने भाई के कमरे में गई, वहाँ से लौटी तो उसके हाथ में उसके भाई का अंडरवीयर था। नाज़िमा की आँखें देख के फट गई। मैं अपने भाई के अंडरवीर का लौड़े वाला हिस्सा चूस रही थी और अपने हाथों से ऐसे इशारे कर रही थी जैसे मैं चुद रही होऊँ।

नाज़िमा- यह क्या शबनम? भाईजान का अण्डरवीयर? मैं- पूछ मत रानी, मेरा उस पर क्रश है, मेरा मन करता है वो मुझे नंगी करके चोद दे मेरे ही बेड पर… नाज़िमा- हाए री तू चुदने कितनी को उतावली है क्यों ना चेतन का लौड़ा ले ले…

मैं- उससे चुद चुकी हूँ जान, बाद में बताऊँगी कब और कैसे पेला चेतन ने तेरी कामुक शबनम को… नाज़िमा- आ जा, अब मेरे को ठंडा कर मेरी चूत में आग लग गई है और तू भी तो सेक्स की शिकार हो रही है… यह भाई का कच्छा क्यों लाई? क्या नया करेगी?

मैं- इसे पहन कर तेरे से सेक्स करूँगी तुझे लगेगा कि मेरे भाईजान तुझे चोद रहे हैं। नाज़िमा- शबनम प्लीज़… मैं- हाँ, तुझे पता है कि भाई भी तुझे भी चोदना चाहते हैं। नाज़िमा- हाए रे ऐसा है क्या? कितने बलिष्ठ हैं वो, हमारी तो हड्डियाँ पीस देंगे। मैं हँस के- हड्डी के साथ तुम्हारे नर्म उरोज और चिकनी चूत भी… नाज़िमा- शबनम प्लीज्ज्ज मेरी जान, मुझे भाई की बात बताओ तुझे कैसे पता कि वो मुझे चोदना चाहते हैं, 18 साल की इस कमसिन चूत को !

मैं- एक दिन मैं कॉलेज से जल्दी वापस आ गई दोपहर के समय तो भाभीजान के रूम से आवाज़ें आ रही थी, मुझे शक हुआ कि भाभी के साथ कौन है। उनके रूम के पास गई तो पाया कि भाई और भाभी सेक्स कर रहे है और चूँकि मैं घर में नहीं थी इसलिए वो अपनी आवाज़ भी कंट्रोल नहीं कर रहे थे।

आगे की कहानी शबनम की भाभी जीनत और भाईजान फ़िरोज़ की ज़ुबानी ! कहानी जारी रहेगी।

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