चाची ने मुझे भी चुदवा दिया-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

निशा शाह मेरा नाम निशा है। मैं 23 साल की हूँ। मैं बड़ोदरा में अपने माता-पिता के साथ रहती हूँ। मेरी शादी नहीं हुई है लेकिन मेरा एक बॉयफ्रेंड है। हम लोग अभी 2-3 साल शादी नहीं करना चाहते है क्योंकि मेरे बॉयफ्रेंड का कैरियर अभी सैट नहीं हुआ है। हमने कई बार सेक्स किया है। यह था मेरा परिचय। दो महीने पहले मैं अपनी चाची के यहाँ थोड़े दिनों के लिए गई थी। उनका नाम मीना है, वो अमदाबाद में रहती हैं। मेरे चाचा का व्यवसाय दुबई में है, तो वो वहीं रहते हैं, 2-3 महीने में एक बार आमेडबॅड आते हैं। यहाँ अमदाबाद में मेरी चाची और उनका एक लड़का सोनू, जो 18 साल का है वो रहते हैं। मेरी चाची की उम्र 38 साल है। समय बिताने के लिए वो एक बैंक में नौकरी करती हैं। बरसात का मौसम था। मेरा चचेरा भाई अपने स्कूल से पिकनिक पर हिमाचल प्रदेश जाने वाला था। इसलिए मीना आंटी और मैं आंटी की कार से मेरे चचेरे भाई को रेलवे स्टेशन पर छोड़ने गए थे। शुक्रवार की शाम 8 बजे हम स्टेशन पर उसको छोड़ कर वापस आंटी के घर आ गए। बारिश का मौसम था। फिर आंटी रात का खाना तैयार करने के लिए रसोई में चली गईं और मैं नहाने के लिए गुसलखाने में चली गई। तभी घंटी बजने की आवाज़ सुनाई दी। मैं नहा रही थी। एक-दो मिनट बाद मुझे आंटी के ज़ोर-ज़ोर से किसी के साथ झगड़ने की आवाज़ सुनाई दी। मैं जल्दी से नहा कर सिर्फ़ तौलिया का गाउन लपेट कर बाहर आई तो मैंने देखा कि दो आदमी आंटी के साथ झगड़ रहे हैं। मैंने आंटी से पूछा तो उन्होंने बताया- ये अनिल और हिमेश हैं, उनके बैंक में चपरासी की नौकरी करते हैं। ये लोग 2-3 दिन से मेरे साथ बदतमीज़ी करते हैं और आज मेरे घर तक पहुँच गए हैं। आंटी ने अनिल से कहा- तू यहाँ से चला जा वरना मैं पुलिस को बुलाऊँगी। अनिल- अरे पुलिस क्या कर लेगी.. वो सब तो मेरे पहचान के लोग हैं, तूने ऑफिस में हमको बहुत ज़लील किया है, अब तेरी बारी है। ऐसा कहके’ उसने मेरी आंटी के दोनों हाथ ज़ोर से पकड़े और धक्का दे दिया। आंटी ज़मीन पर गिर पड़ीं और चिल्लाईं। तब तक हिमेश ने घर का मुख्य द्वार बन्द कर दिया। मैं तो सन्न रह गई, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। हमारे घर के आस-पास भी बगीचा और बड़ी जगह है, इस लिए चिल्लाने पर भी कोई नहीं सुनता। फिर अनिल ने मेरी आंटी को फिर से पकड़ कर खींच लिया और कमरे में ले गया। वो चिल्लाने लगीं। वो बड़ी मज़बूत हैं फिर भी अनिल के सामने कुछ नहीं कर सकती थीं। क्योंकि अनिल बड़ा ही मज़बूत आदमी था। फिर हिमेश ने भी मुझे पकड़ लिया और मेरे हाथ मरोड़ कर पकड़े रखा। मैं भी दर्द से चिल्लाई। फिर मैंने झटका दे कर अपने आप को छुड़ाया और टेबल पर हमारा पर्स पड़ा था उसमें से 10 हज़ार रुपये निकाले और अनिल को दिखाए और बोली- ये पैसे हैं तुम ले कर चले जाओ। अनिल- अरे हिमेश ये तो अपुन को पैसे दे रही है, ले ले.. फिर इसकी लेते हैं, पहले इस मीना की अकड़ उतार दूँ। मैं यहाँ आपको बता दूँ कि मुझे नहीं मालूम था कि ये सब आंटी का एक सुनियोजित खेल था, जो मेरे वहाँ आ जाने से कुछ गड़बड़ा गया था। खैर आपको इस घटना का रहस्य कहानी पढ़ने में ही मालूम हो जाएगा। फिर वो आंटी के गाल पर चुम्बन लेने लगा। आंटी चिल्लाईं और फिर उनका दिमाग़ सुन्न हो गया। तब तक हिमेश ने मुझे अपनी बाँहों में पकड़ कर उल्टा फर्श पर गिरा दिया और पीछे से मेरे हाथ पकड़ लिए थे। मैं बेबस सी हो महसूस कर रही थी। अनिल ने आंटी को फिर बिस्तर पर ज़ोर से धक्का दे कर लिटा दिया, आंटी भी कुछ कर नहीं रही थी। अनिल ने चादर खींच कर उसके दो टुकड़े करके एक हिमेश की तरफ फेंका। हिमेश ने उस चादर के टुकड़े से पीछे से मेरे हाथ बाँध दिए। मैं सिर्फ़ तौलिया वाले गाउन में थी, मेरी जाँघें दिखने लगी थीं, मैं बेबस सी फर्श पर पड़ी रही। बाकी आधे चादर से अनिल ने 4 और टुकड़े करके आंटी के हाथ और पैर पलँग से बाँध दिए। तब तक आंटी को थोड़ा दबे स्वर में मिन्नतें करने लगीं- प्लीज़ तुम लोग अभी चले जाओ, बाद में आना… अभी तुमको जितने पैसे चाहिए ले जाओ। मैं उनकी मिन्नत को सुन रही थी पर मेरी यह समझ में नहीं आया कि आंटी यह क्यों कह रही हैं कि बाद में आना? तभी अनिल बोला- अरे साली.. पैसे तो हम ले ही जाएँगे, लेकिन हम निशुल्क सेवा नहीं करते हैं मेहनत की खाते हैं। तेरे इस मस्त बदन की चुदाई किए बिना हमें तेरी खैरात नहीं चाहिए। किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है, तेरी ही बदनामी होगी, हमको तो सब जानते ही हैं। आंटी बहुत ही खूबसूरत हैं और उनकी जवानी भी मदमस्त करने वाली है। आंटी को बाँधने के बाद वो आंटी को देखने लगा। में और आंटी लगातार मिन्नतें करने लगीं लेकिन अनिल रुकने के मूड में नहीं था। उसने आंटी की सलवार को फाड़ दिया और कमीज़ को ऊपर खींच लिया। हिमेश उसे देख रहा था। आंटी की पैन्टी भी अनिल ने फाड़ कर निकाल दी, आंटी चिल्लाती रहीं। फिर अनिल ने अपने पैन्ट और अंडरवियर को घुटनों तक उतार दिया। मैं ये सब देख रही थी। अनिल का लंड बहुत ही बड़ा था। गोलाई में लगभग 4 इंच मोटा और 9 इंच लंबा होगा। मैं हैरत से उसके लौड़े को देख रही थी। फिर अनिल झट से आंटी के ऊपर चढ़ गया और अपना लंड एकदम से बड़ी ज़ोर से आंटी की चूत में पेल दिया। आंटी दर्द के मारे चीख उठीं। फिर वो ज़ोर-ज़ोर से झटके देने लगा। आंटी का बुरा हाल मुझसे देखा नहीं जा रहा था। फिर अनिल ने आंटी की कुर्ती और फिर ब्रा को भी फाड़ दिया। आंटी के मम्मे बहुत बड़े हैं। अनिल ने कहा- जानेमन तेरे बोबों पर तो मैं जबरदस्त फ़िदा हूँ ये बहुत बड़े और इनकी चौंच क्या गुलाबी है। फिर वो उसको ज़ोर-ज़ोर से दबाने और चूसने लगा। उसने अपने लंड के झटके और तेज़ कर दिए। आंटी को अब थोड़ा मज़ा भी आने लगा था। चीखने चिल्लाने की आवाज़ अब कम हो गई थी। 5-6 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा। फिर आंटी के मुँह से मस्ती भरी ‘आह’ निकली। आंटी ने कहा- अनिल धीरे कर.. अब तूने मुझे चोद ही लिया है, तो प्यार से चुदाई कर न..। यह सुन कर मैं चौंक गई कि आंटी ये क्या कह रही हैं। अनिल ने कहा- मीना, तुमको चोदने की चाह तो मेरे दिमाग़ में पहले से ही थी, अगर तू पहले ही मान जाती तो आज इतना नाटक नहीं करता, तू इतनी मस्त चीज़ है तुझे तो हमेशा आराम से ही चोदता हूँ। आंटी ने कहा- अब तो तू चोद ही रहा है ना तो अब आराम से चोद। फिर आंटी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। अब मुझे भी मज़ा आ रहा था, मेरे मन में भी चुदवाने की इच्छा जागने लगी। मेरी चूत भी गीली होने लगी थी। मैं और हिमेश ये सब बाहर के कमरे से सब देख रहे थे। हिमेश अब भी मुझे पीछे से पकड़े हुए था। आंटी की मादक सिसकारियों की आवाज आ रही थी। ‘आआआहह.. ऊउउम्म्म अनिल मेरा पानी छूटने वाला है.. ज़रा ज़ोर लगा.. हम मअहह..!’ अनिल ने पीछे मुड़ कर हँसते हुए हिमेश की ओर देखा, फिर मेरी और भी देखा। मैं औंधी पड़ी थी, मेरे हाथ बँधे हुए थे और हिमेश मेरे ऊपर मुझे पकड़ कर बैठा था। अनिल ने हिमेश से कहा- चुदासी औरतों को ठोकने का मज़ा ही कुछ अलग होता है। मैं समझ गई कि अब मेरी बारी है। आंटी- प्लीज़ उसको कुछ मत करना, वो मेरे पति की भतीजी है। मैंने उसे अपनी बेटी माना है, तुम दोनों मुझे जितना चाहे चोद लो..। लेकिन अनिल ने अपने होंठ से आंटी के होंठ बन्द कर दिए और ज़ोर से चूसने लगा। आंटी अपने बँधे हाथ से ज़ोर से पलँग को पकड़े हुए थीं, फिर ज़ोर से वो चिल्ला पड़ीं- उउअनिल.. आहह.. मैं गई..! उनका पानी छूट गया लेकिन अनिल उनको झटके दिए ही जा रहा था। ये देख कर मैं अब अपने आपको भी काबू नहीं कर सकती थी। मैंने अपने सिर को पीछे मोड़ कर हिमेश की तरफ देखा। वो समझ गया कि मैं क्या चाहती हूँ। हिमेश ने पीछे जाकर अपनी पैन्ट और अंडरवियर को घुटनों तक निकाल दिया। फिर उसने मेरे तौलिया वाले गाउन को ऊपर कर दिया। मैंने नीचे कुछ नहीं पहना था। वो मेरे चूतड़ों को देख कर बोला- अनिल.. ये माल तेरे लायक है। इसकी गाण्ड बहुत बड़ी, गोल और एकदम गोरी है। एकदम खरबूज़े की तरह दिख रही है। पहले मैं इस को ठोक देता हूँ। कहानी अगले भाग में समाप्य। आपके विचार मेरी ईमेल आईडी पर आमंत्रित हैं। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000