ट्रेन में नन्दिनी के साथ चुदाई का सफ़र

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विराट सिंह नमस्कार दोस्तो, मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ बहुत दिनों से पढ़ता आ रहा हूँ। मैं भी अपना अनुभव पाठकों के साथ बाँटना चाहता हूँ।

दोस्तों मेरा नाम विराट सिंह है, मैं 19 साल का हूँ। मैं ऋषिकेश में रहता हूँ। यह मेरे जीवन की वास्तविक घटना है, आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरी कहानी पसन्द आएगी।

बात तब की है, जब मैं ऋषिकेश से जम्मू, ट्रेन में जा रहा था। मैं शाम को 6 बजे ट्रेन में बैठा। मुझे सहारनपुर से अपने एक दोस्त को भी लेना था, उसका टिकट भी मेरे पास ही था। हमारा सफ़र पूरी रात का था तो हमने आरक्षण कराया हुआ था।

जैसे ही मैं ट्रेन में बैठा, उसका फ़ोन आया और उसने मुझसे कहा वो नहीं आ सकता कि उसके बाबा जी बहुत बीमार हैं। तो दोस्तो, मुझे अकेले ही जाना पड़ा।

ट्रेन के डिब्बे में बहुत कम लोग थे। ट्रेन मैं अभी-अभी कुछ महिलायें आईं। वो सब मिला के 9 लोग थे, जिनमें 4 बूढ़ी औरतें और 3 औरतें लगभग 30-40 साल के बीच की थीं और एक छोटा लड़का और एक जवान लड़की थी जिसकी उम्र 20 साल की रही होगी। उसकी देहाकृति 36-24-36 के आस-पास होगी। वो बला की खूबसूरत थी। उसकी चूचियाँ बड़ी मस्त थीं। मैं बार-बार उसकी चूचियाँ देख रहा था, मेरी नजर नहीं हट रही थी। वे लोग बराबर वाली सीट पर बैठ गए।

कुछ देर बाद जब ट्रेन चल दी उनमें से एक औरत मेरे पास आई ओरे बोली- बेटा तुम कहाँ जा रहे हो?

मैंने बोला- माता जी मैं जम्मू जा रहा हूँ।

फिर वो औरत बोली- बेटा हम भी जम्मू ही जा रहे है, पर क्या है न… हमने छोटू का टिकट नहीं लिया था, तो क्या तुम छोटू को अपने साथ सुला सकते हो? अगर टीटी पूछे तो बोल देना कि यह तुम्हारा ही भाई है… बेटा बड़ी मेहरबानी होगी तेरी।

मैंने कहा- माता जी इसमें मेहरबानी की कोई बात नहीं.. आप टीटी की चिंता मत करो, आप छोटू को मेरे सामने वाली सीट पर भेज दो मेरे पास दो टिकट हैं।

अब रात के 8 बज चुके थे वो सब लोग शायद खाना खा रहे थे, तो उन सबने जबरदस्ती मुझको भी बुला लिया, मैंने उन सबके साथ खाना खाया, उन्होंने बताया कि वो सब वैष्णो देवी जा रहे हैं।

अब 9 बज चुके थे, वो सब सोने की तैयारी कर रहे थे। छोटू भी सोने के लिए अब मेरे पास आ चुका था। वो मेरे सामने वाली सीट पर अपना बिस्तर लगा कर सो गया।

रात को 9:30 के आस-पास टीटी आया और टिकट देख कर चला गया फिर छोटू उठा और शायद वो फ्रेश होने गया था, जब वो वापिस आया तो अपनी दादी के पास जाकर उनके साथ ही सोने की जिद करने लगा, तो उसकी दादी ने उस लड़की को मेरे सामने वाली सीट पर भेज दिया।

वो मेरे सामने बैठी थी, शायद उसको नींद नहीं आ रही थी। मैंने अपने लैपटॉप में फेसबुक चला रखा था। वो अपने मोबाइल पर गाने सुन रही थी, हम बीच-बीच में एक-दूसरे को देख रहे थे।

बहुत देर बाद वो बोली- आप क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- मैं फेसबुक चला रहा हूँ।

तो वो बोली- जब आप फ्री हो जाओ तो क्या मैं भी चला सकती हूँ?

तो मैंने कहा- इसमें पूछने की क्या बात है, आप चला लीजिए, मैंने तो अब बंद कर दी है।

उसने मुझे लैपटॉप ले लिया और वो फेसबुक चला रही थी। मैं बैठ कर उसको देख रहा था, क्या चूचे थे उसके…! कुछ देर बाद मुझे ठण्ड लगने लगी थी।

कुछ देर बाद उसने मुझसे पूछा- आपको ठण्ड लग रही है क्या?

मैंने कहा- जी.. थोड़ी-थोड़ी..

तो उसने कहा- आप अपने पैर मेरी सीट पर कर लो और मैं आपकी सीट पर और मेरा कम्बल डाल लो।

हमने ऐसा ही किया, अब उसने लैपटॉप मुझको दे दिया, मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम नन्दिनी बताया।

उसने मुझसे पूछा- आप क्या कर रहे हो?

मैंने उसको बताया- मैं देहरादून से बी.टेक कर रहा हूँ।

उसने बताय कि वो ऋषिकेश से बी.ए. कर रही है।

हमने काफी बातें की और बातें करते-करते हम ऐसे ही सो गए। रात को जब मेरी आँख खुली तो उसके पैर मेरे लोअर के ऊपर थे, जिससे मेरा लंड एकदम तन गया था।

मैंने भी देर न करते हुए अपने पैर चुपचाप उसके लोअर के ऊपर रख दिए और लाइट बंद कर दी और अपना पैर आराम-आराम से हिलाता रहा। कुछ देर बाद उसकी आँख खुल गई तो उसने मेरा पैर उठाकर साइड में रख दिया और अपना पैर मेरे ऊपर से हटाया तो मेरी आँख खुल गई तो वो बोली- सॉरी..

अब किसी को नींद नहीं आ रही थी, हम फिर से बात करने लगे।

फिर वो बोली- चलो एक गेम खलते हैं।

मैंने कहा- ओके।

वो बोली- अन्ताक्षरी खेलते हैं और जो हारेगा, उसको जो भी अगला बोलेगा वो करना पड़ेगा।

मैंने कहा- ओके।

हमने खेलनी शुरू की, एक जगह आकर मैं अटक गया।

तो उसने कहा- अब आपको वो करना पड़ेगा जो मैं कहूँ।

मैंने कहा- तो बताइए कि क्या करना है ?

तो वो बोली- आपको डांस करके दिखाना पड़ेगा।

मैंने मना कर दिया, तो वो बोली- यह बात पहले ही तय हुई थी और दोस्ती में कभी मना नहीं करते।

तो फिर मैंने उसको डांस करके दिखाया।

अब की बार वो हार गई तो वो बोली- बताइए जी क्या करना पड़ेगा.. मुझको? तो मैंने डरते-डरते कहा- आपको मुझे एक चुम्मी देनी पड़ेगी…

वो बोली- क्या??

मैंने कहा- आपने ही कहा था कि दोस्ती में मना नहीं करते।

उसने कहा कि वो ऐसा नहीं कर सकती।

तो मैं उसके कम्बल से पैर निकाल कर बैठ गया और बोला- देख ली आपकी दोस्ती।

तो वो बोली- कोई आ गया तो?

मैंने कहा- सब सो रहे हैं.. कोई नहीं आएगा और यहाँ अँधेरा भी बहुत है।

उसने कहा- बस किस.. और कुछ नहीं और वो भी यहाँ नहीं हम वाशरूम चलते हैं।

वहाँ जाते ही जैसे ही उसने दरवाज़ा बन्द किया और पीछे घूमी, मैंने उसके हाथ पकड़े और उसको अपनी बांहों में भर लिया।

अब मेरा एक हाथ उसकी कमर को पीछे से पकड़े हुए था और दूसरा उसके सर को, उसकी आँखें बंद थीं।

मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और उसके होंठ का रस पीने लगा। कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी, अब मैंने अपना हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर दे दिया और उसकी कमर पर फिराने लगा और उसकी ब्रा खोल दी।

उसने एकदम से मुझे धक्का दिया और बोलने लगी- हम ऐसा नहीं कर सकते।

वो एकदम से वाशरूम का दरवाज़ा खोलने लगी।

मैंने तभी उसको पीछे से पकड़ा और उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा और उसके स्तन दबाने लगा। वो खुद को मुझसे अलग करने की कोशिश कर रही थी और बोल रही थी- प्लीज.. स्टॉप इट..!

अब मैंने उसका टॉप जबरदस्ती उतार दिया और उसके बड़े-बड़े स्तन मेरे हाथ मैं आ गए। मैं उनको दबा रहा था और उसको चूम रहा था। अब मैंने अपना लोअर और अंडरवियर हल्का सा नीचे कर दिया, मेरा लंड उसकी गांड में चुभ रहा था।

वो बोले जा रही थी- प्लीज.. लीव मी.. तुम ऐसा नहीं कर सकते।

मैंने देर न करते हुए अपना एक हाथ उसके स्तन से हटा कर उसके लोअर के अन्दर डाल दिया। उसने लोअर के ऊपर से मेरा हाथ पकड़ लिया, पर मैं नहीं रुका। मैंने अपनी एक उंगली उसकी गीली चूत में डाल दी।

वो एकदम से चिल्ला पड़ी- आआ…ई ईई..।

मैंने उसकी चूत से उंगली निकाल दी और उसके आगे आकर उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए। मैंने फिर उसकी चूत में ऊँगली डाल दी और उसके होंठ को अपने होंठ से चूसता रहा। उसकी चूत इतनी तंग थी कि मेरी दो उंगलियाँ भी उसमें नहीं जा पा रही थीं।

अब उसने विरोध करना लगभग बंद ही कर दिया था।

मैं उसके मम्मे चूस रहा था और उसकी चूत को ऊपर से सहला रहा था और वो सिसकारियाँ भर रही थी।

मैंने उसको उसका लोअर उतारने को कहा, उसने उतार दिया। अब वो सिर्फ काली कच्छी में थी। वो अब भी अपनी आँखें नहीं खोल रही थी। मैं बैठकर उसकी चूत चाटने लगा, वो थोड़ी देर बाद झड़ गई, मैंने उसका सारा पानी पी लिया।

मैंने उसको अपना लौड़ा चूसने को कहा, तो वो मना करने लगी। तो मैंने जबरदस्ती अपना लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया, वो उसे चूसने लगी। अब उसे मज़ा आने लगा था। कुछ देर बाद मेरा भी झड़ गया, वो अब भी मेरा लंड चूसे जा रही थी।

उसने कहा- अब मुझसे रुका नहीं जा रहा प्लीज.. अब मेरी सील तोड़ दो.. फाड़ दो मेरी चूत।

मैंने उसको खड़ा किया और उसकी फुद्दी पर अपना लंड रख कर और अपने होंठ उसके होंठ रख कर जोर से धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसके अन्दर चला गया वो अन्दर ही अन्दर बहुत चिल्लाई, उसके आंसू आ गए। मैंने फिर एक धक्का और मारा अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था.. वो रो रही थी। जब मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला तो उस पर खून लगा था, उसकी सील टूट चुकी थी।

मैंने अब उसे चूमना शुरू कर दिया, थोड़ी देर बाद उसके आंसू रुक गए, मैंने फिर अपना लंड धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी।

अब मेरा झड़ने वाला था, मैंने उसको बोला- मेरा निकलने वाला है।

वो बोली- प्लीज.. अन्दर मत छोड़ना।

मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में दे दिया, वो मेरा सारा माल पी गई।

हमने फिर उसकी चूत पर लगा सारा खून साफ़ किया और अपने-अपने कपड़े पहने और अपनी सीट पर आ गए।

उस रात हमने बार-बार वाशरूम जाकर 3 बार चुदाई की। उसने मुझे अपना फ़ोन नम्बर दिया और जब भी हम मिलते हैं, चुदाई जरूर करते हैं। आपको यह कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।

आपका दोस्त विराट सिंह मुझे मेल करना मत भूलना। [email protected]

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