तू मेरे पति से, मैं तेरे पति से चुदूँगी -1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

यह कहानी मेरी बेटी की एक सहेली संगीता जैन की है, मेरी बहू सोनम ने इस किस्से को मुझे बताया था। तो संगीता जैन के ही शब्दों में ढाल कर मैं यह कहानी आपके सामने पेश कर रहा हूँ।

मेरा नाम संगीता जैन है, मैं तेईस वर्षीया खूबसूरत और मांसल बदन की लड़की हूँ, मैं आधुनिक विचारों की हूँ और फैशनेबल तरीके से रहना मुझे अच्छा लगता है। हम लोग चण्डीगढ़ शहर में अभी नए आए हैं, मेरे पति ॠषभ जैन एक दवा कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव हैं और महीने में पंद्रह-बीस दिन बाहर के दौरे पर रहते हैं।

मेरे पति ॠषभ काफी खुले विचारों के इन्सान हैं, वे न केवल मेरे लिये सेक्सी और रोमांटिक किताबें खरीद कर लाते हैं बल्कि ब्ल्यू फिल्में भी मुझे दिखाते हैं, चुदाई के खेल में नये नये तरीके अपनाने के लिये उकसाते हैं, उनके कहने पर मैंने कई बार चुदाई के मामले में काफी मौज मस्ती की है, वे मेरी इस आदत का कभी बुरा नहीं मानते बल्कि खुश होते हैं।

हमने इस शहर में जो घर लिया है, इसके दो हिस्से हैं, जिसमें से एक में हम लोग रहते हैं और दूसरे हिस्से में एक अन्य नव दम्पति रहते हैं, उन दोनों के नाम नवीन और शीनू है, नवीन किसी ऑफिस में काम करते हैं, वे सुबह दस बजे घर से निकलते हैं और शाम को पाँच साढ़े पांच बजे के बीच वापस आते हैं, हाँ.. कभी कभी उन्हें भी दौरे पर बाहर भी जाना पड़ता है।

शीनू काफी सीधी-सादी युवती है, उसके साथ कुछ ही दिनों में मेरी अच्छी दोस्ती हो गई, हम लोग आपस में हर तरह की बातें कर लेती हैं, शीनू वैसे तो काफी संकोची स्वभाव की है लेकिन लड़कियाँ एक दूसरे को घर-बाहर की हर बात बता देती हैं, यही हाल शीनू का है, वह मुझे अपने परिवार की सारी बातें बता देती है, यहाँ तक कि हम दोनों अपनी सेक्स लाइफ के बारे में भी खुल कर बातें कर लेती हैं।

एक दिन शीनू ने मुझे बताया कि उसके पति नवीन को व्हिस्की पीने का शौक है और नशे में होने के बाद वे उसे काफी रात तक परेशान करते रहते हैं।

यह बात सुन कर मुझे उत्सुकता हुई, मैं उसे कुरेदने लगी कि वह इस बारे में और खुल कर बताए।

काफी कहने के बाद आखिरकार शीनू बताने को तैयार हुई, वह बोली- ये चाहते हैं कि हम लोग कमरे की लाईट जला कर पूरे नंगे होकर चुदाई करें, इतना ही नहीं, वे मुझे भी शराब पीने की भी जिद करते हैं, ताकि मैं भी उनकी तरह बेशर्म हो जाऊँ, कई बार ये मुझसे अपना लौड़ा चूसने को भी कहते हैं, लेकिन लौड़ा चूसना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता, लौड़ा चूसने में मुझे कई बार उबकाई आ जाती है।

शीनू ने बातों बातों में यह भी बताया कि नवीन का लौड़ा काफी मोटा और लम्बा है, चुदाई के दौरान वे काफी देर से झड़ते हैं, जितनी देर में वे एक बार झड़ते हैं, उतनी देर में शीनू दो बार झड़ जाती है।

‘मेरे पति ॠषभ की आदत उलटी है!’ शीनू की देखादेखी मैं भी बताने लगी- उन्हें अपना लौड़ा पिलाने में उतना मजा नहीं आता जितना की मेरी चूत चूसने में आता है, मुझे चित लिटा कर जब वे मेरी चूत पर जीभ फ़ेरते हैं और मेरी फांकों को अपने होंठों में दबा कर चूसते हैं तो मेरा पूरा बदन गर्म हो जाता है, यदि मर्द चूत को मुँह में रख कर औरत के साथ मुख मैथुन करे तो वाकई उसे बहूत मजा आता है।

शीनू बोली- संगीता तू कितनी खुश किस्मत है कि तेरा पति तेरी चूत को मुँह से चाटता और प्यार करता है, काश मेरे पति भी ऐसे होते, लेकिन उनकी निगाह में तो बीवी की चूत की सिर्फ इतनी ही अहमियत है कि उसे अपने डण्डे जैसे लौड़े से बुरी तरह ठोका पीटा जाये!

‘तू इतना निराश क्यों हो रही है शीनू?’ मैंने शीनू के गले में अपनी बाँहें डाल कर उसे अपने से चिपटाते हुए कहा- तेरी चूत चटवाने की ज्यादा इच्छा हो तो किसी दिन अपने ॠषभ से तेरी यह इच्छा पूरी करवा दूँ, बोल?

मेरी बात पर शीनू हंस कर रह गई।

लेकिन मैंने जब से उसके मुँह से यह सुना था कि उसके पति का लौड़ा काफी मोटा और लम्बा है और वह काफी देर से झड़ता है तब से मेरे मन में बार बार यह विचार पैदा हो रहा था कि काश एक बार किसी तरह मुझे नवीन का लौड़ा देखने को मिल जाये।

संयोग से कुछ दिन बाद ही मेरी यह इच्छा पूरी हो गई, शीनू ने एक दिन मुझे बताया कि उसकी शादी कि सालगिरह है और नवीन एक स्कॉच की बोतल लेकर आया है, वह रात में लाईट जला कर चुदाई भी करना चाहता है।

यह सुन कर मैंने शीनू को समझाया कि एक अच्छी बीवी की तरह आज की रात उसे यह सब करना चाहिये, जो कि उसका पति चाहता है।

मेरी बात शीनू की समझ में आ गई, वह बोली- तू ठीक कह रही है संगीता, पति को जिस चीज में ख़ुशी मिले औरत को वही काम करना चाहिये, मैंने सोच लिया है कि आज मैं स्कॉच भी पीऊँगी और इनके साथ खुल कर चुदाई भी करुँगी, आज मैं इनको पूरी तरह खुश कर देना चाहती हूँ।

शीनू की बात सुन कर मेरा दिमाग दौड़ने लगा, मैंने सोचा कि आज नवीन और शीनू अपने कमरे में लाईट जला कर चुदाई करेंगे, तो आज नवीन का लौड़ा देखने का काफी अच्छा मौका है। यह इच्छा काफी दिन से मेरे मन में अंगडाई ले रही थी, लेकिन उसके पूरा होने का वक्त आज आया था। शा म को शीनू और नवीन घूमने चले गए, बाहर से पिक्चर और खाना खाने के बाद लगभग दस बजे वे लोग वापस आए, मैं उनके इन्तजार में अभी तक जाग रही थी।

शीनू और मेरे बैडरूम के बीच में सिर्फ एक खिड़की थी, जो बंद रहती थी लेकिन दूसरी तरफ लाईट जलती हो तो खिड़की की दरार से दूसरी और दिख जाता था, मैंने सोच लिया था कि मैं इसी दरार का फायदा उठाऊँगी।

करीब साढ़े दस बजे मैंने अपने कमरे की बत्ती बुझा दी और खिड़की के पास जम गई।

जैसे ही मैंने दरार से झाँका तो पता चला कि शीनू और नवीन के प्यार का खेल शुरू हो चुका है। शीनू ने पूरा मेकअप कर रखा था और वह काफी सुन्दर लग रही थी, इस समय वह अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार चुकी थी और केवल लाल रंग का पेटीकोट और काले रंग की डिजाइनर ब्रा उसके बदन पर शेष थी।

उधर नवीन के जिस्म पर केवल अंडरवीयर था, उसका विशाल सीना और जाँघों के जोड़ पर उसका उठा हुआ अंडरवीयर साफ़ चमक रहा था।

नवीन ने पहले शीनू को अपनी गोद में बिठाया और उसके होंठों को चूसने लगा, जवाब में शीनू भी उसे चूमने लगी।

कुछ देर बाद वे पूरी तरह नंगे हो कर चुदाई में लग गये।

मैं हैरानी से नवीन के बदन की मजबूती देखती रह गई। शीनू का कहना बिल्कुल सच था कि उसका पति देर से झड़ता है, उसके जबरदस्त धक्कों से शीनू तो थोडी देर में ही झड़ गई थी, लेकिन नवीन फिर भी उसकी चूत में लौड़ा डाले पड़ा रहा और अपनी बीवी की चूचियों को मसलता रहा और उसके होंठों को चूसता रहा।

कुछ ही देर में शीनू दोबारा गर्म हो गई और अपने पति के धक्कों का जवाब धक्कों से देने लगी, नवीन जोर जोर से लौड़ा उसकी चूत में अन्दर बाहर करता रहा।

करीब बीस मिनट की रगड़ाई के बाद दोनों बारी बारी से झड़ गये। अब शीनू के साथ साथ नवीन भी पूरा संतुष्ट नजर आ रहा था।

नवीन का दमदार लौड़ा देख कर मेरा मन लालच में पड़ गया, दूसरे मर्दों के प्रति मेरे विचार काफी खुले हुए थे, क्योंकि मेरे पति ॠषभ जैन ने शादी के तुरन्त बाद से ही मुझे अपने दोस्तों से मिलवाना शुरु कर दिया था। वे लोग ना केवल मेरे साथ हंसी मजाक करते थे बल्कि कई बार तो मेरे बदन से भी छेड़छाड़ कर लेते थे, यह सब चोरी छिपे नहीं होता था बल्कि खुले आम होता था और मेरे पति भी उस वक्त मौजूद रहते थे। मेरे पति की तरह उनके सारे दोस्त भी काफी खुले दिमाग थे, ॠषभ उन लोगों की बीवियों के बदन पर खुलम-खुल्ला हाथ डाल देते थे, पर वे लोग बुरा नहीं मानते थे।

चूँकि मैं अपने पति ॠषभ का स्वभाव जानती थी, इसलिए नवीन के लौड़ा को देखने के बाद मैंने मन में ठान लिया था कि मैं ॠषभ को सब कुछ बता कर नवीन से चुदवाऊँगी। मैंने यह भी सोच लिया था कि मैं किसी ना किसी बहाने शीनू को ॠषभ से चुदवाने के लिए राजी कर लूँगी, ताकि ॠषभ को यह सारा खेल एक तरफा ना लगे।

अपनी योजना पर चलते हुए मैंने शीनू के साथ सेक्सी मैगजीनों का आदान-प्रदान शुरू कर दिया। बीच बीच में मैं उसे बताती रहती कि मेरे पति ॠषभ उसे बहुत पसन्द करते हैं और मुझसे कहते रहते हैं कि शीनू कितनी सेक्सी औरत है।

यह सब सुन कर शीनू काफी खुश हो जाती थी, कई बार वह मजाक में कहती- संगीता, अगर मैं तेरे पति ॠषभ को फांस लूँ तो तू क्या करेगी?

‘करना क्या है, मेरी जान?’ मैं भी हंस कर बोल देती- तू ॠषभ को फंसाएगी तो मैं तेरे पति नवीन को फंसा लूँगी, कितना मोटा और सख्त लौड़ा है नवीन का, कितना मजा आयेगा जब तेरे पति मुझे अपनी जाँघों के बीच दबायेंगे और मेरे पति तेरी चुसवाने को बैचैन चूत को जम कर चूसने के बाद जम कर चोदेंगे। समझ ले, उसके बाद तो हम लोगों की दोस्ती और भी पक्की हो जायेगी।

इतना कह कर मैं और शीनू एक दूसरे से लिपट जाती। कहानी जारी रहेगी।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000