मामी की मोटी गांड

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दोस्तो, मेरा नाम सुनील है, मैं मुरादाबाद का रहने वाला हूँ। यह उ.प्र. का बहुत नामचीन शहर है, जिसे दुनिया पीतल नगरी के नाम से जानती है। यह कहानी मैं आपके लिए लेकर आया हूँ, मुझे घरेलू कहानियाँ बहुत पसन्द आती हैं।

मैं आपको अपनी ऐसी ही एक कहानी सुनाता हूँ।

मैं उस वक़्त 25 साल का था और अक्सर अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ता था।

मेरे घर के सामने वहीं पास में अपने नानाजी के यहाँ रात को सोने जाता था क्योंकि हमारा घर बहुत छोटा था।

वहाँ नाना-नानी और मेरे मामा संजय व मामी रहते थे। मामा मुझसे कई साल बड़े थे पर थे बिल्कुल चूतिया। उन्हें बस छत पर खड़े होकर औरतों को लण्ड दिखाना पसंद था, वो भी शादीशुदा औरतों को। पर वो लड़कों की गाण्ड चाट-चाट कर मारते थे एक बार बचपन में मेरी गाण्ड भी मारी थी।

मामी, मामा से भी 5 साल बड़ी थीं क्योंकि वो गाँव की रहने वाली थीं, उनका बदन काफ़ी भरा हुआ था, उनके मम्मे मोटे-मोटे थे, लगभग 42 इंच की भरी हुई गदराई गाण्ड थी। जब वे चलती थीं तो कसम मेरे बाप की, लण्ड खड़ा हो जाता था।

उनका अधिकतर काम मैं ही करता था और उनके पास ही ज्यादा वक्त गुजारता था। क्योंकि मेरा मामा थोड़ा गाण्डू टाइप था इसलिए मामी मेरे साथ बहुत हँसी-मज़ाक करती थीं।

हम दोनों काफ़ी खुले हुए हैं। वो मुझसे अपनी हर बात साझा करती थीं और मैं भी अपने सब राज उनसे साझा करता था।

वहाँ दोपहर को सबकी सोने की आदत है। उस दिन भी सब सो रहे थे। मैं और मामी पीछे के कमरे में बिस्तर पर बैठ कर बातें कर रहे थे।

बातें करते-करते मैं सो गया, मामी वहीं बैठी थीं।

पता नहीं उस दिन मैं अंजाने में अपनी पैन्ट की जिप बंद करना भूल गया, या शायद जिप बाद में खुल गई, यह तो पता नहीं..

पर मैं अन्दर कच्छा नहीं पहने हुए था इसलिए मेरे लौड़े का सुपारा उन्हें साफ़ दिखाई दे रहा था।

उनकी आँखें नशीली होने लगीं। उन्होंने धीरे से अपने हाथ मेरे सीने पर फेरना चालू कर दिया।

मुझे अच्छा लग रहा था, मैं उनसे सट कर लेट गया।

मेरा चेहरा उनकी तरफ था, वो मुझे सुलाने लगीं। मैंने अपना एक हाथ उनके पैरों के ऊपर रख दिया।

मैंने एक चादर ओढ़ी हुई थी जिसे उन्होंने अपने ऊपर भी डाल लिया।

उनका एक हाथ मेरे सीने पर और एक हाथ मेरे हाथों से होते हुए मेरी पीठ पर था।

अब वो भी थोड़ा सा मेरी तरफ मुड़ गईं। अब मेरा चेहरा उनके पेट से सटा हुआ था और उनके हाथ अब पीठ से आगे की तरफ बढ़ रहे थे।

उस पल की मदहोशी में हमें ध्यान ही नहीं था कि घर में बाकी लोग भी हैं, जो कभी भी आ सकते थे। मेरे आँखें बंद हो चली थीं, उनका एहसास अच्छा लग रहा था।

धीरे से मैंने उनके सीने पर हाथ रखा, मेरे शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई हो। मैं एकदम से सिहर उठा, वो भी पीछे हो गईं।

तब हमें होश आया कि हम क्या कर रहे थे, पर वो एहसास इतना प्यारा था कि हम वैसे ही काफ़ी देर लेटे रहे।

तब मामी ने उठ कर दरवाजा बन्द किया और मेरे पास लेट गई। मैं उनके थोड़ी और करीब हो गया। अब वो नीचे सरक गई थीं और बिल्कुल मेरे बगल में लेट गईं। उनकी गरम साँसें मेरे चेहरे से टकरा रही थीं।

मेरी आँखें बंद थीं, उन्होंने मेरे माथे पर एक चुम्बन किया और मुझे अपनी बाँहों में भर लिया। मैंने भी उन्हें कस कर पकड़ लिया। उसके बाद मैं थोड़ी देर में सरक कर नीचे हो गया और अपने सर उनके मम्मों पर रख दिया।

मेरी साँसें तेज़ हो गईं, यह देख कर उन्होंने अपने हाथों से मेरे लण्ड को ऊपर से मसलना शुरू कर दिया।

फिर उन्होंने मेरी छाती की दोनों घुंडियों को मसलना शुरू कर दिया, मैं बस सिसकारियाँ लेने लगा।

वो धीरे-धीरे मेरे लण्ड को ऊपर से ही दबाने लगीं।

मैं तो पागल हुआ जा रहा था, मैंने उन्हें अपने से अलग किया तो उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिए।

हम एक-दूसरे में इस तरह खो गए कि ध्यान ही नहीं रहा कि कब उन्होंने मेरी पैन्ट और शर्ट उतार दिया और कब मैं अपने लण्ड को उनके हाथ में दे बैठा।

मैं भी साड़ी के ऊपर से उनकी मस्त गाण्ड को सहला रहा था।

मेरा सालों से उनकी गाण्ड को चाटने का मन था। मैं सपने में उनकी गाण्ड अपने मुँह पर रख कर रगड़ता था और आज मेरा सपना पूरा होने वाला था क्योंकि मेरी रूचि शुरू से ही चूत से ज्यादा गाण्ड में रही है।

मेरी मामी की गाण्ड तो वाकयी लाखों में एक थी। मैंने कोशिश की और उनकी साड़ी उतार दी, पेटीकोट में उनके भरे-भरे चूतड़ मुझे पागल कर रहे थे। क्या बताऊँ मेरी मामी के क्या मोटे-मोटे गोल चूतड़ थे।

मैंने पूछा- मामी.. क्या मामा आपकी गाण्ड मारते हैं? मामी ने कहा- उस चूतिया से तो चूत नहीं मारी जाती.. साला नामर्द है।

मैंने कहा- चलो कोई बात नहीं.. मैं हूँ आप चिंता मत करो, बस अब चलो घोड़ी बन जाओ।

वो घोड़ी बन गईं।

वाहह.. क्या नज़ारा था.. उनकी गाण्ड तो फ़ैल कर और भी ख़तरनाक हो गई थी।

मैं उनके चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा। मुझे इतना मज़ा आज तक नहीं आया था। उनका एक हाथ मेरे लौड़े पर था, जिसे वो धीरे-धीरे दबा रही थीं।

मैंने कहा- अब नहीं रुक सकता।

तो उन्होंने बड़े प्यार से मुझे एक चुम्बन देकर कहा- बस थोड़ी देर और तब तक इसे संभालो।

उन्होंने पलट कर मेरा मुँह अपनी गाण्ड के छेद पर लगा दिया और कहने लगीं- आज मेरी गाण्ड चाट-चाट कर मेरा गोबर निकाल दो।

वे मेरा लण्ड सहलाने लगीं। मैं मामी की गाण्ड अपनी जीभ से पागलों की तरह चाटने लगा।

मुझे उनकी गाण्ड चाटने में चूत से ज़्यादा मज़ा आ रहा था। वो खुश्बू बहुत प्यारी थी। उनकी गाण्ड की खुश्बू मुझे मदहोश कर रही थी। उसका एक अलग अहसास, मैं बस उनकी गाण्ड को चाटने लगा।

उन्हें लण्ड सहलाने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं उनकी गाण्ड के छेद को थोड़ा सा खोल कर अपनी जीभ से उनके सुराख को चाट रहा था। फिर धीरे-धीरे चाटते हुए उसमें अपनी जीभ डालने लगा।

हालाँकि वो काफ़ी छोटा था और मुझे मेहनत करना पड़ रही थी, पर बहुत मज़ा भी आ रहा था।

शायद मामी को भी अच्छा लग रहा था तभी उन्होंने अपनी गाण्ड हिला-हिला कर मेरे मुँह में गाण्ड की खुश्बू छोड़ना शुरू कर दी।

अब वो उठीं और बोलीं- लाओ मेरे मुँह में अपना लौड़ा दो।

वे मेरे लण्ड को एक बार में पूरा मुँह में लेकर चाटने लगीं। वो एक कुतिया के जैसी बहुत बुरी तरह मेरे लण्ड को चूस रही थीं।

जब मेरा सुपारा पूरा तन गया तो कहने लगीं- चलो सुनील मेरी गाण्ड मारो.. मुझे गाण्ड मरवानी पसंद है, तेरा चूतिया मामा संजय आज तक मेरी गाण्ड नहीं मार सका.. चल मेरे कुत्ते शुरू हो जा।’

फिर मैंने मामी की गाण्ड पर थूक लगाया और गाण्ड में सुपारा फंसा दिया, जिससे मामी उछल पड़ीं।

मैं डर गया और लण्ड निकाल कर दुबारा उनकी गाण्ड चाटने लगा।

उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर कहा- बस अब और नहीं.. डाल दो इसे अन्दर.. वरना पागल हो जाऊँगी।

मैं उनकी बात सुन कर फ़ौरन खड़ा हो गया और अपने लण्ड का सुपारा उनकी गाण्ड पर रगड़ने लगा।

मैंने उनका चेहरा अपनी तरफ खींच कर उन्हें चुम्बन करना शुरू कर दिया, मैं पूरी तरह गर्म था।

मैंने अपना लण्ड कुतिया जैसी अवस्था में हुई मामी की गाण्ड में पेल दिया।

मामी भी मेरा साथ देने लगीं, उनकी दर्द भरी ‘आह्ह..’ निकल गई।

मैंने उनकी लटकती चूचियां पकड़ लीं और लौड़े की ठापें मारनी शुरू कर दीं।

यह मेरा पहली बार था सो मेरी उत्तेजना बहुत अधिक थी मैंने मामी की गाण्ड में लगभग 150 धक्के मारे होंगे कि मेरे लौड़े ने उनकी गांड में ही उल्टी कर दी।

मैं निढाल होकर मामी की पीठ पर ही ढेर हो गया।

मामी भी समझ गईं कि मैं झड़ चुका हूँ, कुछ देर वे मुझे अपनी पीठ पर लादे रहीं। फिर मैं उठा और उनके बगल में लेट गया।

उन्होंने मेरे माथे पर चूम लिया और मैंने अपना सर उनकी चूचियों में छुपा लिया।

इस तरह मेरी मामी की गांड मैंने मार ली थी, अब उनके साथ मेरी चूत चुदाई होनी थी।

वो घटना मैं आपके ईमेल मिलने के बाद अपनी अगली कहानी में लिखूँगा। तो दोस्तो, मुझे ईमेल करके बताओ कि मेरी मामी की गाण्ड कैसी लगी। [email protected]

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