शर्म, हया, लज्जा और चुदाई का मजा-2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

Sharm Haya Lajja Aur Chudai ka Maja-2 जयेश जाजू मेरे मन में एक अलग ही बेचैनी सी हो रही थी। बिना ब्रा-पैन्टी के कपड़ों में मेरे स्तनों का उभार भी काफी ढीला लग रहा था। टॉप के ऊपर से मेरे स्तनों का आकार काफी आसानी से समझ आ रहा था। मैं बार-बार अपने हाथों से अपने स्तन छुपा रही थी।

यह अनुभव मेरे लिए पूरी तरह से नया था, तो जाहिर सी बात है कि मैं बहुत डरी हुई थी।

निशा- चल अब शर्माना हो गया हो तो नीचे चल, मुझे पानी पीना है चल जल्दी।

मैं- क्या… नीचे चलूँ.. तू होश में तो है, नीचे मेरी मम्मी हैं और मैंने तो अन्दर से कुछ पहना भी नहीं है?

निशा- तू बस मेरे साथ चल… किसी को कुछ नहीं पता चलेगा।

अब तो मेरे होश उड़ गए थे, निशा मुझे नीचे ले जा रही थी और मेरी मम्मी नीचे थीं। ऊपर से मैंने अन्दर से कोई कपड़े यानि अन्तःवस्त्र भी नहीं पहने हुए थे।

मैं तो मानो अब मरने वाली थी, पर फ़िर भी मैंने थोड़ी हिम्मत की और निशा के साथ चल दी।

नीचे जाने के बाद निशा ने मुझे पानी लाने के लिए कहा और वो मेरी मम्मी के पास जाकर उनसे बातें करने लगी।

निशा- नमस्ते आँटी।

मम्मी- आओ बेटा, तुम्हारा काम हो गया?

निशा- नहीं आँटी अब तक नहीं… रिया का प्रोजेक्ट पूरा करवाना है, उसमें 2-3 दिन लग जायेंगे।

मम्मी- तो बेटा एक काम करो, कल और परसों में कर लो पूरा… वैसे भी कल शनिवार है और परसों रविवार है। मैं और अंकल भी बाहर गाँव जा रहे हैं, तो तुम्हारे पास तो वक्त ही वक्त है।

निशा- क्या.. आप बाहर गाँव जा रहे हो क्या?

मम्मी- हाँ.. बेटा मेरे भाई के यहाँ कुछ काम है तो जाना होगा। रिया यहीं रहेगी तो तुम उसके साथ यहीं रहकर प्रोजेक्ट पूरा कर लेना। इससे उसका काम भी हो जाएगा और रिया को तुम्हारा साथ भी मिल जाएगा।

निशा- आप ठीक बोल रही हो आँटी… मैं कल आ जाऊँगी, आप चिन्ता मत करना।

जब मुझे ये सब पता चला तो मैं और भी परेशान हो गई, मैं इस चिन्ता में पड़ गई कि ना जाने इन दो दिनों में निशा मुझसे क्या-क्या करवाएगी।

फ़िर निशा मुझे ‘बाय’ बोल कर अपने घर चली गई और साथ ही कल मेरे घर पर आने का भी वादा कर गई।

अब रात हो चुकी थी तो मैं भी सोने के लिए अपने कमरे में चली गई और बिना कपड़े बदले ही बिस्तर पर लेट गई। चूंकि मैंने अन्दर कोई कपड़े नहीं पहने हुए थे, मुझे बहुत ढीलापन सा महसूस हो रहा था और पूरी रात एक अजीब सा लगता रहा। हवा की एक-एक लहर मेरे जिस्म को छू रही थी जिसकी अनुभूति मुझे बड़ी ही सहजता से हो रही थी।

अगले दिन के बारे में सोच-सोच कर रात कब कट गई, पता ही नहीं चला।

सुबह मम्मी-पापा भी गाँव के लिए निकल गए, अब मैं घर पर अकेली थी तो मैं फ़िर से अपने कमरे में जाकर सो गई।

तभी करीब 11 बजे निशा का फोन आया और उसने मुझसे पूछा- हैलो रिया, कहाँ पर है?

मैंने उससे कहा- मैं घर पर ही हूँ।

तो वो झट से आने की बोल कर कुछ देर बाद मेरे घर पर आ गई।

निशा- चल रिया अब आगे का मजा करते हैं… तू जल्दी से जाकर छोटे कपड़े पहन कर आ।

मेंने घबराते हुए उससे पूछा- छोटे कपड़े क्यों?

उस पर निशा ने कहा- ज्यादा नाटक मत कर और जैसा बोल रही हूँ, जल्दी-जल्दी वैसा कर, हम आज पूरा दिन मजे करने वाले हैं।

उसके कहने पर मैंने जाकर कपड़े बदल लिए और छोटे कपड़े पहन कर नीचे आ गई।

निशा मुझे देखते ही- वाहह… मेरी रिया रानी.. क्या माल लग रही है तू.. पूरी चिकनी-चमेली लग रही है।

उसके मुँह से यह सब सुन कर मैं उस पर चिल्लाते हुए बोली- निशा अपने मुँह को लगाम दे, मेरे लिए ऐसे गन्दे शब्द मत बोल।

मैं बहुत गुस्सा हो गई थी, तब निशा मेरे पास आई और मेरे स्तनों पर हाथ रख कर उसे उन्हें मसलने लगी।

तभी मैंने उसके हाथ को दूर करते हुए पूछा- यह क्या कर रही है, पागल है क्या?

पर वो मेरी बात कहाँ मान रही थी, उस पर तो मस्ती का भूत सवार था। मुझे ये सब अच्छा नहीं लग रहा था, तो मैंने इस पर अपना विरोध जताया।

निशा- अरे क्या रिया.. तू भी, तुझे तो मजे करना भी नहीं आता… मेरा साथ दे, देख तुझे कितना मजा आएगा।

मैं- नहीं निशा, ये सब गलत है मैं ये नहीं करने वाली, किसी को पता चला तो… मेरी इज्जत का सवाल है?

निशा- किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, यहाँ हम दोनों के अलावा और कोई नहीं है।

मैं- पर… मैं ये सब कैसे?

मैं सोच में पड़ गई, यह निशा क्या करवा रही है मुझसे।

निशा- पर-वर कुछ नहीं.. बस तू मेरा साथ दे…

इतना कहते ही वो मेरे और करीब आ गई और मेरे जिस्म को अपनी बाँहों में भर कर मेरे गर्दन पर चूमने लगी।

मैं अभी कुछ समझ नहीं पा रही थी कि ये सब क्या हो रहा है, पर फ़िर भी मैं चुपचाप खड़ी थी।

अब निशा मेरी गर्दन को चूम रही थी, तो मेरे मुँह से ‘आअह्ह्ह्ह…’ आवाज निकल गई।

तभी निशा ने मुझसे पूछा- क्या हुआ… कुछ महसूस हुआ या नहीं ?

अब मुझ पर भी मजे का भूत सवार हो रहा था और मैं भी अब धीरे-धीरे निशा साथ दे रही थी।

‘निशा आज सब लाज-लज्जा भूल कर मुझे बस मजा करना है.. उफ़्फ़्फ़… बस मजा करवा मुझे..’

इसी के साथ मैंने भी निशा के बालों में अपने हाथ डाल कर उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और उसके होंठ अपने होंठों से चिपका लिए।

अब हम दोनों एक-दूसरे को चूमे जा रहे थे। ऐसी अनुभूति का अहसास मुझे पहले कभी नहीं हुआ था। मैं तो बस उसे पागलों की तरह चूमे जा रही थी।

अब निशा ने अपने हाथ फ़िर एक बार मेरे स्तनों पर रख दिए और जोर-जोर से मेरे स्तनों को मसलने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैंने भी अपने हाथ उसके स्तनों पर रख दिए और उसे दबाने लगी, साथ ही मैं उसकी गर्दन और शरीर के बाकी हिस्से पर भी चूम रही थी।

अब कमरे में बस हमारी सिसकारियाँ गूंज रही थीं। हम दोनों एक-दूजे में पूरी तरह से खो गए थे।

फ़िर निशा ने मेरा टॉप निकाल कर फेंक दिया और मेरी जीन्स का बटन भी खोल दिया। अब वो मेरी नाभि को चूम रही थी और अपने हाथों से मेरे स्तनों को रगड़ रही थी।

मैं भी अपने हाथों से उसके बाल सहला कर उसका पूरा साथ दे रही थी। फ़िर उसने मेरी ब्रा को भी निकाल दिया और मेरी जीन्स के साथ ही मेरी पैन्टी को भी निकाल कर सोफ़े पर फेंक दिया।

अब मैं पूरी नंगी निशा के सामने खड़ी थी। निशा ने मेरे जिस्म को देखा और बोलने लगी- हाय… क्या कुंवारा जिस्म है तेरा.. इसे चखने में तो और भी मजा आएगा।

इसी के साथ उसने अपने कपड़े भी उतार दिए और मुझसे चिपक कर खड़ी हो गई।

अब हम दोनों के जिस्म एक-दूसरे से चिपके हुए थे, हमारे सभी अंग एक-दूसरे के अंगों से मिल रहे थे।

‘यार.. तेरा भी बदन बहुत अच्छा लग रहा है..।’

इतना कह कर उसने मुझे सोफ़े पर धक्का मारा और वो मेरे ऊपर गिर गई। फ़िर निशा ने मेरे पैरों को अलग किया और एक जमीन पर और एक सोफ़े के ऊपर कर दिया।

मैं अचम्भित होकर उसकी ओर देख रही थी, तभी उसने अपना मुँह मेरी चूत पर लगाया और उसकी जीभ मेरी चूत को स्पर्श कर गई।

उसने धीरे से मेरी चूत पर उसकी जीभ का स्पर्श किया और मेरे मुँह से ‘आअह्ह्ह्ह…’ की आवाज निकल गई।

अब उसने अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में डाल दी और मेरी चूत को चाटने लग़ी। उसकी इस हरकत से मेरा खुद को सम्भाल पाना मुश्किल हो रहा था।

मैं भी अपने स्तनों को दबाते हुए उसका साथ दे रही थी। मेरी ऊँगलियां मेरे निप्पल के ऊपर चल रही थीं।

तभी मेरा बदन ऐंठने लगा और मेरी चूत से पानी निकलने लगा।

अब मुझे परम-सुख की अनुभूति होने लगी।

मैंने निशा की ओर देखा तो वो मेरी चूत से निकलने वाले रस को बड़े ही मजे से पी रही थी। फ़िर मैंने निशा को सोफ़े पर लिटाया और खुद उसकी चूत को चाटने लगी।

क्या बताऊँ दोस्तो.. क्या रसीली चूत थी उसकी…

मैं धीरे-धीरे उसकी चूत का स्वाद लिए जा रही थी और निशा भी अपने हाथ मेरे सिर पर दबा कर मजे ले रही थी। ऐसा करीब 20 मिनट तक चलता रहा। अब हम दोनों बहुत थक चुके थे।

फ़िर मैंने निशा से कहा- यार तूने मु्झे आज बहुत मजे करवाए हैं, आज का दिन मैं कभी नहीं भूल सकती। कहानी जारी रहेगी। आपके विचारों का स्वागत है, मुझे मेल करें।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000