चंडीगढ़ का पार्क-2

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प्रिया इस मस्ती का बहुत मज़ा ले रही थी, वो झड़ने के बाद मुझे चूमते हुए बोली- ओ थैंक्स यार, तूने आज जन्नत दिखा दी।

अब मैं बैंच पर बैठ गई और प्रिया सीधे मेरी चूत के सामने अपना मुख करके बैठ गई।

हमें क्या पता था कि हमारी इस चुदाई के खेल को कोई और भी देख रहा है। हम तो बस खुले आसमान के नीचे अपनी जवानी के मज़े लूट रहे थे।

जैसे ही प्रिया मेरी चूत पर चुम्मी करने लगी तो मैंने देखा एक नौजवान लड़का बिल्कुल हमारे बैंच के साथ झाड़ी के पीछे खड़ा होकर हमारे खेल को देख रहा था।

मैंने तुरंत प्रिया को इशारा किया, उसने भी जब उसको देखा तो हम दोनों घबराकर उठ गईं और ज़ल्दी से अपनी कपड़े उठाने लगीं।

वो लड़का पता नहीं कब से हमें देख रहा था, परन्तु हम बहुत ज्यादा घबरा गईं थीं और अपनी इस हरकत से शर्मिंदा भी होने लगी थीं।

जैसे ही उस लड़के ने देखा कि हम अपने कपड़े पहनने की तैयारी में हैं तो वो ज़ल्दी से भाग कर हमारे पास आया और बोला- अरे डरो मत डियर, मैं आपको कुछ नहीं कहूँगा, मैं तो बस ख्याल रख रहा था कि कोई और आस पास आकर आपके मज़े में विघ्न ना डाले, आप मज़ा लो जवानी का !

हम दोनों उसके मुँह से यह सुनकर और शर्मिंदा हो गईं, आखिर मैंने हिम्मत करके कहा- सॉरी, प्लीज आप जहाँ से जाइए!

हम कपड़े पहनने लगीं, तभी वो लड़का फिर बोला- अरे मैं कहाँ जाऊँ, मैं तो लुधियाना से आगे एक गाँव का हूँ, यहाँ पी. जी. आई में दिखाने लेने आया था, मेरे गांव की बस तो कल मिलेगी, अब मैं लेट हो गया हूँ, अब कल जाऊँगा, परन्तु आप चिंता मत करो, मैं आपको कुछ नहीं कहूँगा, बल्कि आपकी हेल्प ही करूँगा, आप मज़े लो, मैं आस पास देखता हूँ, अगर कोई आता हुआ तो आपको बता दूँगा।

मैं उसकी बात सुनकर चुप हो गई, परन्तु प्रिया को तो जैसे कोई काम की चीज़ मिल गई हो, प्रिया बोली- आप हमारी हेल्प कैसे कर सकते हो? तो वो बोला- जैसे आप कहो?

तो मैं अपने दिल में सोचने लगी- साले हेल्प करनी है तो हमें चोद डाल ना! मार ले हमारी फ़ुद्दियाँ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! परन्तु कह न पाई और मैंने कहा- अगर आप हेल्प ही करना चाहते तो यहाँ से जाओ बस !

तो वो बोला- ठीक है, मैं चला जाता हूँ।

वो मुड़ कर जाने लगा और फिर रुक कर बोला- अगर आप चाहो तो मैं आपके साथ शामिल हो सकता हूँ, कोई जबरदस्ती तो नहीं, पर सेक्स के मामले में मैं काफी होशियार हूँ।

उसके मुख से यही तो हम सुनना चाहती थीं, तब प्रिया बोली- फिर आ जा साले… खड़ा क्या देख रहा है? अभी तक हमने तो कपड़े नहीं पहने कि तू हमारा साथ देगा।

मैं आपको इस लड़के के बारे में थोड़ा बता दूँ, वो लड़का लम्बा था और बढ़िया सुडौल छाती का मालिक था, और केशधारी सरदार था। मुझे और प्रिया दोनों को सरदार लड़के बहुत अच्छे लगते हैं, खूब जान होती है ऐसे मुण्डों में ! उसके बताने के मुताबिक़ वो लुधियाना के पास किसी गाँव में रहता था और वो पी.जी.आई. में लेने आया था। उसने मेरून रंग की पगड़ी बाँध रखी थी, और सफ़ेद कमीज़ और काली पैंट पहनी हुई थी, देखने में बहुत स्मार्ट सा लग रहा था।

प्रिया की बात सुन कर वो बोला- साले? आज सालियाँ तो तुम दोनों को बनाऊँगा, अभी बताता हूँ तुम दोनों को!

यह कह कर उसने नंगी प्रिया जिसके हाथ में अपनी जीन्स और पैंटी उठाई हुई थी, को कन्धों से कस कर पकड़ा और उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और फिर होंठों को छोड़ कर उसकी नंगी चूचियाँ को बारी बारी चूमा और बोला- अब बोल साली, कैसा लगा?

तो प्रिया कुछ न बोली, परन्तु प्रिया ने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी पैंट पर लगाया और उसका लण्ड टटोलने लगी।

तभी उसने प्रिया की जाँघों को सहलाते हुए अपने एक हाथ से प्रिया की चूत को छुआ और उसके चूतड़ों पर हाथ लेजा कर एक उंगली उसकी चूत में डाल दी।

प्रिया फिर से मचलने लगी, उसने मुझे इशारा किया तो मैंने प्रिया का इशारा पाकर उसकी पैंट की जिप खोल दी, अंदर हाथ डाल कर उसके अंडरवियर के ऊपर से लण्ड को पकड़ने लगी।

उसका लण्ड काफी विशाल लग रहा था और लम्बा तो था ही, मोटा भी काफी था और गर्म भी था।

मैंने प्रिया की ओर देखकर कहा- साली मर जाएगी तू आज, काफी तगड़ा लग रहा है।

मैं कुछ देर उसका लण्ड सहलाती रही और वो प्रिया की कभी चूत सहलाता तो कभी मम्मे चूसते और कभी और अंग मर्दन करता रहा। प्रिया काफी मचल उठी थी।

मैंने उसका लण्ड बाहर निकालने की कोशिश की परन्तु अंडरवियर और पैंट की वजह से पूरा बाहर न आ पाया, परन्तु मेरा हाथ उसके नंगे लण्ड तक पहुँच गया। जैसे ही मैंने उसके लण्ड को पकड़ा मुझे गर्म सख्त नंगे लण्ड का एहसास हुआ, मुझे ऐसे लगा जैसे मैंने किसी सांप को पकड़ लिया हो, या कोई गर्म रॉड हो, लण्ड मुझे हाथ में पकड़ना बहुत बढ़िया और मजेदार एहसास करवा रहा था।

मैंने हिम्मत करके उस से उसका नाम पूछ ही लिया, मैंने कहा- यार तुम अपना नाम तो बताओ?

तो उसने वैसे ही प्रिया को मसलते हुए कहा- जानेमन, याराँ दा नाँ रवीन्द्र सिंह ऐ!

मैंने उसको थोड़ा झुकने का इशारा किया तो वो जैसे ही झुका तो मैंने उसकी पैंट की हुक खोल कर उसकी पैंट को खिसका दिया।

मैंने उसकी पैंट के साथ साथ उसका अंडरवियर भी नीचे कर दिया, अब उसका लण्ड बिल्कुल नंगा मेरी आँखों के सामने था, मैंने तुरंत उसका लण्ड अपने मुख में ले लिया और चूसने लगी।

रवीन्द्र प्रिया को चाट चूम रहा था, तभी रवीन्द्र ने प्रिय को बैंच पर बिठाया और उसकी चूत पे अपने होंठ रख दिए, अब वो अपनी जीभ को प्रिय की चूत में घुसा रहा था।

मर्द की जीभ का स्पर्श पाकर प्रिया की चूत फिर से गर्म हो गई थी। प्रिया काफी ज्यादा उत्तेजित थी और इससे पहले भी लेस्बीयन चुदाई की वजह से वो काफी पानी छोड़ चुकी थी इस लिए वो ज्यादा देर तक टिकी न रह सकी और सिसकारते हुए अपनी चूत का गर्म पानी उसके मुख पर छोड़ दिया।

प्रिया बहुत जोर से सिसकारियाँ भर रही थी, और रवीन्द्र मस्त होकर उसकी चूत से निकल रहा पानी पिए जा रहा था। इधर मैं नीचे बैठी उसका लण्ड चूस रही थी और उसके टट्टे भी चाट रही थी, पसीने का नमकीन स्वाद मेरे मुँह में आ रहा था।

मेरी चुसाई से रवीन्द्र बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था और वो भी सिसकारने लगा था, उसने एक बार तो चाट कर ही प्रिया की चूत का बैंड बजा दिया था।

अब प्रिया की चूत चुसाई रोक कर बोला- इस साली की चूत तो बहुत मस्त है, इधर आ रानी अब तेरी चूत का स्वाद भी चख लूँ।

यह कह कर उसने मुझे पकड़ा और वहीं बैंच पर लिटा दिया, वैसे अब तक बैंच बहुत गीला हो चुका था, कुछ हमारे पेशाब करने से वो पहले गीला था फिर प्रिया की चूत से निकले पानी ने उसे और गीला कर दिया था।

मैं बैंच पर अपनी टांगों को आजू बाजू में करके लेट गई, और रवीन्द्र ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखा और मुस्कुरा कर बोला- वाह साली, लगता है तू तो इससे भी मस्त होकर पूरा मज़ा देगी।

और वो सीधे मेरे मम्मों को चूसने लगा, फिर उसने प्रिया को इशारा किया, और प्रिय ने उसका लण्ड अपने मुंह में ले लिया।

अब रवीन्द्र मेरे नंगे बदन को चूसे जा रहा था, मेरा मर्दन कर रहा था, प्रिया उसका लण्ड चूस रही थी, कितना मस्त नज़ारा था, हम तीनों को बहुत मज़ा आ रहा था।

फिर रवीन्द्र ने मेरी चूत पे अपनी होंठ रखे और एक किस की, मैं सिसकारी- सी…सी.. उ…न आ..ह.. डि.य..र.. अ.ब… चो…द. दो …जा…नू ..आह!

रवीन्द्र ने मेरी चूत में अपनी जीभ डाल दी, मुझे और मज़ा आने, लगा, अब रवीन्द्र ने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए।

अब हम तीनों अल्फ नंगे थे, खुले आसमान के नीचे इस तरह की वो भी अचानक हुई चुदाई के बारे में मैंने आज तक कभी सपने में भी नहीं सोचा था।

काफी अँधेरा हो चुका था, पार्क में इक्का दुक्का लाइट्स जल रही थीं और हम तीनों के अलावा वहाँ अब कोई और नहीं दिख रहा था। उसने प्रिया को इशारा किया तो प्रिया मेरे मुख के ऊपर आकर बैठ गई, उसकी चूत बिल्कुल मेरे मुख के सामने थी और मेरी चूत रवीन्द्र के कब्जे में थी। मैंने देखा कि प्रिया की चूत गीली हुई हुई थी, मैंने उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए, अब मैं चूत चूस रही थी और रवीन्द्र मेरी चूत चूस रहा था।

जब मेरी चूत बहुत हॉट हो गई तो रवीन्द्र ने मेरे मम्मों को  जोर से मसला और मुझे थोड़ा ऊपर उठा कर अपना लण्ड मेरी चूत पे सेट किया और बोला- चोद दूँ जानेमन आज तेरी जवानी को?

मैं तो कब से बेसबर हो रही थी यह सुनने को, मैंने कहा- आ…ह.हाँ… जा.नू .आ ..जाओ .ज़ल्दी आ..ह..आह… सी!

उसने मेरी चूत में उंगली डाल कर खोला फ़िर अन्दर लण्ड रख कर एक हल्का सा झटका लगाया, परन्तु लण्ड फिसल कर साइड में चला गया, उसने फिर मुझे सेट किया और अपने लण्ड को हाथ से पकड़ कर कोशिश की परन्तु लण्ड नहीं जा पाया तो उसने प्रिया को इशारा किया, प्रिया ने पीछे से आकर उसका लण्ड पकड़ा और मेरी चूत पे सेट करती हुई बोली- मुबारक हो स्वीटी, तेरी चुदाई के लिए आज मस्त लण्ड मिला है।

मैंने उसे कहा- अरे कोई बात नहीं, साली तेरी ठुकाई भी इसी से होगी!

रवीन्द्र ने मेरी चूत के अन्दर एक उंगली डाल कर उसको थोड़ा खोल दिया, और प्रिया को बोला- जानेमन, अब सेट कर लौड़े को इस चुदक्कड़ कुतिया की फ़ुद्दी में !

प्रिया ने मेरी चूत के ऊपर लण्ड सेट कर दिया और हाथ से पकड़ कर आराम से अन्दर को करना शुरू किया।

जब लण्ड आधा चूत में चला या तो प्रिया लण्ड को छोड़ कर फिर पहले वाली पोजिशन में आ गई और उसने अपनी चूत को फिर से मेरे मुख पर रख दिया।

अब रवीन्द्र का लण्ड पूरी तरह से मेरी चूत में था, और मैं अपनी जीभ प्रिया की चूत में डालने जा रही थी।

अब रवीन्द्र का मुंह प्रिया के मुंह के बिल्कुल करीब था, रवीन्द्र ने प्रिया के होंठों को अपने होंठों में ले लिया और नीचे से अपने लण्ड को धक्के लगाने लगा।

उसके लण्ड के धक्के सीधे मेरी चूत में लग रहे थे, उसके लण्ड का सुपारा सीधा मेरे गर्भाशय को टकरा रहा था। मैंने अपनी जीभ प्रिया की चूत में डाल रखी थी, हम तीनों को अब मज़ा आ रहा था, मैं भी रवीन्द्र के धक्कों का साथ दे रही थी। रवीन्द्र ने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो मैं प्रिया की चूत में अपनी जीभ जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगी। मैं उसकी चूत की बहुत जबरदस्त तरीके से चुसाई कर रही थी जिससे प्रिया भी बहुत सिसकार रही थी। हम दोनों बहुत जबरदस्त सिसकारियाँ निकाल रही थीं- अ..आह्ह… उ.ह.. उ..ह…उ..ई… सी…सी …सी… सी…अह… अ.ह.. आ..ह…आ.ह… आह..आ..ह. आ…ह..उ..ई …फा.ड़…दो…फा…ड़…दो..मे.री…चू.त…को…आ.ह…आ…ई!

रवीन्द्र ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मुझे उठने का इशारा किया, प्रिया भी उठ गई, रवीन्द्र ने मुझे नीचे खड़ा किया और मेरे हाथों को बैंच पर रखवाया, प्रिया ने मेरी गांड को पकड़ कर मुझे घोड़ी बना दिया। अब प्रिया भी मेरे घोड़ी बनने में रवीन्द्र का पूरा साथ दे रही थी। वो मेरे आगे आ गई और रवीन्द्र को पीछे से मेरी चूत में लण्ड डालने के लिए इशारा किया। रवीन्द्र ने इशारा पाते ही मेरे चूतड़ों पे हाथ फेरा और मेरी चूत को सहलाता हुआ नीचे मेरी चूत में उंगली करने लगा।

मैं सिसकार रही थी।

अब उसने अपने लण्ड को मेरी चूत के ऊपर रखा और एज झटके से अपना लण्ड मेरी चूत के अंदर कर दिया, चूत में जाते ही लण्ड ने खलबली मचा दी। मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था और मस्त भी बहुत लग रहा था।

हम सभी खुले आसमान के नीचे सरेआम पार्क में चुदाई कर रहे थे।

अब मैं घोड़ी बन कर रवीन्द्र से चुद रही थी, प्रिया मेरे आगे थी, वह बोली- मादरचोदी साली, बहन की लौड़ी, अकेली अकेली मज़ा ले रही है, ले मेरी चूत भी चूस कर मज़ा दे कुतिया !

मैंने फट से फिर उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया और मैं और भी मस्त हो गई।

तब रवीन्द्र बोला- सालियो, तुम दोनों रांडों को गालियाँ सुनते हुए चुदवाने में मज़ा आता है, तो लो मेरी रांडों चुदो, अब मेरे लण्ड से! यह कह कर उसने प्रिया को भी पकड़ा और मेरे साथ ही मेरी बगल में बैंच पे घोड़ी बना लिया, अब हम दोनों बराबर घोड़ी बनी हुई थीं, अब रवीन्द्र ने जोर जोर से अपना लण्ड मेरे अंदर बाहर करना शुरू किया और मैं तड़पने लगी।

तब उसने प्रिया के कूल्हों पर एक चपत लगाई और एकदम अपना लौड़ा मेरी चूत से निकाल कर प्रिया की चूत में डाल दिया।

प्रिया भी तड़पने लगी और आहें भरने लगी। क्या मस्त चुदाई हो रही थी! वाह… हम तीनों को बहुत मज़ा आ रहा था।

अब उसने फिर एकदम मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दिया और मैं बहुत ज्यादा आनन्द भरी सीत्कारें भरने लगी थी। उसने अपनी उंगली प्रिया की चूत में भी डाल रखी थी जिस से हम दोनों तड़प रहीं थीं।

अब मेरा तो निकलने वाला था, मैंने सिसकारते हुए रवीन्द्र को कहा- अ..ह..आह.. सी सी.. सी. जा..नू… मैं आ… रही. हूँ. आ..ह.. स.म्भा.ल… लो.. अ.ह.. अ.ह.. अह.. उ.ई .अ.ह.. स..म्भा.लो…लो! यह कहते हुए ही मेरा पानी उसके लण्ड पे बहना शुरू हो गया।

उसने मुझे एक जोरदार झटका लगा कर गालियाँ देते हुए अपनी स्पीड बढ़ा दी- आह.. ले..चु.द.. मे.री… चु.द.क..ड़ रां.ड.. सा.ली… कु..ति.या.. मा.द.रचो.द… ते..री. ब.ह.न.. को… भी…ऐ…से ही.. चो…दुं.. सा.ली…ब..ह.न…की..लौ..ड़ी… नि.का.ल… अ..प.नी. ज.वा.नी… मे.रे…लौ..ड़े. प.र.. सा..ली..रां.डों. की..चू.तें..चु.द…जा.एँ… मेरे…लं.ड..प.र.. सा.ली…कु.ति.या… माँ…की.. लौ.ड़ी…अ.ह… अ.ह. आ.हा…ह ..ले..चु.द.. चु.द.. चु.द. ले कहते हुए उसने अपना पानी छोड़ दिया, जैसे ही उसके लण्ड ने पिचकारी छोड़ी तो उसने अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और उसके लण्ड की धार सीधी मेरे चूतड़ों पर पड़ी। प्रिया ने आगे आकर रवीन्द्र के लण्ड को अपने होंठों में भर लिया और उसका रस पीने लगी। प्रिया को लण्ड चूसने का बहुत शौक है। जब रवीन्द्र निबट गया तो प्रिया ने मेरे चूतड़ों पर से रवीन्द्र के मलाईदार वीर्य को अपनी एक उंगली से उठाया और वो उंगली मेरे मुँह में घुसा दी। मैं भी मज़े से रवीन्द्र के चिपचिपे माल को चाटने लगी। कुछ देर बाद हम तीनों एक बार शांत हो गए। हमें पता ही न चला कि चुदाई करते करते हमें रात के नौ बज गए थे।

मैं अपने कपड़े पहनने लगी पर रवीन्द्र ने प्रिया को पकड़ लिया और उसके होंठों को चूसने लगा।

अब तक मैं अपने पूरे कपड़े पहन चुकी थी, परन्तु प्रिया और वो एक बार दोबारा गर्म हो कर चुदाई की तैयारी में लगे थे।

रवीन्द्र ने प्रिया की एक टांग बैंच के ऊपर रखवाई और मुझे आस पास देखने के लिए इशारा किया, मैं आस पास किसी के आने पर नज़र रख रही थी और वो प्रिया की चूत में अपना लण्ड डाल रहा था।

प्रिया पहले से ही काफी गर्म थी और झड़ने की कगार पर थी, प्रिया के मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थीं और कह रही थी- आह सी…सी… औ.. अ…ब… आ.या… अ.स..ली.मज़ा… आ.ई…उ.ई.. आ.ह…सी .सी. सी. उ.ई…आह्ह… ..सा.ले ..चो.द.. जो.र. से. चो.द. आ.ह .अ..प.नी ..धा.र…पिला…दे..मु..झे.,. .मे..रे… मुं…ह…में.. छो..ड़.ना… आ..ह.. सी … यह कहते हुए उसने अपनी चूत का पानी निकाल दिया, प्रिया की चूत के पानी ने उसका लण्ड पूरी तरह भिगो दिया था और उसने भी अपना लौड़ा बाहर निकालकर प्रिया के मुंह में दे दिया और जोरदार सिसकारी भरता हुआ बोला- आ..ह अ.ह. सी. सा.ली .ले ..पी. पी… ले. मे..रे ..लण्ड. का..रस… सा.ली. ब.ह…न…चो.द… आह..आ…ह… उई… आह..

उसने अपने लण्ड की पिचकारी सीधी प्रिया के मुंह में छोड़ दी। जैसे ही उसके लण्ड रस निकला तो प्रिया का मुंह भर गया, प्रिया की हालत देखने लायक थी, वो तो पोर्न फिल्मों की हिरोइन लग रही थी।

रवीन्द्र ने प्रिया को अपना रुमाल दिया और बोला- लो जानेमन साफ़ कर लो।

प्रिया ने रुमाल से अपना मुंह और शरीर साफ़ किया और कपड़े पहने। रवीन्द्र भी अपने कपड़े पहन रहा था। रवीन्द्र ने हम दोनों को बारी बारी किस किया और कहा- डारलिंग, पहली मुलाक़ात और चुदाई की आपको मुबारक! अगर आपको मेरी चुदाई से मज़ा आया तो क्या हम पक्के दोस्त बन सकते हैं?

मैं रवीन्द्र की गाल पे किस करते हुए बोली- क्यों नहीं जानेमन, आपकी दोस्ती हमें मंजूर है।

प्रिया बोली- आई लव यू जानू ! औए उसने भी एक किस कर दी रवीन्द्र को।

दोस्तो, यह थी मेरी और प्रिया की चुदाई की दास्तान, उसके बाद हमने बहुत बार एक साथ और अकेले-अकेले रवीन्द्र से चुदाई की, हमें रवीन्द्र से चुदाई करवा के बहुत मज़ा आता है।

मैं रवि जी का और अन्तर्वासना टीम का धन्यवाद करती हूँ, जिनकी वजह से मेरी यह कहानी आप तक पहुँची है।

तो कैसी लगी मेरी दोस्त हरलीन कौर की कहानी। मुझे आपकी मेल्स का इंतज़ार रहेगा। अन्तर्वासना टीम का मेरी कहनियाँ आप तक पहुँचाने क लिए धन्यवाद।

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