सविता भाभी का बकरा-2

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भाभी चाय की चुस्की लेते हुए बोलीं- कल रात तुम्हारे भैया ने दो बजे तक सोने नहीं दिया, एक बार मुझे नंगी करके मेरे ऊपर चढ़ जाते हैं तो तीन घंटे से पहले नहीं छोड़ते। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

अपनी चूची पर उंगली रखते हुए भाभी बोलीं- देखो, तुम्हारे भैया ने तुम्हारी भाभी की चूचियों पर कितना काट रखा है।

भाभी की बातों से मेरा लंड सुलगने लगा था, मैंने कहा- आप का बदन भी तो मस्त चिकना है, भैया की तो मौज ही मौज है। भाभी मैक्सी की जिप बन्द करते हुए बोलीं- तुम्हें भी मौज करा दूंगी परसों की छुट्टी ले लो परसों मौसी को अस्पताल जाना है, मैं घर मैं अकेली रहूंगी।

मैंने कहा- समझो मैंने छुट्टी ले ली।

तभी मौसी के ऊपर आने की आहट हुई, भाभी ने जाकर दरवाज़ा खोल दिया।

मौसी ऊपर आ गई, हम सब लोगों ने साथ नाश्ता किया। उसके बाद मैंने नीचे कमरे मैं जाकर सुलगते हुए लंड की मुठ मारी और कपड़े पहन कर ऑफिस चला गया।

ऑफिस जाकर मैंने एक दिन बाद की छुट्टी ले ली और बड़ी बेचैनी से परसों का इंतज़ार करने लगा।

अगले दिन सुबह मौका देखकर मैं भाभी के कमरे में गया और उनको अपनी बाहों में भरकर उनकी मैक्सी पीछे से उठाई और उनके नंगे चूतड़ दबाते हुए गाण्ड में उंगली कर दी।

भाभी ने मुझे प्यार से पप्पी देकर कहा- गंदे कहीं के… एक दिन इंतज़ार नहीं हो रहा है, कल पूरा मज़ा लेना!

मैंने भाभी की चूचियों को कई बार दबाया और नीचे आ गया। पूरा दिन और रात बड़ी मुश्किल से कटी।

अगले दिन मौसी ने मुझसे सुबह ही बोल दिया कि आज ऑफिस जाते हुए मैं उन्हें अस्पताल छोड़ दूँ और शाम को लौटते हुए ले लूँ। मन ही मन मैं खुश हो गया, आज पहली बार सेक्स का मज़ा जो मिलने वाला था।

मैं मौसी के चलने का इंतज़ार करने लगा, मैं और मौसी नौ बजे घर से निकल गए।

मैं मौसी को छोड़कर वापस गयारह बजे से पहले ही घर आ गया।

भाभी नीचे ही थीं, भाभी ने मुस्करा कर कहा- पहले दरवाज़ा बंद करके आओ !

दरवाज़ा बंद करके जब मैं आया तो भाभी ने अपनी मैक्सी उतार दी थी और अपनी जांघें एक के ऊपर रखकर मेरे पलंग पर बैठीं थीं, उनके नंगे तने हुए चूचे दबाने का निमंत्रण दे रहे थे और जांघें मेरे लंड को चोदने के लिए आमंत्रित कर रही थीं।

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने आगे बढ़कर दोनों चूचियाँ अपने हाथों में लपक लीं और उनके गालों को चूमते हुए बोला- अब नहीं रहा जाता… वाकयी आप तो गज़ब का माल हो।

भाभी ने मुझको अपने से चिपका लिया, मैं उनकी चूचियाँ मसलने लगा, पागलों की तरह कभी चूची दबाता, कभी चूमता कभी काटता, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर बाद भाभी ने मेरे कपड़े उतरवाए, अब मैं सिर्फ चड्डी में था।

मेरी निप्पल हाथों से नुकीली करती हुई बोली- अब पूरा दिन अपना है, उतावले न बनो, आओ मेरी गोद में लेटो और पहले दूध पियो ! दो दिन से परेशान हो रहे हो।

मैं भाभी की गोद मैं लेट गया उन्होंने मेरा मुहं अपनी टोंटियों पर लगा लिया मैं उनकी चूचियाँ निप्पल दबाते हुए चूसने लगा। भाभी ने मेरे कच्छे के अन्दर हाथ अंदर डालकर भाभी ने मेरा तना लंड पकड़ लिया और सहलाते हुए बोलीं- तुम्हारा घोड़ा तो बहुत चिकना है, मज़ा आ जाएगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

उन्होंने 2-3 बार ही उसे हिलाया होगा कि मेरे वीर्य का फव्वारा छुट गया।

लंड को दबाते हुए भाभी बोलीं- तुम तो अभी कच्चे घड़े हो, तुम्हें पक्का बनाना पड़ेगा वर्ना किसी को चोद ही नहीं पाओगे।

मेरी चड्डी गीली हो गई थी, मैं शर्म महसूस कर रहा था।

भाभी बाल सहलाते हुए बोली- शर्माओ नहीं, शुरू में एसा सबके साथ होता है। भाभी ने मेरी चड्डी उतरवा दी, मेरे झड़े हुए लौड़े के चारों तरफ झांटों का जंगल खड़ा था, उन्होंने मेरे लौड़े को तौलिये से अच्छी तरह साफ़ किया और मेरे होंटों की पप्पी लेते हुए बोलीं- इस जंगल को साफ़ रखा करो।

नीचे ड्रेसिंग टेबल से एक क्रीम निकाली और मेरी झांटों पर लगाते हुए बोली- अभी दस मिनट में पूरा जंगल साफ़ हो जाएगा।

क्रीम लगाने के बाद उन्होंने अपनी कच्छी भी उतार दी।

भाभी की पाव रोटी की तरह उभरी हुई चूत पर नाम मात्र के बाल थे, उसे देख मेरा लंड फ़िर उबाल खाने लगा।

मुस्कराते हुए भाभी ने क्रीम मेरे हाथों में दी और बोलीं- थोड़ी सी मेरी चूचु में भी लगा दो, मुझे तो ये झांटें बिल्कुल अच्छी नहीं लगती हैं।

भाभी ने जब बिस्तर पर लेट कर अपनी जाँघें फ़ैला कर मेरे हाथ से अपनी चूत के आसपास क्रीम लगवाई तो मेरे लंड से दो-तीन बूंदें वीर्य की छुट गईं।

इस बीच धीरे धीरे वो मेरा लंड सहलाते हुए मेरे टट्टे पर भी हाथ सहलाती रहीं और मैं उनकी चूत के बाहरी होंटों को सहलाता रहा, बीच बीच में मैं अपने दूसरे हाथ की उंगली उनकी चूत में भी घुसा देता था, बड़ा मज़ा आ रहा था।

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने एक बार फिर भाभी की चूचियाँ दबाते हुए निप्पल मुँह में भर लीं।

भाभी मुझे अपने से चिपकाती हुई बोलीं- आओ, अब चल कर साथ नहाते हैं।

कुछ देर बाद हम लोग बाथरूम में थे।

बाथरूम में भाभी और मैंने पानी डालकर अपने बाल साफ़ किये, बाल साफ़ होने के बाद भाभी ने मेरे लौड़े को अच्छी तरह से धोया और खड़े लंड के सुपारे की पप्पी लेते हुए बोलीं- आह, कितना सुंदर लग रहा है, राजेश इसे मेरी चूत में पेलोगे न?

इतना होने के बाद मुझसे रहा नहीं गया, हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए, मैंने भाभी के होंटों पर अपने होंट टिका दिए और चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे हटाकर पास रखे नारियल तेल मुझे दिया और बोली- तुम मेरी चूचियों की मालिश करो, मैं तुम्हारे लंड की मालिश कर देती हूँ। तुम्हारे लौड़े को तगड़ा भी तो बनाना है, नहीं तो फिर यह ढेर हो जाएगा।

सामने टॉयलेट सीट पर भाभी बैठ गईं, उन्होंने मेरे हाथ अपने दूधों पर रख दिए, सामने से तेल लगा कर उनके चूचे दबाते और मलते हुए मालिश करने में मज़ा आ गया।

उधर भाभी ने मेरा लंड मालिश कर कर के कड़ा कर दिया था।

इसके बाद शावर खोलकर हम एक दूसरे से चिपक गए, मेरे लंड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर लग रहा था, मैं बार बार अंदर घुसाने की कोशिश कर रहा था पर वो अंदर नहीं घुस पा रहा था।

मैं भाभी को अपने बदन से भींचते हुए हुए बोला- यह अंदर क्यों नहीं घुस रहा है?

भाभी ने मेरी मुठिया सहला कर लंड का मुँह अपने चूत के मुहं पर रगड़ा और बोलीं- अच्छे अच्छे तो अपनी बीवी की चूत में शुरू में लेट कर नहीं घुसा पाते हैं, तुम्हारा तो यह पहला अनुभव है। नहाने के बाद बिस्तर पर चलते हैं, वहाँ इसको मेरी चुनिया में घुसाना, मुझे भी बड़ी तड़प हो रही है लंड डलवाने की। अभी तो तुम एक काम करो, टॉयलेट की सीट पर बैठो, मैं तुम्हारा लौड़ा अपने मुँह में लेती हूँ, मुझे लंड चूसना बहुत अच्छा लगता है।

मैं सीट पर बैठ गया, मेरा लंड टनटना रहा था।

भाभी ने कुतिया बनकर अपने होंठ मेरे लंड पर रखे और एक कुशल खिलाड़िन की तरह पूरा लण्ड मुँह में ले लिया।

मेरे मुँह से आहें निकल पड़ीं, अभी 5-6 बार ही भाभी ने लंड चूसा होगा कि मेरा लौड़ा उनके मुख में झड़ गया।

भाभी ने खड़े होकर मुझे अपनी दुधिया चूचियों से चिपका लिया और बोलीं- शुरू शुरू में सबके साथ ऐसा ही होता है। अभी थोड़ी देर में यह दुबारा खड़ा हो जाएगा। नहाने के बाद बिस्तर पर मेरी चूत में पेलना। दो दिन में मैं पूरा चोदू बना दूँगी तुम्हें ! अभी तुम मेरी पीठ और चूतड़ों पर साबुन लगा दो।

मैं भाभी के चूतड़ों पर साबुन मल ही रहा था कि तभी भैया की आवाज़ आई- सविता क्या कर रही हो?

भाभी घबरा गईं और बोलीं- आज ये लंच भूल गए थे, दरवाज़ा बजा कर थक गए होंगे तभी बगल वाली आंटी की छत से कूदकर आ रहे हैं।

भाभी ने दरवाज़ा खोलकर देखा और बोली- नहा रही हूँ, अभी आती हूँ, ऊपर ही रहो।

उसके बाद मुझसे बोलीं- राजेश, जल्दी से कमरे में जाकर छुप जाओ, ये अभी ऊपर ही हैं।

मैं दौड़ कर कमरे में नंगा ही घुस गया। कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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