Maya Ki Chut Ne Lagaya Chodne Ka Chaska

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Maya Ki Chut Ne Lagaya Chodne Ka Chaska

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम विकी है. में २५ साल का हु और मुंबई में आयुवेद डॉक्टर हु, में नेट पे सर्फ़ करते हुए अन्तर्वासना पे आ गया, मेने इसकी कहानीया पढ़ी तो मुझे बहोत आनद मिला और मुझे ये काफी दिल बहलाने वाली और रोचक लगी पर मेंने देखा के इस पे कहानी लिखने वालो ने सेक्स के बारे में अपनी कहानी के माध्यम से कुछ अजीब सी भ्रान्तिया फेला रखी हे जो में अपनी कहानी के द्वारा साफ़ करना चाहता हु. तो पहले कुछ सही बात समजले जो की आपको एक डॉक्टर बता रहा हे.

  1. सेक्स में बहोत बड़ा लंड हो तो ही आनद आता हे यह बात गलत हे. सेक्स में बड़े नहीं कड़े लंड का होना जरुरी हे. लंड कड़ा होने पर सामान्यतः ४ से ५.५ इंच या ज्यादा से ज्यादा ६ या ६.५ इंच होता हे. ये केवल ३ इंच का हो तो भी सेक्स में वोही आनद मिलता हे. सेक्स में बहोत बड़े की नहीं कड़े लंड की जरुरत होती हे. असल में एकदम कड़े लंड से स्त्रियों को आनद मिलता हे. तो लंड को बड़े करने की नहीं कड़े करने की सोचो.

  2. बहोत जोर जबरदस्ती से किया हुआ सेक्स जिसमे स्त्री को बहोत दर्द हो उसमे मर्दानगी नहीं होती. स्त्रीयो को बड़े प्यार से किया गया सेक्स ही पसंद होता हे जिससे उसकी भावनाओ को संतुष्टि मिले और वो भी सेक्स में सक्रिय हो और इस तरह का सेक्स आपको और आपके पार्टनर को ताजगी और आनद प्रदान करता हे.

  3. सेक्स जानवर की तरह करने से नहीं, पार्टनर को आनद देने से सफल माना जाता हे. सेक्स एक अच्छी वर्जिस हे जिससे कमजोरी नहीं आरोग्य प्रदान होता है, आप तनाव मुक्त होते हे.

  4. सेक्स में जबरदस्ती औरत कभी पसंद नहीं करती, सेक्स जितना लम्बा चला सको उतना आनद बढेगा और चरम सीमा का आनद ज्यादा मिलेगा. याद रखे स्त्री की चूत का केवल अगला १.५ – २ इंच का उपरी हिस्सा ही संवेदनशील होता हे. हलाकि चूत के अन्दर की दीवारे काफी सॉफ्ट और सवेंदना युक्त होती है जिसमे कड़े फौलाद जैसे चिकनाई युक्त लंड का प्यार के रगड मारता हुआ पेलना बड़ा आन्द्प्रद होता हे. जब औरत चुदाई के वक्त आँखों को मुंदने लगे तो समजो आप उसे आनद दे रहे हो. वो अपने होंठो से सिसकिया लेने लगे और मीठी आवाजे निकलने लगे उसी तराहमें और लय में उससे चोदना चाहिए.

  5. सेक्स की खास बात हे फोरप्ले और आफ्टर प्ले. सेक्स में पहले ये जानो के आपके पार्टनर को कहा ज्यादा उतेजना होती हे, बहोत सी औरते अपनी पीठ पर, कान से पिछले हिस्से में किस कराने में ज्यादा उत्तेजित हो जाती हे. आप पीछे से कंधो पे, पीठ पे, कान के बूट पे, किस करते हुए चुचियायो को मर्दन करगे तो वो जल्दी जड़ जाती हे. उसकी चूत भी इससे जल्दी चिकनी हो जाती हे और बाद में आप लंड उसकी चूत में डालोगे तो वो बहुत आनद पायेगी और वो आपकी गुलाम बन जाएगी. होंठो को और स्त्री की छाती को चुसना एक आर्ट हे. औरत का बदन एक संगीत के तार जैसा होता हे अगर सही तार को ज़न्कृत करोगे तो सही सुर निकलेगा वरना बेसुरा संगीत आपका और आपके पार्टनर का मजा किरकिरा कर देगा. तो यह साज कैसे बजाते है वो कभी मुझसे सिख लेना.

६ मेरे चुदाई के सौकीन दोस्तों, मेरी बात याद रखना सेक्स एक योगा हे. सम्भोग मतलब दोनों सामान रूपसे एक दुसरे को भोगे. सेक्स में स्त्री का सक्रिय होना बहोत जरुरी हे. वो कैसे? इसके लिए आप गुप्त रूप से मुझे मेल करे. मैंने बहोत कपलो को बहेतरीन सेक्स सिखाया हे. सेक्स के पीछे दुनिया ऐसे ही पागल नहीं है. यह कुदरत का एक अजीबो गरीब करिश्मा है जो नशीब वाला ही भोग सकता है.

अब में तुमे में अपनी सच्ची कहानी बताता हु. में अहमदाबाद का रहने वाला हु और मुंबई में पढाई की है. जब में १८ साल का था तब मुंबई मेडिकल की पढाई करने गया था. पहले ये बता दू के में एक २५ साल का युवक हु, मेरी लम्बाई ५-७ की हे, में थोडा गोरा और चिकना भी हु. मेरा लंड ५.७५ इंच लम्बा और करीब १.५ इंच चौड़ा है. में बचपन से ही वर्जिश करता हु तो मेरा बदन काफी ट्यून किया हुआ और काफी कसा हुआ हे. में एक सुखी परिवार से तालुक रखता हु, पैसे की कभी कोई कमी नहीं थी. में अपने पापा का एकलौता बेटा हु. हॉस्टल में मेरिट में ३-४ मार्क कम होनेकी वजहसे जगह नहीं मिली तो पापा मेरी कोलेज में आए तो परेशान हुए लेकिन हमारी कोलेज के चपरासी मनोहरचाचा और पापा की अच्छी पहचान हो गयी थी उसने एडमिशन के दौरान काफी मद्दद की थी और वो पापा से काफी प्रभावित हुए थे. उन्होने मुझे अपने मकान में अपना छतवाला कमरा मुझे रु. ७५०० प्रति मॉस पेइंगगेस्ट किराये पर दे दिया. कमरा एटेच बाथ और आगे बड़ी से छत जहा वो लोग कपडे सुखाया करते थे. मेरा कमरा कोलेज से केवल २ की.मी. दूर था. तो में वहा अपना सामान ले के पहुच गया. पहली बार थी तो पापा और मोम भी साथ आये उन्हों ने भी वही खाना खाया और जिससे उस परिवार हमारे फेमिली जैसा हो गया और में चाचा के परिवार का एक सदस्य सा हो गया. जाते वक्त चाचा चाची ने मेरे मोम डेड को मेरी चिंता न करने का भरोशा देते हुए बिदा किया, पापा ने भी उन्हें वेकेसन में बच्चो के अमदाबाद आने का न्योता दिया मानो जैसे रिश्तेदार हो गए.

चाचा के पास अपने बापदादा का दिया हुआ बड़ा सा यह मकान ही उसकी बड़ी जायदाद थी. मुंबई में इतना बड़ा मकान होना बड़ी बात थी. उसके किराये से उसके परिवार को अच्छी आमदनी हो जाती थी. वरना चाचा की तनखा से उसका बड़ी मुश्किल से गुजारा होता था. लेकिन वो बहोत कम लोग को मकान किराये पे देते थे. चाचा की उम्र ४५ की थी, साथ में उनकी पत्नी रमा चाची जो की करीब ३९ साल की थी, उनकी दो बेटिया सीमा और सपना जोकि १९ और १७ की होगी, एक बेटा था संजू जोकि ७वी में पढता था, एक कुवारी बहेन माया जो करीब ३० साल की थी जिसकी अभीभी शादी नहीं हो रही थी इस तरह ६ लोग एक परिवार में रहते थे. सायद दहेज़ ही वजह से माया की शादी नहीं हुए थी. पहले में आपको सब का परिचय दे दू.

माया जिसे सब बुआ बुलाते थे और में भी उसे बुआ ही कहने लगा था वो ५.४ ऊँची, दुध जैसा साफ़ रंग और मस्त सेक्सी बदन की मालिक थी वो, कटीले नयन नक्स, गुलाबी मोटे होंठ, मखन से मुलायम गाल, सुराहीदार गर्दन जिसे चूमने को मन हो जाये, ३५ की तोतापुरी आम जेसी भारी उन्नत नोकिली चुचिया जिसे हरदम देखते रहने को दिल करे, हमेशा होजियरी के चुस्त लोअर कट गाउन में अपने ३५ की भारी भरकम चुचिया और ३६ के बड़े बड़े कुल्हे मटकाती हुई वो चले तो जैसे तूफान उठा दे और पास से गुजरे तो उसके बदन की एक अजीब सी मादक खुश्बू किसीका भी लंड खड़ा करदे. वो काफी हसमुख और मजाकिया स्वभाव की थी और मेरा बहोत खयाल रखती थी. मेरी उनसे काफी जमती थी. लेकिन मुंबई में मकान बड़ी मुश्किल से मिलता हे तो उसको कुछ कहनेसे मेरी गांड फटती थी.

सीमा १९ की, मासूम गोरी चिट्टी मोम जेसी नरम और मुलायम बदनवाली, ५-४ ऊँची और सेक्सी मिसाइल थी. उसका फिगर ३४, २४ ३५ का कोका कोला की बोतल जैसा था, वो बड़ी आकर्षक और सेक्सी दिखती थी. बड़ी सुन्दर काजलमली आंखे, गुलाब की पत्ती से रसीले होंठ, तीखा नाक, शेब से नरम गा्ल जोकि चूमने का मन हो जाये. वो हमेशा वेल ड्रेस्ड रहती थी. वो उसके लोअर कट कुरते से उसकी बड़ी चुचिया ड्रेस में दबी दबी दिख जाती थी, वो काफी नरम दिल और सुल्जी हुई लड़की थी पर वो मुझे घास तक नहीं डालती थी. नॉर्मली वो मेरे साथ हस बोल लेती थी पर मेरे लिए वो मुश्किल आइटम थी. जब मेंने उससे पहली बार देखा तो में भोचक्का रह गया पर पापा और मोम साथ थे तो में मासूम बनके नीची नज़र कर उनकी और चाचा की बाते सुनता बेठा रहा.

सपना एक मुग्ध कन्या थी जिसने अभी अभी नई नई जवानी पाई थी. उसकी छाती पे अभी नए नए दो फूल खिल रहे थे वो जब चलती तो बड़े अच्छे से जुल जाते. वो थोड़ी श्याम रंग थी पर ब्लैक ब्यूटी थी. उसके अच्छे नाक नक्से उसे बहोत नमकीन और चुलबुली बनाते थे. वो बड़ी कटीले बदन वाली नागिन जैसी लगती थी. सपना ५-२ ऊँची, ३०-२४-३२ के मस्त फिगर वाली थी. उसका गदराया बदन, बात बात पर आंख मारके बात करना किसी को भी भा जाये. वो मेरी अच्छी दोस्त बन गयी थी.

रमाचाची बिलकुल घरेलू गृहिणी जैसी बड़ी प्यारे स्वाभाव की और काफी सुन्दर औरत थी. वो अभीभी ३५ साल की लड़की जैसी लगती थी. वो तीन बचोकी माँ होने के बावजूद उसने अपने आप को काफी मेन्टेन किया था. उस्सकी सुन्दरता उसकी बेटियों में उतरी थी. हा मनोहरचाचा अपने इस बड़े परिवार के पालन करने में और अपनी कुवारी बहेन की शादी की चिंता में थोड़े बूढ़े से लगते थे और उसे डायाबीटीस की बीमारी भी हो गयी थी. डायाबीटीस के मरीज की सेक्स लाइफ लगभग खतम हो जाती हे क्योंकी उसका लंड उत्त्थान नहीं होता. हलाकि वो रमाचाची बड़ा खयाल रखते थे. रमाचाची के चेहरे पे एक अजीब सी उदासी देखने को मिलती. मेरे पास बाइक था और चाचा के पास भी बाइक था. तो सुबह सुबह में चाचा, सीमा और सपना चारो दो बाइक पे स्कूल और कोलेज जाते थे क्यों की सीमा का होम साइंस कोलेज और सपना का हाई स्कूल हमारी कोलेज के रस्ते पे ही पड़ता था. सपना मेरी बाइक पे और सीमा अपने पापा के साथ बैठते थे. पहेले उनका स्टॉप आता था और बाद में हमारा कोलेज. दोपहर १ बजे हम चारो साथ आते और साथ में खाना खाते. में फिर ऊपर अपने कमरे में पढाई करने चला जाता और ४ बजे चाय के लिए निचे आता. रात को माया बुआ मुझे ८ बजे खाने के लिए आवाज़ देती या बुलाने छत पर आती. रात के खाने के बाद हमलोग थोड़ी इधर उधर की बाते करते टीवी देखते और १० बजे में अपने कमरे में सोने चला जाता. यह था हमारा दैनिक जीवनक्रम. में सुबह ५.३० को उठकर थोड़ी वर्जिस करता और सुबह ७.१५ को तैयार हो कर कोलेज जाने निचे आ जाता.

अब हुआ यु के इतवार को दो नो बहने किसी प्रवास में गयी थी, में सुबह ६.४५ को वर्जिस करके नहाने की तयारी कर रहा था की बुआ इतनी सुबह कपडे सुखाने आ गयी. मैंने बड़े ताजुब के शाथ बहार आ के पूछा क्यों बुआ इंतनी सुबह में कपडे धोने पड़े, में उसे कपडे सुखाने में मदद करने लगा, तो वो बोली.

माया: हा मुना आज मुझे कोई देखने ११ बजे आने वाला हे और मेरी फेवरिट ड्रेस मेली थी तो मेने सारे कपडे सुबह सवेरे जल्दी धो डाले ताकि वो सुबह ९.३० तक सुख जाये. वो मुझे मुना कहती थी. लेकिन इतनी अच्छी बात उसने थोड़े उदास होके बताई. मैंने उसे खुस करने कहा,

में: अरे वाह ये बात अब बताती हो. क्यों भाई हम इतने पराये हे?

माया: नहीं मुना मुझे देखने लड़के १० साल से आते पर शादी कोई नहीं करता क्योंकि भगवान् ने मुझेमें एक कमी रखदी हे! मुझे देखने तो सब आते हे पर शादी के किये कोई राजी नहीं होता. इस लिए में अभीतक भैया पे बोज बनकर इस घर में अबतक बैठी हु. बात करते हुए उसकी सुन्दर आंखे नम हो गयी, उसकी आवाज़ गले में घुटने लगी.

में: अरे ये क्या मेरी बेस्ट बुआ रो रही हे, अरे आप तो इतनी सुन्दर हो की आपसे तो कोई भी लड़का शादी के लिए तैयार हो जाये. में छोटा हु वरना में ही आप से शादी कर लेता. मैंने थोड़ी हलकी सी मजाक करके उसे हँसाने की कोशिष की.

में: बड़ा भाग्यवान होगा वो इन्सान जिससे आपकी शादी होगी! तो उस्सकी आँखे भर आई और आसू छलक कर बहार आ गए और वो बोल पड़ी-

माया: मजाक न कर मुन्ना, तू भी अगर मेरी खामी जान जाये तो तू भी शादी से मना कर देता अगर तू मेरी उम्र का होता. तुजे कैसे बताऊ के मेरे अन्दर ऐसी कमी है की में माँ नहीं बन सकती. भैया ने मेरा बहोत इलाज कराया तो पता चला के एक ऑपरेशन कराना पड़ेगा और जिसका खर्च करीब ५ लाख तक होगा. वो बात करते करते टूट सी गयी और रोने लग गयी. वैसे हुमदोनो की खूब पटती थी पर इस बात से में अनजान था, उसके रोने से में भी भाबुक हो गया. मैंने उसके आंसू पोंछे और कहा-

में: बुआ में आपका इलाज करुगा और पापा को कहकर में आपका ऑपरेशन भी करवाऊंगा, पापा को पैसे की कोई कमी नहीं और आप को में बहोत प्यार करता हु. आपके लिए में कुछभी करुगा. यह कहते हुए मेरी आंखे भी भर आई.

मुझे रोता देख उसने मुझे अपनी तरफ खीच उसने मुझे कस के अपने गले से लगा लिया, रस्सी पे सुखाये कपडॉ के पीछे हम दोनो एक दुसरे को कस के जकड़े हुए थे. यह मेरी जिंदगी का पहला अनुभव था दोस्तों की में किसी लड़की को ऐसे कस अपनी बाहों में ले के खड़ा था. माया की कठोर चुचिया मेरी विशाल छाती पे बड़े जोर से कस के दब रही थी. में उसे सांत्वन देने के लिए उसकी पीठ को सहला रहा था. मेने महसूस किया की उसने ब्रा नहीं पहनी थी. मेरा बनियान और उनका चुस्त गाउन था हमदोनो की छातीयो के बिचमे. उनके गर्म आंसू मेरे कंधे पे गिर रहे थे और में बड़े प्यार से उसकी पीठ सहला रहा था. उसका बदन भीने कपडे हो जाने के बावजूद एकदम गरम था. उसके जिस्म से एक गजब की मादक खुश्बू से मुझे नशा दे रही थी. वो कांप रही थी. उसकी गरम सांसे मेरे गले से टकरा रही और उसकी असर मेरे लंड पे हो रही थी, वो खड़ा होने लगा था और मेरी बरमूडा में एक तम्बू सा उभर गया था. मेरे बदन में मानी बिजली का जोरदार करंट दौड़ रहा हो. अचानक उसने मेरे चेहरे को अपने हाथो से पकड़ कर मेरे होठो पर अपने नरम मुलायम गरमा गरम कांपते होंठ चिपका दिए और मेरे निचे के होंठो को वो जोर से चूसने लगी. हमदोनो ही भावुक थे एक दुसरे को कस के चूम रहे थे. हलाकि मुझे लिप किस करना नहीं आ रहा था पर में उसे सहयोग दे ने लगा था. में उसके बालो को सहलाते हुए कानो तक आ गया और उसके कान बूट को प्यार से मल ने लगा. मेने पाया की वो अपने जबान से मेरे मुह खोल ने की कोशिस कर रही तो मैंने उसे सहयोग देते हुए अपना मुह खोल दिया तो उसने जट से अपनी गुलाबी जबान मेरी जबान पे मलते हुए अपने मुह में खीच ली और जोर से उसे चूस ने लगी. मेरे तो मानो प्राण निकल रहे थे. मेरी बरमूडा में मेरा लोडा एकदम टाइट होकर कड़े लोहे सा ५.५ – ६ इंच का लोहे सा कड़ा हो गया और वो माया की चूत पे टकरा रहा था. मेरा भी बदन कापने लगा और उसमे आग सी भडकने लगी. एक नसीला अनुभव जो मुझे पहली बार माया ने कराया. यह मेरे जीवन की पहली लिप किस थी जो में जिंदगीभर नहीं भूल पाउगा.

अब मुझे थोडा डर सा लगा तो मेने माया को अलग इया और अपने कमरे में ले गया और उसको पानी पिलाया. उसकी आँखों अभीभी नम थी. मैंने उसकी आँखों में एक आसू के आरपार के गजब का नशा देखा. वो कम्पन, वो बदन की दहेकती गरमी, वो मादक खुश्बू. फिर भी अपनी सेफ्टी के लिए रुका. और कहा.

में: बुआ शायद यह हम गलत कर रहे हे, कोई देख लेता तो हम बदनाम हो जाते. मेरे दिल में आपके लिए बहोत प्यार और भावना हे, परन्तु हमें ऐसा नहीं करना हे. पर आप चिंता न करो सब ठीक हो जायेगा, में आपके साथ हु, आज से आपके सारे दुःख मेरे और मेरे सरे सुख आपके. मेने महसूस किया की में उनसे आंख नहीं मिला पा रहा था क्यों की मेरी बरमूडा में से मेरे खड़े लंड से बना तम्बू उसे साफ़ दिखाई दे रहा था और में तोलिया ले के उसे छुपा ने की कोशिश कर रहा था. उसने तोलिया छिनते हुए–

माया: अरे मुना तू हे तो अब मुझे कोई चिंता नहीं हे. पर अबसे तू मुझे अकेले में बुआ मत कहना क्योंकि आज से हम एक अच्छे दोस्त हे. हलाकि मेरा तना हुआ लंड फिर से उसके सामने था. जिसे वो एकदम घुर के देख रही थी. मैंने थोडा संकोच करते हुए उसके कंधे पकड कर उसे अपने पलंग पे बिठाया और बाथरम की जा ही रहा था की उसने मुझे हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा दिया. मेरे बालो को अपने हाथोसे सहलाते हुए बोली-

माया: जिस का इतना प्यारा दोस्त हो उसे क्या चिंता? लेकिन तू मेरा शाथ देगा न? फिर तू मुझे छोड़ तो नहीं देगा ना? तुजे पता ये मेरी ये जिंदगी बिलकुल वीरान हे.

में: हा बुआ में आपके लिए कुछ भी करूँगा. आप कह के देखना.

माया: विकी में तुज पे कितना भरोसा कर सकती हु ये बता? मुझे तुमे कुछ कहना है.

में: बेसुमार आप मुज पे भरोसा करके देख लेना… विकी भरोसे का दूसरा नाम हे बुआ.

माया: बुआ के बच्चे, मुझे माया बुला. उसने मुझे फिर से खीचकर मेरे गालो को अपने दांतों के बिच दबाकर उसे कiट लिया.

में: माया यह हम गलत कर रहे हे. तुम मुझे पे खूब भरोसा करो और कहो जो कहना हे – हलाकि में ये जानबुज कर उसे टटोल रहा था.

माया: न मुना अब अपने बिच जो भी होगा वो सही होगा. तुमे में एक बात कहू, तू आज से मेरा दोस्त और मेरे कलेजे का टुकड़ा होगा.

उसकी आवाज़ में कम्पन थी, उसकी आंख में वासना साफ़ दिखाई दे रही थी. पर में उसे तडपाना चाहता था.

माया: विकी मुझे ३० साल ख़तम होने को हे. माँ तो में १० साल की थी तब चल बसी थी, बादमें इतने सालो के बाद तेरे गले मिली हु. मुझे जो प्यार चाहिए वो किसीने नही दिया, क्या कोई औरत अपनी एक कमी होने से प्यार के काबिल नहीं होती? जब १० साल की थी तब भैया शादी करके भाभी को लाये. वो दोनों को प्यार करते में छुप छुप के देखती तो तब भी मेरे रोंगटे खड़े हो जाते. रात को भैया के कमरे से भाभी के प्यारभारी चीख मेरे कमरे में मुझे सुनाई देती तो में एक आग में जलने लगती. मुझे भी प्यार चाहिए, में चाहती हु मुझे भी कोई अपनी बाहों में कस कर मेरे होंठो का रसपान करे. मुझे अपनी बाहों में कस ले, मेरा खयाल रखे, मुझसे प्यारभरी बाते करे. मेरी सहेली सरोज अपने भतीजे से सेक्स करती हे. कभी कभी रात को ऐसे विचार आते हे तो में प्यार की आग में जलने लगती हु. मेरी छाती फट ने लगती है. में क्या करू आखिर भैया की इज्ज़त का सवाल होता हे. तू जब आया तो मेरा यकीन मान मुझे तेरी आश हुई की तू सायद मेरे लिए ही आया हे और भगवान ने शायद् तुजे मेरी प्यास बुजाने ही भेजा हे. बोल में तेरा भरोसा करू? तू चिंता मत कर में मर जाउंगी पर तुज पर आच नहीं आने दूंगी. में उसकी बात बड़े ध्यान से सुनता गया और उनकी तड़प को महसूस करता गया. हलाकि मेने कभी कुछ नहीं किया था. फिर भी उसे टटोल ने कहा.

में: माया अगर कुछ होगा तो मुझे तो कुछ नहीं आता. में अपने कोलेज में एक तम्मना नाम की लड़की जो की मेरी दोस्त हे, उससे भी दूर से बात करता हु. पता नहीं मुझे डर लगता है कही पकडे गए तो मर जायेगे.

माया: हिमत रख जब में हु तो कुछ नहीं होगा, यह कहते हुए उसने मेरी जांघ पे हाथ रखा और आहिस्ता आहिस्ता उसपर अपनी हथेली रगड़ ने लगी. मेरा टाइट लोडा देखकर बोली तुजे कुछ नहीं आता में शिखा दूंगी. वो धीरे धीरे मेरे लोडे की तरफ बढ़ रही थी, मेरे तम्बू पे हाथ रख कर कहा.

माया: क्यों इस बिचारे को दबा कर रखता हे. उससे बहार निकाल कर उसके असली घर में आने दे. उसने लपक कर मेरा लोडा बरमूडा के बहार से पकड़ लिया. मेने कहा.

में: माया अभी नहीं, तुम जाओ चाची ऊपर आ जाएगी. और आज तुमे देखने भी आ रहे हे तुम निचे जाओ. हम शाम को यही पे मिलेगे. उसकी आँखों में एक चमक आ गयी. उसने मेरे गाल में अपनी जबान रगड़ते हुए चुम्मी ली और कहा की मेरा ड्रेस सुख जाये तो ९ बजे इसमें इस्त्री करा कर लाना. वो खुश होती हुए दोड़ती निचे गयी और में नहाने चला गया.

नहाकर करीब ८ बजे में निचे चाय पिने गया तो रमाचाची ने कहा

रमा चाची: बेटा में तुजे कल बताना भूल गयी थी आज माया को बोरीवली से कुछ लोग शादी हेतु देखने आ रहे हे तो मुना तू आज कही जाने वाला तो नहीं? तूमें बेटा मेरी थोड़ी मदद करने हमारे साथ रहेगा? आज सीमा और सपना भी टूर में गयी हे और वो लोग अचानक ही आने वाले हे.

में: (खुश होते हुए और अंनजान बनते हुए) अरे बुआ आप तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली हमें बताती भी नहीं. बुआ ने अन्दर के रूम से मुस्कुराते हुए मुझे आंख मारी.

चाची: अरे बुद्धू… लडकिया ऐसी बाते अपने मुह से कहेगी क्या? वो शर्माएगी नहीं ? पागल बुआ को मत छेड और ये ले पैसे और जा थोड़ी सी चीजे बाज़ार से ला वो लोग ११ बजे तक आ जायेगे. देख समोसे, बेसन के लड्डू, कचोडी, दूध, मावा के पेडे ले के फटाफट आजा. माया ने मुझे रूम से इशारा किया ड्रेस को इस्त्री भी करा लाना. मेने जान बुज के पूछा.

में: बुआ आप को भी कुछ मगाना हे? में उसके रूम गया तो हमें कोई देखे नहीं इस तरह से खीच के दरवाजे के पीछे मेरे होंठो को चूमके मेरे कुलहो पर चांटा मार के कहा डॉलर की एक बेह्नी और गुलाब लाना.

में फटाफट बाइक लेके गया और एक घंटे में वापस आया तो सारे घर के मस्त सफाई हो चुकी थी और बेठने का कमरा अच्छी तरह से सजाया गया था. में सीधा रसोई में गया और सामान रमाचाची को दिया और हिसाब कर बाकी पैसे देकर माया के कमरे में गया तो में उसे देखता रह गया, वो नहा धोकर मस्त तैयार होकर बैठी थी क्या खुश्बू थी कमरे में! में गया तो उसने फट से मेरे गाल पे किस कर के ड्रेस लेते हुए कहा बहार जा. क्या इसे में तेरे सामने पह्नुगी? मेने कहा नहीं लाओ में ही पहना दू. मेने आज पहल करते हुए उसके होंठो को कस के चुम्मी ले और उसके होंठो को जोर से काटा. अपने दोने हथेलियों से उसकी चूचिया जोर से दबाई. वो दबी आवाज़ में –

माया: उई ई इ इ इ माँ, काट के खून निकालेगा क्या? ओह्ह में सब के सामने कैसे आ सकुंगी पागल. यह क्या किया. वो आईने में अपने होंठ देखने लगी. उसने मुझे जोर से धक्का दे कर अपने कमरे का दरवाजा बन्ध कर ड्रेस बदलने चली गयी. में अपने को ठीक कर बैठक के पेपर पढने बैठ गया. इतने में चाचा मेहमानों को लेके घर आ गए. उसने चाची को आवाज़ लगायी-

चाचा: अरे सुनती हो….हम लोग आ गए हे. चाचा के साथ ३ मेहमान (श्यामलालजी ६२साल के, आशादेवी की मतलब उनकी पत्नी ६० की, अशोक यानी लड़का जोकि करीब ३८ का, थोडा दुबला सा, नंबर वाले चश्मे पहने हुए, गाल अन्दर बेठे गए थे) दिखने में वो लोग बड़े श्रीमंत दीखते थे. चाचा ने उनसे मेरा परिचय अपने बेटे की तरह करवाया, मैंने नमस्ते करते हुए कहा चाचा में चाची की मदद में रसोई में जा रहा हु आपको कुछ काम तो नहीं? चाचा ने नहीं बेटा जा तू आज बिटिया भी नहीं अच्छा हे तू हे तो.

में रसोई में गया तो माया मस्त तैयार होके बनठन के पानी की ट्रे तैयार कर रही थी. बापरे आज मुझे उसका असली रूप देखने को मिला. में तो उसे देखता ही रह गया. चाची मेहमानों के पास गयी थी तो रसोई में हम दो ही थे.

माया: ऐसे क्या देखता हे? क्या मुझे कभी देखा नहीं? पागल जरा देख तो मेरे होंठ पर काटने का निशान तो नहीं. में नजदीक गया.. तो वो दूर जाने लगी और बोली –

माया: देख अभी कोई शरारत न करना, तुजे तो में शाम को देखती हु. आज तो तू गया….. देखती हु आज तुजे कोंन बचाता हे?

में: अरे यार तुम क्या लग रही हो! यह रूप तुमने अबतक कहा छुपाया था?, आज तुम क़यामत सी लग रही तो मुझसे भी रहा नहीं गया और तुजे चबाने को दिल हो गया. सॉरी …… वैसे तुम क्लास लग रही हो यार जाच रही हो..

में: बोल इस लड़के को भगाके तुजसे शादी कर लू? मैंने उसकी गांड पर जोर से फटकारा….

माया: आई… आउच…. पा…गल ये ठोंकने की आवाज़ बहार कोई सुन लेगा. वो सी सी सी करते हुए अपने कुलहो को हाथ से सहलाते हुए.. बोली ले ये पानी की ट्रे लेजा और सब को पानी पिला और भाभी को अन्दर भेज. में ट्रे लेके बैठक में गया और सब को पानी पिलाया..वो लोग अपनी बातो में मस्त थे.. मेने चाची को इशारा करके रसोई में आने को कहा.

चाची: अरे क्या बीनू… क्यों बुलाया? थोड़ी बात तो करने देती. बोल क्या हे?

माया: भाभी लड़का कैसा हे? बिचमें में टपक पड़ा और बोला –

में: बिलकुल तेरी पसंद का. भगवान् ने तेरे लिए चुनके भेजा हे. वो गुस्सा करते हुए…

माया: भाभी इसको बहार भेजो वरना में इसका गला घोट दूंगी…..

चाची: अरे तू उसे क्यों छेड़ रहा हे. इसका मेकअप ख़राब हो जायेगा. तू थोड़ी देर शांत नहीं रहेगा?

में: ना चाची इसके साथ बुआ की शादी कर ही दो और दहेज़ में मुझे इसके साथ भेज दो.

चाची: (हसते हुए) पागल अभी तू शांत रह वरना ये मेहमान जाने के बाद तेरा कचुम्बर कर देगी फिर मुझसे कोई हेल्प न मांगना. माया ने जबान निकाल कर मुझे कहा..

माया: उल्लू… बन्दर… तू रुक तेरे लिए एक पागल लड़की ढूंढ़कर तुजे एक कमरे में उसके साथ बन्ध करना हे. चाची ने चाय नास्ते की ट्रे तैयार की और हमदोनो को सुचना दी अब यह तीनो ट्रे लेके तुम दो एक अच्छे बच्चो की तरह वहा आना और कोई शरारत मत करना वरना अपने चाचा से भी पिटोगे. मेने नास्ते की दोनों ट्रे ली और माया ने चाय एक ट्रे लेकर बैठक में गए. यह सब प्रोग्राम १२.३० तक चला और मेहमान जाने के बाद..

माया: (अपनी भाभी के गले मिलकर रोते हुए) भाभी ये लड़का मुझे अच्छा नहीं लगा पर उन्हों ने मुझे शायद पसंद कर लिया हे. मुझे ऐसे लड़के से शादी नहीं करनी.

चाची: (उसके बालो को सहलाते हुए) ना बनू ऐसा नहीं कहते पगली. तेरी खामीयो को जानते हुए उसे नज़र अंदाज़ करके उसने तुजे पसंद किया हे, ऐसे लोग कहा मिलेगे?

में भी उदास सा हो गया था. हमलोगों ने चुपचाप दोपहर का खाना खाया और में ऊपर अपने कमरे में चला गया. आज इतवार हो ने से सुस्ता रहा था तो दोपहर में सो गया. शाम होने को होगी और मुझे नींद में कुछ छूने का एहसास हुआ. मैंने आंख खोली तो माया मेरे सर के पास बेठे हुए मेरे सर को चूम रही थी.

में: (जागते हुए) उदासी से ओह तुम हो? यार तुम तो परायी हो गई. उसने अपनी गोद में मेरा सर ले कर मेरे होठो पर अपना हाथ रखते हुए ….

माया: नहीं विकी हम कभी पराये नहीं होंगे… तू मेरा पहला और आखरी प्यार है. अब माया किसी को प्यार नहीं करेगी..

में: अरे यार तुमे डर नहीं लगता चाची आ गयी तो?

माया: नहीं आएगी वो दोनों और दीपू ताउजी के घर गए हे और कल सुबह आयेगे और सीमा और सपना कल शाम को आयेगे. भाभी ने मुझे तेरा खाना बनाने और खयाल रखने कह अभी अभी गए हे. हमदोनो अकेले. चल तू हाथ मुह धो के निचे आ.

माया निचे गयी और में ब्रश करने…… में निचे गया तो घर का मेन गेट बन्ध था और घर में शांति थी. माया ने मुझे आवाज़ दी…

माया: मुना यहाँ आ…..

वो अपने कमरे में थी.. में उसके कमरे में गया तो में अचम्बे में पड़ गया. कमरा एकदम सजाया हुआ और बिस्तर पर मे सुबह जो फूल लाया था वो बिछाए हुए थे. कमरा मानो सुहागरात का कमरा हो वेसे खुशबूदार था. माया को देखा तो मेरे लंड में करंट दोड गया! क्या क़यामत लग रही थी वो इतनी तैयार तो वो आज ससुबह जब उसे लड़का देखने आया था तब भी तैयार नहीं हुए थी. उसने गुलाबी रंग का एकदम लोअर कट कुरता और सलवार पहना था, वो इतना चुस्त था की उसकी गोरी मुलायम चुचिया मानो कुर्ती के कसाव की वजह से ऊपर उभरी होई थी, कुरते में ऐसे ऐसे दबी हुई थी मानो अभी कुरते को फाड़ कर बहार आ जाये गी. उसके मखमली गुलाबी होंठ आज कुछ ज्यादा ही रसीले लग रहे थे. मेरे साथ यह सब पहलीबार हो रहा था. मुझे एक अजीब सा पर जिन्दगी का पहला नसीला एह्सास हो रहा था. उसमे पलंग पर रेशमी मखमली मरुन चद्दर बिछाई थी, पास में पड़े टेबल पर केशर वाले दूध का गिलास था. माया की आँखों एक जबरदस्त नशा था, उसके चहेरे पर एक अजीब सी ख़ुशी जलक रही थी. मैंने उसकी आँखों में देखा तो वो मानो जिन्दगीभर की तरसी हे और उसमे एक वासना के अंगारे भड़के हुए थे. मुझे लगा आज यह मुझे कचा चबा जाएगी और इसमें इतना एकांत, मेरा दिल थोडा फड़क गया और मुझे सीमा का ख्याल आया और लगा अगर में इसमें फसा तो सीमा हाथ से छुट जाएगी जोकि वो मेरी हॉट फेवरिट थी. इतने में माया बोली –

माया: लला आज चाय नहीं यह दूध पियो. मेरे पास आ मेरे कलेजे टुकड़े.. यहाँ आजा, में उसके पास गया और उसके करीब बैठ गया और दूध पिने लगा, तो उसने कहा एक घूंट मेरे लिए रखना.

में: क्या तु मेरा जूठा दूध पियोगी…

माया: अरे मेरे राजा तुजे क्या बताऊ में तेरा क्या क्या पीना चाहती हु? आज तो में तुजे ही पीना चाहती हु. उसने मेरा जूठा दूध पिया और गिलास रखते हुए बोली आजा मेरे राज्जा तुजे बढ़िया और नसीला दूध पिलाती हु.. मुझे खीचा और और मुझे अपनी छाती से कस के चिपका लिया…उसका बदन अंगारे की तरह दहक रहा था, उसकी धड़कन से लग रहा था मानो उसका दिल उसकी छाती फाड़ के बहार आ जायेगा, बदन से एक अजीब सी मगर जबरदस्त मादक खुश्बू थी. मेरी जिन्दगी का यह पहला नशा था दोस्तों और मुझे क्या हो रहा था यह कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं, में उसके बदन आग में जल के सिकने लगा, फिर मेरे दिमाग में सीमा का विचार आया. तो मेने उससे बाहों लेते हुए कहा माया में एक बात करू तो तू बुरा तो नहीं मानेगी?

माया: नहीं मेरे प्यार तेरी कोई चीज़ या बात मुझे बुरी नहीं लगती. वो मेरी बिना बाल की साफ़ बगल को बड़े नशे से सूंघ रही थी..

में: यार तू मुझे बहोत प्यारी लगती हो, और में तेरे प्यार की इज्ज़त करता हु पर मेरी दिल से पसंद सीमा हे.

माया: अरे बदमास तू क्या समजता हे मुझे पता नहीं? मैंने अक्षर तुजे उसको जाखते देखा हे, पर तुजे पता भी हे की वो एक अलग किस्म की लड़की हे. उसे लडको में कोई दिलचस्पी नहीं, उससे तो बड़ी चुचिया वाली चिकनी लडकिया पसंद हे. लल्ला वो लेस्बियन हे. वो तुजे घास भी नहीं डालेगी, पर मेरे पास उसका तोड़ है अगर तू…… मेरे होंठ को चुमते हुए…मुझसे गुप्त रूप से शादी करले. मतलब जब तक मेरी असली शादी नहीं होती, मुझे अपनी अर्धाग्नी बना ले मेरी जान. यार तू मुझे इतना क्यों भाता हे पता हे! मुझे अपने से कम उम्र के तेरे जेसे बच्चे पसंद हे. में इस लिए तो तुजपे मरती हु. जब से तू यहाँ आया हे तूजे खबर नहीं मेने अपने आप को कैसे सम्भाला हे. क्या हम जबतक मेरी शादी नहीं होता तबतक पति-पत्नी की तरह रह नहीं सकते? भरोशा रख, इस बात की में किसीको भनक तक नहीं आने दूंगी. यार सीमा तो क्या में तेरे लिए दुनियाभर की लड़की की लाइन लगा के तेरे चरणों रख दूंगी. पर उस बूढ़े से शादी के पहले में तूजे बहोत प्यार करना और भोगना चाहती हु, एक भरपूर जिन्दगी जीना चाहती हु मेरे लल्ले. क्या तू मुझे जिन्दगी के कुछ पल उधार देगा..?? उसकी आंखे फिर से आंसू से भर गयी. अब मुझे लगा की वो सही में तड़प रही हे और मुझे उसका साथ देना चाहिए, वो सही में मेंरे प्यार की दीवानी हे…

में: माया लेकिन मुजे कुछ नहीं आता, मेंने कभी किसी औरत के साथ कुछ नहीं किया. इसलिए तो आज सुबह मेने तुजे काट लिया था.

माया: मेरे दिल के टुकड़े में तुजे प्यार करने की और औरतो को कैसे भरपूर चोदते उसके सभी दावपेच सिखादुंगी मेरे लल्ला…बस तू मुजे थोड़ी सी जिन्दगी दे दे….

काट ने बात उसे याद आते ही वो मुज पे जपत पड़ी…. और उसने अपने दांतों से मेरे गालो को बड़ी सख्ती काट लिया,

में: (चिलाते हुए…) ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह… मा….या ….. ओह्ह्ह्हह तूने मेरे गालो को चीर डालो उफ्फ्फ्फ़ मा……(वो खुसी से हंस पड़ी और उसके चहेरे पे बदला ले लेने की खुसी जलक रही थी)

माया: पागल….साले कुते बन्दर तूने भी मुझे ऐसे ही काटा था और मुझे भी ऐसा ही दर्द हुआ था. मेरे गालो लाल हो गए और उसपे उसके दांत छप के निशान बन गया. उसने फिर प्यार से अपनी हथेली से मेरे गालो को सहलाया और कहा —-

माया: सॉरी मेरे लल्ल्ला पर तूने पागल आज सुबह मुझे बहोत ही जोर से काटा था.. और में आवाज़ भी नहीं निकाल सकती थी पता हे?. अब तुजे पता चला दर्द क्या होता हे?! तुजे तो में काट काट के खाऊँगी. आज अगर तुजे चिर न दिया तो में माया नहीं. उसने अपने दांतों से निचला होंठ चबाने लगी फिर अपनी जबान मेरे मूह में घुसा के मेरी जबान से टकरा टकरा के किस कर करने लगी, उसके मम्मे मेरी छाती से कस के चिपके हुए थे, और वो अपने हाथो से मेरी जांघो पे बड़े प्यार से सहला रही थी. मेरे तो होस उड़े हुए थे. में उसकी कोमल पीठ पर अपना हाथ बड़े प्यार सहला रहा था और उससे उसे बहोत जोश आ रहा था. मेरा लंड कड़ा हो को कर बरमूडा पे तम्बू सा उभार बना रहा था. मेरी सांसे तेज हो रही थी. उसने करीब ५-७ मिनिट तक मेरे होठो को चूमा और मेरी छाती से अपनी चुचिया रगडती रही, उसके मुह से उ उ उम्म्म उह आहह्ह्ह उह गु गु चप चप चपाक चपाक पुच्च्च पुच्चच की आवाज गूंजती थी और वो मुझे बुरी तरह से चूम के चूस रही थी. अचानक वो अकड़ी वो मुझे जोर से भिचा.. और चीलाई ल….ल…..आ में…… उफफ्फ्फ्फ़ अहहह अह्हह्हह्हह्हह में……गयीईई….अह्ह्ह्हह विवि …..की….ओह….. में गयी अहह माँ…. में मर गयी….. उफ़ सी सी सी सी अहह लल्ले मुझे अपनी बाहों में कस ले में गयी…… उम्म्म्म उह्ह वि…….की…….मुझे थाम ले……. में…..गई……..माँ…… में…….ग….इई यी वो जबरदस्त चिल्लाने के साथ जड़ गयी..और मछली जैसे बिना पानी के तड़पती हे वैसे तडपते हुए मुजपे ढेर हो गयी.

माया मेरे बिना कुछ किये ही मुझे केवल चुमते हुए और अपने मम्मे मुज पे रगड़ते हुए मछली की तरह तड़पते हुए अपनी काम वासना की चरमसीमा प्राप्त करते हुए जड़ कर मुज पे ढेर होकर थोड़ी देर बेजान होके पड़ी रही. दोस्तों यहाँ में एक जादू सिखादु – के औरत जिसको बहोत पसंद करती उससे चुदवाने की उसकी मन की चाह जग जाती हे तो वो चाह उसे बहोत तडपाती हे और जब वो उसे मिलती हे तो वो बिना चोदे ही थोड़ी देर केवल चूमाचाटी करने पे ही जड़ जाती हे. पुरुष के अपेक्षा स्त्रियों में १० गुना कामवासना होती हे. वो तो केवल उसे देखती हे या नजदीक जाके बात भी करती तो उसकी चूत पनियाने लगती हे, तो जिस औरत को चोदना हे उसके अन्दर तुम्हारे लिए एक आग लगानेवाली चाह पैदा करो, उसकी वासना को बहोत भड़काओ और फिर जब फल पक जायेगा तो वो अपने आप तुमारी जोली में गिर जायेगा…. माया की ३० साल की कुवारी जवानी आज मेरी गोद में मचलके बेहोस सी पड़ी थी……. अब आगे…

में: क्यों क्या हुआ…माया…?

माया: अरे!!!! मेरे अनाड़ी लल्ले में जड़ गयी… मेरा पानी छुट गया.. वो मेरी गोद से उठी.

में: मतलब…. क्या हुआ तुम इतना मचल क्यों गयी? हलाकि मुझे इस बात का इल्म ही नहीं था..

माया: ठहर तुजे बताती हु क्या होता हे. उसने मेरा टी शर्ट एक जटके के साथ उची करके निकाल दि. मुझे धक्का दे कर बिस्तर पे सुला दिया और मेरी बरमूडा एक जटके के साथ खीच के मेरी झांघो से खीचते हुए पूरी निकाल दी. अब में केवल निक्कर में ही था. मेरी धड़कन तेज हो गयी थी. मेरा लोडा निक्कर मेंसे बम्बू सा ताना हुआ था. मेरी सांसे तेज चल रही थी. मेरे बदन थिरक रहा था मेरे अन्दर गज़ब की आग लग चुकी थी.

में: माया कुछ होगा तो नहीं ना. मुझे डर हे अगर कुछ हुआ तो? वो हसी…

माया: ओह्ह्ह मुना भगवान् का मुजपे जो अभिशाप है वो आज आशीर्वाद बनेगा… तुजे पता हे में माँ तो बन ही नहीं सकती तो में प्रेग्नेंट हुंगी ही नहीं और कुछ होने का डर ही नहीं. हां तुजे जरुर होगा….. तू आज मेरा चोदु पति बन जायेगा….निक्कर में ही वो मेरे खड़े लोडे को बड़े प्यार से सहलाने लगी….अब तड़पने की बारी मेरी थी. वो अपनी एक हथेली लंड को रगड़ते हुए सहला रही थी और उसकी एक हथेली मेरी बड़ी झांघो को सहला रही थी, मेरे लोडे के सुपाडे पर करंट लग रहा था और वो जटके मर रहा था. मेरे लंड में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी और उसमे एक सिरहन पैदा होने लगी जो मुझे मीठा दर्द दे रही थी. मेरी आंखे बन्ध होने लेगी थी और मेंरे लंड में एक अजीब सी फीलिंग्स पैदा होने लगी थी जिसका शब्दों में वर्णन असंभव हे. में सिसियाने लगा सी सीस सी श अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह माया मुझे कु……छ हो रहह्ह्ह्हह्हहा हे प्ली……ज मुझ…से…. र…हा नहीं….. जाता…..मा….या….. उसने एक जटके के साथ मेरा निक्कर भी खीच लिया और मुझे बिलकुल नंगा कर दिया. मेने भी अपने पैर उठाके उसे सहयोग दिया. उसने मेरा तना हुआ लालचटक लंड देखा तो वो हेरान होते हुए मेरे कड़े लंड को ताकती रही, निक्कर मेसे निकला हुआ अकड़ा और फनफनाता हुआ मेरा लोडा बहार आते ही उसकी आंखे चोडी हो गयी. उसका मुह खुला का खुला रह गया. मेरा तपता लोहे जैसा लंड १.५ इंच चोडा और ६ इंच लब्बा ऊपर की और तन के उठा हुआ था, लंड के ऊपर का सुपाडा फुल के लाल चटक दिख रहा था. उसने उसपर अपने मुलायम होंठ रहकर किस किया पुच्च्च……… वो बोल उठी…

माया: ओह्ह्ह्हह्ह माँ इतना बड़ा तेरी निक्कर में समाता कैसे हे? ओह गोड में इससे कैसे जेल पाऊँगी माँ!!!!!!!. उसने लपक के मेरा लौडा अपनी मुठी में भरकर उसकी चमड़ी सुपाडे से निचे खिची तो मुझे दर्द हुआ और में चिल्लाया ……

में: अरे माया दर्द होता हे जरा धीरे…..

क्योकि अभी मेरे लंड के सुपाडे से चमड़ी पूरी निचे नहीं उतरती थी क्योंके मेरे लंड का अभी शील टुटा नहीं था.

माया: अरे ये बहोत गर्म हे… उसने मुझे फिर धक्का दे के बिस्स्तर पे लेटा दिया और जुककर मेरे लोडे को अपने नरम होठो से बे तहासा चूमने लगी. वो अपनी हथेलीयो से मेरे गोटिया सहलाने लगी. में पागल हो गया… उसने अहिस्ता से मेरा आधा लंड अपनी जबान से गिला करते हुए अपने मुह में लपक से ले लिया…पुच्च्च….में सिसयाने लगा ओह्ह्हह्ह्ह्ह माँ……यह क्या कर रह ही हो, आह्ह्हह्ह उफफ्फ्फ्फ़ सी सीस सी सीस, फुह फुह……माया तुम बहोत अच्छा कर रही हो. और उधर माया अपने मुह में मेरा लोडा लपक लपक लपक चप चप चप कर रही चूस थी. वो पागलो की अपने मुह में मेरा लौदा खीच रही थी और पुरे कमरे में चाप चप चप चाप पचाक पचाक की आवाज़ आ रही थी. दोस्तों आज मुझे मालूम हुआ की स्त्रिया एक मर्द को कितना आनद दे सकती हे चाहे वो कितनी ही बड़ी या छोटी हो. बस उसे सेक्स के दावपेच आते हो..में स्वर्ग से आनद की अनुभूति करते हुए बिस्तर पे अपने पैर फेलाए अपने लंड चुसवाने का आनद ले रहा था. उसकी हथेलिया मेरी झांघ और गोटिया सहला रही थी. उसने अब मेरा पुरा लौड़ा अपने मुह में भर के उसेपे अपने थूक से गिला कर दिया था. कभी वो चूस ती तो कभी अपनी मुठी में भरकर उसे मुठीयाति… में करीब करीब चीख रहा था .

में: हा माया ऐसे ही करो ऊऊफ अआह सी सी सीस उम्म्म्मओह्ह्ह्ह मा…..या……उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ अह्ह्ह आःह्ह. और उधर माया के मुह में मेरा लंड पुच पुच चपक चापाक चापाक पुच पुच की आवाज़ करता हुआ अन्दर बहार हो रहा था. उसने मेरी हथेलिया अपनी चुचियो पे रखते हुए उससे मसलने का इशारा किया. में भी उसकी गुलाबी कठोर चुचिया अपनी उंगलियों से मसलने लगा और साथ में उसके बूबस दबाने लगा. वो भी अब जकृत हो के निहाल हो रही थी, उसका तपता हुआ लाल बदन कांप रहा था. वो भी उम्म्म सी सीस सी सीस सीस उफ्फ्फ. उसने मेरा लंड बहार निकाल के कहा, मेरी छाती फाड़ दे लला, इसमें ३० साल की आग आज बजा दे…… इस्ससे पि जा. उस्सने जोर से मुझे चांटा मारा और मेरा चेहरा अपनी छाती की और खीच कर उसपे चिपका दिया. उसने अपना एक स्तन मेरे मुह में डाल के उससे जोर से चूसने को कहा… पि जा इससे, इस्स्सने मुझे बहोत तडपाया हे. फाड़ दे इससे….. में चाप चप चप चप निप्पल को अपने होठो से कस के चूस ने लगा. वो करीब करीब चिल्ला रही थी. और जोर से……….. खाजा मुझे ….. आआई ……. ओह्ह्ह्हो सी सीस उफ्फ्फ हां ऐसे ही मेरे लल्ला हां हा चूस और चूस..आउच ऊउम हां हा बस ऐसे और जोर से खीच ले मेरी पूरी छाती अपने मुह में मेरे लाअल्लाआ अह्ह्ह्हह. में दुसरे हाथ से उसके बाये बूब को जोर मसलने लगा तो वो मछली की तरह तड़प के अपनी कमर उची कर कर के मचल रही थी और पागलो की तरह चीख रही थी. भर ले अपने मुह में भर ले मेरे राज्जज्जा…… अब मुज से रहा नहीं जाता था. मेरे लंड से चिकनी लार बहती देखि तो वो अपना मुह मेरे लौड़े पे लाके ६९ की पोजीशन में हो गयी और फिर से मेरा लंड अपनी जबान से चाटते हुए अपने मुह में घुसेडकर चूसने लगी. अब्ब उसके मुह से गूं गु हु हू फु अचानक उसने मेरे लंड को दांतों से काटा. में चिल्लाया ओह्ह्ह्ह मेने उससे कस के चांटा मारा. वो जोर से हसी और जवाब में मेरे गा्ल को चबा के काटा और मेरा मुह फिर से अपनी निप्पलो पे दबा के चुसवा ने लगी.

माया: विकी मेरा होने वाला हे जरा जोर जोर से चूस आआ और जोर से …. उसकी छाती लाल हो गयी थी.. वो अभी भी पागलो की तरह चिला रही थी …. खाजा मेंरे लाला खा उम्म्म्म सीस इसी तरह में गई गई उईईए माआआआ में गई मुझे अपनी बाहों में …………….. वो जोर से मुझे अपने कठोर चुचियो पे कसते हुए फिर से जड़ गई. मेरा भी छुट ने वाला था. मेने उसके बाल पकड़ के उसक्के चेहरे को अपने लंड की और खीच के अपने लौड़े को जोर से उसके मुह में घुसेड के आगे पीछे करने लगा. मेंरा पूरा बदन आगसे तपता था. वो अपने दोनों ओठो से मेरे लंड को कस रही थी.. वो मेरे लोडे को बड़े जोर से चूस रही और में भी गया आःह्ह उम्म्म ओह्ह्ह्ह… अह्ह्ह माआया… मेरे लंड से एक जोर की पिचकारी छुटी और उसका पूरा मुह मेरे वीर्य से भर गया… वो जोर से खासी तो मेरा वीर्य उसके मुह से छलक के बहार टपक ने लगा. वो बड़ी नशीली आँखों से मुझे बेशरम निगाहों से देखते हुए मुस्कुरा रही थी और अपनी जबान से कभी मेरा वीर्य चाट रही थी थी तो कभी उससे सुघ रही… अचानक उस्सने मेरे गिले लंड को फिर से मुह में लपक लिया. में तो ढेर हो के बिस्तर पे पड़ा था. यह मेरी जिन्दगी का पहेला डिस्चार्ज था की मेने किसी के साथ सेक्स करते हुए अनुभूत किया हो. बापरे सेक्स में कितना आनद होता हे यह माया ने मुझे एहसास कराया. मेरी तो आंखे बन्ध थी. पर वो मुझे कहा छोड़नेवाली थी. वो बोली

माया: आह्ह तेरी खुश्बू कितनी अच्छी हे. वो फिर से चाट ने लगी…. मेरे लंड को दो मिनट में फिर से खड़ा कर दिया उसको पूरा सूखने भी नहीं दिया.. फिरसे मेरा लंड कड़ा होके अपनी जवानी में मस्त होने लगा था. वो मेरे लोडे को अपने मुह में लोलीपोप की तरह अन्दर खीचते हुए अपने होठो में दबाते हुए चूस रही थी और मेरी तो जान निकलकर मानो लंड तक आ गयी थी. में माया माया थोड़ी देर तो रुको….चिलता हुए कांप रहा था वो अब मानो मेरे लिए थोडा असह्य था, मुझे लंड के अन्दर जोर से जटके लग रहे थे और मेरी आंखे मुद ने लगी थी. मेरा लौवड़ा लाल चटक हो गया था और मेरा उपरी चमड़ी का शील टूट चूका था. वो कभीकभी मेरे लंड पे अपने दांतों से भी रगड़ मारती थी तो कभी अपनी गीली जबान मेरे अधखुले सुपाडे पर फेर रही थी. में आंखे बन्धकर तड़प रहा था, उसने अपने मुह में मेरा पूरा लंड भर भर के आगे पीछे करने की स्पीड बढाने लगी.. मेरे दिमाग में एक अजीब सा नशा छा रहा था. मेरा बदन अकड़ ने लगा तो उसने अपने मुह में मेरे लंड को आगे पीछे करने की स्पीड और भी बढादी. मेरे पाव को और फैला के वो बिच में आ गयी मानो उस्सने कभी लंड देखा ही न हो और सायद मिलने वाला ही न हो ऐसे वो मेरे लंड को खा रही थी.

में: माया आग लगी हे… आई लव यु…… मेरी रानी मे तेरा गुलाम बन गया… और जोर से और जोर से रगडो माया, मुझे अपने अन्दर ले लो ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह माया माया ऐसे चिल्ला रहा था की गांड की तरफ से कुछ जटके आने लगे. में अभीभी चीखा रहा था. जोर से और जोर से.. वो अपने मुह में मेंरे लंड को जबान से चिप्काके आगेपीछे करने लगी लगभग ५ – ६ मिनट में मेरे बदन में बिजली का करंट लगा, मुझे गांड की और से जोरदार जटके महसूस हुए, मेने अपने पैर सिकुड़े और चीख पड़ा….

ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह माँ…या….में फिर से…….. मुझे पकड़ो पर उसने इसे अनसुना करते हुए अपने मुह से धक्के चालू रखे. थोड़ी देर तो मुजे लगा जान चली जाएगी, में निहाल हो कर अपनी आँखों को मूंदते हुए उसके सर को पकड़ने नाकाम कोशिस करने ही जा रहा था के मुझे एक जोर का जटका लगा और मेरे लंड मेसे गर्मागर्म वीर्य की जबरदस्त पिचकारी छुटी और उसका पूरा मुह फिर से चिकनाई से भर गया. वो फिरसे थोडा खांसी.., मेरी तो मानो जान निकल गयी और में निढाल होके अपने पैरो को बिस्तर ढीला छोड़ थोड़ी देर आंखे बन्धकर ढेर हो गया. मुझे जिन्दगी की यह दूसरीबार चरमसीमा प्राप्त हुई और में जैसे इंसान बेहोश होते हे ऐसी अवस्था में आंखे बन्ध करके बिस्तर पर पड़ा रहा.. माया मेरा पूरा लंड चप चप चाट के साफ़ करने लगी. वो अभीभी मेरे लंड को छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी.. उसने कहा

माया: यार विकी मुझे तेरे लोडे की गंध बहोत मीठी लगती हे. तेरा वीर्य कितना खुशबूदार है, तेरे लंड को कच्चा चबा के काट के खा जाने दिल कर हे…वो अपने होठो से मेरा वीर्य ऊँगली में लेके सूंघने लगी. बाद में उठकर बाथरूम में अपना मुह धो ने चली गयी और में ऐसे ही पूरा का पूरा नंगा बेहाल बिस्तर पर आंखे बन्धकर पड़ा था.

पर मेरे मन को एक गजब की शांति मिल गयी. मेंरी चीखे अब शांत हो गयी…. यारो आज में सेक्स करते हुए दो बार जड़ा था… एक शांति का एह्स्स्सास. कमरे में भी शांति हो गयी और बाथरूम में नल से पानी की आवाज़ आ रही थी. वो अपने आप को सायद साफ कर रही थी. बिखरे हुए बिस्तर पे में एक घायल सैनिक की तरह पड़ा था. मानो आज मेरा रेप हुआ था.

में शांति से बिस्तर पर पड़ा था और माया बाथरम में मुह साफ़ कर रही थी के तभी मेन दरवाजे पे जोर से दस्तक हुई. मेरी तो गांड फट गयी, मे जट उठा और अपने कपडे ढूंढ़ने लगा और माया को दबी आवाज़ में कहा.

में: माया मर गए कोई आ गया लगता हे, देखो कोई दरवाजे पर दस्तक दे रहा हे…. माया जल्दी से नेपकिन से अपना चेहरा साफ़ करती हुई बहार निकली, वो भी डरी हुई थी की आखिर कोन आ गया!!! वो मुझे बाथरूम में छुपाकर डर के माँरे कापते हुए दरवाजे पे गयी. दरवाजा खोला तो उसकी सहेली सरोज थी जो बिलकुल हमारे मकान से सटे मकान में रहती हे. माया को दरवाजे से हटाते हुए वो जबरन अन्दर घुस आई और उसने माया को नजदीक बुलाकर कहा

सरोज: (दबी आवाज में) माया मेरे कमरे से सटी तुमारी खिड़की से मुझे अजीब-अजीब सी आवाजे सुनाई दी तो में भाग कर तुजे बताने आई हु की तुमारे कमरे की आवाज़ बहार तक आ रही हे कोई सुन लेगा. उसने आंख मरते हुए कहा..

सरोज: क्यों क्या हो रहा हे मायादेवी????!! मैंने ऐसी तड़पनेवाली कसकती आवाज़ इतने साल में तुमारे कमरे से कभी नहीं सुनी. क्या हे मेरी जान???? माया हडबडाते हुए…

माया: न न नही ऐसा तो कुछ भी नहीं…. घर में कोई है ही नहीं तो आवाज़ कैसी..???!!! त त तू जा…..ऐसा कुछभी नहीं है. सरोज ने मेन दरवाजा बन्ध किया और जबरन माया के कमरे की और आ गयी. वो उसकी बहोत अच्छी सहेली थी. वो दोनों अक्सर छत पे दोनों मकान के बिच की दिवार के पास खड़ी रहकर घंटो तक फुसफुसाती रहती..दोनो बहोत ही अच्छी सहेलिया थी.

सरोज: ओह्ह्ह्ह तो मायादेवी कोई नहीं हे तो फिर आप सजधज के क्या कर रही थी??? खिलाडियो से खेल??? अगर कुछ नहीं ने तो तेरा रंग क्यों उतरा हुआ हे. और ये तेरे गाल पे क्या चिपका हे??? उसने उसके गालपे चिपके मेरे वीर्य को अपनी ऊँगली पे लिया और उसे सूंघने लगी… और वो कमरे की अन्दर की और बढ़ने लगी. माया ने उसका हाथ पकड़ा और चिढ़ते हुए……

माया: सरू प्लीज कुछ नहीं हे तू बेकार में मुजपे शक कर रही हो, और मेरे गालो पे दूध की मलाई चिपकी थी जो अभी दूध पीते हुए लगी होगी, में साबुन से मुह धो रही थी तो साबुन आँखों में जाने से मेरी आवाजे आ रही होगी मेरी माँ!!!!

सरोज: अच्छा तुजे पता हे ना में बड़ी चुदक्कड हु, मेने कहीयो के पानी छुड़ा दिए हे!! समजी… मुझे उल्लू न बना. बता अन्दर कौन हे, बताती हे या में अन्दर जा के उसकी पिटाई कर के पुरे मोहल्ला जमा करदू. अभी तो केवल शाम के ७.३० बजे हे महारानी.

में अन्दर से सब सुन रहा था और मेरी तो गांड फट रही थी और मेरा दिल डर के मरे जोर-जोर से फड़क रहा था. वो लगभग हमारे कमरे में आ चुकी थी. वो कमरे की हालत देखकर बोल उठी.. सरोज: साली जूठी ये कैसी बू आ रही हे और यह तेरे बिस्तर की हालत देख कोई भी कह सकता हे की यहाँ तू अकेली नहीं…, बोल कोन था तेरे साथ…???? बोलदे वरना मुझसे बुरा कोई ना होगा.

माया: ओह सरू कोई भी तो नहीं… तू यार खामखा मुजपे शक कर रही हे.. अगर कोई होता तो पगली में तुजे न बतानी, तुजसे मेरी कोई बात छिपी हे क्या??..

सरोज: साली तो ये तेरे गालो पे जो चिपका था और खडकी से सिसकिया सुनाई दी वो क्या भुत की थी? वो जोर से धमकी भरे शब्दों में बोली……. मेने मैंन दरवाजा बन्ध किया हे और में माया की खास सहेली हु और जो भी अन्दर छिपा हे वो मेहरबानी करके बहार आये. अगर मेने उससे ढूढ़ लिया तो बहोत बुरा होगा..

माया: सरू कोई नहीं यार मुजपे भरोशा नहीं क्या? वो बिचारी सरोज को गीड-गिडा रही थी. उससे हाथ जोड़कर मिन्नते कर रही थी. यार तू जा कुछ नहीं…

सरोज: तुम बहार आते हो या में अन्दर आऊ??? अगर पकडे गए तो तुमदोनो का हाल बुरा होगा ये लास्ट वार्निंग हे. माया ने उसके कान के पास जाकर कुछ कहा. तो और भी चिल्लाई.

सरोज: अच्छा तो ये बात हे आने दे भैया भाभी को.. यह सुनकर में जट से बहार निकला, में बरमूडा और टी शर्ट पहने हुए था.

में: नहीं प्लीज़ दीदी ऐसा मत करना, मैंने भी लाचारी से हाथ जोड़े..

सरोज: प्लीज़ के बच्चे, में तेरी दीदी नहीं साली हु समजा, मुझे दीदी कहा तो तेरा रेप कर भाईचोद बन जावुगी, इतना छोटा हे पर मेरी भोली सहेली को फसा दिया?!! साले १२-१३ साल से वो तड्पी हे पर भाई की इज्ज़त को देखते हुए कभी बहार नहीं गयी और साले तूने उसको फुसला के उसको ठोकने भी आ गया.. (में गभराया, मुझे बात बिगडती दिख रही थी).

माया: नहीं सरोज उससे कुछ मत कहे यार वो निर्दोष है. वो उसे मेने …….. यार वो ऐसा नहीं वो अभी कुवारा हे. उसने किसी को किस तक नहीं किया. वो ऐसा नहीं अभी भी बच्चा हे.

सरोज: ओह्ह्ह मेरी जान….. दोनों में इतना प्यार भी हो गया? एक दुसरे को बचाने के लिए आगे आ रहे हो. सालो आने दो भैया को.. वो हमदोनो को ब्लैकमेल करते हुए मेरे पास आई, मेरा कान पकड़ कर बोली साले इसने १२-१३ सालो में जो नहीं किया वो तूने ३० दिनों में करवा लिया. उसने कस में बरमूडा में ही मेरा लोडा पकड़ लिया और मेरे होंठ पर जोर से किस कर ली..

माया: सरोज बहोत हो गया..(वो गुस्से में आ गयी) उसने मुझे बाही में लेके बड़े गर्व से कहा

माया: हां में इससे दिल से चाहती हु इसे अपना पति मानती हु, उससे मत छु… और तुजसे क्या छुपाना…… में भी तो तेरी सब बात जानती हु…

सरोज: माया देख तो सही ये तुजसे १०-१२ साल छोटा लगता हे. पर क्या चिकना माल हे…. यार उसकी मजबूत बाहों में मुझे भी जरा जुलने दे मेरी जान….फिर माया को मुरजाया चेहरा देख शांत हो कर बोली….

सरोज: यार में तेरे दिल का हाल जानती हु, और मुझे यह भी पता हे की तुजे छोटे मर्द पसंद हे… वो फु फु करती हस पड़ी.. सॉरी मेरी जान में तेरी फिरकी ले रही थी. पर क्या तीर मारा हे. मस्त चिकन अकेले ही खा रही हो और हमें दावत भी नहीं, साली चुदद्द्कड़…में तो तुम दोनों की मजाक कर रही थी सालो तुमारे सह्मे हुए चहेरे तो देखो. सालो तुम दोनों की कैसी फट रही हे. प्यार भी डर के करते हो छोटे जीजू…????!!!

मेरी जान में जान आई, माया ने कस के उसके बाल खिचे और कहा.—

माया: (दबी आवाज में) साली हरामखोर तूने हमको डरा ही दिया.. उससे खीच के बिस्तर धक्का देके उसपर चड गयी और उसके गालो को नोचने लगी.. सरोज की बच्ची आज तू गयी.. वो चिल्लाई..

सरोज: आःह्ह्ह माया दुखता हे…. छोड़ मुझे. साली तुजे कुछ करना भी नहीं आता. अच्छा हे मुझे सुनाई दिया वरना आज तो तू किसीके हाथ पकड़ी जाती. साली चुडेल में तुजे बचाने आई और तू मुझे ही मारती हे? रुक में अभी चिल्लाती हु.. माया ने उसके मुह हाथ रख कर उससके गालो को चुमके कहा….

माया: सरोज मेरा प्यार मेरी यार मेरी अच्छी दोस्त हे न, अपना मुह मेरे लिए बन्ध नहीं रखेगी मेरी रानी..

सरोज: एक शर्त पे में चुप रहूगी.. यार बहोत दिनों से चूत में बड़ी खुजली हो रही हे, यार जब से डाइवोर्स हुआ हे, चोदने को नहीं मिल रहा और मेरी भी तेरे जैसी हालत हे. तेरे मेसे थोडा मक्खन मुझे भी खिला दे यार दोनों मिलबाट के मक्खन खाएगे, उसने मेरे सहमे हुए चहेरे की तरफ देखते हुए मुझे आंख मारी. क्यों जीजू दो खाओगे??? या एक से ही पेट भर गया????

माया: नहीं सरोज ये अभी छोटा हे यार इससे कुछ नहीं पता. में उससे प्यार करती हु प्लीज यार हमें आज की रात कुछ लम्हे साथ बिताने दे मेरी माँ. देख मेरी शादी ६ महीने में एक बूढ़े से हो जाएगी, मैंने ये जब से आया हे तब से नाम बताये बिना तुजे कहा था न के शायद मुझे मेरा प्यार मिल गया हे, ये वोही विकी हे जो छत वाले कमरे में रहता हे, ये पढता हे और अभी १९ साल का ही हे. वो इतना जयादा सेक्स नहीं कर सकता उससे कुछ नहीं आता प्लीज मेरी माँ अब तू जा आज बड़ी मुश्किल से मोका मिला हे, हमें प्यार करने दे.मेरी माँ !!! वो दो के साथ सेक्स कैसे करेगा…. उससे कुछ हो जायेगा….. हमें बक्स दे मेरी माँ…..

मेरा हाथ पकड़ अपनी और खीचके मुझे अपनी बाहों में भीचकर सरोज बोल उठी-

सरोज: ना मेरे प्यारे चिकने जीजू पे मेरा भी आधा हक़ बनता हे मेरी जान. इसे तो में भी आधा खाऊगी क्यों जीजू??…में तेरी साली हु मेरे छोटे जीजू. वो मुझे चूमने लगी (मुझे तो समज में नहीं आ रहा था क्या करू, पकडे गए थे) तो माया अचानक उसपे जपट पड़ी पड़ी मुझे उनसे छुडाते हुए..

माया: सरू अब तो हद्द कर रही हो यार मजाक छोड़ और जा.

सरोज: न ना मेरी जान में सीरियस हु, आज तो तेरा माल आधा में भी खाऊगी, वर्ना तू भी भूखी रहेगी बोल मेरी जान क्या करना हे???? क्यों लला क्या खयाल हे?? यह साली मेहेंगी पड़ेगी मेरे प्यारे जीजू….

माया: सरू तुजे में हाथ जोडती हु तू जा मेरी माँ, उस बिचारे को क्यों परेशान करती हो???. आज जा…तू, कल से जो तू कहेगी वोही होगा और अब खिड़की से कोई आवाज़ नहीं आएगी.

सरोज: यार कुछ करने नहीं देती न सही पर देखने तो दे… में अपने नाईट ड्रेस पहन अभी आई. तेरी कसम किसी को नहीं कहूँगी मुझे तेरे कमरे सोने दे में तुम दोनो के केवल देखूंगी बस.. और अगर रात के वक्त कोई आ भी जाए और अगर में तेरे साथ होउंगी तो कोई शक भी नहीं करेगा…इसे अहिस्तासे सीडिया चढ़ा देंगे… (माया सोचने लगी और धीरे से बडबडाइ) साली चुद्दकड़ मुझे एक रात भी अकेले अपने प्यार के साथ सोने नहीं देगी.. (मादरचोद हे साली) माया ने प्रश्नसूचक निगाहों से मेरी तरफ देखा…

में: यार कोई मुझे तो पूछो, में कोई बाँट के खाने वाली चीज़ हु जो आपस में मेरा बटवारा कर रही हो. में बोला

में: माया यह यहाँ तेरे साथ सोती हे सोने देना, अच्छा हे किसी को हम पे शक नहीं होगा… (मैंने माया को चुपकेसे आंख मारी और वो बोल उठी.

माया: ठीक हे तू जल्दी कपडे बदल कर आजा. देर न करना मुझे दरवाजा बन्ध करना हे…

सरोज: यार २० मिनट लगेगी मुझे नहाना हे, तुम लोग तब तक खाना खा लो नहा लो अच्छा रहेगा (उसने माया को आंख मारी) क्यों ठीक होगा न जानू. हम सहमत हुए और वो दोड़ती हुई गयी और माया ने फिर से दरवाजा बन्ध कर दिया..

माया: चैन की साँस लेते हुए. साली बहोत ही चूदकड़ है विकी तुजे पता नहीं. एक बार रात को में उसके साथ सोई थी. साली ने मुझे काट काट कर सुजा दिया था. उससे मर्द न मिले तो वो लडकियों से भी काम चला लेती है. साली ने अपने भतीजे, देवर, बहनोई और सीमा को भी नहीं छोड़ा. उस्सने सीमा को लेस्बियन बना दिया है.

माया: एक आईडिया है. यह तुजे सीमा तक आसानी से पंहुचा देगी. यार इससे दोस्ती कर ले. पर मुझे चिंता हे वो आज रात तेरी हालत ख़राब कर देगी. वो कुतिया की तरह काट खाती हे….. जा तू पहले नहा ले फिर हम खाना खाते हे. मैंने तेरे लिए अंडे की अच्छी अच्छी आइटम्स बने है. …..

में ऊपर नहा ने चला गया…१५ मिनट में में नहाके निचे आया और हम दोनों ने मजे से खाना खाया और दूध पिया.

माया: आई लव यू विकी में जिंदगीभर तेरा एहसान नहीं भूलूंगी. में तेरी दासी बनके रहू गी मेरे राज्जा. उसने मुझे अपनी बाहों में लेके अपने ओठ मेरे ओठो से लगा दिए और चूसने लगी. अब तो मुझे भी लिप किस आ गया था तो मेंने अपने जबान उसके मुह में घुसेड कर उसकी जबान से अपनी जबान टकराने लगा,…. फिर दरवाजे पे दस्तक हुई.. माया नाराज होते हुए

माया: आ गयी साली चुद्ककड़… रंडी.. (उसने गेट खोला और सरोज अन्दर आ गयी.) सरोज ने ब्लैक गाउन पहना था. सरोज भी मस्त लग रही थी. अब सरोज के बारे में बतादू ….

सरोज एक मुक्त खयालवाली मनचली चंचल लड़की हे. उसने अपनी १४ साल की उम्र में पहला सेक्स अपने से ८ साल बड़े एक लड़के से किया था. उसके आलावा उसने अपने पड़ोस की किसी कुवारी लड़की, शादीशुदा भाभी, आंटी या सहेली को नहीं छोड़ा था. वो ३१ साल की सेक्सी ५-६” कद की, लम्बे घने बाल थे उसके, ३६ २५ ३७ का मस्त फिगर, नशीली आंखे, मस्त गुलाबी गाल. लाल चटक होठ… वो भी क़यामत से कम नहीं थी. उसकी ऐसी चाल चलन से उसका पति नाराज था और उसका तलाक हो गया था. वो माया को पाने की कब से फिराक में थी. एक रात उस्सने माया को अपने घर बुलाकर बहोत समजाया पर वो उसके साथ प्यार से नहीं मानी. उस रात उसने माया पर पूरी रात जबरदस्ती की, उससे नोचा काटा पर माया नहीं मानी. क्योकि माया की पसंद अपने से छोटे मर्द थे जो में उससे मिल गया वो भी घर के अन्दर. सरोज ने माया नहीं मानी तो सीमा को फसाकर उससे लेस्बियन बना कर रख दिया. वो सीमा को रात रात भर चोदती हे. सीमा और उसकी बहोत पटती है इतना मेरे जान में आ गया था. जब में वहा नहीं रहता था तो सीमा वोही कमरे में सोती थी और सरोज अपनी छत से वहा आ जाती थी और रात रात भर दोनो एक दुसरे की चूत को चाट चाट कर अपनी वासना संतोषती थी.

आतेही उसने मुझे कस के जकड़ा और मुझे चूमा.. हाई जीजू.. मेरे लोअर में हाथ डाल के मेरे लौव्ड़े को पकड़ लिया.

सरोज: वाव क्या मस्त मुसल हे…. माया की चूत को इतना ठोक की साली लाइन पे आ जाये.. वेसे वो मेरा माल हे जीजू. आज हरामजादी को इतना चोद की उसकी चूत का भोसडा बन जाये और एक नंबर की चुद्दाकड़ बन जाये. वो मेरे लोडे को मुठियाने लगी ही थी की माया आ कर बोली तूने सिर्फ देखने का वादा किया था. इसे छोड साली…. हमसब जोर से हंस पड़े और माया के कमरे में गए. माया ने अपने बिस्तर को निचे डाल दिया ताकी निचे तीनो आराम से सो सके.

आगे की कहानी बहोत ही जोरदार और दिल और अछे अच्छे के लंड और चूत दहलाने वाली हे और जल्द आ रही है. तब तक आप मुझे मेल करके इस कहानी का प्रतिभाव मेल करे….और किसीको ढीला लंड, जल्दी जड़ जाना नपुंसकता जैसी बीमारी हो या उसकी बीबी सेक्स म बहुत ठंडी हे ऎसी फरियाद हो, औरतो को सफ़ेद पानी पड़ना, कमर और पेडू में दर्द होना, ढीली योनी, ढीले स्तनों की फरियाद हो वो भी मुझे मेल करे. गेरेटी से उसका इलाज होगा. हा में दोस्तों से फीस नहीं लेता….

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