नीलम रानी का नक़ली देह शोषण-3

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

मैंने पूछा- क्यों नीलम रानी… तेरी देह शोषण का ड्रामा खेलने की मर्ज़ी हो गई पूरी और साथ साथ में आदि मानव की चुदाई की भी? आया मज़ा मेरी जान को?’

नीलम रानी इतरा के बोली- मज़ा तो ख़ूब आया राजा, लेकिन बहन के लौड़े तूने कितना ज़ोरों से कुचला है मेरे मम्‍मों को… हरामी ने मलीदा बना के रख दिया मेरे बदन का… लेकिन बहनचोद अभी तेरा गेम पूरा नहीं हुआ है..अभी तो राजा तुझे मेरे मुताबिक़ चुदना है… हो जा तैयार साले, आज तेरी माँ चोदती हूँ… ना तेरी गाण्ड फाड़ दी तो कहना!

मैं बोला- रानी तूने ही तो कहा था कि तुझे मेरे से देह शोषण करवाना है… मैंने तुझे बताया था ना देह शोषण में तेरे शरीर की ख़ूब कुटाई होगी… बताया था या नहीं? अभी तो शुक्र कर कि मैंने तुझे आदि मानव की तरह नहीं चोदा नहीं तो तेरा हाल खस्ता हो चुका होता… अब तू कर जो तुझे करना है… फाड़ दे बहन चोद मेरी गाण्ड… जिसमें मेरी नीलम रानी खुश, उसी में मैं भी खुश!

‘हाँ राजे तूने सब बताया था… मगर मुझे मज़ा भी तो बेहिसाब आया देह शोषण करवाने में… कुटाई करवाने में… राजा तू सच में बहुत बड़ा हरामी है… अब देख साले जो मैं बताती हूँ, वही करे जा चुपचाप…’

इतना कह कर नीलम रानी ने मेरा एक गहरा और ख़ूब गीला चुम्बन लिया और लगी अपने पर्स को खंगालने। उसने पर्स में से दो रस्सियाँ निकालीं। रस्सियाँ सूती थीं और करीब आधा इंच मोटी थीं और करीब आठ फुट लम्बी थीं।

उसने मुझ से बेड पर बिछा हुआ गद्दा सिर की तरफ से उठाने को कहा। जब मैंने गद्दा उठा दिया तो उसने एक रस्सी गद्दे के नीचे डाल के उसके सिरे बेड के आर पार निकल दिये।

फिर उसने रस्सी की सिरे आगे पीछे किये ताकि दोनों साइड में रस्सी के सिरे बराबर की लंबाई के बाहर निकले रहें। फिर नीलम रानी ने मुझे गद्दे का पैरों की तरफ वाला हिस्सा उठाने को कहा। मैंने उठाया तो उसने पहले की तरह दूसरी रस्सी को बेड के आर पार डाल के दोनों सिरे बराबर लंबाई के सेट कर दिये।

मैं समझ नहीं पा रहा था कि रानी क्या करना चाहती है।

अब उसने मुझे बिस्तर पर लेट जाने को कहा।

मैं लेट गया और उसने रस्सी के एक छोर से मेरा दायां हाथ कस के बांध दिया और उसी रस्सी के दूसरे छोर से मेरा बायाँ हाथ बांध दिया।

नीलम रानी अच्छे से होम वर्क करके आई थी, उसने पूरा हिसाब लगा कर ही ऐसी लंबाई की रस्सी ली थी जिससे मेरे दोनों बाज़ू पूरे फैलाकर हाथ बांधे जा सकें।

मेरी कलाइयाँ बांधने के बाद नीलम रानी ने उसी प्रकार दूसरी रस्सी के एक एक सिरे से मेरी टांगें फैला कर टखनों से कस के बांध दिये।

अब मैं चारों खाने चित्त बेड पर पड़ा हुआ था, न मैं अपने हाथ हिला सकता था और न टांगें। एक बाज़ू हिलाता तो उसी रस्सी के दूसरे छोर पर बंधा हुआ मेरा दूसरा बाज़ू खिंचता और कोई सी भी टांग हिलाने की कोशिश करता तो दूसरी टांग खिंचती।

इस प्रकार नीलम रानी ने मुझे बिल्कुल जाम कर दिया था बेड पर, और अब कोई भी मेरे साथ कुछ भी कर सकता था।

मैं एकदम निस्सहाय पड़ा हुआ था और बड़े कौतूहल से आगे होने वाली घटना का इंतज़ार कर रहा था।

आज कुछ बिल्कुल नया होने वाला था। न जाने क्या खुराफात नीलम रानी की खोपड़ी में आज घुसी हुई थी। यह हरामी लड़की इतनी ज़बरदस्त चुदक्कड़ निकलेगी, यह मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था। कौन कह सकता था कि इसकी चूत की सील कुछ ही दिन पहले फाड़ी गई थी। ऐसा लगता था, न जाने कितने सालों से यह चुदाई के भांति भांति के खेल खेलती आ रही है।

नीलम रानी चढ़ के मेरी छाती पर बैठ गई और अपने हसीन मम्‍मों के नीचे हाथ रख कर लगी ऊपर नीचे हिलाने।

क्या मस्त उछल कूद कर रहे थे नीलम रानी के बड़े बड़े चूचे।

उसकी चूचियाँ मचल मचल कर मुझे तड़पाये जा रही थीं, लण्ड अकड़ चुका था और एक गुस्साये नाग की तरह फुंकारें मार रहा था।

नीलम रानी हिलाते हिलाते चूचियों को बिल्कुल मेरे मुँह के सामने ले आई। मैंने हुमक कर एक चूचा मुँह में ले लिया और लगा ज़ोर ज़ोर से चूसने।

खूब मस्ती में आकर मैंने दो तीन बार चूची को काट भी लिया।

नीलम रानी बस कुछ ही देर मेरे मुँह में एक चूची रहने देती और फिर दूसरी चूची दे देती।

कुछ देर तक यह खेल करने के बाद नीलम रानी ने यकायक मेरा मुँह अपनी चूचियों के बीच में कस के फंसा दिया। उसकी चूचियों के बीच की जगह में मेरा मुँह और नाक थे और चूचे मेरे गालों पर।

नीलम रानी ने अब मम्मों से मुझे मुँह पर खूब रगड़ा। साथ साथ वो ऊँची अवाज़ में कहे जा रही थी- ले बहन चोद कुत्ते, ले मेरे मम्मे सूंघ… जीभ बाहर ले भोसड़ी के… सूंघता जा और चाटे जा बहन के लौड़े… ले ले ले… कमीने!

मैंने जीभ निकाल ली, उसके मस्त चूचे सूंघे गया और चाटे गया। बड़ा लुत्फ आ रहा था नीलम रानी के इस नये स्टाइल में।

फिर नीलम रानी ने अपने मम्मे मेरे मुँह से ज़रा सा दूर कर के मुझे कहा कि मैं अब उनको चाट चाट के मज़ा लूँ। मम्मे इतनी दूर थे कि मैं अपनी जीभ पूरी बाहर निकाल कर ही चाट सकता था। उत्तेजना में बिलबिला कर मैंने एक भूखे पिल्ले जैसे जीभ निकाली और उन मदमस्त मम्‍मों को चाटना शुरू किया।

मेरे खुद के तो हाथ और पैर बांधे हुए थे इसलिये जैसा नीलम रानी चाहती उसी चूचे या उसकी निप्पल को मैं चाट पाता। इस खेल में मुझे भी अंधाधुंध मज़ा आ रहा था।

मैं भी नीलम रानी क़ी तरह किलकारियाँ मार मार के उसके नर्म गर्म चूचे चाट रहा था।

जब नीलम रानी बहुत गर्मा गई तो उसने मेरी तरफ अपनी पीठ कर ली और अपनी चूतड़ मेरे मुँह के पास लाकर लण्ड को गप्प से मुँह में ले लिया और लगी चूसने जैसे कि आम चूस रही हो।

उसने लण्ड क़ी जड़ को कस के पकड़ लिया था और वो तेज़ तेज़ अपना मुँह ऊपर नीचे कर के मुझे मुँह से चोदने लगी।

इधर मैंने उसकी चूत पर जीभ लगा के घुमानी शुरू कर दी।

नीलम रानी आनन्द उठाते हुए कभी अपने चूतड मेरे मुँह से रगड़ती और कभी अपनी रसाती हुई बुर को मेरे मुँह से सटा कर मुझे उसे चूसने का मौका देती। कभी वो अपनी झांट का जंगल में मेरा मुँह मसलती।

बेतहाशा मज़े के कारण उसकी चूत अब दनादन रस छोड़ रही थी।

हम दोनों चुदास क़ी उत्तेजना के शिखर पर पहुँच गये थे, अब लगता था कि बस लुढ़क ही जायेंगे।

नीलम रानी को शायद अहसास हो गया था कि मैं अब ज़्यादह देर तक सबर नहीं कर पाऊँगा।

उसने जल्दी से अपने को मुझ से अलग किया और घुटनों के बल मेरे लण्ड के इधर उधर सेट हो गई जिससे उसकी रस से सराबोर चूत लण्ड के एकदम ऊपर आ गई थी। उसने एक हाथ से चूत के होंठों को फैलाया और दूसरे हाथ से लण्ड को पकड़ कर टोपा चूत के होंठों से लगा दिया।

चूतरस से लौड़े का टोपा पूरा तर हो गया और जैसे ही नीलम रानी ने खुद को नीचे करना शुरू किया लण्ड बड़े आराम से फिसलता हुआ चूत में पूरा घुस गया।

नीलम रानी नीचे होती चली गई जब तक कि लौड़ा समूचा उसकी प्यारी सी चूत में घुसकर उसकी बच्चेदानी के मुँह से टकरा नहीं गया।

नीलम रानी ने अपने आप को इधर उधर सरका के ढंग से सेट किया और मेरे ऊपर लेट गई।

मैंने कहा- रानी जी, अब क्या करने का प्लान है आपका?

नीलम रानी ने दो तीन बार चूत को लपलपा के लण्ड को बेहिसाब मज़ा दिया और इतरा के बोली- चूतिए… कुछ नहीं, बस अब मैं गीता का पाठ करूँगी… कमीने कुत्ते, अब तुझे चोदूंगी नहीं तो और क्या करूँगी… अपनी माँ चुदवाऊँगी क्या? लगता है तेरा लौड़ा क्या झड़ा, तेरी अकल भी तेरे अंडों में घुस गई है।

इतना कह कर नीलम रानी ने मेरे होंठ अपने मदमस्त होंठों में दबा लिये और लगी चूसने। साथ साथ वो हौले हौले धक्के भी मारने लगी।

जैसे पहले नीलम रानी के नक़ली देह शोषण के टाइम मैंने उसे बिल्कुल बेबस कर रखा था, उसी प्रकार अब मैं भी एकदम निस्सहाय सा पड़ा हुआ था अपने हाथ पैर बंधवा के।

नीलम रानी बड़ा स्वाद ले लेकर, चटखारे मार मार कर मुझे चोद रही थी।

थोड़ी देर मेरे होंठ चूसने के बाद उसने कहा- चल मेरे पिल्ले अब मेरे मम्मे चूस… अच्छे से चूसियो मादरचोद… चूचा मुँह में ले और जीभ निप्पल पर फिरा!

मैंने अपना मुँह पूरा खोल दिया लेकिन नीलम रानी की चूचियाँ मुँह तक न पहुँच पाईं।

मैंने कहा- बहनचोद रंडी… मेरे हाथ बंधे रहेंगे तो मैं तेरे मम्मे नहीं चूस सकता…हाथ खोल कुतिया, तो फिर मैं अपनी गर्दन उठाकर चूचे चूसूंगा… खोल बहन की लौड़ी, खोल..!

नीलम रानी ने एक धक्का अपनी पूरी शक्ति लगाकर ठोका और चूत से रस बहाती हुई बोली- नहीं हाथ तो ना खोलूँगी मैं… कोई बात नहीं, वैसे भी चूचियों में अब बहुत दर्द होने लगा है… मैं इनको बाद में चूसवा लूँगी… अभी तो तेरे को चोदना है बिल्कुल मजबूर बना के!

नीलम रानी ने धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया।

अति आनन्द में चूर होकर वो मचल मचल कर चोद रही थी, जिससे उसके मनमोहक चूचे इधर उधर उचक उचक कर मुझे पागल बनाये जा रहे थे।

हर धक्के में चूचुक एक बार ऊपर को उछलते और फिर नीचे गिरते।

क्या झूम झूम कर नीलम रानी के मम्मे धक्कों की ताल में ताल मिलाये जा रहे थे जैसे कोई संगीत की जुगलबंदी चल रही हो।

मेरा लौड़ा अत्यधिक आनन्द भोग भोग के अब चरम सीमा की ओर तेज़ी से अग्रसर था।

इधर नीलम रानी अपनी बुर को मेरे लण्ड से ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी, रगड़ती फिर धक्के मारती, फिर रगड़ती और फिर से धक्के मारती।

वो भी अब बेकाबू हो चली थी, कुछ ही देर में एक बार फिर से अनगिनत बार स्खलित हो जाने वाली थी।

‘कमीना चोदू… साले चूत के दीवाने अब लगा दे तगड़े तगड़े धक्के… रुक ज़रा, मैं तेरे हाथ खोलती हूँ.. फिर मादरचोद, ऐसे धक्के मारियो कि चूत को फाड़ता हुआ तेरा लण्ड सीधा गाण्ड मे जा घुसे… मटियामेट कर दे इस हरामज़ादी चूत को… सुन रहा है बहन के लौड़े? कहानी जारी रहेगी। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000