जवानी की दहलीज पर अंजलि को चोदा-1

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हैलो दोस्तो, मैं आपका वही दोस्त अर्पित आज आपको अपने जीवन की एक और कहानी बताने जा रहा हूँ।

मेरी पिछली कहानी पढ़ कर कई भाभियों और मेरी बहुत प्यारी दोस्तों ने मुझे बहुत मेल भेजे मुझे बहुत ख़ुशी हुई। उन सबका बहुत धन्यवाद।

आपको बता दूँ कि अपनी पहली कहानी लिखने बाद कई लड़कियों को चोदा, मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है।

ईमेल के द्वारा मैं कई भाभियों के दिल की तमन्नाओं को जान पाया कि उन्होंने अपनी शादी से पहले कितने सपने देखे थे, पर उनके पति शायद उन्हें कभी खुश नहीं कर पाए। कइयों ने तो करीब 5 साल से चुदाई नहीं की थी। मुझे यh सुन कर बहुत दु:ख हुआ, पर मैं क्या कर सकता था।

अगर आप की जिंदगी में भी ऐसा कुछ है तो परेशान मत होइए शायद आप को भी कोई मेरे जैसा अर्पित मिल जाए जो आपका पूरा ख्याल रखे।

यह मेरी कहानी पूरी तरह से समर्पित है उन भाभियों ओर लड़कियों को जिन्होंने कई सालों से मज़ेदार चुदाई के सिर्फ़ सपने ही देखे हैं, पर उन्हें अभी तक उन्हें कोई ऐसा लंड नहीं मिला जो उनकी यह प्यास शांत कर सके।

आपका ज्यादा वक्त न लेते हुए मेरी कहानी पर आता हूँ।

यह बात उस समय की है जब मैं एम.कॉम. में पढ़ता था, कुछ ही महीनों में मेरी पड़ोसी लड़की के शरीर का विकास देख कर मुझे अब उसे चोदने का मन करने लगा था। उसके चूचे मुझे पागल कर देते थे, वो भी मुझे छुप-छुप कर देखा करती थी। मैं उसे बहुत छेड़ता था।

उसे मेरा साथ अच्छा लगता था वो मेरे घर आती थी, पर मुझसे शर्माती और थोड़ी सी ही बात करके जल्दी से अपने घर चली जाती थी। उसकी शारीरिक रचना जैसे चुदाई के लिए ही की गई हो।

उसका 34-28-32 का बदन देखते ही किसी के बदन में हलचल हो जाए उसकी गाण्ड.. जैसे मेरे लंड को हमेशा ललकारती हो कि साले तेरे लंड में दम है तो मुझे चोद कर दिखा।

मैंने उससे कई बार खुल के बात करने की कोशिश की, पर वो बहुत शर्माती और थोड़ी बात करके ही अपने घर भाग जाया करती थी। जैसे-जैसे समय बीतता गया उसके चूचे और भी सख्त होते गए।

मैंने आस-पास गुजरते हुए कई कई बार उसके चूचे दबाने की कोशिश की, पर दबा नहीं पाया।

उसके घर में सिर्फ उसकी मम्मी और पापा ही रहते थे और दोनों ही काम करते थे तो उन्हें घर में रहने का अधिक वक्त नहीं मिलता था।

वो बारहवीं में पढ़ती थी, उसकी जवानी के साथ ही उसके चूचों और गाण्ड के बीच की दरार भी बढ़ती जा रही थी जिसे देख कर मेरा लंड बार-बार खड़ा हो जाया करता और उसका ध्यान मेरे लौड़े पर पड़ जाता तो मुझे शर्म आ जाती।

मुझे पीछे घूम कर अपने लण्ड को ठीक करना पड़ता था। यह काम तो मैं उसके साथ रह कर ही कर लेता था।

मुझे लगता था कि जैसे वो मुझे देख कर कह रही हो कि कमीने ऐसे मत किया कर.. मुझे कुछ होने लगता है।

फिर एक दिन ऐसे ही पलों में उसके मुँह से निकला- तू बहुत हॉट है अर्पित..

मैंने कहा- क्या?

वो भाग कर अपने घर चली गई और मैं कुछ नहीं कर पाया।

दोस्तो, उसका बदन दूधिया रंग का था, पर मैं भी कुछ कम नहीं हूँ मेरा लौड़ा किसी से कम नहीं है, जब खड़ा हो जाता है तो तन कर 6 इंच लम्बा और इसकी गोलाई 3.5 हो जाती है, जो मेरी पड़ोसन को बदहाल करने के लिए काफी है। लंड ऐसा है कि उसका गुलाबी सुपारा देख कर कोई भी उसका दीवाना हो जाए।

अंजलि ने एक दिन मुझे एक पत्र दिया जिसमें लिखा था- मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, पर बोल नहीं पाती, मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ।

उस दिन सुबह के 11 बजे थे मेरे घर में भी उस वक्त कोई नहीं था, मैंने उसके घर की घंटी बजाई।

अंजलि ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर शर्मा कर अपने घर के अन्दर सोफे पर जा कर बैठ गई।

मैं भी उसके साथ उसका हाथ पकड़ कर बैठ गया वो घबरा कर बोली- अर्पित.. और फिर चुप हो गई मैं समझ गया कि अंजलि बहुत शर्मा रही है।

मैंने कहा- अंजलि आई लव यू टू.. यार…

तो वो मुस्कुराई और बोली- कितना प्यार करते हो?

तो मैंने कहा- तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और मैं भी तुमसे शादी करना चाहता हूँ।

तो वो बोली- अर्पित तुम यहीं बैठो.. मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए लेकर आती हूँ।

फिर वो रसोई में चली गई और चाय बनाते समय गरम दूध उसके ऊपर गिर गया, मैं उसके चीखने की आवाज सुन कर गया तो वो रो रही थी।

मैंने जल्दी से उसे उठाया और हॉल में ले जाकर बिठाया और फिर जल्दी से बरफ ला कर बोला- अंजलि तुम अपनी पैंट उतारो.. मैं बर्फ लगा देता हूँ।

उसने पहले तो कहा- नहीं.. अभी ठीक हो जाएगा।

फिर मैंने उसे प्यार का वास्ता दिया तो वो मान गई। चाय उसके पैर पर गिरी थी उसकी सेक्सी टाँगें देख कर अब मेरे मन में भी उसे चोदने का ख्याल आने लगा था।

मुझे यह सब करते अंजलि देख कर रोने लगी।

मैंने कहा- अब क्या हुआ?

तो बोली- क्या शादी के बाद भी ऐसे ही मेरा ख्याल रखोगे?

मैंने कहा- हाँ…

फिर मैं बर्फ ले कर उसकी जाँघों पर फेरता रहा जिससे अब मेरी कामुकता और भी बढ़ती जा रही थी।

अब मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था, मेरी पैंट में एक बहुत बड़ा उभार बन रहा था, मैं इसे छुपाने की बहुत कोशिश कर रहा था, पर अंजलि ने यह देखा और कहा- अर्पित इसके अन्दर क्या है?

मैंने कहा- कुछ नहीं?

तो वो बोली- तुम मुझसे झूट बोल रहे हो.. मुझे तुम्हारा ये ‘कुछ नहीं’ वाला लंड देखना है.. प्लीज़ दिखाओ ना.. मुझे दिखाओ।

यह कहते हुए उसने मेरी चैन खोल दी और अन्दर हाथ डाल दिया।

उसने मेरे लंड को झट से पकड़ लिया और ‘अर्पित कितना मोटा है ये..’

मेरी तो सांसें जैसे अटक ही गई हों, फिर मैंने कहा- यह सिर्फ तेरे लिए तो ही है यार!

‘मैंने कभी सेक्स नहीं किया है अर्पित.. प्लीज़ मुझे तुम्हारे साथ करना है… और मुझे इसके बारे में भी कुछ ज्यादा नहीं पता है।’

मैंने कहा- मैं सब सिखा दूँगा.. पर तुम्हें भी मेरा साथ देना होगा।

उसने कहा- ठीक है।

फिर मैं तेजी से उसके चूचों की तरफ बढ़ा।

उसके चूचों से ज्यादा उसके चूचुक ऐसे सख्त दिख रहे थे जैसे उसने कोई नुकीली चीज़ छुपा रखी हो। मैंने चुदाई तो कई बार की थी, पर कभी बारहवीं में पढ़ने वाली कुंवारी चूत के मजे नहीं लिए थे इसलिए शायद मैं कुछ ज्यादा ही कामोत्सुक था।

मेरा लंड पूरी तरह खड़ा था और अब तो लंड भी मेरी पैन्ट से बाहर आने को बेक़रार था वो भी अन्दर पैंट में पड़े-पड़े दर्द करने लगा था।

इस बात को अंजलि जल्दी ही समझ गई, पर मैंने अपना ख्याल न करते हुए पहले अंजलि के चूचों पर हमला किया और जोर-जोर से दबाने लगा और उसके मुँह से “आह्ह्ह” की आवाज आई।

मैं उसे चूम रहा था। उसके होंठ जैसे किसी रस की बरसात कर रहे हों। उसने मेरे होंठों को जोर से काटा तो मैंने कहा- क्या हुआ? मदमस्त कर देने वाली यह कहानी अगले भाग में समाप्य। कहानी कैसी लगी जरूर बताएँ।

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