जवानी की दहलीज पर अंजलि को चोदा-2

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मैंने चुदाई तो कई बार की थी, पर कभी बारहवीं में पढ़ने वाली कुंवारी चूत के मजे नहीं लिए थे इसलिए शायद मैं कुछ ज्यादा ही कामोत्सुक था।

मेरा लंड पूरी तरह खड़ा था और अब तो लंड भी मेरी पैन्ट से बाहर आने को बेक़रार था वो भी अन्दर पैंट में पड़े-पड़े दर्द करने लगा था।

इस बात को अंजलि जल्दी ही समझ गई, पर मैंने अपना ख्याल न करते हुए पहले अंजलि के चूचों पर हमला किया और जोर-जोर से दबाने लगा और उसके मुँह से ‘आह्ह्ह’ की आवाज आई।

मैं उसे चूम रहा था। उसके होंठ जैसे किसी रस की बरसात कर रहे हों। उसने मेरे होंठों को जोर से काटा तो मैंने कहा- क्या हुआ? उसने मेरे होंठों को जोर से काटा तो मैंने कहा- क्या हुआ?

तो उसने कहा- मैं भी चूमना सीख रही हूँ।

मेरा सारा बदन उसके ऊपर था और हमारे कपड़े हम दोनों के बीच थे।

मैंने उसका टॉप उतारना चालू किया तो उसने कहा- इसे क्यों उतार रहे हो?

तो मैंने कहा- मैं तुम्हारी चुदाई करने जा रहा हूँ।

‘अब यह चुदाई क्या है??’

उसे मैंने बताया- सेक्स को चुदाई कहते हैं।

वो मेरी तरफ देखने लगी।

फिर मैंने कहा- धीरे-धीरे थोड़ी ही देर में तुम सब समझ जाओगी।

मैंने उसके टॉप और ब्रा को उसके बदन से अलग कर दिया तो वो थोड़ा शरमाई।

मैंने कहा- क्या हुआ?

तो उसने कहा- मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं किया है।

फिर मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू किया।

उसके चूचे बिल्कुल सफ़ेद नरम-नरम.. जैसे कोई दूध की थैली हो।

मैंने उसके चूचों को दबाया और उसके चूचुकों को जीभ से चाटने लगा।

वो पागल हुए जा रही थी, उसने मेरा सर पकड़ कर कहा- अर्पित इसे जोर से चूसो… मुझे बड़ा मजा आ रहा है।

मैं उसके चूचों को और जोर से चूसने लगा, वो मदहोश होती जा रही थी।

मैंने कहा- अंजलि अब तुम भी मुझे खुश कर दो।

अंजलि ने कहा- कैसे?

मैंने कहा- तुम्हें मेरे लंड को चूसना पड़ेगा।

तो उसने कहा- ठीक है।

उसने मेरी पैंट उतारनी शुरू की, पैंट उतारते ही मेरा लंड उफान मारते हुए बाहर आया, जैसे इसे कोई खजाना मिल गया हो।

फिर मैंने भी उसकी पैंटी उतारी और फिर उसकी हल्के बालों वाली चूत को निहारा, हाय.. क्या कहर ढा रही थी।

अब उसका दूधिया बदन मेरे सामने बिल्कुल नग्न खड़ा था।

यह देख कर मेरा मन उसे जल्दी से चोदने का कर रहा था, पर मैंने सोचा कि इसे पूरी तरह गरम करके ही चोदूँगा।

फिर लंड मुँह में लेने को कहा तो उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया, पर लंड ज्यादा बड़ा होने के कारण ज्यादा अन्दर नहीं गया।

तो उसने मेरे सुपारे को ही चूसना शुरू कर दिया।

कभी जीभ को हल्का सा उस पर फिराती, तो कभी पूरे सुपारे को मुँह में ले कर चूसती।

मैं भी बड़े मजे से लंड चुसवा रहा था

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वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी, उसका मेरा लंड चूसना कमाल का था। वो किसी चुदाई की मंझी हुए खिलाड़ी लग रही थी.. लंड को इतना अन्दर तक ले जाती थी कि उसे उल्टी सी आ जाती थी।

मेरा लण्ड पूरा ही गुलाबी होता जा रहा था। मेरा लंड का सुपारा पूरा लाल रसगुल्ले की तरह लग रहा था।

थोड़ी देर में उसने कहा- अब चोदना सिखाओ।

तो मैंने उसे उठा कर अपने सीने से लगा लिया।

हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, उसके चूचे मेरे सीने से चिपके हुए मुझे पागल कर रहे थे और मेरा लंड उसकी चूत की दरार पर टिका हुआ था।

उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर रगड़ने लगी और हम दोनों ही जोर-जोर से चुम्बन करने लगे।

उसने जोश में आकर मेरे होंठों पर कई बार काट लिया था और मैं इस चुदाई का पूरा मजा ले रहा था।

मैंने उसे गोदी में उठाया और फिर बिस्तर पर ले गया और उसकी चूत में जीभ डाल दी।

उसकी ‘आआआ.. ओह आआह्ह्ह…’ की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी।

मैंने ऐसा थोड़ी देर ही किया था कि उसने कहा- अर्पित मेरी चूत से कुछ निकलने वाला है.. तुम हट जाओ।

मैंने कहा- कोई बात नहीं.. तुम निकाल दो।

तो उसने जोर से एक धार मारी और मैं उसकी जवानी के रस को पीता गया। अब वो बार-बार अपनी चूत पर हाथ रख कर उसे मसलती और कहती- अर्पित, मेरे यहाँ पर बड़ा अजीब सा हो रहा है।

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा तो उसने कहा- इसे तुम मेरी चूत में डालोगे क्या?

तो मैंने कहा- हाँ.. और इसे ही लंड और तेरे वाली को चूत कहते हैं।

अंजलि ने कहा- अर्पित, तुम इसे मेरी चूत में डालोगे तो यह फट नहीं जाएगी?

मैंने कहा- जान कुछ नहीं होगा.. तुम्हें बस थोड़ा सा दर्द होगा.. तुम मुझसे प्यार करती हो तो मेरे लिए इतना दर्द तो सह ही सकती ही हो न…?

उसने कहा- मैं तुम्हारे लिए दुनिया का कोई भी दर्द सह सकती हूँ!

फिर मैंने चूत मे लंड से हल्का सा झटका मारा तो उसके मुँह से ‘आह्ह..’ की आवाज आई।

मैंने कहा- क्या हुआ?

तो उसने कहा- कुछ नहीं.. अर्पित तुम्हें जो करना है करो।

मैंने फिर कोशिश की, पर लंड बिल्कुल भी अन्दर नहीं गया तो मैं समझ गया कि इसे सच में इन सब चीजों का मतलब नहीं पता है और इसने कभी लंड देखा भी नहीं है।

मैंने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और एक जोर से धक्का मारा… लंड जरा सा ही अन्दर गया था कि अंजलि के आँखों से आँसू आ गए और उसकी टाँगें भी कांपने लगीं।

उसने मुझसे कहा तो मैंने कहा- कोई बात नहीं.. पहली बार में ऐसा होता है।

मेरा लंड अब भी पूरा बाहर ही था। मैंने एक और धक्का मारा तो मेरा लण्ड पूरा अन्दर घुस गया था।

अंजलि जोर से ‘ऊऊह्ह्ह…’ बोल कर मुझसे लिपट गई।

मैंने भी उसे अपने बाँहों में ले लिया वो बिल्कुल भी कुछ कहने की हालत में नहीं थी।

मैंने उससे कहा- अंजलि क्या हुआ.. तुम ठीक तो हो ना?

मेरे दो बार आवाज देने के बाद उसने कहा- हाँ.. अर्पित… मैं ठीक हूँ।

मैंने उसे यूँ ही उठा लिया… कसम से क्या पोज था वो !

वो मेरी गर्दन पकड़ कर मेरे सीने से चिपकी हुई थी और उसके दोनों पाँव मेरी कमर से लिपटे हुए थे।

मैंने भी उसे कमर से पकड़ रखा था फिर मैंने हल्के झटके देना शुरू किए। तो उसे भी इसमें मजा आने लगा और वो भी अब अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने लगी।

कुछ देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।

मैंने देखा कि उसकी चूत से खून की कुछ बूँदें बाहर गिर गई थीं। मैंने इस बात को नज़रंदाज़ कर दिया और अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाता चला गया।

वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, फिर मैं बिस्तर पर लेट गया और उसे मेरे ऊपर आने को कहा। वो जैसे ही उतरी उसने अपनी चूत से खून निकलते देख लिया तो घबरा कर बोली- यह खून कैसे आया?

तो मैंने उसे बोला- जान… यह तुम्हारे जवान होने का सबूत है… डरने की कोई बात नहीं है, थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा।

वो भी जल्दी मान गई, शायद अब उसे भी इस चुदाई में उतना ही मजा आ रहा था जितना कि मुझे आ रहा था।

वो मेरे ऊपर झटके से बैठी, मानो जैसे मेरी तो जान ही निकल गई हो और जोर-जोर से उछलने लगी, मैंने कहा- आराम से..

तो अंजलि ने कहा- अब चुदाई करने की मेरी बारी है.. अब तुम कुछ मत कहो तुमने मुझे खूब तड़पाया है।

सच में दोस्तों ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा लंड अभी टूट जाएगा.. मेरे लंड में अब काफी दर्द हो रहा था, पर उतना ही मजा भी आ रहा था।

तभी वो रुकी और मुझे चुम्बन करने लगी।

मैंने कहा- जान, मेरे लंड से कुछ निकलने वाला है। उसे मैंने झटके से अपने नीचे दबा लिया और जोर-जोर से झटके मारने लगा, कुछ ही झटकों के बाद मुझे मेरे लंड पर कुछ गर्म-गर्म सा महसूस हुआ, जिसके महसूस होते ही मैं भी झड़ने लगा।

लंड बाहर निकालने पर उसकी चूत से निकला हुआ रज मेरे रस से मिल कर टपक रहा था।

हम बहुत थक गए थे तो मैं उसके बगल में ‘धम’ से गिर गया और उससे पूछा- अंजलि तुम्हें कैसा लगा?

तो वो मुस्कुराने लगी और कहा- तुम्हें कैसा लगा?

मैंने कहा- मुझे तो बहुत मजा आया।

तो वो बोली- जो मेरे पति को अच्छा लगता है.. वो चीज़ मुझे भी अच्छी लगती है।

फिर उसने नीचे से मेरा मुरझाया लंड दोबारा पकड़ लिया और हिलाने लगी।

थोड़ी देर में हम जाकर एक साथ ही नहाए।

अब वो पूरी तरह से खुल गई है और बार-बार मेरा लंड पकड़ कर उसका पानी निकाल देती है और मुझे इसकी अदा बहुत पसंद है।

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताएँ ताकि मैं और कहानियाँ भेज सकूँ। [email protected]

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