सोने के बहाने आंटी की फुद्दी चुदाई

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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अंकित है, मैं महाराष्ट्र में विदर्भ का रहने वाला हूँ।

मैं एक छोटे गांव से हूँ, मेरी उम्र 23 साल है।

मेरा कद 5’5″, रंग गोरा और मेरा जिस्म कुछ औसत दर्जे का है।

यह मेरी पहली कहानी है।

मैं अपने पहले संसर्ग के बारे में बताने जा रहा हूँ।

हमारा घर बड़ा है और हमारे पास में ही, पर थोड़ी दूर एक किराए के लिए देने हेतु एक और घर भी था।

बात करीब एक साल पहले की है, एक दिन एक परिवार वहाँ रहने आया था।

उस परिवार में एक आदमी और उसकी बीवी ही थी।

बाद में पता चला कि वो हमारे गाँव में स्कूल में टीचर है।

उनके बच्चे तो थे, पर साथ नहीं रहते थे क्योंकि उनके बच्चे दूसरे शहर में पढ़ते थे।

मैं उनको अंकल-आंटी बुलाता था। आंटी दिखने में बड़ी मस्त थीं, उनकी उम्र 39 के आस-पास थी। मेरे अनुमान के अनुसार उनका फिगर 36-32-38 था। जब वो चलती थीं तब उनके दोनों कूल्हे ऐसे हिलते थे कि उन्हें देखकर तो कोई भी मदहोश हो जाए।

उनके परिवार और मेरे परिवार में अच्छा मेलजोल था तो मैं उनके बहुत करीब हो गया था, उनके बताए हुए हर काम को कर देता था।

मैं आंटी के बारे में जब भी सोचता था, तो मन ही मन उनको चोदने के सपने देखता रहता था जबकि मुझे कोई भी मौका नहीं मिल रहा था।

एक दिन मेरी किस्मत खुल गई।

टीचर अंकल को ट्रेनिंग के सिलसिले में पांच दिन के लिए बाहर जाना था।

जाने से पहले दिन अंकल ने मेरे मम्मी से पूछा- अगर आपको कोई परेशानी न हो तो अंकित को मेरे घर सोने के लिए भेज दें।

उनसे अच्छे सम्बन्ध होने के कारण मम्मी ने ‘हाँ’ कर दी।

पहले दिन जब मैं आंटी के घर सोने गया तब आंटी खाना खा रही थीं। आंटी ने काले रंग का गाउन पहना था। गाउन में वो बहुत ही खूबसूरत दिख रही थीं, गाउन में उनके चूतड़ और चूचे इतने मस्त लग रहे थे कि देखते ही मुझे कुछ-कुछ होने लगा, पर मैं चुपचाप आंटी के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया।

भाभी ने पूछा- क्यों अंकित, खाना खा लिया क्या?

तो मैंने कहा- जी हाँ, मैंने खाना खा लिया।

फिर इधर-उधर की बातें करके हम सो गए।

आंटी अपने कमरे में और मैं सामने वाले कमरे में सो गया। दूसरे दिन भी कुछ नहीं हुआ। लेकिन मेरे मन में हलचल मच रही थी, कुछ भी करके आंटी को चोदना था।

जब भी मैं उनके घर जाता था आंटी खाना खा चुकी होती थीं, वो अपने बालों में हर रोज नारियल का तेल लगाती थीं।

तीसरे दिन जब मैं आंटी के घर पहुँचा तब आंटी अपने बालों में तेल लगा रही थीं।

मुझे देख कर बोलीं- आओ अंकित, खाना हो गया?

तो मैंनें कहा- हाँ.. आंटी।

आंटी ने कहा- आओ मैं तुम्हारे बालों में भी थोड़ा तेल लगाकर मसाज कर देती हूँ।

तो मैंने भी ‘हाँ’ कर दी, इसी बहाने से आंटी को छूने का मौका मिल गया।

आंटी मेरे बालों में तेल लगा रही थीं तो मैंने भी उन्हें दो-तीन बार उनको छू लिया।

इस वजह से मेरा 7 इंच का लंड खड़ा हो गया।

मैंने हाफ-लोअर पहना था उसमें लंड का उभार दिखने लगा था, एक-दो बार आंटी की नजरें भी उस उभार को देख चुकी थीं।

आंटी ने कहा- अब चाहो तो तुम सो जाओ।

मैंने आंटी की बात मान ली और सामने वाले कमरे में सोने चला गया, पर मेरा मन आंटी के स्पर्श से मचल गया था और मेरा लंड तना हुआ था।

मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं अपने लंड को ऊपर से ही सहला रहा था।

थोड़ी देर बाद उसको बाहर निकाला और सहलाने लगा।

अचानक मुझे कुछ महसूस हुआ मैंने ध्यान दिया तो मैंने पाया कि आंटी मुझे थोड़ी दूर से मेरी हरकत को देख रही थीं। आंटी ने मुझे लंड को सहलाते देख लिया था। शायद आंटी को मेरा लंड पसंद आया था, वे मुस्कुरा रही थीं। आंटी का भी दिल मचल गया होगा।

वो मेरे पास आईं और सीधे बोलीं- अंकित, तुमने कभी चुदाई की है?

मैं एक बार तो हिचकिचा गया फिर मैंने कहा- नहीं आंटी!

आंटी- चलो मेरे साथ मेरे कमरे में।

मुझे पहले डर लगा था।

जैसे ही आंटी बिस्तर के पास गईं और बोलीं- आज मैं तुम्हें सिखाती हूँ।

आंटी बिस्तर पर लेट गईं, पर मैं डर रहा था।

उन्होंने मुझे इशारा करके पास बुलाया, आज मेरी इच्छा पूरी होने जा रही थी।

आंटी के फ़ैल कर लेटी होने के कारण मैं उनके ऊपर चढ गया और उनको चूमने लगा।

आंटी की सांसें तेज हो रही थीं, मैं उनको लगातार चूम रहा था और उनके मम्मे दबा रहा था।

आंटी ने कहा- अंकित, मेरे मम्मों की जरा तेल से मालिश कर दो ना!

मैंने तेल की बोतल ली और उनके मम्मों को उनके सफेद रंग की ब्रा से अलग कर दिया।

हाय..क्या मस्त थे उनके चूचे.. गोरे-गोरे और बड़े थे।

मैंने थोड़ा तेल मम्मों पर डाला और मसलने लगा था।

आंटी गर्म हो गई थीं। वो मेरे लंड को सहला रही थीं।

मैं उनको चूम रहा था।

आंटी ने कहा- ले चूस ले.. मेरे मम्मों को।

मैं भी उनके मम्मों को चूसने लगा। उनका स्वाद बहुत अच्छा था।

मैं कभी मम्मे दबा रहा था और कभी चूस रहा था।

बाद में मैंने उनका गाउन निकाल दिया। वो सिर्फ पेटीकोट में थीं। मैंने उनका पेटीकोट भी उतार दिया। वो सिर्फ पैंटी में रह गई थीं।

वो लाल रंग की पैंटी में बहुत कामुक लग रही थीं।

बाद में मैंने पैंटी भी उतार दी। उनकी फूली हुई चूत सामने आ गई।

मैं पहली बार किसी की नंगी चूत देख रहा था।

उनकी चूत पर थोड़े-थोड़े बाल थे।

मैंने उनकी चूत को छू रहा था। उनकी गांड भी बहुत सेक्सी थी।

आंटी ने कहा- अंकित, अब अपना लंड इसमें डाल दे।

मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रख दिया और एक जोर से झटका मारा तो लंड थोड़ा अन्दर तक गया। यह मेरा पहला झटका था तो मुझे दर्द हुआ था।

मैंने कहा- आंटी, मुझे दर्द हो रहा है।

आंटी ने कहा- कोई बात नहीं, पर और अन्दर पेल दे।

बाद में मैंने और जोर से झटका दिया तो मेरा लंड आधे से ज्यादा अन्दर तक गया।

आंटी गर्म साँसें ले रही थीं और उनके मुँह से अजीब सी आवाज आ रही थीं।

मुझे भी मजा आने लगा था और अब मुझे दर्द भी नहीं हो रहा था। बाद में मैं जल्दी झड़ गया।

आंटी ने कहा- पहली बार होने की वजह से तुम्हारा जल्दी निकल गया है।

आंटी मेरे लंड को सहला रही थीं, मेरे लंड को आगे-पीछे कर रही थीं। थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।

मैंने फिर से आंटी की चूत पर लंड रख कर जोर से झटका मारा, तो वो चिल्ला उठीं।

वो भी मेरा साथ देने लगीं और अपनी गांड उठा-उठा कर चुदने लगी थीं। आंटी की सिसकारियाँ तेज होने लगी थीं, वो बोल रही थीं- अंकित, जोर से चोदो मुझे… और जोर से..चोद..

आंटी ने अपने दोनों टांगों से मुझे कस कर पकड़ रखा था।

आंटी पूरे जोश में थीं और बोल रही थीं- आज मुझे बहुत मजा आ रहा है…चोद मुझे… और अन्दर डाल…

मेरा वीर्य निकलने वाला था और आंटी भी झड़ने वाली थीं।

आंटी बोलीं- अंकित, पूरी ताकत से चोद मुझे…. मैं आने वाली हूँ।

मैं भी पूरी तेजी से झटके मारे जा रहा था।

आंटी का शरीर अकड़ने लगा था, उन्होंने मुझे कस कर पकड़ा और अजीब सी आवाजें निकालती हुई झड़ गईं। कुछ देर बाद मेरा भी माल निकल गया, मैं उनकी चूत में ही झड़ गया।

मैं थक चुका था। फिर भी मैंने उनकी चूत चाटी थी।

उस रात मैंने सिर्फ दो बार चोदा।

सुबह तक हम सिर्फ बिना कपड़े के ही सो गए। उस दिन से मुझे चोदने का नया-नया अनुभव आने लगा था।

आंटी को मैं बहुत बार चोद चुका हूँ, आज भी जब-जब मौका मिलता है, मैं उनको खूब चोदता हूँ।

यह मेरी पहली कहानी है, इसमें गलतियाँ भी हो सकती हैं। मेरा आपसे यही निवेदन है कि मुझे ईमेल अवश्य कीजिए।

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