रिश्तेदार के घर चुदाई का मज़ा

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Rishtedar ke Ghar Chudai ka Maja दोस्तो, मेरा नाम समीर है, मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ और मुझे सभी यौन सम्बन्ध कहानियाँ बहुत पसंद हैं। मैं हमेशा सोचा करता था कि काश मुझे भी इस सुख का अनुभव प्राप्त हो सकता.. मैं दिल्ली के एक विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहा हूँ और मेरा स्नातक का दूसरा साल है। मेरा रंग सांवला है, परन्तु नाक-नक्शा ऊपर वाले ने बहुत खूब दिया है। मेरी 20 वर्ष आयु है, 5’5” का कद और औसत जिस्म है।

ये सब बातें तो होती ही रहेंगी.. अब मैं ज्यादा बोर ना करते हुए अपनी सच्ची घटना के बारे में बताता हूँ।

यह मेरी पहली बार के सम्भोग की कहानी है।

बात पिछले वर्ष की सर्दियों में पहले सत्र की परीक्षा देने के बाद की है।

मैं इन छुट्टियों में अपने दूर के फूफा के लड़के कि शादी में कानपुर गया था।

हालाँकि असली मकसद ये नहीं था, बल्कि यह तो उधर जाने का एक बहाना था। असल में मेरा उद्देश्य अपने रिश्ते के भाईयों के साथ मस्ती करना था। चूंकि मेरे दादाजी वहीं के रहने वाले हैं और मेरे दो चाचा अब भी वहीं रहते हैं।

हम कानपुर अपने घर पहुँचे, दो दिन बाद फूफा के घर शादी थी। तो हम लोग घर पर आराम करके कुछ देर बाद उनके घर पहुँच गए। वहाँ का प्रबंधन तो बहुत बढ़िया था.. जिससे पता भी चल रहा था कि वे काफी अमीर थे।

मेरा व्यक्तित्त्व बहुत ही विनोदपूर्ण है.. तो मैं जल्द ही उनके घर वालों से घुल-मिल गया और छोटे-मोटे कामों में हाथ बंटा देता। हमारे बाद भी मेहमानों का आने का सिलसिला चल रहा था।

तभी मैंने देखा कि फूफा से कोई अंकल-आंटी मिल रहे हैं, जिनके साथ एक बहुत ही खूबसूरत लड़की कुछ सामान को लेकर उनके पीछे खड़ी परेशान सी थी।

तभी फूफा ने क़मर भाई (दूल्हे) को बुलाया और बोला- सामान अन्दर रखवा दो।

सामान इतना अधिक था कि भाई ने मुझे भी आवाज़ लगाई और मैं भी उधर पहुँच गया। हम लोगों ने सामान रखवाया और कमरे से बाहर आने लगे। तभी वह लड़की अन्दर आई और हमारा आमना-सामना हुआ। उसने मुझसे मुस्कराते हुए ‘थैंक्यू’ बोला और अन्दर चली गई। शाम को मैंने देखा कि मेरे पापा उस लड़की के साथ आए हुए अंकल से बात कर रहे हैं।

मेरे मन में पता नहीं क्या हुआ.. मैं पापा के पास जा पहुँचा.. तभी पापा ने कहा- यह मेरा बेटा समीर है।

मैंने ‘हैलो’ बोला।

तभी अंकल ने पापा से बोला- शायद यह मुझे पहचान नहीं पाया।

मेरे माथे पर प्रश्न-चिह्न जैसा निशान बन गया, तभी पापा ने बताया- समीर ये मेरी खालू के बड़े भाई हैं और कानपुर में पहले हमारे पड़ोसी हुआ करते थे और तुम्हारे लिए बहुत बार मिठाईयाँ लाकर दिया करते थे.. जब तू बहुत छोटा था।

तभी अंकल ने बोला- आंटी से उनका वॉलेट ले आओ..

मैं उनके कमरे में गया मैंने दरवाजे पर दस्तक दी, तो किसी ने कुछ जवाब नहीं दिया।

एक-दो बार ज़ोर से खटखटाने पर उस लड़की ने दरवाज़ा खोला और बोला- ‘सॉरी’ मैं हेड-फ़ोन्स लगा कर गाने सुन रही थी.. तो सुनाई नहीं दिया।

मैंने उनसे वॉलेट माँगा और वापस जाने लगा।

तभी मेरी चाची की लड़की बाहर से आती हुई उस कमरे में आई और उस लड़की से मिली।

वो दोनों ऐसे मिलीं जैसे बहुत पुरानी सहेलियाँ हों।

अब संगीत का कार्यक्रम शुरू हुआ और घर की औरतें ढोलक लेकर बैठ गईं।

मेरी चचेरी बहन और वो लड़की दोनों साथ थे।

मेरे दिल में तब तक उसी का खुमार छा चुका था।

मैंने अपनी चचेरी बहन को बुला कर उसके बारे में कुछ पूछा तो उसने कुछ भी बताने से साफ़ मना कर दिया।

मेरे थोड़ा ज़ोर देने पर उसने बताया- उसका नाम अल्फिया है।

मैंने सीधे ही उससे बोल दिया- मैं अल्फिया को पसंद करता हूँ और तू अभी उससे मेरी बात करवा ना!!

वो थोड़ी ना-नुकुर के बाद मान गई और उसने जाकर उससे बोल दिया।

कुछ देर बाद उसने मुझे बताया- अल्फिया तुझे बुला रही है।

मैं सबकी नज़रें बचाते हुए उसके पास गया।

उसने बोला- तुम्हें मुझसे कुछ बात करनी है.. तो खुद क्यों नहीं आए.. जब खुद बात करनी हो, तब आना।

मैंने इस डर से आनन-फानन में सीधे बोल दिया- आई लाइक यू ! और मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ।

उसने हैरत में होकर बोला- व्हाट…!?!

और वो इतना ही कह कर चली गई- मुझे कुछ समय चाहिए..

मैंने अपनी चचेरी बहन से बोला- उससे मेरी खूब तारीफ करो प्लीज़..

अगले दिन बारात निकलनी थी और मैं पूरी रात सोचता रहा कि उसका जवाब क्या होगा??

शाम को अल्फिया आई और मुझे ‘नॉटी’ सी स्माइल दे कर अपने कमरे की ओर भागी।

मैं भी बिना कुछ सोचे-समझे उसके पीछे कमरे में चला गया और सामने एक टैडी-बियर रखा था जिसमें एक रिबन के साथ छोटा सा पेपर लगा था जिसमें ‘यस आई लव यू टू..’ लिखा था।

मैंने जैसे ही पढ़ा.. मैंने ज़ोर से उछलते हुए ‘यस’ बोला।

मैंने पलट कर देखा तो वो कमरे की कुण्डी लगा रही है, मैं उसके पास गया और देखते ही देखते उसको बांहों में भर लिया।

वो भी मुझे अपने सीने से बिल्कुल चिपकाए हुए थी।

मैं उसके बारे में बता दूँ उसकी उम्र 18 वर्ष है और बिल्कुल गोरा साफ़ रंग 34-30 -34 का उसका कामुक फिगर मुझे बहुत ही आकर्षक लगता था।

कुछ ही देर में हमारे होंठ आपस में मिल गए और 15 मिनट तक मैं उसके होंठों और मम्मों से खेलता रहा।

अल्फिया- समीर अब बस बारात में भी जाना है और देर हो रही है.. मुझे तैयार भी होना है.. मम्मी भी आती होंगी.. तुम भी कपड़े पहन लो।

ना चाहते हुए भी मुझे उस एहसास को छोड़ कर जाना पड़ा।

बारात जाने को थी तभी वह नीचे आई उसने काले रंग का लंहगा पहना हुआ था, जिसमें तो वह गज़ब की माल लग रही थी। उसकी नाभि इतनी मस्त लग रही थी कि मन तो कर रहा था कि इसे अभी पकड़ कर चोद दूँ।

उसने मेरी ओर देख कर स्माइल दी और फिर बारात में जाने के लिए सभी कारों में बैठने लगे।

वहाँ बस नहीं थी.. करीब 18-20 स्कार्पियो गाड़ियाँ ही थीं।

मैंने अंकल से बोला- मुझे आपके साथ चलना है।

अंकल भी मान गए, मैं और अल्फिया दोनों ही पीछे की सीट पर बैठ गए। सफर के दौरान मैंने उसकी जांघ पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया।

मैंने हाथ लगाया तो उसकी चूत गीली हो चुकी थी।

लगभग 45 मिनट के अंतराल में मैंने उसकी चूत सहला-सहला कर पूरी गीली कर दी।

वापस आते समय भी यही क़िस्सा दोबारा पेश आया।

अगले दिन रिसेप्शन था, सभी लोग मैरिज-हॉल में जाने लगे। अंकल ने अल्फिया को आवाज दी- जल्दी करो..

मैंने अंकल से कहा- आप जाओ.. अल्फिया को मैं ले कर आ जाऊँगा।

मैं उसके कमरे में गया और पीछे से उसे बाँहों में भर लिया वो कहने लगी- कोई आ जायगा..

मैंने उसे बताया- तुम्हारे मम्मी-पापा चले गए हैं.. तुम मेरे साथ चलोगी।

तभी मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके मम्मों को ऊपर से दबाने लगा।

वो सिसकारियाँ भरने लगी- आह.. आह… ऊह आह.. आराम से करो न.. जान..

मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया, उसकी कमीज को उतार दिया उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी।

मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उसके कबूतर आज़ाद हो गए।

मैंने अपनी शेरवानी उतार दी और उसके मम्मों को चूसने लगा।

मैंने नीचे जाते हुए उसकी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया और उसकी चूत के दर्शन किए। उसकी चूत बिल्कुल गुलाबी थी।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने उस पर होंठ रख दिए और चूत चाटने लगा… वो पागल हो गई।

वो अपने हाथों से मेरा सर दबाने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी- आह… ऊह यस… आराम से चाटो.. ये तुम्हारी ही है.. ये.. अब निकाल दो इसका रस…. आह समीर..

मैं उठा और अपनी पैन्ट उतार दी और अपने 6 इंच के लंड को उसके हाथ में दे दिया।

उसने बड़ी हैरत से मेरा लवड़ा देख कर उसको सहलाने लगी।

मैंने उसे मुँह में लेने को कहा तो वो मना करने लगी लेकिन मेरे थोड़ा ज़ोर देने पर मान गई।

अब हम 69 की अवस्था में हो गए। वो मेरे लौड़े को अपने मुँह से चूसने लगी और मैं उसकी चूत को जीभ से चोदने लगा।

इससे वो पूरी तरह से गर्म हो गई.. उसके मुँह से ‘ऊह.. आह..आ आआ..’ की आवाज आने लगी।

इस दौरान वह झड़ गई, मैं उसका नमकीन पानी चाटने लगा।

वो बोली- मुझे और मत तड़पाओ.. अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.. मैं तुम्हारा लौड़ा अपनी चूत में लेना चाहती हूँ।

मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चिकनी चूत पर रखा और एक हल्का सा धक्का दिया, तो वो चिल्ला उठी- बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज बाहर निकाल लो… तुम्हारा लंड बहुत बड़ा और मोटा है..

मैं जरा रुका और मेरा आधा लंड उसकी चूत में फंस चुका था।

कुछ देर बाद जब वो शांत हो गई, तब मैंने एक और धक्के के साथ पूरा लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया।

इस बार फिर से वो चिल्ला उठी, लेकिन मैं नहीं रुका। उसके मुँह से ‘ऊह आह ऊई’ की आवाजें आने लगीं।

कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो भी अपनी गांड को उछाल-उछाल कर मेरा साथ देने लगी।

वो मस्ती में कह रही थी- और जोर से… और जोर से.. फाड़ दे इसे आज.. इसकी सारी प्यास बुझा दो..

मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और जोर-जोर से चोदने लगा।

लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया, इस दौरान वो तीन बार झड़ चुकी थी।

इसके बाद हम दोनों निढाल होकर एक दूसरे से चिपक कर पड़े रहे।

उसके बाद मुझे उसको दुबारा चोदने का मौका अभी नहीं मिल पाया है, पर उससे मेरी फोन पर बात होती है… जल्द ही वो मुझसे दुबारा मिलने आ रही है। दोस्तो, कैसी रही कहानी मुझे ज़रूर बताना।

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