चूची चूस चूस कर दोस्त की गर्लफ्रेंड को चोदा-2

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कहानी का पिछला भाग : चूची चूस चूस कर दोस्त की गर्लफ्रेंड को चोदा-1

दोस्तो, पिछले भाग में मैंने बताया था कि कैसे मेरे दोस्त की सहेली के साथ मैंने मजे किए।

उस कहानी में मैंने लिखा था कि जल्द ही आगे की कहानी लिखूँगा..

उस दिन नहाने के बाद हम बात कर रहे थे तो उसने बोला- तुम बहुत प्यार से करते हो.. अगर मैं एक बात बोलूँ तो बुरा तो नहीं मानोगे।

मैंने कहा- बोलो.. दोस्तों की बात का बुरा नहीं माना जाता।

उसने कहा- मेरी एक भाभी है और मैं चाहती हूँ कि तुम एक बार मेरी भाभी से मिलो।

मेरे पूछने पर बोली- मेरा भाई उसके साथ बहुत गन्दी तरह से प्यार करता है, इसलिए उसे मर्दों से नफरत हो गई है और वो बहुत उदास रहती है.. वो कहती है कि आदमियों को तो औरत.. बस अपना पानी निकालने के लिए चाहिए। मैं उसे दिखाना चाहती हूँ कि सब मर्द एक जैसे नहीं होते।

तो मैंने कहा- मेरे मिलने से क्या होगा?

वो बोली- तुम उसे मेरे जैसे ही प्यार करना ताकि उसे कुछ सुकून मिले और उसका मर्दों के प्रति कुछ रवैया बदल जाए।

मैंने हैरान होकर उससे पूछा- क्या वास्तव में तुम अपनी भाभी को मुझसे चुदवाना चाहती हो?

तो उसने ‘हाँ’ कहा।

कुछ और बातें करने के बाद मैंने उसे ‘हाँ’ कह दिया।

तो उसने एक जोरदार पप्पी मेरे गाल पर दी।

फिर वो अगले दिन मिलने का बोल कर मेरे दोस्त के कमरे पर चली गई।

अगले दिन शाम को सात बजे मेरे कमरे की घन्टी बजी.. मैंने दरवाज़ा खोला तो वो अपनी भाभी के साथ थी।

मैंने उन्हें नमस्ते की और अन्दर आने को बोला और मैं एक तरफ़ हो गया।

मैंने आज तक कभी किसी का नाम नहीं लिखा है लेकिन क्योंकि अब दो जने हैं इसलिए मैं अपने दोस्त की सहेली का नाम नेहा और उसकी भाभी का नाम कामिनी लिख कर सम्बोधित करूँगा।

कामिनी अन्दर आई और इधर-उधर देखने लगी..

मैंने पूछा तो कहने लगी- कुछ नहीं.. बस ऐसे ही देख रही हूँ।

मैंने पूछा- चाय या काफ़ी.. क्या लेना पसन्द करोगी?

तो वो ऐसे देखने लगी.. जैसे मैंने कोई अज़ीब बात कर दी हो।

मेरे पूछने पर नेहा बोली- हमारे घर पर कभी औरत को ऐसी इज्जत नहीं देता.. इसलिए भाभी चौंक गई हैं।

खैर.. कुछ देर बातें और मज़ाक चलता रहा..

फिर कामिनी भी खुल कर बात करने लगी और मेरे मज़ाक पर हँसने भी लगी।

फिर वो नेहा से बोली- ये तो मुझे अच्छे आदमी लगे.. तुझे चाहिए तो तू अपने दोस्त के पास जा..

नेहा ने मज़े लेते हुए कहा- क्यों खुजली होने लगी क्या?

तो कामिनी बोली- वो तो मुझे तेरी खुजली की चिन्ता हो रही है।

नेहा ने हँसते हुए कामिनी की चूचियाँ दबा दी और बोली- सही है.. सही है..

तो कामिनी ने एकदम से तेवर बदल कर उसका हाथ घुमा कर उसकी चूचियाँ दबा दी और बोली- साली चली जा.. नहीं तो अभी तेरी खैर नहीं…

नेहा भी हँसते हुए दरवाजा खोल कर जाने लगी, पर एकदम घूम कर बोली- अच्छे से खुदाई करवा लेना..

और इससे पहले कि कामिनी कुछ कर पाती उसने दरवाज़ा बन्द कर दिया..

लेकिन कामिनी अपने को रोक नहीं पाई और दरवाज़े से उसका सर लग गया।

मैं एकदम से खड़ा हो कर दरवाजे की तरफ़ लपका और कामिनी के सर को जहाँ पर उसका सर टकराया था.. पकड़ कर दबा दिया।

ऐसा करते ही कामिनी एकदम से मेरी तरफ़ देख कर रोने लगी.. मुझे लगा कि शायद उसे बुरा लग गया.. तो मैं एकदम से पीछे हट गया।

तो वो और जोर से रोने लग गई और मेरी तो फ़ट गई.. मैंने उसे ‘सॉरी’ बोला और कहा- तुम्हें चोट लग गई थी.. इसलिए मैंने तुम्हें छुआ और हाथ लगाया।

मेरी हालत देख कर वो चुप हो गई और बोली- कोई बात नहीं।

मैंने पूछा- तो मेरे हाथ लगाने पर रोई क्यों थी?

तो वो बोली- तुम्हारी जगह अगर मेरा आदमी होता तो गाल पर एक चपत लगाता और बोलता कि साली ध्यान से नहीं चल सकती। जब तुमने एकदम भाग कर मुझे सम्भाला तो मैं अपने को नहीं सम्भाल पाई और मेरे आँसू निकल गए.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो।

अब मेरी भी हँसी निकल गई और ये देख वो भी हँसने लगी और उसने मेरी तरफ़ और मैंने उसकी तरफ़ हाथ बढ़ा दिए और दोनों हँसते-हँसते एक-दूसरे के सीने से लग गए।

वो बोली- मुझे कभी किसी ने ऐसे प्यार से नहीं सहलाया था.. इसलिए बस मैं थोड़ा ऐसे हो गई थी।

मैंने कुछ नहीं कहा.. बस उसके होंठों पर एक पप्पी कर दी, तो वो शरमा कर मुझसे और लिपट गई और उसका गोरा चेहरा एकदम से लाल हो गया।

फिर हम काफ़ी देर तक ऐसे ही एक-दूसरे तो लिपटे हुए सहलाते रहे।

फिर वो बोली- तुम बहुत अलग हो.. दूसरे मर्दों जैसे नहीं हो.. पर अब क्या मुझे पहल करनी पड़ेगी।

तो मेरी हँसी छूट गई.. वो नाराज़ होते हुए बोली- हटो तुम भी औरों की तरह मेरा मज़ाक बना रहे हो।

मैंने कुछ नहीं बोला.. बस उसे गोदी में लिया और पलंग पर आ गया और उसे चूमने लगा।

तो कामिनी बोली- पहले लाइट बन्द करो ना.. मुझे शर्म आ रही है।

मैंने कहा- अगर लाइट बन्द कर दी तो तुम्हारा ये प्यारा सा चेहरा कैसे देखूँगा।

वो बोली- हटो.. तुम बहुत गन्दे हो।

तो मैं एकदम से उसे छोड़ कर हट गया.. तो वो बोली- क्या हुआ?

मैं बोला- तुमने ही तो बोला।

कामिनी ने एकदम से गुस्से वाला मुँह बनाया और मेरे ऊपर चढ़ गई।

‘अभी बताती हूँ कि मैंने क्या बोला और क्या नहीं.. अगर इतनी मेरी बात सुननी थी तो लाइट क्यों बन्द नहीं की.. अब तू देख मैं तेरी क्या हालत करती हूँ।’

ऐसा कहते ही उसने मेरी बनियान खींच कर उतार दी और मेरी घुंडियों पर जोर से काट लिया.. मेरी जोर की ‘आह’ निकल गई।

मैंने कहा- साली इतने जोर से क्यों काट रही है?

तो वो बोली- तू इतनी देर से मुझे तड़पा रहा है.. वो कुछ नहीं.. अभी तो तू देख.. मैं क्या-क्या करती हूँ। आज मैं अपने सारे अरमान तेरे साथ पूरे करूँगी।

मैंने पूछा- कौन से अरमान?

तो वो बोली- तू चुपचाप देखता जा।

मैंने सोचा.. चलो इसे अपने दिल की भड़ास निकाल लेने दो।

फिर उसने मेरी घुंडियों को जोर-जोर से चूसना शुरु कर दिया और धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगी और मेरी दोनों घुंडियों को अपने दोनों हाथों की ऊँगली और अंगूठे से मलते-मलते जब मेरे बरमूडे के पास पहुँची.. तो एक मिनट के लिए उसने अपने हाथ नीचे किए और मेरा बरमूडा निकाल दिया।

मैंने चड्डी तो पहनी ही नहीं थी और उसकी हरकतों ने मेरा लन्ड सख्त कर दिया था तो बरमूडा निकालते ही वो सटाक से उसके मुँह पर लगा और वो ‘आऊऊऊउ’ करते हुए मुझे गुस्से से देखने लगी।

मैंने बोला- अरे मेरी क्या गलती है.. तुमने ही एकदम से निकाल दिया।

वो बोली- मुझे क्या पता था कि तुमने चड्डी नहीं पहनी और ये भी धीरे से नहीं खड़ा हो सकता था?

ये कहते हुए उसने मेरे लन्ड को पकड़ कर मरोड़ दिया। अब मेरी बारी थी ‘आऊऊऊऊउ’ करने की.. पर इससे पहले कि मैं कुछ कहता, उसने मेरे लन्ड पर पप्पी कर दी।

बोली- सॉरी.. अभी तो तुझसे बहुत काम है। उसकी इस बात पर मेरी हँसी छूट गई और मैंने उसे खींच कर अपने से लिपटा लिया और एक ज़ोरदार पप्पी उसके होंठों पर कर दी।

थोड़ी देर तो हम ऐसे ही लिपटे हुए पप्पी करते रहे.. फिर मैंने उसके कुर्ते के अन्दर हाथ डाल कर उसका कुर्ता ऊपर करके निकाल दिया।

कामिनी ने भी साथ दिया और आराम से हाथ ऊपर करके मुझे कुर्ता निकालने में मदद की। कुर्ता निकालते ही उसने मुझे अपने से चिपका लिया और मेरा मुँह अपने सीने मे छिपा लिया।

मैं भी उसकी 38 साइज़ की चूचियों में मुँह घुसा कर उसे चूमने लगा।

चूमते-चूमते मैंने पीछे से उसकी ब्रा खोल दी। जब मैं उसकी ब्रा निकालने के लिए उसे पीछे करने लगा.. तो उसने मुझे और कस कर पकड़ लिया और ‘ना’ में सर हिलाने लगी। मैंने उसे आँखों से उसे पूछा कि क्या हुआ?

तो वो बोली- मुझे शर्म आती है।

मैंने मुस्कराते हुए उसका सर नीचे कर उसके होंठों पर पप्पी करनी शुरु कर दी।

इससे उसकी चूचियाँ मुझसे थोड़ी सी दूर हो गईं और मेरे लिए ब्रा निकलने का रास्ता खुल गया और मैंने उसकी ब्रा धीरे से उसकी बाजुओं पर नीचे कर दी और फिर होंठ छोड़ कर मैंने उसकी एक चूची मुँह में भर ली।

कामिनी के मुँह से एक ‘आह’ निकल गई और उसने मेरा मुँह अपनी चूची पर और ज़ोर से दबा दिया।

मैं कुछ देर तक उसकी एक-एक करके दोनों चूचियाँ चूसता रहा और वो गरम होती गई।

फिर मैंने उसे प्यार से पीछे की तरफ़ लिटा दिया और उसकी चूचियों को मसलते हुए अपने हाथ को नीचे की तरफ़ बढ़ाता गया और उसके शरीर पर फेरता रहा।

हमारी हालत ऐसी थी कि वो मेरी गोदी में बैठी हुए पीछे से धनुष की तरह उठी हुई थी। मुझे तो वो पूरा नंगा कर चुकी थी.. पर उसके शरीर पर उसकी सलवार अभी भी बाकी थी।

मैंने झुक कर उसके उठे हुए पेट पर चूमना शुरु कर दिया और धीरे से उसकी सलवार में हाथ डाल कर उसका नाड़ा बाहर निकाल कर खींच दिया और सलवार को ढीला कर दिया।

फिर मैंने घूम कर अपने पैर पलंग पर से नीचे लटका लिए और और उसको गोदी में उठा कर खड़ा हो गया।

कामिनी ने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट रखी थीं। मैंने एक हाथ से उसे गोदी में रखते हुए दूसरे हाथ से उसकी टाँगें खोल कर उसे खड़ा कर दिया।

खड़े होते ही उसकी सलवार नीचे गिर गई। उसने चड्डी नहीं पहनी थी तो अब वो भी नंगी हो गई।

मैंने खड़े-खड़े ही उसकी गान्ड पकड़ कर दबाते हुए उसे थोड़ा ऊँचा किया और गोदी में उठाने लगा।

कामिनी ने भी समझ से काम लेते हुए अपनी सलवार को पैरों में से निकाल कर फिर से अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट लीं।

इस दौरान हम दोनों बस पप्पी किए जा रहे थे।

मैंने धीरे से उससे कहा- क्या मेरे साथ नहाना पसन्द करोगी?

तो उसने केवल गर्दन हिला कर ‘हाँ’ की.. तो मैं उसे ऐसे उठाए हुए ही गुसलखाने में लेगया और शावर चालू करके नीचे खड़ा हो गया।

कामिनी बोली- तुम्हें पता है कि मेरा वज़न 70 किलो है और तुम मुझे ऐसे उठा कर घूम रहे हो।

तो मैं बोला- जब दिमाग में मस्ती होती है तो वज़न का पता नहीं चलता।

वो बोली- कोई बात नहीं.. पर अब मुझे नीचे उतारो।

फिर हम दोनों आपस में एक-दूसरे को रगड़ते हुए शावर का मज़ा लेने लगे लेकिन वो ठन्डा पानी हमें और गरम कर रहा था।

मैं उसकी चूची से टपकते हुए पानी को पीते-पीते उसकी चूची पर आ गया और उसके एक निप्पल को चूसने लगा।

कामिनी ‘ऊऊह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह’ करने लगी और मेरे सर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी।

कुछ देर मैंने उसकी दोनों चूचियाँ चूसी.. फिर धीरे-धीरे नीचे होता गया और उसकी नाभि को चूमते हुए मैं उसकी चूत पर पहुँच गया।

जैसे ही मैंने उसकी चूत चूसी.. वो ज़ोर की ‘आआआह्ह्ह’ करके चिल्लाई तो मैंने एकदम से उसके मुँह पर हाथ रखा और कहा- क्या कर रही हो.. बाहर आवाज जाएगी।

तो कामिनी बोली- पहली बार किसी ने मेरी चूत पर मुँह लगाया है.. मेरा हरामी पति तो बस आता है और मेरे कपड़े निकाल कर थोड़ी देर चूचियाँ दबाता है और बस ठोक देता है। ये भी नहीं सोचता कि मैं गरम भी हुई हूँ या नहीं और बस अपना पानी निकाल कर सो जाता है।

मैंने कहा- अब उसकी कोई बात नहीं होगी.. आज बस हम दोनों की बात होंगी।

कामिनी बोली- ठीक है मेरी जान..

उसने मुझे जोरदार पप्पी की और मुझसे लिपट गई तो मैंने कहा- मुझे अब अपना अधूरा काम पूरा करने दो।

मैं फिर से कामिनी की चूत चूसने लगा। कामिनी ने अपनी चूत के बाल पूरे साफ़ किए हुए थे और वो तो एकदम गोरी थी लेकिन उसकी चूत थोड़ी काली थी।

चूत काली होने का कारण होता है कि अगर लड़की गरम ना हो और चुदाई करे।

खैर.. अपने यहाँ ये आम बात है क्योंकि शुरु-शुरु में लड़की हमेशा शर्म के कारण गरम नहीं होती और ना ही बोलती है।

मैंने ये सब सोचना छोड़ कर अपना ध्यान उसकी चूत पर लगा दिया और उसे खोल कर उसकी दोनों फांकों के बीच अपनी ज़ीभ चलानी शुरु कर दी।

कुछ देर तक तो कामिनी ने सब्र रखा फिर बोली- मैं और ज्यादा देर अपनी आवाज़ नहीं रोक सकती.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और मेरा चिल्लाने का दिल कर रहा है। अगर तुम नहीं रुके तो मेरा पानी तुम्हारे मुँह में ही निकल जाएगा।

लेकिन मैं उसकी बाहर से काली और अन्दर से गुलाबी चूत को चूसने में इतना मगन था कि मैंने ध्यान नहीं दिया और कामिनी एक जोरदार “आआआह्ह” के साथ स्खलित हो गई और मेरे कन्धे पर से अपना पैर उतार कर नीचे बैठ कर जोर से सांस लेने लगी।

उसे सम्भलने में कुछ दो मिनट लग गए।

तब तक मैं उसके पास बैठा हुआ उसे पप्पी करते हुए उसकी चूचियाँ सहलाता रहा। उसकी चूचियाँ इतनी बड़ी होने के बाद भी एकदम तनी हुई थी और उन पर गुलाबी से छोटे-छोटे निप्पल बहुत ही प्यारी छटा बिखेर रहे थे।

कुछ सम्भलने के बाद कामिनी ने मेरी तरफ़ देखा और शर्म से नज़रें झुका लीं और बोली- सॉरी.. मैं कन्ट्रोल नहीं कर पाई।

मैंने उसे अपनी बाँहों में लेते हुए उसके गाल पर एक ज़ोरदार चुम्मी की।

इसके बाद क्या हुआ अगले भाग में लिखूँगा.. तब तक मज़े लो और मज़े दो।

बहुत सारे लड़के और लड़कियाँ ये कहानियाँ पढ़ कर बहुत मायूस हो जाते हैं कि उनकी जिन्दगी में कोई नहीं है। मेरी उनसे गुज़ारिश है कि वो कोई गलत कदम ना उठाएँ.. सबकी ज़िन्दगी में कोई न कोई है और वो उसे जल्द ही मिलेगा। बस जो लोग यह लिखते हैं कि वो कॉल-बॉय हैं.. उनसे थोड़ा सावधान रहो क्योंकि मेरे हिसाब से कोई भी लड़का अपने बारे में ये सब नहीं लिखता। और अगर किसी लड़की को चुदाई करना ही है तो मैं यही सलाह दूँगा कि वो अपने किसी भरोसेमन्द दोस्त की सहायता ले। लेकिन हमेशा सावधानी बरते और किसी बहकावे में आकर बिना कन्डोम के चुदाई ना करे। हाँ.. अगर शादी हो चुकी है तो उनकी मर्ज़ी। लड़कों को यही कह सकता हूँ कि अपना हाथ जगन्नाथ। [email protected]

कहानी का अगला भाग : चूची चूस चूस कर दोस्त की गर्लफ्रेंड को चोदा-3

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