विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-18

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अनुजा कमरे में बैठी टीवी देख रही थी। दीपाली- हाय दीदी.. क्या कर रही हो? अनुजा- अरे तू आ गई.. विकास कहाँ है? दीपाली- उनको थोड़ा काम है.. बाद में आएँगे।

अनुजा- इधर आ देख.. न्यूज़ में क्या दिखा रहे हैं.. कल 5 लड़कों ने जन्मदिन पार्टी में एक लड़की को नशे की दवा देकर उसका देह शोषण कर दिया.. कुत्तों को पुलिस ने पकड़ लिया है.. बेचारी वो लड़की अब तक सदमे में है।

दीपाली- कितने गंदे लड़के होंगे.. जबरदस्ती की क्या जरूरत थी.. प्यार से कर लेते।

अनुजा- लड़की कुँवारी थी.. मर्ज़ी से नहीं मानी.. तभी तो ऐसा हुआ उसके साथ.. आजकल किसी का भरोसा नहीं करना चाहिए। दीपाली- दीदी एक साथ 5 चोदेंगे.. तो कितना दर्द हुआ होगा ना बेचारी को?

अनुजा- हाँ दर्द तो हुआ ही होगा वैसे एक बात है.. अगर लड़की पहले से चुदी हुई हो और अपनी मर्ज़ी से चुदवाए तब ज़्यादा के साथ चुदने में मज़ा आता है।

दीपाली- सच में दीदी… लेकिन 5 कुछ ज़्यादा नहीं हो जाते हैं…

अनुजा- हाँ 5 ज़्यादा है.. बेस्ट 3 होने चाहिए.. एक लौड़ा मुँह में.. दूसरा चूत और आखिरी गाण्ड में.. बस.. फिर देखो क्या मज़ा मिलता है। दीपाली- ऊह.. माँ.. अब समझ में आया.. वो तीनों मेरे पीछे क्यों पड़े हैं। अनुजा- कौन तीनों.. बता तो?

दीपाली ने स्कूल से लेकर जन्मदिन तक की बात अनुजा को बता दी।

अनुजा- हाँ पक्का.. वो तुझे चोदना चाहते हैं मत जाना उनके पास.. अगर तुझे सच में मज़ा लेना है तो उनको ये अहसास मत होने देना कि तू चुदना चाहती है.. तब जाना.. मगर ऐसी-वैसी कोई चीज़ मत खाना.. वरना होश में नहीं रहेगी और वो तेरे मज़े ले लेंगे.. तुझे कुछ मज़ा नहीं आएगा।

दीपाली- नहीं दीदी अभी मेरा चुदने का ऐसा कोई इरादा नहीं है.. अगर कभी मन हुआ भी तो उनके पास नहीं जाऊँगी.. किसी तरह उनको मेरे पास बुलाऊँगी।

अनुजा- हाँ ये एकदम सही रहेगा.. चल उनकी बात छोड़.. ये बता रात को कितनी बार चुदाई की तुम लोगों ने?

दीपाली ने रात की सारी बातें अनुजा को बताईं.. सुनते-सुनते अनुजा अपनी चूत मसलने लगी।

अनुजा- दीपाली तू बड़ी कमाल की आइटम है.. एक ही दिन में इतनी बार चुदी.. बड़ी हिम्मत वाली है रे तू.. तेरी बातें सुनकर मेरी चूत गीली हो गई।

दीपाली- अच्छा.. दिखाओ तो.. अभी रस चाट कर आपको मज़ा दे देती हूँ।

अनुजा- अरे नहीं.. विकास आता ही होगा.. पहले साथ खाना खाएँगे.. उसके बाद मज़ा करेंगे।

थोड़ी देर में विकास भी आ गया.. तीनों ने खाना खाया और थोड़ी बातें की, जब अनुजा ने चुदाई की बात की तो विकास ने मना कर दिया।

उसने कहा- दीपाली के इम्तिहान करीब हैं इसको पढ़ाई में ध्यान देने की खास जरूरत है।

अनुजा- लेकिन विकास आज ही ये यहाँ है.. कल से तो बस शाम को आएगी।

विकास- देखो अनु मैं एक आदमी होने के साथ-साथ एक ज़िम्मेदार टीचर भी हूँ और दीपाली को पास कराना मेरी ज़िमेदारी है। ये सब कभी भी कर लेंगे.. मगर इम्तिहान में फेल हो गई तो इसका साल बर्बाद हो जाएगा।

विकास की बात अनुजा के साथ दीपाली भी अच्छे से समझ गई।

अनुजा- ठीक है.. मैं बर्तन साफ कर देती हूँ.. आप इसे पढ़ाओ।

शाम के 5 बजे तक विकास जी-जान से उसको समझाता रहा.. अनुजा भी काम ख़त्म करके उनके साथ बैठ गई।

दीपाली- आहह कमर अकड़ गई.. बैठे-बैठे.. अब मुझे जाना चाहिए मॉम-डैड भी आते ही होंगे और सर थैंक्स.. आज अपने मुझे बहुत अच्छे से सब समझाया।

विकास- हाँ.. अब तुम जाओ.. मन तो बहुत था तेरी चूत मारूँ.. मगर आज नहीं.. कल शाम को आओगी, तब पढ़ाई के साथ चुदाई भी करूँगा.. ओके अब तुम जाओ…

दीपाली ने विकास को एक चुम्बन किया और अनुजा के गले लग कर कान में धीरे से बोली।

दीपाली- सर का बड़ा मन है चोदने का.. अब आप मेरे जाने के बाद मज़े करना… उनके लौड़े को मेरी तरफ़ से भी थोड़ा चूसना ओके…

अनुजा बस मुस्कुरा देती है और दीपाली वहाँ से चली जाती है।

विकास- क्या बोल रही थी कान में.. वो?

अनुजा- मेरे राजा.. आपने उसे इतने प्यार से चोदा कि आपके लौड़े की दीवानी हो गई है वो.. जाते-जाते भी आपका लौड़ा चूसना चाहती थी मगर आपके मना करने के कारण मुझे बोल कर गई है कि उसकी तरफ से मैं आपके लौड़े को चुसूँ।

विकास- अच्छा अगर उसका इतना मन था.. तो एक बार जाते-जाते चुसवा देता.. चल अब गई तो जाने दो.. वैसे भी कल रात को तुम सो गई थीं.. आज पूरी रात तुम्हें चोद कर भरपाई कर दूँगा.. आ जाओ मेरी जान.. कमरे में चलकर थोड़ा आराम कर लें.. पूरी दोपहर बैठ कर थक गए हैं।

दोनों कमरे में जाकर लेट जाते हैं। अनुजा विकास की पैन्ट का हुक खोलने लगती है।

विकास- क्या बात है.. अभी चुदना है क्या..? मैं समझा रात को आराम से करेंगे।

अनुजा- चुदना नहीं है.. बस दीपाली की बात याद आ गई.. थोड़ा लंड चूसने दो ना.. उसकी बात टालने का मन नहीं कर रहा।

विकास ने भी उसकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाई और लौड़ा बाहर निकाल लिया। अनुजा उसको चूसने लगी।

दोस्तों अनुजा को लौड़ा चूसने दो.. चलो हम दीपाली के पास चलते हैं वो अब तक घर पहुँची या नहीं..

दीपाली चुपचाप जा रही थी इत्तफ़ाक की बात देखिए उसी जगह पर आज भी एक कुत्ता और कुतिया की चुदाई चालू थी।

दीपाली उनको देखने लगी मगर आज उसको होश था कि वो रास्ते में है.. इसलिए उसने चारों तरफ देखा कि कोई आ तो नहीं रहा ना… वो रास्ता अक्सर सुनसान ही रहता था इसलिए वो वहीं खड़ी होकर कुत्ता-कुतिया की चुदाई देखने लगी।

तभी सामने से वो ही बूढ़ा आदमी आता हुआ दिखा.. उसे देखते ही उसके दिमाग़ में विकास की बातें घूमने लगीं कि बूढ़े लौड़े में कहाँ जान होती है।

सारी बातें उसे याद आ गईं.. तब दीपाली को शरारत सूझी.. उसने जानबूझ कर अपनी चूत पर हाथ लगा कर खुजाने लगी..

वो आदमी पास आया।

दीपाली ऐसे बर्ताव कर रही थी.. जैसे उसको पता ही ना हो कि कोई उसे देख रहा है।

बूढ़ा- अरे आज फिर यहाँ खड़ी होकर खुजा रही हो.. मैंने कहा ना मेरी बात मान लो.. मेरे साथ चलो मलहम लगा दूँगा.. ठीक हो जाओगी…

दीपाली- अरे आप कब आए और क्या सच में.. आपके पास ऐसी मलहम है?

बूढ़े के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई थी।

बूढ़ा- हाँ बेटी.. मेरी बात का यकीन कर.. मुझसे डर मत.. चल यहीं पास में ही मेरा घर है.. आज तेरी खुजली का पक्का इलाज कर दूँगा।

दीपाली ने सोचने का नाटक किया और मन ही मन बोलने लगी।

दीपाली- बुड्डे.. तुझसे कौन डर रहा है तू क्या बिगाड़ लेगा मेरा.. मैं तो आज तेरा हाल बिगाड़ दूँगी.. आज के बाद तू किसी को मलहम लगाने का नाम नहीं लेगा।

बूढ़ा- बेटी क्या सोच रही है.. चल ना मेरे साथ…

दीपाली ने हल्की मुस्कान दी और बूढ़े के साथ हो गई.. रास्ते में बूढ़े ने सामान्य बातें की।

‘कहाँ रहती हो..? पढ़ाई कैसी है..? इस वक्त कहाँ पढ़ने जाती है..?’

बस इन सब बातों में ही बूढ़े का घर आ गया.. जो एक आलीशान कोठी थी।

दीपाली- वाओ अंकल.. आपका घर तो काफ़ी बड़ा है.. कौन-कौन रहता है यहाँ?

बूढ़ा- मेरा नाम सुधीर मोदी है.. चौक पर जो होटल है.. वो मेरा है.. मेरे दो बेटे अमेरिका में हैं उनकी फैमिली भी वहीं रहती है.. यहाँ मैं अकेला हूँ बस…

दीपाली- ओह.. आप अकेले बोर नहीं हो जाते.. आप के बेटे आपको अकेला क्यों छोड़ गए.. आप भी चले जाते उनके साथ वहीं…

सुधीर- नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. यहाँ मुझे अच्छा लगता है.. मेरी पत्नी के मरने के बाद मेरे बेटे मुझे साथ ले जा रहे थे मगर मैं ही नहीं गया.. बस सुबह से शाम तक होटल में वक्त निकल जाता है.. रात को घर पर आराम करता हूँ.. ऐसे ही जिन्दगी चल रही है।

दीपाली- आपके घर का काम कौन करता है.. आप खाना कहाँ खाते हो?

सुधीर- अरे सारी बात यहीं करोगी क्या? चलो अन्दर आ जाओ वहाँ आराम से बात करेंगे।

दोनों अन्दर चले जाते हैं. अन्दर का नजारा देख कर दीपाली चौंक जाती है। हॉल में एक तरफ लकड़ी का बड़ा सा काउंटर लगा था.. उस पर बहुत सी शराब की बोतलें रखी हुई थीं और वहाँ काफ़ी आलीशान सोफे वगैरह रखे थे।

सुधीर- यहाँ बैठो.. मैं कुछ खाने को लाता हूँ।

दीपाली- नहीं.. उसकी कोई जरूरत नहीं है आप यहाँ बैठो.. मुझे आपसे बातें करना अच्छा लग रहा है और कुछ बताओ ना अपने बारे में…। सुधीर- सुबह फ्रेश होकर सीधा होटल जाकर ही नाश्ता करता हूँ। फिर एक औरत शांति आ जाती है.. उसके पास घर की दूसरी चाबी है। वो घर की साफ-सफ़ाई, कपड़े धोना ये सब काम निपटा कर चली जाती है। उसके बाद दोपहर का खाना भी वहीं ख़ाता हूँ शाम को हल्का नाश्ता करके घर आ जाता हूँ..। रात को बस कुछ नमकीन के साथ शराब पीता हूँ और सो जाता हूँ.. यही है मेरी जिन्दगी।

दीपाली- छी: छी:.. आप शराब पीते हो.. कितनी बुरी बात है।

सुधीर- अरे इसमें क्या बुराई है.. ये तो बहुत लोग पीते हैं.. चल जाने दे इन सब बातों को.. जिस काम के लिए तुझे यहाँ लाया हूँ.. वो कर लेते हैं।

दीपाली- क..कौन सा काम.. मुझे जाना होगा.. बहुत देर हो गई है।

दोस्तों उस वक्त तो दीपाली ने शरारत के चक्कर में मलहम लगवाने की बात पर ‘हाँ’ कह दी थी और यहाँ आ गई थी। मगर अब उसको घबराहट होने लगी थी और होनी भी चाहिए उसकी उम्र ही क्या थी अभी…

सुधीर- अरे यहाँ तू मलहम लगवाने आई है ना.. बस लगवा ले और चली जा.. मैं कुछ नहीं करूँगा.. मुझसे ऐसे डर मत..

दीपाली को फिर से विकास की बात याद आ गई कि बूढ़े का लौड़ा खड़ा नहीं होता है और हो भी जाए तो कुछ कर नहीं सकता।

बस दीपाली में थोड़ा हौसला आ गया।

दीपाली- मैं डर नहीं रही हूँ और आपसे किस बात का डर.. आप कर भी क्या सकते हो?

सुधीर- चल सारी बातें जाने दे.. मैं ट्यूब ले आता हूँ फिर तुझे मलहम लगा दूँगा।

बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?

तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..

मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]

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