मेरे लौड़े के ख्वाबों की कुँवारी चूत-2

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Mere Laude ke Khwabon ki Kunwari Choot-2

मैं सिर्फ़ अपने लंड चुसवाने का मज़ा ले रहा था… उसके चूसने की वजह से मैं जल्दी ही झड़ने वाला था।

मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ..

उसने कहा- मेरे मुँह में ही झड़ जाओ…

मैं उसका सिर पकड़ कर ज़ोर से हिलाने लगा…

मेरा लंड उसके गले तक जा चुका था। फिर भी वो बिना किसी शिकायत मेरा लंड चूसे जा रही थी।

मैं जल्द ही उसके मुँह में झड़ गया। वो मेरा सारा माल पी गई… और उसने मेरा लंड भी चाट कर साफ कर दिया।

मेरा लंड थोड़ा ढीला हो गया था… और मैं पसीने-पसीने भी हो गया था। मैंने पास में रखी हुई पानी की बोतल उठाई.. पानी पिया और थोड़ा उसे भी दिया।

उसके बाद पानी की बोतल एक तरफ रख कर मैं लेट गया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया।

उसने भी मुझे अपने गले से कस कर लगा लिया। मैं फिर से उसे चुम्बन करने लग गया… उसके मम्मों को दबाने लगा।

इस बार वो कुछ ज़्यादा ही जोश में थी… उसका ये जोश देख कर मैं भी जोश में आ गया।

उसके मम्मों के साथ निप्पल को काटने लगा.. और मैंने उसके मम्मों को चूस कर लाल-लाल टमाटर की तरह बना दिया।

उसकी सीत्कारों से कमरा गूँज उठा था। फिर हम 69 की अवस्था में आ गए।

मैं उसकी चूत को चाट रहा था और वो मेरे लंड को चूस रही थी… मेरे लंड को चूस कर उसने फिर से फौलाद का बना दिया था।

मुझसे रहा नहीं जा रहा था… और वो भी अपनी चूत चटवाने से इतनी उत्तेजित हो गई थी कि एक बार उसकी चूत ने अपना पानी तक छोड़ दिया था।

उसने कहा- अब और मत तड़पाओ मेरी जान.. मुझे कुछ हो रहा है.. कुछ करो ना जानू…

मैं भी चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार था तो मैं भी चूत को छोड़ कर वापस सीधा हो गया।

फिर मैं अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने पर रख कर रगड़ने लगा.. मैं उसे और तड़फा रहा था।

वो अपनी गाण्ड हिला कर लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने का प्रयास करने लगी।

मैं भी देर ना करते हुए उसकी चूत के द्वार पर अपना लंड रख कर अन्दर घुसाने की कोशिश करने लगा।

लंड बार-बार फिसल रहा था.. तो इस पर मीतू ने मेरा लंड पकड़ के अन्दर घुसेड़ने में मेरी मदद कर दी।

जैसे ही मैंने थोड़ा ज़ोर लगाया कि उसके मुँह पर थोड़ी दर्द की लकीरें साफ दिखाई देने लगीं।

थोड़ा और ज़ोर लगाने पर उसके मुँह से दर्द की ‘आहह..’ निकल गई और वो मुझसे कहने लगी- आज नहीं करते हैं जान.. मुझे दर्द हो रहा है…

मैं अब पूरी तरह से समझ चुका था कि यह कन्या अभी तक चुदी नहीं है। यानि मेरे नसीब में पहली बार में ही कुँवारी चूत लिखी हुई है।

मैंने उसे समझाते हुए कहा- जान पहली बार सेक्स करते वक्त थोड़ा दर्द तो होगा ही.. लेकिन बाद में मज़ा भी बहुत आएगा.. आज मेरे लिए थोड़ा सह जाओ।

तो वो मुझसे लिपट कर कहने लगी- मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगे ना?

मैंने कहा- तुम्हें छोड़ कर मैं ज़िंदा भी नहीं रहूँगा मेरी जान…

तो उसने कहा- मैं तुम से बहुत प्यार करती हूँ..

मैंने भी कहा- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ..

फिर उसने कहा- ठीक है.. मैं तुम्हारे लिए हर दर्द सहन कर लूँगी…

इस बात पर मुझे अपनी मीतू पर बहुत प्यार आ गया और मैं उसे चूमने लगा.. वो भी मेरा साथ देने लगी।

अभी तक मेरा लंड का सुपारा ही अन्दर गया था.. तो मैंने थोड़ा और ज़ोर लगा कर लंड को धक्का मारा…

उसके मुँह से चीख निकल गई… मैंने फिर से उसके होंठों पर अपने होंठों दिए और चूमने लगा.. मेरे होंठों ने उसकी चीख को दबा दिया।

फिर मैंने उसके मम्मों को दबाना चालू रख कर.. उसका ध्यान दूसरी तरफ किया.. और अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा।

थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद मैंने फिर से एक जोरदार झटका मारा… इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया।

झटके की वजह से उसकी चूत से खून निकलने लगा… उसकी कुँवारी चूत अब कुँवारी नहीं रही थी।

इसके साथ ही उसकी आँखों से आँसू भी निकल आए थे… वो दर्द की वजह से मुझसे लिपट कर रोने लगी।

मैं उसे चूमते हुए उसका दर्द कम करने की कोशिश करने लगा..

थोड़ी देर बाद वो जब सामान्य हुई तो उसने कहा- अब करो..

मैं भी धीरे-धीरे अपने लंड को आगे-पीछे हिलाने लगा…

कुछ देर में दर्द की कराह की जगह उसके मुँह से प्यार भरी सिसकारियाँ निकलने लगीं- ऊओह.. ऊऊऊ… आआअहह….. हाँ जान्न… ऐसे ही करो.. और ज़ोर से करो…आहह…” मुझे भी जोश चढ़ गया और मैं दे-दनादन उसको चोदने लगा।

अब कमरे मे सिर्फ़ हम दोनों की सिसकारियां और ‘पकचक.. पकचक..’ कर हमारे चोदने की आवाज़ आने लगीं।

अब तक वो एक बार झड़ चुकी थी।

मुझे अजीब लग रहा था क्योंकि मुझे खुद पता नहीं था कि मैं इतनी देर तक उसको चोद पाऊँगा..

अब तक 20 मिनट से ज्यादा हो चुका था… मीतू अपनी आँखें बंद करके चुदवा रही थी और मेरा नाम पुकार कर कह रही थी- आई लव यू सो मच जानू… मुझे हमेशा तुम ऐसे ही चोदते रहना.. तुमसे जुदा होकर मैं मर ही जाऊँ…

इस पर मैं एक जोरदार धक्का देकर अपना इकरार ज़ाहिर करता था।

हम दोनों एक ही अलग दुनिया में खोए हुए थे और सम्भोग का भरपूर आनन्द ले रहे थे।

अब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपनी जान से पूछा- कहाँ छोडूँ..?

तो उसने कहा- मेरी चूत में ही झड़ जाओ.. मैं तुम्हें महसूस करना चाहती हूँ…

मैंने भी वैसा ही किया.. धक्के लगाते-लगाते उसकी चूत में झड़ गया।

वो भी मेरे साथ में फिर से झड़ गई।

अब मैं निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया… इतनी ठंडी होते हुए ही मैं पसीने से तरबतर हो गया था।

मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही था… मैंने उसको प्यार से चुम्बन किया और जैसे ही लंड को बाहर निकाला तो उसकी चूत से खून और मेरा और उसका माल मिक्स होकर बाहर निकल पड़ा।

खून देख कर वो थोड़ी घबरा गई..

मैंने उसको समझाया कि पहली बार सेक्स करने पर खून निकलता है.. पर बाद में सब कुछ ठीक हो जाता है। उसने मुझे चुम्बन करके अपनी बाँहों में भर लिया।

फिर हम लोग छत के बाथरूम में साथ में जाने लगे.. मीतू से चला नहीं जा रहा था.. तो मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया।

फिर बाथरूम में जाकर अपने लंड और उसकी चूत को धोकर बाहर निकले। फिर हमने अपने कपड़े पहन लिए। नीचे बिछाए कम्बल पर खून के दाग देख कर वो कम्बल उठा कर बाथरूम में धोने चली गई।

उसके बाद फ्री होकर हमने कुछ नाश्ता किया जो कि मैं अपने साथ लाया था।

तब तक सुबह के 5 बजने वाले थे और उसके घर वालों के जागने का भी वक्त हो गया था।

तो मैंने उसको अपनी बाँहों में लेकर एक चुम्बन किया और अलविदा कर भेज दिया।

तो दोस्तो ये थी मेरे पहली चुदाई का अनुभव… इसके बाद में पेशेवर ‘कॉलब्वॉय’ कैसे बन गया.. ये मैं आपको दूसरी कहानी में लिख कर बताऊँगा।

आशा है कि आप लोगों को मेरा यादगार अनुभव अच्छा लगा होगा…

अगली बार फिर मुलाकात होगी एक नए अनुभव के साथ…

आप मुझे मेरे ईमेल के ज़रिए मुझे अपने विचार लिख कर भेज सकते हैं।

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