विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-29

दीपाली अपने कमरे में बैठी पढ़ाई में बिज़ी थी.. मगर उसको बार-बार प्रिया का ख्याल आ रहा था।

अचानक वो उठी और दीपक को फ़ोन लगा दिया।

रिंग बजी सामने से शायद किसी और ने फ़ोन उठाया।

दीपाली ने काट दिया.. ऐसे ही 2 या 3 बार उसने फ़ोन लगाया.. मगर दीपक ना होने के कारण फ़ोन काट दिया।

अब उसका मन नहीं माना तो वो वापस पढ़ने बैठ गई और पढ़ते-पढ़ते उसकी आँख लग गई।

दोस्तो, दीपाली काफ़ी देर बाद हड़बड़ा कर उठी.. शायद उसको कोई सेक्सी सपना आ रहा था क्योंकि उठते ही उसने अपनी चूत पर ऊँगली रखी और बड़बड़ाने लगी।

दीपाली- शिट.. ये तो सपना था मगर था अच्छा.. कैसे चूत पानी-पानी हो गई.. आज तो सर से खूब चुदवाऊँगी बहुत मन हो रहा है.. ओह्ह.. वक्त भी होने वाला है.. ऐसा करती हूँ तैयार हो जाती हूँ।

दीपाली बाथरूम गई और फ्रेश होकर बाहर आई.. कपड़े चेंज करने ही वाली थी कि फ़ोन की घन्टी बजने लगी.. जब काफ़ी देर तक किसी ने नहीं उठाया तो वो बाहर गई और फ़ोन उठाया।

दीपाली- हैलो…

अनुजा- हैलो दीपाली.. मैं अनुजा बोल रही हूँ.. अच्छा किया तूने फ़ोन उठा लिया.. यार आज पढ़ने मत आना विकास की फैमिली आई हुई है.. आज कुछ नहीं हो पाएगा।

दीपाली- उह्ह.. दीदी अपने तो सारा मूड ही खराब कर दिया.. आज बड़ा मन था मेरा…

अनुजा- अरे तो बूढ़ा किस दिन काम आएगा.. आज उसके पास चली जा..

दीपाली- कहाँ दीदी.. आज वो भी नहीं है.. दूसरे शहर किसी काम से गया है।

अनुजा- तो मेरी जान मैंने जो आइडिया बताया था.. आज वो ही आजमा ले शायद तेरी परेशानी भी ख़त्म हो जाएगी और चूत को आराम भी मिल जाएगा।

दीपाली- आप सही बोल रही हो.. मैं स्कूल से आई तब से ट्राइ कर रही हूँ मगर वो फ़ोन पर आ ही नहीं रहा.. कोई और ही उठा रहा है।

अनुजा- ट्राई करती रह.. ऐसा कर अब लगा… शायद काम बन जाए।

दीपाली- ठीक है.. दीदी करती हूँ ओके बाय.. रखती हूँ.. अब कल ही बताऊँगी। पहले उसको फ़ोन तो कर लूँ।

अनुजा- ओके मेरी बहना.. बाय.. बेस्ट ऑफ फक हा हा हा हा…

दीपाली भी हँसने लगी और फ़ोन रख दिया। वो फ़ौरन अपने बैग के पास गई.. प्रिया ने जो नम्बर दिया था उसको देखा और उसको फ़ोन लगा दिया।

दीपाली की किस्मत अच्छी थी.. अबकी बार सामने से दीपक ने ही फ़ोन उठाया।

दीपाली- हाय दीपक.. कैसे हो.. क्या कर रहे हो…?

दीपक- मैं ठीक हूँ.. तुम कौन बोल रही हो…?

दीपाली- मैं दीपाली बोल रही हूँ।

दीपक- ओह्ह.. हाय दीपाली.. अच्छा हूँ यार.. मुझे यकीन नहीं हो रहा तुमने फ़ोन किया।

दीपाली- ओके ओके.. ठीक है ये बताओ क्या कर रहे हो.. फ्री हो क्या अभी…?

दीपक- अरे यार एकदम फ्री हूँ और अगर नहीं भी होता तो तुम्हारे लिए सब काम छोड़ कर फ्री हो जाता.. कहो क्या बात है?

दीपाली- मेरा घर जानते हो ना..?

दीपक- हाँ जानता हूँ।

बस उसी रास्ते पर एक बीएसएनएल का बड़ा सा बोर्ड लगा है.. उसके पास एक गली जा रही है.. तुम उस गली में अभी आ जाओ.. एक बहुत जरूरी बात करनी है।

दीपक की तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।

दीपक- मैं अभी आया बस 10 मिनट लगेंगे।

दीपाली- और हाँ प्लीज़ अकेले ही आना.. अपने दोस्तों को साथ मत ले आना और उनको बिल्कुल भी मत बताना कि मैंने फ़ोन किया.. बहुत जरूरी बात है सिर्फ़ तुमको बतानी है.. प्लीज़ उनको बिल्कुल मत बताना।

दीपक- ठीक है.. मैं अकेला आ रहा हूँ.. बस अभी निकलता हूँ।

फ़ोन रखने के बाद दीपाली ने एक फोन और किया और फिर अपने कपड़ों में से क्या पहनूं ये सोचने लगी और आख़िर उसे एक ड्रेस पसन्द आई.. झट से उसको पहनने के लिए उठा लिया।

दीपक जल्दी से तैयार हुआ.. खूब सारा परफ्यूम लगा कर वो घर से निकल गया।

इधर दीपाली भी तैयार हो गई थी मगर वो अपने कमरे में बैठकर घड़ी की ओर देख रही थी।

कुछ देर बाद दीपाली ने अपने आप से बात की।

दीपाली- दस मिनट हो गए.. अब तक तो वो आ गया होगा.. अब मुझे भी निकलना चाहिए।

दीपाली अपनी मॉम को बाय बोलकर निकल गई।

दोस्तों आपको बताना भूल गई आज दीपाली ने पारदर्शी एकदम पतली सी ब्लॅक टी-शर्ट और उस पर सफ़ेद जैकेट पहना था.. जो बड़ा ही फैंसी था.. और नीचे एक गुलाबी शार्ट स्कर्ट पहना.. उसकी जांघें साफ दिख रही थीं। इस ड्रेस में कोई अगर उसको देख ले तो उस पर चोदने का जुनून सवार हो जाए।

आजकल तो वैसे ही लोगों की सोच लड़की के लिए गंदी ही होती है.. अब दीपाली ने इतना सेक्सी ड्रेस पहन लिया तो ना जाने आज रास्ते में क्या क़यामत आने वाली है।

दीपाली घर से निकल गई और जल्दी ही उस गली के मोड़ पर पहुँच गई.. दीपक वहाँ खड़ा उसका ही इन्तजार कर रहा था।

जैसे ही उसकी नज़र दीपाली पर गई उसकी आँखें बाहर को निकल आईं और लौड़ा पैन्ट में तंबू बनाने लगा।

क्योंकि दीपाली उसकी तरफ बड़े ही सेक्सी अंदाज में आ रही थी। उसके चूचे उसकी चाल के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे.. उसकी चिकनी जांघें दीपक को पागल बना रही थीं।

दीपाली उसके एकदम करीब आकर खड़ी हो गई।

वो पागलों की तरह बस उसको देखे जा रहा था।

दीपाली- हैलो किस सोच में डूबे हो?

दीपक- क्क्क..कुछ भी नहीं.. तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो आ…आज तक तुमको बस स्कूल ड्रेस में देखा.. आज तो एकदम प्प….

वो आगे कुछ बोलता.. दीपाली ने अपनी आँखें बड़ी कर लीं और थोड़ा सा गुस्से का इज़हार किया।

दीपक- ओह.. क..क्या कहना चाहती थी तुम.. जो मुझे यहाँ बुलाया…?

दीपाली- देखो बात बहुत जरूरी है.. मैं यहाँ नहीं बता सकती।

दीपक- त..तो कहाँ चलें…?

दीपाली- देखो मेरे पास एक सेफ जगह है.. जहाँ बात हो सकती है.. मैं चलती हूँ.. मुझ से दूरी बना कर पीछे चलो.. किसी को जरा भी शक ना हो कि हम साथ जा रहे हैं।

दीपक ने ‘हाँ’ में सर हिला दिया और दीपाली के पीछे चलने लगा।

जब दीपाली चल रही थी.. उन कपड़ों में उसकी गाण्ड कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लग रही थी। बेचारा दीपक तो पागल हुआ जा रहा था। उसका लौड़ा आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था.. वासना उसके दिमाग़ में चढ़ गई.. एक अजीब सा नशा उस पर सवार हो गया।

आज उसने मन में ठान लिया कि अगर मौका मिला.. तो आज दीपाली को ज़बरदस्ती ही सही.. चोद कर ही दम लेगा।

दीपाली चलती रही और दीपक किसी कठपुतली की तरह उसके पीछे चलता रहा।

कुछ देर बाद सुधीर के घर के पास जाकर दीपाली ने जल्दी से दरवाजा खोला और अन्दर चली गई।

दीपक को भी इशारे से जल्दी अन्दर आने को कहा.. दीपाली बाहर दोनों तरफ गौर से देख रही थी कि कहीं कोई उनको देख ना ले।

दीपक जल्दी से अन्दर आ गया और उसके चेहरे पर अचरज के भाव थे।

बहुत से सवाल एक साथ उसके दिमाग़ में आ गए.. मगर वो कुछ बोलता उसके पहले दीपाली ने उसे सोफे पर बैठने को बोल दिया और खुद उसके सामने वाले सोफे पर पर पैर चढ़ा कर इस तरह बैठ गई कि दीपक जरा सा नीचे झाँके तो उसकी पैन्टी दिख जाए।

दीपक- ये किसका घर है और वो कौन सी जरूरी बात के लिए मुझे यहाँ बुलाई हो?

दीपाली कुछ नहीं बोली.. बस हल्की सी मुस्कान देती रही और अपनी टांग को हिलाती रही.. जिससे दीपक का ध्यान उस पर जाए और जो वो दिखाना चाहती थी.. उसको दिख जाए… और हुआ भी वही.. दीपक की नज़र उसकी जाँघों के बीच चली गई..

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जहाँ से गोरी-गोरी जाँघों के बीच दीपाली की काली पैन्टी जो बड़ी ही सेक्सी थी उसकी झलक दिख गई..

उस बेचारे का तो पहले ही हाल बुरा था.. अब तो पैन्ट में लौड़ा कसमसाने लगा.. उसका हलक सूख गया।

दीपक- यार क..कुछ तो बोलो.. ऐसे चुप रहोगी तो कैसे पता चलेगा?

दीपाली- मैं भी उसी का इन्तजार कर रही हूँ आख़िर क्या बात है बोलो?

दीपक एकदम चौंक गया क्योंकि बात करने दीपाली ने उसे बुलाया था.. अब उसको क्या पूछ रही है?

दीपक- त..तुम ये क्या कह रही हो त.. तुमने मुझे यहाँ ब्ब..बुलाया है.. बात तुम बताओ…

दीपाली- अरे इतना घबरा क्यों रहे हो.. कूल यार.. मेरे कहने का मतलब है कि तुम तीनों मेरे करीब आने की कोशिश कर रहे हो.. खास मेरे लिए मैडी होटल में पार्टी दे रहा है.. इन सब के पीछे तुम लोगों का कुछ तो मकसद होगा.. बस वो ही जानना चाहती हूँ?

दीपक के पसीने निकल गए.. हमेशा चुपचाप रहने वाली लड़की आज इतनी सेक्सी ड्रेस पहन कर आई है.. वो भी एक ऐसी जगह.. जहाँ कोई नहीं है और बातें इतनी गहराई की कर रही है। वो चौंक सा गया कि अब क्या जबाव दे..

बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ ..?

तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..

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