गाँव की नेहा की चूत से नेह-5

Gaanv Ki Neha Ki Choot Se Neh-5

दोस्तों में अपनी कहानी की अगली कड़ी आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हु।

मैं उसकी चूत और गांड दोनों को चाट रहा था और उसके चूचों को भी मसल रहा था, उसकी चूत से लगातार पानी बह रहा था जिसे मैं चाट रहा था।

अब मैंने एक हाथ उसके चूचे से हटाकर एक ऊँगली उसकी गांड में डाल दी।

नेहा के मुख से ‘ऊऊम्मम्मह्ह्ह्ह् ऊऊम्मम्मह्ह्ह्ह् ! की आवाज़ आ रही थी।

मैंने नेहा को घोड़ी बनने को कहा तो वो उठी और घोड़ी बन गई।

नेहा मुझ से बोली- जान धीरे से करना, कल बहुत दर्द हुआ था।

मैं बोला- ठीक है, आज पीछे से करूँगा, थोड़ा दर्द होगा, पर सह लेना… बाद में कल से भी ज्यादा मज़ा आएगा।

ओर अब आगे..

वो बोली गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है, मुझे मेरी सहेली ने बताया था।

मैंने कहा- मैं धीरे से करूँगा।

मैंने अपनी ऊँगली पर खूब सारी वैसलीन ली, और उसकी गाँड में अंदर तक अच्छी तरह से लगा दी। थोड़ी अपने लंड पर भी लगा ली।

जैसे ही मैं धक्का लगाने की कोशिश करता, वैसे ही नेहा आगे को हो जाती, कितनी ही बार ऐसा हुआ।

फिर मैंने उसे बेड से नीचे उतार कर झुकने को कहा, वो झुक गई।

मैंने उसे कस के पकड़ लिया और लण्ड का सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर सही तरह टिका कर जोर से दबाया, जैसे ही मेरा सुपाड़ा अंदर गया, नेहा चीख पड़ी- आआआआईईई ‘मेरी गांड फट गई, छोड़ दो मुझे, मुझे नहीं मरवानी गांड !

मैं उसके ऊपर झुक गया और उसकी कमर गर्दन और कान को चूमने लग गया।

थोड़ी देर में नेहा का दर्द कम हो गया और इसी बात का फायदा उठाते हुए मैंने एक धक्का जड़ दिया।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

अबकी बार मेरा लण्ड आधे से ज्यादा उसकी गांड में उतर गया, नेहा रो पड़ी और वो रोते हुए कह रही थी- छोड़ दो प्लीज, मुझे छोड़ दो!

तभी मैं बोला- बस हो गया, अब नहीं होगा दर्द !

मैं उसे लगातार किस किये जा रहा था और उसकी चूची दबा रहा था।

जब नेहा रो रही थी तो मैं यह सोच कर बड़ा खुश था कि मेरे लण्ड में इतना दम है।

फिर मैंने उसे बातों में लगाये रखा और अपना लन्ड धीरे धीरे उसकी गांड में सरकाता रहा।

जब मेरा लंड उसकी गांड में जड़ तक पहुँच गया गया, तब मैं कुछ देर रुका।

उधर नेहा की आँखों से आँसू लगातार टपक रहे थे, कुछ देर में उसका दर्द कम हो चला था।

अब मैंने अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरु कर दिया।

शायद अब उसे भी मज़ा आने लगा था और उसने अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी थी।

उसे दर्द तो अब भी हो रहा था पर अब उसके मुख से हल्की ‘आआआह्ह्ह आआह्ह्ह्ह ‘की आवाज़ भी निकलने लगी थी और मैंने अब अपने धक्कों की रफ़्तार कुछ बढ़ा दी थी।

और कुछ ही देर में नेहा का दर्द बिल्कुल गायब हो गया, वो कूल्हे उठा कर मेरा साथ देने लगी।

अब उसके मुख से निकलने वाली आवाज़ें तेज़ होने लगी थी, वो कह रही थी- फाड़ दे मेरी गांड को साले ! और जोर से कर, और जोर से, !

अब मैं भी पूरी ताक़त से धक्के मार रहा था पर नेहा ने तो एक बात रट ही ली थी- और जोर से… और जोर से!

अब मैं थक चुका था तो मैं बेड पर लेट गया और उसे अपने ऊपर आने को कहा।

वो मेरे ऊपर आकर मेरे लंड पर बैठकर अपनी कमर उचकाने लगी।

अब मैंने उसके दोनों चूचों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया।

नेहा तो मानो सातवें आसमां पर थी और उसकी मादक आवाज़ें निकल रही थी- आआःह हआआ उम्म्म उम्म्म ऊओह्ह्हू !!

उसने भी मेरे ऊपर चुम्बन की बौछार कर दी थी।

अब मेरा वीर्य निकलने वाला ही था इसलिए अब मैं नेहा के ऊपर आ गया।

मैंने अपना लण्ड उसकी गांड से निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया।

उसकी चूत इतनी गीली हो गई थी कि एक ही बार में मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उसकी चूत में फच्च से चला गया और फिर में धक्के लगाता रहा।

अब कमरे में ‘फच्च फच्च’ की आवाज़ें गूंजने लगी थी और नेहा भी अपनी मोहक आवाजों के साथ मेरा पूरा साथ दे रही थी।

तभी मेरा लण्ड उसकी चूत में एकदम फूल गया, मेरे शरीर में खिंचाव के साथ मेरे लण्ड ने उसकी चूत में वीर्य की बौछार करनी शुरु कर दी।

इसी के साथ नेहा की भी चीख निकल पड़ी और उसका शरीर भी एकदम अकड़ गया। वो मुझ से इस तरह से चिपक गई जैसे चमगादड़ दीवार पर चिपक जाती है।

हम दोनों एक साथ ही झड़ गए और मैं नेहा के ऊपर कुछ देर तक ऐसे ही पड़ा रहा।

फिर मैंने नेहा की चूत से अपना लण्ड निकाल लिया, नेहा मेरे लण्ड को चूसने लग गई और मेरे लण्ड पर लगा सारा कामरस अच्छी तरह से साफ़ कर दिया और अपनी चूत भी साफ़ कर ली।

और मैंने उसकी गांड पर लगा खून भी साफ़ कर दिया।

नेहा को खड़ा होने में भी दिक्कत हो रही थी, मैंने ही उसे सहारा देकर खड़ा किया फिर मैंने उसकी गाण्ड, जो सूज गई थी, पर बोरोलीन लगाई और उसे एक दर्दनिवारक की गोली देकर उसके कमरे तक उसे छोड़ कर आ गया।

अपने कमरे में आकर मैंने अपना लण्ड देखा जो छिल गया था, मैंने उस पर भी बोरोलीन लगाई और सो गया।

उसके बाद हमारी चुदाई का कार्यक्रम लगभग रोज़ चलने लगा और करीब एक साल तक हमने खूब जमकर चुदाई की जिसकी वजह से हमारी हर रात को सुहागरात मनती थी।

उसके बाद नेहा की शादी हो गई।

नेहा मेरे साथ फ़ोन पर अब भी बातें करती है, कहती है- चुदाई को जो सुख मेरी जान तूने मुझे दिया, उसे दुनिया का कोई भी मर्द मुझे नहीं दे सकता।

अब नेहा के एक 3 साल का लड़का और 1 साल की लड़की भी है, और जब भी वो गाँव में आती है तो मैं भी गाँव में चला जाता हूँ! आज भी अगर हमें चुदाई करने का मौका मिलता है तो हम चूकते नहीं हैं।

तो दोस्तो, यह थी मेरी सच्ची कहानी, आपको कैसी लगी और आपने इसका कितना लुत्फ़ उठाया! मुझे जरूर बताईयेगा। कभी अपनी कोई दूसरी कहानी को आपके समक्ष प्रस्तुत करूँगा! तब तक के लिए अपने इस दोस्त को दें इज़ाज़त ! नमस्कार। आप मुझे मेल कर सकते हैं। और फेसबुक पर भी मिल सकते हैं।