विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-38

दीपाली देर तक सोती रही क्योंकि आज स्कूल तो था नहीं और कल की चुदाई से उसका बदन दुख रहा था।

करीब 9 बजे उसकी मम्मी ने उसे बाहर से आवाज़ लगाई- अब बहुत देर हो गई.. उठ जाओ पढ़ाई नहीं करनी क्या?

दीपाली अंगड़ाई लेती हुई बोली- कल शाम को तो इतनी जबरदस्त चुदाई की थी.. अब दोबारा आप चुदाई करने को कह रही हो।

सुशीला- अरे क्या बड़बड़ा रही है.. उठ कर बाहर आजा…

मम्मी की आवाज़ सुनकर दीपाली को अहसास हुआ कि उसने ये क्या बोल दिया.. ये तो अच्छा हुआ मम्मी ने नहीं सुना वरना आज तो उसकी शामत आ जाती।

दीपाली- हाँ मम्मी आ रही हूँ.. बस 2 मिनट रूको।

दीपाली ने दिल पर हाथ रखा वो थोड़ा डर गई थी। उसके बाद वो फ्रेश होने चली गई।

दोस्तो, जब तक यह फ्रेश होती है.. चलो विकास और अनुजा के पास चलते हैं, देखते हैं वहाँ क्या खिकड़ी पक रही है।

अनुजा- क्या बात है मेरे राजा आज तो नहाने में बड़ी देर लगा दी.. अन्दर ऐसा क्या कर रहे थे? कहीं दीपाली के नाम की मुठ तो नहीं मार रहे थे ना हा हा हा हा हा…

विकास- अरे मुठ मारें मेरे दुश्मन.. मैं तो आज उसकी चूत मारूँगा.. नहाने में समय इसलिए ज्यादा लग गया क्योंकि आज लौड़े की सफ़ाई कर रहा था.. यार आज रविवार है तो शाम तक तुम दोनों की चूत और गाण्ड को मज़े से चोदूँगा।

अनुजा- ओये होये.. क्या बात है मेरे लिए तो नहीं किया था चिकना.. रात को ऐसे ही मेरी ठुकाई कर दी.. अब मेरा ख्याल तो आप दिल से निकाल ही दो.. रात को क्या कम चोदा है जो अब दोबारा मेरी हालत खराब करना चाहते हो।

विकास- अरे जानेमन रात को तो मैंने गोली ले ली थी.. ताकि पूरी रात तुम्हें चोद कर खुश कर दूँ.. वैसे बुरा मत मानना मैंने इसलिए चोदा ताकि आज पूरा दिन बस दीपाली के मज़े ले सकूँ।

अनुजा- अच्छा जी मेरी बिल्ली मुझ ही से मियाऊँ.. कोई बात नहीं जाओ आपको पूरी आज़ादी है… जितना मर्ज़ी उसको चोद लेना मुझे मेरी एक सहेली के घर जाना है.. उसकी बड़े दिनों से याद आ रही है.. आज रविवार है तो आराम से पूरा दिन हम बात कर लेंगे। आप यहाँ मज़े करना।

विकास- अरे कौन सी सहेली? हमसे भी मिलवाओ कभी.. और सिर्फ बात ही करोगी या कुछ और करने का इरादा है?

अनुजा- बस विकास आप कुछ ज़्यादा ही फास्ट हो रहे हो.. मैंने दीपाली को तुमसे चुदवा दिया.. इसका मतलब यह नहीं.. तुम अब किसी के बारे में भी कुछ भी बोल दोगे।

अनुजा की आँखों में गुस्सा साफ नज़र आ रहा था।

विकास- अरे सॉरी यार.. तुम तो बुरा मान गई.. मैंने बस ऐसे ही मजाक में कहा था।

अनुजा- नहीं विकास ऐसा मजाक दोबारा मत करना.. मैंने दीपाली के लिए ये सोच कर ‘हाँ’ कही थी कि दोनों का भला हो जाएगा.. उसको ज्ञान मिल जाएगा और आपको कुँवारी चूत.. मगर इसके अलावा आप किसी के बारे में सोचना भी मत।

विकास- ओके मेरी जान.. सॉरी.. अब मूड ठीक करो और नास्ता ले आओ बड़े जोरों की भूख लगी है।

दोस्तो, यहाँ तो कुछ खास नहीं हो रहा चलो प्रिया के पास चलते हैं।

कल शाम की चुदाई के बाद रात को दीपक किसी बहाने से प्रिया के घर गया और उसे दवा और मलहम दे गया।

उसकी चूत सूज गई थी आज सुबह वो भी देर से उठी थी। अभी नहा कर निकली ही थी कि उसके घर दीपक आ गया।

प्रिया- अरे दीपक भाई आप.. आओ आओ बैठो…

तभी अन्दर से उसके पापा आ गए उन्होंने दीपक का हाल पूछा वो शायद कहीं जाने के लिए जल्दी में थे तो प्रिया को बोल गए- भाई को चाय दो.. तुम्हारी माँ मंदिर गई हैं मुझे भी जरूरी काम से जाना है।

दीपक ने भी उनको जाने को कहा और खुद सोफे पर बैठ गया।

प्रिया- हाँ भाई.. कहो क्या पीओगे चाय या कॉफी?

दीपक- मन तो मेरा.. दूध पीने का कर रहा है।

प्रिया- अच्छा क्या बात है.. शराब से सीधे दूध पर आ गए.. अभी लाती हूँ..

दीपक- अरे बहना जाती कहाँ है.. गाय या बकरी का नहीं.. तेरा दूध पीना है मुझे.. आजा अभी तो कोई नहीं है पिला दे अपना दूध..

प्रिया- धत.. आप बड़े बेशर्म हो.. कुछ भी बोल देते हो.. मेरे पास कहाँ दूध है.. अभी तो मैं खुद बच्ची हूँ.. जब बच्चे हो जाएँगे.. तब दूध आएगा।

दीपक- अरे वाह.. क्या बात है बच्चे की बात कर रही हो.. क्या इरादा है तेरा?

प्रिया- मेरा इरादा तो कुछ नहीं है.. आप सुबह-सुबह कैसे आ गए?

दीपक- मेरी जान आज रविवार है.. कल की चुदाई भूल गई क्या.. चल लगा फ़ोन दीपाली को और वहीं बुला ले.. आज पूरा दिन तीनों वहाँ मज़े करेंगे।

प्रिया- पूरा दिन… मगर मैं मम्मी को क्या कहूँगी?

दीपक- अरे कह देना.. सहेली के घर इम्तिहान की तैयारी करने जा रही हो.. सिंपल यार…

प्रिया- आइडिया तो अच्छा है.. मगर आज मैं नहीं चुदवा पाऊँगी कल की चुदाई से मेरी चूत सूज गई है.. दर्द भी बहुत हो रहा है.. अगर आज दोबारा चुदवाया तो बीमार हो जाऊँगी इम्तिहान भी सर पर आ गए हैं।

दीपक- अरे यार पहली बार दर्द होता है.. अब नहीं होगा और मज़ा ज़्यादा आएगा, तेरी गाण्ड भी तो अभी मारनी बाकी है।

प्रिया- ना बाबा ना.. गाण्ड तो इम्तिहान के बाद ही मरवाऊँगी.. कहीं सूज गई तो पेपर के लिए 3 घंटे बैठना पड़ता है.. मुश्किल हो जाएगी।

दीपक- अच्छा मत चुदवाना.. मगर दीपाली को तो बुला ले.. यार तू देख कर ही मज़ा ले लेना लौड़े से नहीं तो चूस कर ही तेरा पानी निकाल दूँगा.. प्लीज़ यार उसके लिए कब से तड़फ रहा हूँ.. तू अच्छी तरह जानती है ना..

प्रिया- आपकी बात सही है मगर शायद आप भूल गए दीपाली ने कहा था.. उस घर का मलिक रात को आ जाएगा.. अब तक तो वो आ गया होगा।

दीपक- नहीं ऐसा कुछ नहीं है.. वो घर बन्द पड़ा है उसकी चाभी किसी तरह दीपाली के हाथ लग गई होगी। वहाँ कोई नहीं आने वाला उसने झूठ कहा था.. मुझे पता है। तू उसको फ़ोन तो कर..

प्रिया- अच्छा भाई करती हूँ.. आप बैठो तो सही।

प्रिया ने जब फ़ोन लगाया तो दीपाली ने ही उठाया।

दीपाली- हाँ.. बोल प्रिया कैसी है तू? कल तेरे को मज़ा आया कि नहीं?

प्रिया- अरे बहुत आया.. मिलकर बताऊँगी यार कल वाले घर में आ जा.. दीपक भी यहीं है.. साथ में मज़ा करेंगे..

दीपाली- अरे नहीं वहाँ आज नहीं जा सकते.. वो रात को आ गया.. यार ऐसा कर दोपहर को मैं तुझे फ़ोन करके कोई दूसरी जगह बताऊँगी.. जहाँ हम मज़े कर सकते हैं और अभी तो वैसे भी मुझे बहुत जरूरी काम है यार..दोपहर को फ्री होकर बात करती हूँ ओके बाय..

प्रिया कुछ और बोलती उसके पहले दीपाली ने फ़ोन काट दिया।

दीपक- क्या हुआ.. क्या बोली वो?

प्रिया- उसने कहा कि वहाँ वो आदमी रात को आ गया है दोपहर को किसी दूसरी जगह के बारे में बताएगी।

दीपक- ऐसा कहा उसने और दूसरी जगह कहाँ से लाएगी प्रिया.. ये दीपाली जितनी सीधी दिखती है.. उतनी है नहीं.. क्या पता किस-किस से चुदवाती फिरती है.. तभी तो दूसरी जगह की बात कर रही थी।

प्रिया- होगा जो भी.. अब दोपहर तक इन्तजार करो.. फिर उससे ही पूछ लेना।

दीपक- तू पागल है क्या.. कल पहली बार चूत के दर्शन हुए और आज तू इन्तजार की बात कर रही है.. उसको गोली मार.. चल आजा तू ही मेरी प्यास बुझा दे.. लौड़े को देख.. चूत के लिए कैसे अकड़ा हुआ खड़ा है।

प्रिया- भाई आप पागल हो गए क्या? माँ किसी भी वक़्त आ सकती हैं।

दीपक ने दरवाजा बन्द किया और अपना लौड़ा पैन्ट से बाहर निकल लिया.. जो वाकयी में फुंफकार रहा था।

प्रिया- ओह.. भाई आप क्या कर रहे हो.. इसे जल्दी से पैन्ट के अन्दर डालो.. कोई देख लेगा तो आफ़त आ जाएगी।

दीपक- चुप करो.. इतना वक्त बातों में खराब कर रही है चूत नहीं तो मुँह से चूस कर ही मज़ा दे दे.. दरवाजा बन्द है आंटी आ भी गई तो जल्दी से अन्दर डाल लूँगा.. चल जल्दी आ…

प्रिया ने मौके की नज़ाकत को समझा और जल्दी से नीचे बैठ कर उसके लौड़ा को मुँह में भर लिया और चूसने लगी।

दीपक- आह्ह.. मज़ा आ गया.. साली ओफ्फ क्या मस्त चूसती है तू.. पहले पता होता तो इतने साल तड़पना नहीं पड़ता.. चूस आह्ह.. मज़ा आ रहा है।

प्रिया लौड़े को होंठ से दबा कर चूस रही थी और पूरा जड़ तक अन्दर ले लेती.. फिर पूरा बाहर निकाल देती… बस इसी तरह वो चूसती रही। दीपक को चूत चुदाई जैसा मज़ा आ रहा था। वो अब प्रिया के सर को पकड़ कर दे-दनादन उसके मुँह को चोदने लगा।

प्रिया का मुँह दुखने लगा था.. मगर दीपक तो बस लौड़ा पेले जा रहा था।

प्रिया ने बड़ी मुश्किल से लौड़ा मुँह से निकाला और एक लंबी सांस ली।

दीपक- अरे मज़ा आ रहा था निकाल क्यों दिया.. मेरा पानी निकलने ही वाला था.. ओफ्फ जल्दी से चूस ना…

प्रिया- हाँ चूसती हूँ.. जरा सांस तो लेने दो.. कब से चूस रही हूँ.. आपका लौड़ा पानी छोड़ता ही नहीं.. इसमें बहुत दम है।

दीपक- अब बातें बन्द कर आह्ह.. चूस.. ओफ्फ मज़ा आ गया आह्ह.. ऐसे ही हाँ आह्ह.. ऐइ ज़ोर-ज़ोर से चूस आह्ह.. ओफ्फ सस्स हूओ उई..

दीपक का लौड़ा फूलने लगा और उसी पल दीपाली ने लौड़ा टोपी तक बाहर निकाल दिया यानि बस सुपारा अन्दर रखा.. उसमें से गर्म-गर्म लावा निकला, जिसे उसने अपनी जीभ पर लेकर पूरा बाहर निकाला फिर गटक गई।

दीपक- वाह.. बहना तू बड़ी कमाल की रण्डी है.. क्या मज़ा दिया मुझे.. अब से रोज तेरे पास आऊँगा.. मौका मिला तो तेरी चुदाई करूँगा.. नहीं तो तेरा मुँह चोदूँगा.. बड़ा मस्त चूसती है तू तो।

प्रिया- भाई अब आप निकल लो.. माँ आती होगी.. आपको देखेगी तो 10 तरह के सवाल करेगी.. दोपहर तक दीपाली कुछ ना कुछ जुगाड़ कर ही लेगी.. उसके बाद मैं आपको बता दूँगी.. आप बस घर पर ही रहना।

दीपक- ठीक है मेरी जान.. अभी तो जा रहा हूँ मगर दोपहर तक कुछ ना हुआ ना.. तो देख लेना मुझे चूत चाहिए बस…

बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ? तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..

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