विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-37

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भिखारी- मेरी जान.. अब संभाल लेना.. मेरा हरफनमौला अब तेरी नन्ही सी चूत में जाने वाला है।

दीपाली- आह डाल दो.. अब तो चूत का हाल से बेहाल हो गया है.. अब तो बिना लौड़े के इसको सुकून नहीं आएगा।

भिखारी ने अपना सुपारा चूत पर टिकाया.. ऊँगली से टटोल कर चूत की फाँक को थोड़ा खोला और धीरे से लौड़ा आगे सरका दिया।

दीपाली- आहह.. आपका लौड़ा बहुत मोटा है.. उई टोपा घुसते ही चूत फ़ैल सी गई है.. उई आराम से डालना अन्दर.. आहह.. कहीं आपके बम्बू से मेरी चूत फट ना जाए..

भिखारी- डर मत मेरी जान.. तेरी जैसी लड़की तो नसीब से चोदने को मिलती है.. तुझे तकलीफ़ दूँगा तो कामदेव नाराज़ नहीं हो जाएँगे मुझसे.. तू बस थोड़ा दर्द सहन कर ले.. मैं आराम से लौड़ा घुसा रहा हूँ।

भिखारी ने धीरे-धीरे लौड़े को आगे धकेलना शुरू कर दिया।

वैसे तो दीपाली ने विकास का लंबा लौड़ा चूत में लिया हुआ था मगर ये लौड़ा कुछ ज़्यादा ही मोटा था.. तो उसकी चीख निकल गई.. मगर वो बस आनन्द के मारे आँखें मींचे पड़ी रही।

दीपाली- आहह.. ससस्स उह.. डाल दो आहह.. आपके लौड़े में आहह.. इतनी गर्मी है उफ.. चूत की आग और भड़क गई.. आहह.. पूरा डाल दो.. एक ही साथ.. अब बर्दास्त नहीं होता।

भिखारी ने आधा लौड़ा घुसा दिया था.. दीपाली की बात सुनकर उसने कमर को पीछे किया और तेज झटका मारा।

‘फच्च’ की आवाज़ के साथ 9″ का लौड़ा चूत में समा गया।

दीपाली- ईएयाया उऊ.. माँ मर गई रे.. आहह.. तुम आदमी हो या घोड़े.. आहह.. कितना बड़ा लौड़ा है.. लगता है तुमने चूत में गड्डा खोद दिया आहह.. कितना दर्द हो रहा है.. अऐईइ.. मगर ऐसा मोटा तगड़ा लौड़ा जब अन्दर गया.. तो मज़ा भी आ गया…

भिखारी- उफ़फ्फ़ जान तेरी चूत तो बहुत टाइट है.. लौड़ा अन्दर फँस सा गया है.. तू सच में बच्चों से ही चुदवाती होगी.. आहह.. अब ले संभाल मेरे वार अब बर्दाश्त नहीं होता.. कब से लौड़ा फुंफकार मार रहा है।

भिखारी ने अब झटके मारना शुरू कर दिए और ‘दे.. घपाघप’ लौड़ा पेलने लगा।

दीपाली को दर्द तो हो रहा था मगर वो उसको ज़ोर-ज़ोर से चोदने को बोल कर उकसा रही थी।

उसकी आँखों में आँसू आ गए मगर वासना उन आँसुओं पर भारी थी। वो गाण्ड को उछाल-उछाल कर उसका साथ देने लगी।

भिखारी उसको चोदने के साथ-साथ उसके निप्पल भी चूस रहा था।

करीब 20 मिनट की चूत फाड़ चुदाई के बाद दीपाली का बाँध टूट गया और वो झटके खाने लगी। उसकी चूत से रस निकलने लगा। जिसका अहसास भिखारी ने लौड़े पर महसूस किया और झटके मारना बन्द कर दिए।

जब दीपाली शान्त हुई तो वो दोबारा शुरू हो गया।

दीपाली- आहह.. उई मेरी चूत दो बार ठंडी हो गई.. आहह.. मगर तुम्हारा लौड़ा झड़ने का नाम भी नहीं ले रहा.. जब से मैंने झांटें साफ कीं.. तब से अकड़ा हुआ है।

भिखारी- अभी कहाँ बेबी.. आह आह.. कई दिनों बाद चूत मिली है आज तो पूरा मज़ा लूँगा.. मेरा इतनी जल्दी नहीं झड़ता.. उस पड़ोसन भाभी को मैं चोदता था ना.. तो उसकी हालत खराब करके ही झड़ता था.. आहह.. उफ तेरी चूत बहुत टाइट है.. मज़ा आ रहा है उह उह।

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दीपाली- मेरी चूत में जलन होने लगी। दो मिनट का तो आराम दो आहह.. आई.. मैं मुँह से मज़ा दे देती हूँ आहह.. निकाल लो ना.. आहह.. आई.. एक बार…

भिखारी को उस पर रहम आ गया और एक झटके से लौड़ा चूत से बाहर खींच लिया।

‘सर्ररर’ की आवाज़ के साथ लौड़ा बाहर आ गया.. जैसे किसी ने म्यान से तलवार निकाली हो।

दीपाली बैठ गई और लौड़े को चूसने लगी.. उसको अब राहत मिली और लौड़ा अब भी लोहे की रॉड जैसा तना हुआ था.. जिसे उसको चूसने में अलग ही मज़ा आ रहा था।

पाँच मिनट तक वो लौड़ा चूसती रही.. अब उसकी चूत दोबारा चुदने के लायक हो गई.. उसमें पानी रिसने लगा..

भिखारी- मेरी जान.. अब बस भी कर.. चल अब घोड़ी बन जा.. मेरा लौड़ा अब किसी भी वक़्त लावा उगल सकता है।

दीपाली घुटनों के बल बैठ गई और भिखारी ने लौड़ा चूत पर टिका दिया और वहाँ बस रगड़ने लगा.. उसने अन्दर नहीं डाला.. उसके हाथ दीपाली की गाण्ड पर घूम रहे थे।

दीपाली- ससस्स आ डालो ना.. क्या हुआ छेद नहीं मिल रहा क्या.. मैं मदद करूँ..

भिखारी- अरे नहीं मेरी जान.. छेद क्यों नहीं मिलेगा.. क्या कभी सुना है.. साँप को बिल कोई और बताता है.. वो खुद ब खुद ढूँढ लेता है.. मैं सोच रहा हूँ तेरी गाण्ड क्या ज़बरदस्त है.. एकदम मक्खन की तरह.. अबकी बार गाण्ड ही मारूँगा।

दीपाली- वो सब बाद की बात है पहले चूत में लौड़ा घुसाओ.. अब जल्दी से अपना पानी निकालो.. मेरी माँ आने वाली है।

भिखारी ने इतना सुनते ही लौड़ा चूत में पेल दिया और ठोकने लगा।

उसने दीपाली की कमर पकड़ ली और रफ़्तार से लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।

दीपाली- आआ आआ आईईइ आराम से.. आह क्या हो गया तुमको.. आह आहह.. मर गई रे.. हाय जान निकल गई आ उह..

अबकी बार भिखारी कुछ ज़्यादा ही रफ़्तार से चोद रहा था। वो पूरा लौड़ा बाहर निकालता और एक साथ अन्दर घुसा देता.. जिसके कारण दीपाली को दर्द होता और चोट के साथ ही वो सिहर जाती।

दस मिनट तक वो बिना कुछ बोले बस चूत की चुदाई करता रहा।

अब दीपाली को भी मज़ा आने लगा था वो गाण्ड को पीछे धकेलने लगी थी।

दीपाली- आहह.. आह आईईइ फास्ट आहह.. उहह.. ज़ोर से आहह.. मेरा प्प..पानी आ..आने वाला है.. फास्ट।

भिखारी अपनी पूरी ताक़त से चोदने लगा, उसका लौड़ा भी फूलने लगा था, अब उसका किसी भी पल ज्वालामुखी फूटने वाला था।

भिखारी- उह उह उह मेरा भी उहह आने वाला है.. आहह.. बाहर निकालूँ क्या आहह.. जल्दी बोलो।

दीपाली- आई.. आई.. नहीं आहह.. आहह.. अन्दर ही आहह.. उह.. मैं गई आहह..

उसी पल दीपाली का बाँध टूट गया और उसकी चूत से पानी लौड़े पर स्पर्श हुआ.. उसके लगते ही लौड़ा भी फट गया और उससे बहुत तेज पिचकारी निकली.. जिसका फोर्स इतना तेज था कि दीपाली की चूत से टकराते ही दीपाली की सिसकी निकल गई.. जैसे किसी ने पानी के पाइप से तेज धार चूत में मार दी हो…

लौड़े से वैसी ही कई पिचकारी और निकलीं और दीपाली की चूत माल से भर गई।

जब भिखारी ने लौड़ा बाहर निकाला ‘फक’ की आवाज़ से लौड़ा बाहर निकला.. उसके साथ दोनों का मिला-जुला वीर्य भी बाहर आने लगा।

अब दोनों ही थक चुके थे इस पलंग-तोड़.. चूत-फाड़ चुदाई से अब दोनों बिस्तर पर पड़े लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे।

काफ़ी देर तक दोनों वैसे ही पड़े रहे।

भिखारी- वाह जानेमन वाह.. आज तूने कमाल कर दिया.. कोई भीख में रोटी देता है कोई पैसे.. तो कोई कपड़े.. मगर तू सबसे बड़ी दानवीर है.. तूने मुझे भीख में अपनी चूत दे दी वाह.. मज़ा आ गया।

दीपाली- ऐसा मत कहो मैंने तुम्हें कोई भीख नहीं दी.. मेरी अपनी चूत में आग लग रही थी। उसकी शांति के लिए मैंने तुम्हें इस्तेमाल किया और कसम से मज़ा आ गया। तुम्हारा लौड़ा बहुत तगड़ा है.. झड़ता ही नहीं कितना चोदा तुमने मुझे.. वाकयी बहुत पावर है आप में..

भिखारी- जान अब गाण्ड कब मरवाओगी? मेरा बड़ा मन हो रहा है.. तेरी मखमली गाण्ड मारने का।

दीपाली- अभी नहीं.. मम्मी आ जाएगी’.. तुम बस इसी एरिया में घूमते रहना.. जब भी मौका मिलेगा मैं अन्दर बुला लूँगी और प्लीज़ किसी को बताना मत.. मेरी इज़्ज़त अब तुम्हारे हाथ में है।

भिखारी- अरे मुझे क्या पागल कुत्ते ने काटा है जो मैं किसी को बताऊँगा.. सोने जैसा पानी फेंकने वाली चूत को भला कोई क्यों काटेगा.. उसको तो बस चोदेगा हा हा हा तू फिकर मत कर अब मैं इसी एरिया में भीख माँगता रहूँगा.. जब मौका मिले.. तू बुला लेना तुझे मेरे खड़े लौड़े की कसम है।

दीपाली- अच्छा बाबा ठीक है.. अब उठो जल्दी से कपड़े पहनो और निकलो.. माँ आ गईं.. तो सब चौपट हो जाएगा।

दीपाली ने उसे पापा के पुराने कपड़े पहना दिए और कुछ खाना भी पैकेट में डाल कर दे दिए। वो खुश होकर वहाँ से चला गया तब कहीं दीपाली की जान में जान आई और वो बाथरूम में घुस गई।

उसकी चूत में थोड़ा दर्द था तो वो गर्म पानी से नहाने लगी और चूत को सेंकने भी लगी।

उसने नहाने के बाद भिखारी के पुराने कपड़े फेंके अब उसको बड़ी ज़ोर की भूख लगी और लगनी ही थी.. उसने 9″ के मूसल से इतनी दमदार चुदाई जो करवाई थी।

बस फिर क्या था.. जम कर खाना खाया और अपने कमरे में जाकर सो गई। कब उसको नींद ने अपने आगोश में ले लिया पता भी नहीं चला। उसकी मम्मी आईं.. तब तक वो गहरी नींद में सो गई थी।

रात को कहीं कुछ खास नहीं हुआ तो चलो सीधे सुबह की बात बताती हूँ।

दोस्तों आप सोच रहे होंगे कि ये कहानी कब से चल रही है मगर अब तक रविवार नहीं आया, अब विस्तार से सब लिखूँगी तो कहानी बड़ी हो ही जाती है..

खैर.. अगली सुबह का सूरज निकल आया.. आज रविवार आ गया.. अब आज क्या होता है आप खुद देख लो।

दीपाली देर तक सोती रही क्योंकि आज स्कूल तो था नहीं और कल की चुदाई से उसका बदन दुख रहा था।

करीब 9 बजे उसकी मम्मी ने उसे बाहर से आवाज़ लगाई, ‘अब बहुत देर हो गई.. उठ जाओ पढ़ाई नहीं करनी क्या.?’ दीपाली अंगड़ाई लेती हुई बोली।

दीपाली- कल शाम को तो इतनी जबरदस्त चुदाई की थी.. अब दोबारा आप चुदाई करने को कह रही हो।

सुशीला- अरे क्या बड़बड़ा रही है.. उठ कर बाहर आजा…

मम्मी की आवाज़ सुनकर दीपाली को अहसास हुआ कि उसने ये क्या बोल दिया.. ये तो अच्छा हुआ मम्मी ने नहीं सुना वरना आज तो उसकी शामत आ जाती।

दीपाली- हाँ मम्मी आ रही हूँ.. बस 2 मिनट रूको।

दीपाली ने दिल पर हाथ रखा वो थोड़ा डर गई थी। उसके बाद वो फ्रेश होने चली गई।

दोस्तो, जब तक ये फ्रेश होती है.. चलो विकास और अनुजा के पास चलते हैं, देखते हैं वहाँ क्या खिकड़ी पक रही है।

बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?

तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..

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