चूत चुदाई की प्रेम कहानी

Choot Chudai Ki Prem Kahani

मेरा नाम जीत है मेरा कद 5’9″ है.. रंग गोरा और साधारण शरीर है। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।

यह बात 3 साल पहले की है.. हमारे पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया था।

उस परिवार में पांच लोग थे.. अंकल, आंटी.. उनका 25 वर्षीय बेटा अरुण.. 22 वर्षीय बेटी प्रीति.. 19 वर्षीय मोनिका..

शर्मा जी बैंक में नौकरी करते थे। आंटी का स्वभाव बहुत अच्छा था.. थोड़े समय में ही वो हम सब से घुल-मिल गई थीं।

मोनिका और मेरी बहन एक ही कॉलेज में जाती थी। अरुण की थोड़े समय में जॉब लग गई थी। प्रीति भी नौकरी की तलाश में थी। उसने बी.टेक. किया था लेकिन उसको कोई जॉब नहीं मिल रही थी.. क्योंकि वो यहाँ नई थी।

मैंने उसके लिए मेरी कंपनी और दूसरी तीन-चार कंपनियों में नौकरी के लिए कोशिश की तो उस मेरे ऑफिस के पास की एक कंपनी में नौकरी मिल गई।

उस दिन वो बहुत खुश थी.. उसने मुझे थैंक्स कहा।

प्रीति अच्छे नयन-नक्श वाली साधारण लड़की थी.. उसकी सादगी की वजह से मैं उसको मन ही मन चाहने लगा था.. लेकिन कभी कह नहीं पाया.. मौका ही नहीं मिला।

एक बार जब मैं ऑफिस जा रहा था.. तो मैंने देखा कि वो बस के इंतजार में खड़ी थी।

मैंने उससे कहा- मेरे साथ चलो न…

तो उसने मना किया.. मेरे जिद करने पर वो मेरे साथ जाने को तैयार हुई।

उसके बाद ऐसा कई बार हुआ एक बार मैंने उससे कहा- क्या वो मेरे साथ कॉफ़ी पीने चलेगी?

तो पहले उसने मना किया और फिर बाद में मान गई।

हम सीसीडी गए.. वहाँ मैंने उससे मेरे बारे में पूछा.. तो उसने कहा- वो मुझे एक अच्छा दोस्त मानती है।

मैंने हिम्मत करके उसको ‘आई लव यू’ बोल दिया.. तो उसने कहा- मैं इस बारे में बाद में बताऊँगी।

उसके बाद उसके भाई का तबादला मुंबई हो गया।

थोड़े दिन बाद एक दिन रात को में छत पर खड़ा था.. तभी वो अपनी छत पर आई, हमारी छत की दीवार मिली हुई थीं।

मैंने उससे मेरे लिए जवाब पूछा.. तो वो हंसी और उसने शर्म से अपना चेहरा छुपा लिया। मैं समझ गया.. हंसी मतलब फंसी…

मैं दीवार फांद कर उसकी छत पर गया और उसके चेहरे से उसके हाथ हटा कर उसके गाल पर चुम्बन किया.. तो वो मुझसे लिपट गई।

मैंने उसको कस कर अपनी बांहों में भर लिया और उसके गुलाबी चेहरे को थोड़ा ऊपर किया। उसके होंठ एकदम लाल थे.. उसकी आँखें बंद थीं।

मैंने उसके कांपते हुए होंठों को अपने होंठों में बंद कर लिया।

दोस्तो, उस समय में जो महसूस कर रहा था वो मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।

दस मिनट बाद जब आंटी ने आवाज लगाई.. तो हम अलग हुए।

उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता तो हम एक-दूसरे से प्यार करते.. कभी छत पर तो कभी पार्क में…

एक बार उसके ऑफिस में हाफ-डे था और उसने घर पर नहीं बताया था.. तो मैंने ऑफिस से छुट्टी ली और हम दोनों मूवी देखने चले गए।

सिनेमा हॉल में भीड़ कम थी हमने कोने की टिकट ली और मूवी देखने लगे।

मैं उसकी कुर्ती के अन्दर से उसके 34″ साइज़ के मम्मों को दबा रहा था.. मूवी में एक बेडरूम सीन आया.. मैं उसको चुम्बन करने लगा।

मैंने अपना लंड निकाल कर उसके हाथ में दिया.. तो वो उसको सहलाने लगी।

मैंने उसको चूसने को बोला.. तो उसने मना कर दिया.. मैंने जिद करके उसको चूसने के लिए मनाया।

उसके बाद मूवी ख़त्म होने तक हमारी मूवी चलती रही.. उसके बाद हम घर आ गए।

शाम को मौसम बहुत सुहाना था.. जब हम छत पर मिले तो उसने बताया कि अंकल आंटी सत्संग में गए हैं.. तीन घंटे बाद आएंगे और मोनिका पढ़ने के लिए अभी-अभी हमारे घर आई थी।

मैं समझ गया कि दोपहर को जो काम अधूरा रह गया था.. उसको पूरा करने का अच्छा मौका है.. बाद में पता नहीं कब मिले।

मैं उसकी छत पर गया और उसको वहीं पर चुम्बन करने लगा.. तो वो बोली- अभी रात नहीं हुई.. कोई देख लेगा।

तो मैं उसको लेकर नीचे उसके कमरे में आ गया।

उसको कमरे में छोड़ कर मैं बाहर दरवाजा बंद करके आया ताकि कोई आ ना सके।

जब मैं कमरे में पहुँचा तो प्रीति दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी थी।

मैंने पीछे से उसको बांहों में लिया और उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा तो वो पलट कर मेरे सीने से लिपट गई।

अब मैं उसके होंठों को चूस रहा था और मेरे हाथ उसकी पीठ पर उसकी कुर्ती की चैन खोल रहे थे।

मैंने उसको चुम्बन करते हुए उसकी कुर्ती और ब्रा.. दोनों पीछे से खोल कर.. उसके कन्धों पर से नीचे सरका दी।

जब उसको पता चला तो वो थोड़ा शरमाई.. लेकिन तब तक दोनों चीजें उससे अलग हो चुकी थीं।

अब उसके स्तन मेरे सामने नंगे थे.. मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसको दीवार के साथ खड़ा करके उसके स्तन चूसने लगा। स्तन चूसते-चूसते उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार नीचे सरक गई।

उसने उसको सँभालने की कोशिश की.. लेकिन मैंने उसका गोद में उठा कर बेड पर लेटा दिया और उसकी चड्डी भी उसके शरीर से अलग कर दी।

उसकी कुंवारी चूत देख कर मुझे नशा होने लगा।

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मैंने मेरे बाकी के कपड़े उतारे और उस पर लेट गया।

मैंने ऊपर से चूमना शुरू किया होंठ, स्तन, पेट, टाँगें और फिर चूत.. उसकी महक मैं आज तक नहीं भूला.. मैं उसकी चूत को चूसने लगा।

कुछ ही देर में हम 69 की अवस्था में आ गए थे.. वो मेरा लंड चूस रही थी।

धीरे-धीरे उसका शरीर अकड़ने लगा वो झड़ रही थी.. मैंने उसकी चूत का पानी पिया.. उसकी चूत पूरी गीली थी।

मैंने सोचा अब सही मौका है.. मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा लेकिन वो अन्दर नहीं जा रहा था।

मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया और उसकी टांगों को चौड़ा करके.. लंड उसकी चूत पर रखा और उस पर लेट कर उसको चुम्बन करने लगा।

अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।

मैंने उसके होंठों पर होंठ रखे.. उसको कस कर पकड़ लिया और एक झटका लगाया तो आधा लंड अन्दर घुस गया।

वो चीखी लेकिन मेरे होंठों में उसकी चीख दब कर रह गई।

मैंने लंड को थोड़ा बाहर किया और एक तेज झटका और लंड झिल्ली तोड़ते हुए अन्दर तक गया.. वो जोर से चीखी और रोने लगी।

बोली- बाहर निकालो…

मैंने उसको समझाया, ‘जान.. बस हो गया.. अब तो आगे जन्नत है…’

थोड़ी देर में वो नार्मल हुई और मैंने उसके होंठों को चूसना और स्तन दबाने चालू रखे।

थोड़ी देर में उसको चूत चुदाई का मजा आने लगा।

मैंने रफ़्तार बढ़ा दी.. दस मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था.. तब तक वो एक बार झड़ चुकी थी।

जब मेरे लण्ड ने वीर्य धार छोड़ी तो उसकी गर्मी से वो एक बार और झड़ गई।

थोड़ी देर तक हम वैसे ही लेटे रहे जब हम उठे तो उसने बिस्तर पर खून और वीर्य के निशान देखे.. तो मैं बोल उठा, ‘जान ये हमारे प्यार की निशानी है।’

उसके बाद.. जब भी हम को मौका मिलता.. तो हम एक हो जाते। आपको हमारी यह चूत चुदाई की प्रेम कहानी कैसी लगी?