मेरी जिन्दगी चुदाई-प्रेक्टिकल की लैब-1

मेरा नाम सुदर्शन है.. मेरी उम्र 29 वर्ष है।

बात आज से 10-11 वर्ष पहले की है। तब मेरा 19 वां वसंत शुरू हो चुका था। मैंने एक दोस्त बनाया.. जो मुझसे 7 वर्ष बड़ा था, उसका नाम मंदीप था।

पहली बार मस्तराम की किताब, चुदाई की रंगीन एल्बम, VCR में सेक्स वीडियो आदि से उसी ने मेरा परिचय करवाया था।

मंदीप हमेशा मुझे चुदाई की कहानियों की किताब देता और अकेले में मेरे लंड से खेलता रहता था।

मुझे अभी तक चुदाई की थ्योरी मिली थी, चुदाई करने का मौका नहीं मिला था।

जैसे-तैसे एक पड़ोस वाली लड़की को पटाया.. पर उसने सिर्फ बुर में ऊँगली और बुर चुसाई से आगे बढ़ने नहीं दिया।

मेरे पड़ोस में एक परिवार किराये पर रहने आया।

वे अंकल ट्रक चलाते थे और आंटी को झारखंड से भगाकर लाए थे।

आंटी गोरी पतली और खूबसूरत थी.. वो 38 साल की और अंकल 50+ के और बहुत मोटे थे।

मेरे घर आने-जाने के कारण उनकी हमारे घर के सदस्यों से अच्छी जान-पहचान हो गई।

वो मुझे अंकल के न रहने पर घर बुलाती थीं और पेट के बल लेट कर अपने पूरे बदन पर सिर से पाँव तक पैर से कचरने को कहती थीं।

जब मैं उनके चूतड़ों के ऊपर पाँव रखता.. तो वो बोलती- बस यहाँ ज्यादा कचरो.. दर्द यहाँ ज्यादा होता है।

मेरे पाँव उनके नर्म और गुदाज चूतड़ों पर थिरकने लगते.. कभी-कभी पाँव की उँगलियाँ चूतड़ों की दोनों फाँकों के बीच में धंस जाता। इससे मेरा लंड पैंट के अन्दर बुरी तरह अकड़ जाता।

वो अपने शरीर को ऐंठते हुए बोलती थीं- बस अब रहने दो…

मुझे तो बाद में पता चला कि वो ऐंठते हुए झड़ जाती थीं। इस तरह लगभग रोज मैं चोदने के लिए तड़पता रहता और पट्टे वाली खटिया के छेद में अपना लंड डाल कर शांत होता।

एक बार उनके घर में सांप निकला.. वो बहुत डर गईं।

उसके बाद जब अंकल बाहर जाते.. तो वो मेरी मम्मी से पूछ कर रात में मुझे अपने पास सोने के लिए बुला लेतीं।

पहली बार तो मैंने कुछ नहीं किया।

वो गर्मी के दिनों में सिर्फ पेटीकोट और ब्लाऊज पहन कर सोती थीं।

दूसरी बार मैं उनके साथ सोने गया.. तो रात में मैंने अपना पाँव जानबूझ कर उनके ऊपर लाद दिया और अपना लंड रगड़ कर चड्डी में ही झड़ गया।

उस दिन गर्मी ज्यादा थी.. वो कूलर की तरफ साया पहन कर सो रही थी.. रात में कूलर की तेज हवा से उनका साया उड़ कर ऊपर को चढ़ गया था। मैंने पहली बार सच्ची-मुच्ची की बुर देखी.. अभी तक सिर्फ किताबों देखी थी।

गोरी जाँघों के बीच में हल्के काले रंग की फूली हुई दो फाँकों के बीच में लकीर थी और बाल ही बाल थे.. पूरी तरह चिकनी भी नहीं थी। मेरा लंड अति उत्तेजना के कारण सख्त हो कर अकड़ने लगा.. मेरा गला भी सूखने लगा।

मैं काफी देर तक अपलक चूत को देखता रहा।

फिर हिम्मत करके उनकी बुर को सहलाने लगा और एक हाथ से अपना लंड लेकर सड़का (हस्तमैथुन) मारने लगा।

थोड़ी देर बाद मैं झड़ गया।

फिर ऐसा अक्सर ही करने लगा।

मैंने एक दिन थोड़ी हिम्मत बढ़ा कर अपने लंड को आंटी की बुर पर रगड़ने लगा.. अभी कुछ ही देर तक लंड घिसा होगा कि मैं बुर पर ही झड़ गया।

वो एकदम से उठी और मेरा सिर पकड़ कर बोली- साले गंदा कर दिया तुमने.. अब तुम ही इसे चाट कर साफ करो।

मैं डर और उत्तेजना में उनकी बुर पर लगे अपने वीर्य को चाटने लगा।

वो भी कमर उठा कर बुर चटवाने लगी।

फिर बोली- चोदना जानते हो?

मैंने कहा- पढ़ा है.. सचमुच में कभी नहीं चोदा।

आंटी बोली- चलो आज प्रैटिकल सिखाती हूँ।

उसने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर फैला लिया उनकी बुर का लाल छेद सामने से खुल गया।

वो बोली- अपना लंड इसमें डालो।

मैंने डाला.. पर वो फिसल गया.. घुसा ही नहीं।

वो बोली- तुम दोनों हाथ से बुर को फैलाओ और अपना लंड पकड़ कर छेद में घुसेड़ कर धक्का लगाओ।

मैंने उसकी आज्ञा को शिरोधार्य किया और लौड़े को चूत में पेवस्त कर दिया। मुझे अन्दर बहुत ही गर्म और चिकना लगा। लेकिन मैं 5-6 धक्के में ही झड़ गया।

आंटी बोली- पहली बार जल्दी झड़ना आम बात है.. अभी नए हो।

फिर आंटी ने मुझे फिर से तैयार किया और चूत पर फिर से चढ़वा लिया.. अबकी बार उसके दूध चूसते हुए मैंने बहुत तसल्ली से उसकी चूत चोदी और चूंकि एक बार झड़ चुका था सो अबकी बार देर तक आंटी को चोदा।

आंटी भी खुश हो गई और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए।

इसके बाद मैंने उनको कई बार चोदा। अब मैं उनको 10 मिनट तक चोद लेता हूँ।

एक दिन मैं कामोत्तेजना बढ़ाने वाली गोली ले आया।

पहले सड़का मारा.. फ़िर गोली खाई और आंटी को चोदने गया।

मैं उनकी बुर के दाने को उँगली से छेड़ने लगा, थोड़ी देर बाद आंटी अपनी टाँग सिकोड़ने लगी।

मैं उनके उपर चढ़ कर उनकी टाँगों को दबाकर दाने को जम कर छेड़ा। फिर लंड डाल कर चोदने लगा.. वो 5 मिनट में झड़ गई.. पर दवा के कारण मैं नहीं झड़ा।

वो बोली- ओह्ह.. बस भी करो अब.. मेरी बुर में जलन हो रही है।

मैंने कहा- मुँह में लेकर चूस दो..

थोड़ी देर बाद वो बोली- मुँह दर्द कर रहा है।

मैंने गांड मारने की इच्छा बताई.. वो बोली- ठीक है पहले तेल लगा लो।

मैंने उनकी गांड में तेल लगाकर गाण्ड के छेद में उँगली से तेल डाला.. और अपने लंड पर तेल लगा कर उनको दोनों हाथों से गांड के

छेद को फैलाने को बोला और अपना लंड धीरे-धीरे अन्दर ठोक दिया।

उसे तो गांड मराने की आदत थी.. क्योंकि उसका मरद तो दारू के नशे में उसकी अकसर गांड मारता था।

दस मिनट बाद मैं गांड में ही झड़ गया। लंड बाहर निकाला तो उस पर गू (टट्टी) के कतरे लगे थे। मुझे बहुत घिन आई। उसी सोच लिया था कि अब इसके बाद दुबारा कभी किसी की गांड मारने का मन नहीं सोचूँगा।

आजकल जो ब्लू-फिल्मों में गांड मारने की पिक्चर बनाई जाती है उसको बहुत तैयारी के बाद बनाई जाती है।

लड़की अपनी गांड को एनीमा वगैरह ले कर साफ़ करवाती है और खाली पेट ही गुदा-मैथुन की शूटिंग होती है।

मेरे नए जवान हुए साथियों से मेरी यह सलाह है कि चोदने के चूत.. चूमने और चूसने के लिए दूध और होंठ सबसे मजेदार अंग होते हैं।

मैंने अपने जीवन में घटित सभी घटनाओं को कहानियों के रूप में लिख कर आपके सामने प्रस्तुत किया है।

आपको मेरी कहानियाँ आनंदित करती होंगीं ऐसा मेरा विश्वास है। पाठक अपने विचार कहानी के अंत में ही लिख दें मैं पढ़ लूँगा।

कहानी का एक भाग और भी है…