अतृप्त भतीजी और उसकी मौसी सास की चुदाई- 2

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रेलगाड़ी में पब्लिक सेक्स किया मैंने अपने साले की जवान बेटी के साथ. बहुत गर्म माल थी वो! सर्दी बहुत थी ट्रेन में … पहले उसने मेरा लंड पकड़ लिया. फिर …

दोस्तो, मैं चन्दन सिंह एक बार फिर से अपनी भतीजी यानि मेरे साले की शादीशुदा लड़की की चुदाई करने में लगा हुआ था. पब्लिक सेक्स कहानी के पहले भाग मेरे साले की बेटी की जवानी की गर्मी में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं ट्रेन में अनीता को लंड चुसवा कर गर्म कर रहा था.

अब आगे की पब्लिक सेक्स:

करीब दस मिनट की लंड चुसाई के बाद अनीता सर को पीछे ले गयी और अपनी दोनों टांगों के बीच मेरे पैर ले लिए.

वो अब तक अपना पेटीकोट ऊंचा कर चुकी थी. मेरा लंड उसकी चूत को टच हो रहा था. उसने हाथ से लंड पकड़ कर उसका सुपारा अपनी चूत पर रखा.

मैंने आगे को सरक कर अपना लंड उसकी चूत में जाने दिया. लंड घुसा तो मैंने अनीता के चेहरे की तरफ देखा. उसने होंठों को भींच रखा था. मेरा मोटा लंड उसकी टाईट चूत में दर्द करने लगा था.

मगर एक समस्या थी. मैंने इससे ज्यादा आगे को सरक नहीं सकता था. तो मैंने अनीता को आगे आने का इशारा किया. वो धीरे धीरे दर्द को सहती हुई आगे आई और उसने मेरे मोटे लंड को अपनी कसी हुई चूत में सैट कर लिया.

ट्रेन छोटे छोटे स्टेशनों के कारण बार बार रुक रही थी. स्टेशन दस बीस किलोमीटर की दूरी पर होते थे … तो ये समस्या आड़े आ रही थी.

काफी देर तक मेरा लंड चूत में मचलता रहा. मगर लंड अन्दर नहीं जा रहा था. आखिर जब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने घड़ी देखी कि रात के एक बज रहा था. एक बार हम दोनों खड़े हो गए.

मैंने पूरे डिब्बे का निरीक्षण किया. इस समय दस पंद्रह सवारी मुश्किल से थीं.

मैं वापस आया और कूपे की नाईट वाली लाइट भी बन्द करके अनीता के ऊपर चढ़ गया. मैंने चादर को खींच लिया और घर में जिस तरह चुदाई करते थे, उसी तरह से अपनी भतीजी की चुदाई करने लगा.

ताबड़तोड़ चुदाई चलने लगी. डिब्बे में बार बार किसी के निकलने का सिलसिला चलता भी रहा होगा, तो मैंने कोई ध्यान नहीं दिया. बस जरा ध्यान भटक रहा था … मगर मेरी पेलमपेल चालू थी.

करीब पंद्रह मिनट के धकापेल पब्लिक सेक्स में अनीता का शरीर अकड़ चुका था. अनीता की चूत ने पानी छोड़ दिया.

इसके बाद वो बोली- आह फूफाजी … मजा आ गया. अब रहने दो बाकी का खेल घर चल कर आराम से करेंगे. अब बस करो, कोई देख लेगा.

ये एकदम सच है कि जब तक औरत की चूत लंड मांगती है, तब वह किसी की परवाह नहीं करती है. जब चूत संतुष्ट हो जाती है, तब साली दुनिया भर की समझदारी दिखाने लगती है.

मुझे क्या था … साली चुत तो पक्की हो ही गई थी.

मैंने उसे सीट पर एक साइड में लिटा दिया और दूसरी साइड में मैं लेट गया.

पहले की तरह मैंने लंड को उसकी चूत में डाल कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया … क्योंकि अभी मेरे लंड ने पानी छोड़ा नहीं था. चूत में घुसा हुआ लंड हिचकोले खा रहा था.

कुछ मिनट बाद अनीता की चूत भी मेरे लंड के हिचकोलों वापिस जवाब देने लगी थी. करीब आधा घंटा पब्लिक सेक्स के बाद अनीता ने फिर से पानी छोड़ दिया.

मैंने घड़ी देखी, अब साढ़े तीन बज रहे थे. मैंने एक बार कूपे में घूम कर देखा, तो इस बार हम दोनों के सिवाय डिब्बे में कोई नहीं था. मैंने डिब्बे के सभी फाटक अन्दर से बन्द करके अनीता से कहा कि अब आ जा, खुल कर तेरी चुदाई करता हूँ. अब इस डिब्बे में हम दोनों ही बचे हैं … और कोई नहीं है.

अनीता खड़ी हो गई. मैंने उसको सीट पर लिटा कर ब्लाउज खोल कर जानवरों की भांति टूट पड़ा.

उसके मम्मों पर कई सारी जगह दांतों से काटने के निशान पड़ गए. इधर मेरा लंड अपनी पूरी शक्ति से उस की चूत को पेल रहा था.

शराब का नशा होने के कारण चुदाई का टाइम बढ़ता ही जा रहा था. कुछ ही देर में अनीता का शरीर फिर से अकड़ गया.

वो कराह कर बोली- फूफाजी … नीचे जलन हो रही है … अब मुझसे सहन नहीं हो रहा है. मैंने कहा- साली कुतिया … अभी मेरे लंड का पानी भी नहीं निकला है. वो बोली- आह प्लीज़ छोड़ दो … मैं दूसरे तरीके से आपके लंड का पानी निकाल दूंगी. मैंने कहा- कैसे? वो बोली- मैं चूस कर झड़ा दूंगी.

मैंने लंड निकाल लिया और सीट पर बैठ गया.

वो भी उठी और अपने घुटनों के बल नीचे बैठ कर लंड को चूसने लगी.

जब चूसने से भी लंड का पानी नहीं निकला, तब वो मेरी जीभ को अपने होंठों से चुंबन देने लगी. साथ ही मेरे लंड के नीचे लटक रहे अंडकोषों को सहलाने लगी.

मैंने कहा- सहलाने से क्या होगा. तू तो चूस ले!

वो मेरे अण्डकोषों को मुँह में भर कर चूसने और चाटने लगी. एक हाथ से लंड भी हिलाती जा रही थी. मैं पैर पसारे बस जन्नत का मजा ले रहा था.

काफी देर बाद मेरे शरीर ने अकड़ना शुरू किया, तो उसने झट से पूरे लंड को अपने मुँह में ले लिया. मैं एकदम से झड़ने लगा. और वो मेरा पूरा वीर्य पी गयी. उसने किसी चतुर खिलाड़ी की तरह मेरे पूरे लंड को चाट कर साफ कर दिया.

अब मैं सन्तुष्ट हो चुका था. मैंने अनीता से पूछा- तुम्हें मेरे लंड का पानी पीना बुरा नहीं लगा? वो मुस्कुराते हुए बोली- यह तो अब मेरी आदत हो गयी है.

मैंने घड़ी देखी, तो सुबह के पांच बजने वाले थे. अगला स्टेशन आने वाला था. फिर मैंने मोबाइल से मालूम किया तो हम मेहसाणा पहुंचने वाले थे.

ट्रेन कुछ जल्दी आ गई थी या शायद मुझे बताने वाले को टाइम का पूरा अंदाज नहीं था. हमने फटाफट बच्चों को उठाया और जैसे ही ट्रेन रुकी, हम सब नीचे उतर आए और स्टेशन से बाहर आकर ऑटो करके घर आ पहुंचे.

घर का दरवाजा कंवर साहब ने खोला. उनके चेहरे से दबी हुई स्माइल छुप नहीं रही थी. शायद उनको अपनी बीवी की बड़ी याद आ रही थी.

उन्होंने अनीता को अन्दर ले जाकर चूमा तो उसके मुँह से शराब की गंध आई. उन्होंने पूछा, तब अनीता ने बताया कि इतनी सर्दी थी और गर्म कपड़े भी कम थे. सर्दी के मारे फूफाजी को पीते देख कर मैंने भी पी ली थी.

अनीता ने नया मकान बना रखा था. एक कमरे में वो खुद घुस गई. दूसरे कमरे में बच्चों को सुलाया. तीसरा कमरा गेस्ट हॉउस था, जो अनीता के कमरे से जुड़ा हुआ था.

उसने एक कमरे में स्टोर बना रखा था. किचन से आगे बरामदे में दो बाथरूम बने हुए थे.

मुझे गेस्ट हाउस में सोने का बिस्तर पर सोने को बोल कर अनीता चली गयी.

थोड़ी देर पश्चात अनीता अपने पति से ऊंची आवाज में बात कर रही थी, जो मुझे पूरी सुनाई नहीं दे रही थी.

मैं कमरे से बाहर आया, तो देखा कि अनीता का कमरा अन्दर से बन्द था. मैं दरवाजे के पास खड़ा होकर उन दोनों की बातें सुनने लगा. अनीता का पति उस के साथ सेक्स करना चाहता था.

अनीता उसे गालियां दे रही थी- साले हिजड़े … एक मिनट में तो खलास हो जाता है … मादरचोद, रोज मुझे अधूरी छोड़ देता है. कमीने यह तो मैं हूँ, जो तेरा साथ दे रही हूँ. अगर मेरी जगह कोई और होती, तो अब तक तुझे छोड़ कर चली गयी होती.

उसका पति मिन्नतें करने लगा, मगर अनीता गुस्से के मारे बकती ही जा रही थी. वो अपने पति को कह रही थी कि कभी मेरी भी सोचा कर, आखिर मेरी प्यास कौन बुझाएगा, मैं रोज प्यासी रह जाती हूँ. जिस दिन तू यह सोच लेगा और मेरी प्यास बुझाने की व्यवस्था कर लेगा, उस दिन से तुम जितना मन में आए, उतना मेरे साथ सेक्स कर लेना. चल दूर हट … अब मुझे सोने दे.

उसका पति घिघियाते हुए बोला- अनु एक बात बोलूं … फूफाजी आए हुए हैं. एक बार कोशिश करके देख ले. उनसे तेरा काम हो जाए, तो घर की बात घर में ही रहेगी. अगर फूफाजी मान गए … तो मेरी दुकान में पैसों की जरूरत भी वो पूरा कर देंगे.

अनीता बोली- सच कह रहे हो! उसका पति बोला- हां रानी एकदम सच कह रहा हूँ.

अनीता बोली- अभी पहले मैं दो घंटे नींद लूंगी, तुम बच्चों को तैयार करके स्कूल भेज देना … और हां स्कूल छोड़ कर आते समय, फूफाजी के लिए व्हिस्की की चार पांच बोतलें अलग अलग ब्रांड की लेते आना.

वो बोला- दो बोतलें तो घर में ही पड़ी हैं. अनीता बोली- फूफाजी के घर में उनके बार में कितनी तरह की बोतलें मैंने देखी हैं. तुम कुछ अच्छे ब्रांड की पांच बोतलें लेते आना और हां … आज का लंच भी बाजार से लेते आना. दस बजे के करीब नाश्ता घर पहुंचा देना.

अनीता का पति बोला- ठीक है, मैं सब कर दूंगा. अब एक बार तो करने दे. तुझे मैंने फूफाजी के साथ सेक्स करने की छूट भी दे दी. अनीता बोली- जब तक पहले मेरी चुत की प्यास नहीं मिट जाती तब तक हाथ लगाने की भी मत सोचना. मेरी आग ठंडी हो जाने के बाद तू कितनी ही बार कर लेना. मगर उससे पहले मैंने नहीं बोल दिया तो नहीं.

उसका पति कुनमुनाने लगा. अनीता तेज स्वर में बोली- पूरी रात नींद नहीं आयी … चल परे हट … अब मुझे सोने दे … और हां दुकान जाते समय बच्चियों को लेते जाना. दरवाजा बन्द करने के लिए मुझे उठा देना.

इतना कह कर उनके कमरे में शान्ति छा गयी. मैं वहां से हट कर अपने कमरे में आकर सो गया. अब मैं निश्चिन्त था.

लगभग आठ बजे अनीता मेरे कमरे में आई. अन्दर आते ही मेरे लंड पर टूट पड़ी. मुझे बिस्तर में नंगे ही सोने की आदत के कारण अनीता को खुला लंड मिल गया. उसने लंड मुँह में लिया और चूसने लगी.

इससे मेरी आंख खुल गयी. रात की दारू के कारण हैंगओवर से सर दर्द के मारे सहन नहीं हो रहा था.

मैंने अनीता के बाल खींच कर उसे अपने ऊपर खींचा और बोला- यार, सर दर्द कर रहा है.

अनीता हंस कर बोली- मेरा भी हो रहा था. मैंने तो एक पैग जमा लिया … अगर आप कहो तो आपके लिए भी ले आऊं.

मैंने उससे दो पैग बना कर लाने को बोला. वो झट से पैग बना कर ले आई.

मैंने एक झटके में दोनों पैग हलक के नीचे उतारे और सिगरेट लेने के लिए नंगा ही उठा. मैं जानता था इस समय हम दो ही इस घर में हैं. मैंने अपने बैग के अन्दर से सिगरेट निकाल कर मुँह में लगाई और बाथरूम में घुस गया. बाथरूम करके मैं वापिस बेड पर आया.

अनीता बोली- फूफाजी, आपको क्या मालूम है कि इस समय घर में कोई नहीं है? मैंने कहा- तुमने सुबह जो बातें अपने पति से की थीं, वो मैंने सुन ली थीं. अनीता, क्या सच में वो तुम्हें संतुष्ट नहीं कर पाता? अनीता बोली- अगर कर पाता, तो क्या वो मुझे इतना बोलने देता.

अब मुझे खुद को एक बढ़िया सेक्स की जरूरत थी. मैंने अनीता से बोतल मंगवाई और दोनों एक बार फिर से शुरू हो गए.

मैंने तीन पैग खींच कर अनीता को हाथों से उठा लिया. उसे बाथरूम में ले जाकर कपड़े खोल गर्म पानी का शॉवर से नहलाने लगा. उसने मेरे शरीर पर पानी डाल कर साबुन लगाना शुरू कर दिया. मैंने भी उसके शरीर पर साबुन लगा कर उसे स्नान करवाया और तौलिया से बदन पौंछ कर हम दोनों नंगे ही बेडरूम में वापिस आ गए.

असली चुदाई अब होने वाली थी.

अनीता को नंगी ही बिस्तर पर लिटा कर मैंने उसके पैरों से चुंबन की झड़ी लगा दी. इससे उसके पूरे शरीर में सिरहन दौड़ने लगी.

फिर अनीता के होंठों से होंठ मिला कर मैं रसपान करने लगा. अपने दूसरे हाथ से उसकी चुत में ऊपरी भाग में उंगली डाल कर ऊपर से नीचे घुमाने लगा.

कुछ ही देर में अनीता मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चुत में डालने लगी. मैं हट गया और उसकी चूत पर मुँह लगा कर जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा. अनीता की गांड ऊपर नीचे होने लगी.

कुछ पल बाद वो बोली- फूफाजी अब रहने दो … मैं जाने वाली हूँ.

तभी उसका बदन अकड़ गया और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. मैंने अच्छी तरह से उस की चूत को चाट कर साफ कर दिया. लगातार चूत चूसने के कारण अनीता को अब सहन नहीं हुआ. वो उठ कर बैठ गयी.

साथियो आपको लंड चुत की इस गर्म पब्लिक सेक्स कहानी में मजा आ रहा होगा. अपनी भतीजी की चुदाई की कहानी को मैं अगले भाग में आगे लिखूंगा. आप मुझे इस सेक्स कहानी के लिए मेल करना न भूलें.

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पब्लिक सेक्स कहानी का अगला भाग: अतृप्त भतीजी और उसकी मौसी सास की चुदाई- 3

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