रमशा की पहली चुदाई-1

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हैलो दोस्तो, मेरा नाम राजीव है, मैं भोपाल से इंजीनियरिंग कर रहा हूँ।

मैं ‘अन्तर्वासना’ का एक नियमित पाठक हूँ, काफी दिन से मैं भी अपनी कहानी आप लोगों के साथ साझा करना चाहता था.. लेकिन कर नहीं पा रहा था.. आज लिख रहा हूँ।

नई-नई जवानी के कारण मुझे चोदने की बड़ी चुल्ल है। मैं अपने से ज्यादा लड़कियों को सुख देने की कोशिश करता हूँ।

मुझे चुदाई करने का पहला मौका 12वीं क्लास में मिला था.. तब मैं जवानी की दहलीज पर अपना पहला कदम रख चुका था।

मेरे पापा अनाज का व्यापार करते हैं। मेरे अनाज के गोदाम के पास एक मुस्लिम परिवार रहता है। उनकी एक लड़की थी रमशा.. वो एकदम गोरी.. खूबसूरत सी थी, उसकी उम्र 18 वर्ष रही होगी, उसके शरीर को खुदा ने बड़े फुरसत से बनाया था। उसे देख कर अच्छे-अच्छे लोगों की नियत ख़राब हो जाती थी।

अभी वो अनछुई कली थी.. उसकी चूचियाँ एकदम खड़ी सी और ताजे आम सी उठी हुई थीं।

उसकी सूरत इतनी सुंदर कि जिसकी कोई हद नहीं.. पर मुस्लिम परिवार होने के कारण.. वो घर से बाहर कहीं नहीं निकलती थी।

अगर कभी बाहर जाती भी.. तो बुरके में जाती थी।

उसके मम्मी-पापा दोनों टीचर थे, दोनों सुबह 9 बजे स्कूल चले जाते थे, वो अकेले घर में रहती थी।

मैं कभी-कभी उसके घर में किराना आदि पहुँचाने जाता.. तो उससे बात कर लेता था।

जब मैं काम से गोदाम में जाता था.. तो उसे जरूर देखता था, वो मुझे देख कर मुस्कुरा देती। मैं मन ही मन में उससे प्यार करने लगा था।

मैं कई रातों में.. उसको याद करके मुठ मारता था। मैं उसे चोदना चाहता था.. पर कभी मौका नहीं मिला।

एक दिन की बात है.. जब मैं गोदाम में मजदूरों से गेहूँ को बोरों में पैक करवा रहा था.. तो वो वहाँ पर आ गई और मुझसे ‘हाय’ बोली.. मैंने भी जबाव में ‘हैलो’ बोला।

वो पूछने लगी- क्या कर रहे हो?

मैंने बोला- गेहूँ भरवा रहा हूँ।

वो बोली- अच्छा है..

और वो एक बोरे पर बैठ गई।

फिर मैंने पूछा- क्या हाल हैं?

वो बोली- अच्छी हूँ.. बस मन नहीं लग रहा था.. इसलिए चली आई..तुम सुनाओ?

मैंने बोला- मैं भी अच्छा हूँ।

फिर मैं चुपचाप अपना काम करवाता रहा था.. परंतु तिरछी नजर से उसे ही देख रहा था।

मैं अपने मोहल्ले का सबसे सीधा-साधा लड़का था.. पर उसे देख कर मेरा मन डोल जाता था।

वो साली चीज या कहूँ कि माल ही ऐसी थी कि किसी का भी मन डोल जाए। मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. तब मैं मजदूरों को काम बता कर उसके बगल में बैठ गया।

मैंने उससे बातचीत को आगे बढ़ाया और बोला- सही है.. घर में अकेले-अकेले कोई भी बोर हो जाएगा। तुम तो घर से बाहर निकलती ही नहीं हो.. पर जब भी मन नहीं लगे.. तो मुझे बुला लेना, मैं आ जाया करूँगा।

फिर हम लोग बात करने लगे। बात करते-करते कब 3 घंटे बीत गए.. पता ही नहीं चला।

तभी एक मजदूर आकर बोला- मालिक हम लोग खाना खा कर आते हैं।

मैंने ‘ओके’ बोल दिया.. वो लोग चले गए। अब मैं और रमशा अकेले बैठे थे तब उसने पूछा- आपको भूख लगी है?

मैंने बोला- हाँ।

बोली- मैं कुछ बनाती हूँ।

यह कहकर वो घर में चली गई.. उसके पीछे-पीछे मैं भी वहाँ पहुँच गया और वहीं एक स्टूल पर बैठ गया। वो रसोई में कुछ बनाने लगी। मैं उसके पीछे बैठा.. उसकी मस्त गाण्ड देखने लगा।

हाय.. क्या मस्त उठी हुई गोल गाण्ड थी.. उसकी गाण्ड के दोनों टुकड़े.. मस्त खिले हुए थे।

वो मुझे अपनी गाण्ड देखता हुआ देख कर मुस्कुराते हुए पूछने लगी- क्या देख रहे हो?

मैं सकपका गया और अपने आप को संभालते हुए बोला- कुछ नहीं।

वो मुस्कुरा कर फिर से खाना बनाने लगी। मैं फिर से उसकी गाण्ड देखने लगा।

फिर मुझसे रहा नहीं गया.. मैं खड़ा हो गया और उसके पास पीछे से जाकर बोला- रमशा.. तुम बहुत खूबसूरत हो।

वो बोली- जानती हूँ.. पर क्या फायदा?

मैंने पूछा- मतलब?

वो बोली- कुछ नहीं।

मैंने बोला- बताओ ना.. क्या हुआ?

मेरे बहुत जिद्द करने पर बोली- खूबसूरत तो हूँ.. पर ऐसी खूबसूरती का क्या फायदा.. जिससे कोई देख नहीं सकता.. अकेले-अकेले घर में बैठी बोर होती रहती हूँ।

मैंने बोला- मैं हूँ ना.. जब भी तुम्हारा मन ना लगे.. मुझे बुला लेना।

इतना बोल कर मैंने उसे धीरे से एक चुम्बन किया.. तो वो कुछ नहीं बोली.. इससे मेरा मनोबल बढ़ गया।

मैंने उसे बोला- रमशा.. आई लव यू..

वो शरमा गई और सर झुका कर बोली-आई लव यू टू।

मैं खुश हो गया और मन ही मन में भगवान को धन्यवाद किया और उसे चुम्बन करने लगा।

वो भी मेरा साथ देने लगी.. फिर मैं उसके होंठों को चूसने लगा, वो भी मेरे होंठों को चूसने लगी।

फिर मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया.. वो मेरी जीभ चूसने लगी।

फिर काफी देर तक मैं उसकी जीभ चूसता रहा।

ऐसा करते-करते मेरे हाथ उसके मम्मों पर चले गए, मैं उसके मम्मों को दबाने लगा।उसकी अनछुए मम्मे छोटे मगर मस्त थे।

वो गर्म होने लगी.. उसके मम्मों के निप्पल टाइट होने लगे, उसका शरीर ऐंठने लगा.. वो मेरे बाल पकड़ कर जोर से चुम्बन करने लगी।

मुझे ऐसा लग रहा था कि वो मेरे मुँह से मेरे अन्दर घुस जाएगी। मेरा लंड भी एकदम लोहे जैसा टाइट होकर उसकी नाभि पर टिक गया.. क्योंकि मैं उससे लम्बा था।

फिर धीरे से मैंने उसके कुरते को उतार दिया.. उसने अन्दर एक सफ़ेद रंग की समीज पहन रखी थी, मैंने उसकी समीज भी उतार दी।

जब मैंने उसके मम्मों को देखा.. तो मेरे होश उड़ गए.. इतने गोरे और मस्त मम्मे थे कि मैं सब कुछ भूल गया और सिर्फ उसके मम्मे देखता रहा।

मुझे इस तरह से घूरता देख कर वो शरमा गई और अपने दोनों हाथों से उन्हें ढकने लगी।

फिर मैं दोगुने जोश के साथ उसे चुम्बन करने लगा।

मैंने उसके हाथ हटाए और मम्मों को दबाने लगा।

धीरे से उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और सहलाने लगी।

मैंने अपनी पैंट की जिप खोली और लंड निकाल कर उसके हाथ में दे दिया।

मेरे लंड का साइज़ देख कर वो डर गई एकदम से उसके मुँह से निकला- हाय अल्लाह..

मैंने पूछा- क्या हुआ?

उसने बोला- इतना बडा लंड?

मैं मुस्कुरा कर फिर से उसे चुम्बन करने लगा।

फिर मैंने उसके पजामे का नाड़ा खींच दिया.. उसका पजामा नीचे गिर गया।

मैंने उसकी चड्डी पर हाथ रखा.. तो वो गीली हो चुकी थी।

मैंने उसकी चड्डी उतार दी और उसकी दहकती हुई फूली चूत सहलाने लगा. अभी उसके ज्यादा बाल नहीं आए थे, मैंने अपनी बीच वाली ऊँगली उसकी दहकती गर्म चूत में डाल दी।

उसे थोड़ा दर्द हुआ.. वो हल्की सी चीख के साथ मुझसे अलग हो गई।

मैं डर गया.. वो बोली- दर्द होता है।

मैंने कहा- कोई बात नहीं.. पहली बार में ऐसा होता है.. बाद में नहीं होगा।

इतना बोल कर मैं फिर से उसके मम्मों को चूसने में लग गया। अब मैं लगातार उसे पूरे चेहरे और मम्मों पर चुम्बन करते जा रहा था और उसकी कसी हुई चूत में ऊँगली डाल कर हिलाए जा रहा था।

वो फिर से गर्म होने लगी.. उसने शर्माते हुए बोली- मुझे लंड चूसना है।

मैंने खुश हो कर उसको बैठा दिया और तुरंत अपना लंड उसके मुँह में दे दिया.. वो बड़े प्यार से मस्त होकर उसे चूसने लगी।

फिर मैंने 69 होकर उसकी चूत चाटना चालू कर दी। उसकी चूत मुझे पूरी जिंदगी याद रहेगी.. मस्त टाइट चूत थी साली की.. उसकी चूत की फांकों के अन्दर पूरा गुलाबी रंग था। पूरे दस मिनट तक हम एक-दूसरे को चाटते रहे।

अब उसकी चूत से गर्म नमकीन पानी निकलने लगा। मस्त होकर मैंने पूरा चाट कर साफ कर दिया और फिर चाटने लगा। फिर मुझे लगा अब मैं झड़ जाऊँगा.. तो उसके मुँह से अपना लंड निकाल लिया और सीधा होकर मैं उसकी चूचियों को चूसने लगा।

वो बोली- अब और मत तड़पाओ.. चूत में खुजली जोर से हो रही है.. इसे चोद डालो प्लीज।

असल में मैंने पिछली रात में ही इसे याद कर तीन बार मुठ मारी थी.. इसलिए मैं अब तक टिका रहा था।

मैं भी देर ना करते हुए उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा.. पर नाकाम रहा।

फिर मैंने उससे पूछा- मक्खन है क्या?

उसने तुरंत उठ कर मक्खन निकाला.. मैंने थोड़ा सा मक्खन अपने लंड पर लगाया और थोड़ा उसकी चूत पर मला। अब मैं फिर से लौड़ा डालने की कोशिश करने लगा।

इस बार मैं कामयाब रहा.. पर जैसे ही लंड का सुपारा चूत में घुसा.. वो चीखने लगी।

मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह लगा दिया और फिर से जोर से धक्का लगाया।

तो वो रोने लगी, बोली- प्लीज़ निकालो इसे.. बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने कहा- थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा..

अब तक मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था।

मैंने फिर से जोर लगाया तो अबकी बार पूरा घुस गया.. पर वो बेहोश हो चुकी थी। मैं घबरा गया.. वहाँ पर भरा हुआ रखे गिलास से पानी से छींटे मारे.. तो वो होश में आई।

जब वो होश में आई.. तब मेरी जान में जान आई।

मैंने उसे चुम्बन करना शुरू किया.. कुछ देर में धीरे-धीरे उसका दर्द कम हुआ.. तो मैं लंड आगे-पीछे करने लगा.. अब वो भी मेरा साथ देने लगी।

अब मैं उसके मम्मे मसलते हुए चोदने लगा, उसे भी दर्द के साथ मजा आने लगा.. वो मजे में बड़बड़ा कर बोलने लगी- चोद डालो मुझे.. आज फाड़ डालो इस चूत को.. मादरचोदी बहुत दिन से तुमसे चुदने के लिए परेशान कर रही थी.. चोद डालो इसे.. फाड़ दो.. आज इस चूत को भोसड़ा बना दो..

उसकी जोशीली और कामुक बातें सुन कर मैं दोगुने जोश में आ गया और अपनी रफ़्तार बढ़ा दी।

वो भी बार-बार चूतड़ों को उछाल कर मेरा साथ देने लगी.. फिर उसने मुझे जोर से पकड़ लिया.. वो झड़ रही थी।

उसके झड़ने के बाद मैं भी झड़ने वाला था.. मैंने उससे बोला- मेरा निकलने वाला है।

यह सुनकर उसने तुरंत घबरा कर मेरा लंड अपनी चूत से निकाल दिया।

मैंने कहा- क्या हुआ?

तो उसने कहा- मुठ मार कर बाहर गिरा लो।

मैंने कहा- नहीं.. मैं अभी गाण्ड मारूँगा।

उसने बोला- नहीं..

मैं जबरदस्ती उसकी गाण्ड में लंड डालने लगा.. तो उसने मेरे पैर पकड़ लिए.. बोलने लगी- अल्लाह के लिए छोड़ दो.. आज पूरी चूत और शरीर दर्द कर रहा है.. दूसरे दिन मार लेना.. आज छोड़ दो प्लीज़

पर मैंने बिना कुछ सुने.. उसे पलटा दिया और उसकी गाण्ड में लंड डालने लगा।

बड़ी मुश्किल से लंड घुस पाया.. वो दर्द के मारे रोने लगी.. पर मुझे मजा आ रहा था।

थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया। फिर मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे चुम्बन करने लगा और बोला- आज दर्द कर रहा है.. पर देखना.. कल से मुझसे भी ज्यादा तुम्हें मजा आएगा।

तभी हमें पता ही नहीं चला कि कोई हमें देख रहा है.. बाहर खड़ा मेरा नौकर बाहर सब देख रहा था।

उसे देख मेरे होश उड़ गए।

मैंने तुरंत कपड़े पहने और बाहर आ गया। मैंने उसे अपने जेब से 100 का नोट देते हुए किसी को नहीं बोलने को कहा।

उसने झट से पैसे रख लिए और बोला- ये तो मालिक को नहीं बताने का टिप है परंतु मैं भी`चोदूँगा।

अब मैं हतप्रभ था..

उसकी कहानी मैं अगले भाग में लिखूँगा। तब तक के लिए अलविदा..

आप सब मेरी इस कहानी पर अपने कमेन्ट करने के लिए आमंत्रित हैं।

कहानी जारी है।

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